विदेशी विनिमय बाजार

विदेशी मुद्रा बाजार

विदेशी मुद्रा बाजार
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट

रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ

मुंबई, नौ नवंबर (भाषा) अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने और विदेशी पूंजी के सतत निवेश से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 81.43 पर खुला। कारोबार के दौरान 81.23 के दिन के उच्चस्तर और 81.62 के निचले स्तर को छूने के बाद अंत में यह 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। पिछले कारोबारी सत्र में (सोमवार को) रुपया 81.92 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। ‘गुरुनानक जयंती’ के मौके पर मंगलवार को विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार बंद था।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.18 प्रतिशत बढ़कर 109.83 हो गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.64 प्रतिशत घटकर 94.75 डॉलर प्रति बैरल रह गया।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक, गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘रुपये में विदेशी मुद्रा बाजार मजबूती जारी रही क्योंकि डॉलर में, ऊंचे स्तर पर बिकवाली का दबाव देखा गया। अमेरिकी मध्यावधि चुनाव परिणाम आने से पहले भी डॉलर दबाव में रहा।’’

वहीं बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 151.60 अंक की गिरावट के साथ 61,033.55 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे। उन्होंने सोमवार को 1,948.51 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।

Money Market New Timings: RBI ने बदला ट्रेडिंग का समय, सोमवार से सुबह 9 बजे से होगा कामकाज

Money Market New Timings: RBI ने बदला ट्रेडिंग का समय, सोमवार से सुबह 9 बजे से होगा कामकाज

Market Market Timings Update। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में ट्रेडिंग के समय में बदलाव कर दिया है।आरबीआई की ओर से जानकारी दी गई है कि वित्तीय बाजार के कारोबार का नया टाइम टेबल 18 अप्रैल, सोमवार से लागू होगा। अभी तक कारोबार का समय सुबह 10 बजे से था, लेकिन अब इसे 18 अप्रैल से 9 बजे से ही कर दिया गया है और 3.30 बजे तक जारी रहेगा। RBI ने बाजार के कारोबारी समय में 30 मिनट बढ़ा दिया है। RBI ने विज्ञप्ति जारी करते हुए जानकारी दी है कि कोविड प्रतिबंधों के खत्म होने और लोगों की आवाजाही विदेशी मुद्रा बाजार पर लगी पाबंदियों को हटाने और कार्यालयों में कामकाज सामान्य होने के चलते सुबह 9 बजे से वित्तीय बाजारों में कारोबार शुरू करने का फैसला लिया गया है।

RBI के मुताबिक अब बदले हुए समय के साथ विदेशी मुद्रा बाजार और सरकारी प्रतिभूतियों में लेनदेन संभव होगा। 18 अप्रैल 2022 से विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव, रुपया ब्याज दर डेरिवेटिव, कॉरपोरेट बॉन्ड में रेपो आदि सहित विदेशी मुद्रा (FCY)/ भारतीय रुपया (INR) ट्रेडों जैसे RBI विनियमित बाजारों में ट्रेडिंग अपने पूर्व-कोविड समय यानी सुबह 10 बजे के बजाय 9:00 बजे सुबह से शुरू होगी

आपको बता दें कि साल 2020 में कोरोना संक्रमण को देखते हुए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 7 अप्रैल को बाजार के कारोबार के घंटे में बदलाव किया था। बाजार का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक बदल दिया गया, जिससे कारोबार के घंटे आधे घंटे कम हो गए, लेकिन अब कोरोना की स्थिति सामान्य होने के बाद RBI पुराने टाइम टेबल को फिर से लागू विदेशी मुद्रा बाजार कर रहा है।

रुपया रसातल में, अब विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, 4.50 करोड़ डॉलर की बड़ी गिरावट

अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया शुक्रवार को चार पैसे की तेजी के साथ 82.75 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। रुपये में शुरू में गिरावट आई थी लेकिन घरेलू शेयर बाजार में तेजी के साथ यह बढ़त में बंद हुआ।

रुपया रसातल में, अब विदेशी मुद्रा भंडार ने बढ़ाई टेंशन, 4.50 करोड़ डॉलर की बड़ी गिरावट

भारतीय करेंसी रुपया में हर दिन नई गिरावट आ रही है। इस गिरावट के बीच अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया। इससे पहले, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।

इसमें इस साल अगस्त के बाद से पहली बार किसी साप्ताह में वृद्धि हुई थी। बता दें कि एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

लगातार आ रही गिरावट: देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई हफ्तों से लगातार कम हो रही है। दरअसल, तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये को संभालने के लिए आरबीआई ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है।

आंकड़ों के अनुसार, 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.828 अरब डॉलर घटकर 468.668 अरब डॉलर रह गयीं। एफसीए असल में समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है। डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्य वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है।

स्वर्ण भंडार के मूल्य में सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.35 अरब डॉलर की वृद्धि हुई थी। जबकि 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में यह 1.502 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 37.453 अरब डॉलर रह गया।

रुपया का हाल: बता दें कि अमेरिकी मुद्रा की तुलना में रुपया शुक्रवार को चार पैसे की तेजी के साथ 82.75 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ। रुपये में शुरू में गिरावट आई थी लेकिन घरेलू शेयर बाजार में तेजी के साथ यह बढ़त में बंद हुआ।

इस सप्ताह मजबूत हुआ रुपया लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, जानिए रिजर्व बैंक के खजाने में कितना है

डॉलर के मुकाबले रुपए में तेजी देखी जा रही है. इंडियन करेंसी के लिए यह अच्छी खबर है. इस बीच देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया.

इस सप्ताह मजबूत हुआ रुपया लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, जानिए रिजर्व बैंक के खजाने में कितना है

TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर

Updated on: Jul 30, 2022 | 9:00 AM

इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले रुपए (Dollar vs Rupees) में तेजी दर्ज की गई. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बाजार के अनुरूप इंट्रेस्ट रेट में बढ़ोतरी की जिसके बाद डॉलर में कमजोरी आई और अन्य करेंसी में उछाल आया है. इस बीत देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 1.152 अरब डॉलर घटकर 571.56 अरब डॉलर रह गया. डॉलर के मुकाबले रुपए की विनिमय दर में निरंतर उतार चढ़ाव के बीच विदेशी मुद्रा भंडार घटा है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार इससे पहले समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 7.541 अरब डॉलर घटकर 572.712 अरब डॉलर रह गया था. विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों का घटना है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण विदेशी मुद्रा बाजार हिस्सा है.

भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार को जारी किये गये भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 1.426 अरब डॉलर घटकर 510.136 अरब डॉलर रह गयी. डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है.

गोल्ड रिजर्व में आई 14.5 करोड़ डॉलर की गिरावट

आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 14.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.502 अरब डॉलर हो गया. समीक्षाधीन सप्ताह में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 10.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 17.963 अरब डॉलर हो गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 2.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 4.96 अरब डॉलर हो गया.

रुपया तीन सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंचा

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में शुक्रवार को नौ महीनों में पहली बार विदेशी मुद्रा बाजार रुपए में एक दिन की सबसे अधिक 45 पैसे की तेजी आई और यह तीन सप्ताह के उच्च स्तर 79.24 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजार में जोरदार तेजी तथा वैश्विक बाजार में डॉलर के कमजोर होने से रुपए को मजबूती मिली है. रुपए में 45 पैसे की तेजी आई, जो विदेशी मुद्रा बाजार 20 अक्टूबर, 2021 के बाद से एक दिन की सबसे बड़ी बढ़त है.

डॉलर इंडेक्स में कमजोरी का असर

एलकेपी सिक्यॉरिटीज के शोध विश्लेषक और उपाध्यक्ष, जतिन त्रिवेदी ने कहा, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी के कारण रुपया मजबूत हुआ…कच्चा तेल की कीमत में उतार-चढ़ाव ने रुपए के लाभ को कुछ हद तक सीमित रखा. एचडीएफसी सिक्यॉरिटीज के शोध विश्लेषक, दिलीप परमार ने कहा, डॉलर की गिरावट और शेयर बाजार में तेजी के कारण रुपए में 20 अक्टूबर के बाद सबसे बड़ा एक दिन का लाभ दर्ज किया गया.

क्रूड ऑयल 110 डॉलर पर बंद हुआ

दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर इंडेक्स 105.707 के स्तर पर बंद हुआ. लगातार दूसरे सप्ताह इस इंडेक्स में गिरावट आई है. इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल का भाव इस सप्ताह 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर बंद हुआ. WTI क्रूड का भाव 98.62 डॉलर के स्तर पर बंद हुआ. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे. उन्होंने शुक्रवार को 1046 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे.

सिकुड़ता विदेशी मुद्रा भंडार फिलहाल खतरे की घंटी नहीं, मगर RBI को संभलकर चलना होगा

अमेरिकी फेडरल बैंक दरें बढ़ा रहा है, तो रिजर्व बैंक को भी रुपये में गिरावट और विदेशी मुद्रा के भंडार को सिकुड़ने से रोकने के लिए दरें बढ़ानी पड़ेंगी लेकिन इससे आर्थिक वृद्धि की रफ्तार थम सकती है.

ग्राफिक्स: प्रज्ञा घोष/ दिप्रिंट

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई और 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में यह गिरकर 45.6 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. यह 2 अक्तूबर 2020 के बाद का न्यूनतम स्तर है. इसका बड़ा कारण यह है कि रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत में गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा बाजार में बढ़चढ़कर दखल दी. कुछ दिनों पहले तक तो रिजर्व बैंक ने रुपये की कीमत को 80 डॉलर की सीमा पर रोके रखा.

डॉलर की कीमत में निरंतर उछाल के कारण रिजर्व बैंक को रुपये को बाजार के फंडामेंटल्स से जुड़ने की छूट देनी पड़ेगी और उसे संभालने के लिए दूसरे उपाय अपनाने पड़ेंगे. यह विदेशी मुद्रा बाजार महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व चालू खाते में सरप्लस की वजह से नहीं बना है बल्कि पूंजी की आवक के कारण बना है, और इस पूंजी में हाल के महीनों में काफी उथल पुथल मची है.

डॉलर में तेजी

कैलेंडर वर्ष के शुरू से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में वृद्धि की घोषणाएं कर रहा है. फेडरल विदेशी मुद्रा बाजार फंड रेट अब 3 से 2.25 प्रतिशत के बीच है. फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) के सदस्यों का कहना है कि फेडरल फंड रेट 2022 के अंत तक 4.4 फीसदी और 2023 में 4.6 फीसदी होगी. इसका अर्थ हुआ कि अभी दरों में और वृद्धि होगी.

इससे डॉलर ज्यादा आकर्षक बन जाता है. दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी दरों में वृद्धि कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी फेड की तुलना में धीमी गति से.

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उदाहरण के लिए, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने दरों में 1.5 फीसदी की वृद्धि की, ऑस्ट्रेलियन सेंट्रल बैंक ने 2.25 फीसदी की वृद्धि की, यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने 1.25 फीसदी की वृद्धि की. नतीजतन, कई मुद्राओं के बीच डॉलर की ताकत का अंदाजा देने वाले डॉलर इंडेक्स में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई. अमेरिकी फेड ने ब्याज दरों में हाल में 75 बेसिस प्वाइंट विदेशी मुद्रा बाजार की वृद्धि की तो डॉलर इंडेक्स दो दशक में सबसे ऊंचे स्तर, 111.8 पर पहुंच गया.

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रुपये में गिरावट

डॉलर इंडेक्स में उछाल से रुपये में गिरावट का दबाव बनता है. यूक्रेन युद्ध के बाद से रुपये की कीमत में 8.9 फीसदी की गिरावट आई है. वैसे, समकक्ष देशों विदेशी मुद्रा बाजार की मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर हाल में है. लेकिन यह स्थिति उसकी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण है.

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यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 86 अरब डॉलर की कमी आई है. जुलाई में रिजर्व बैंक ने 19 अरब डॉलर बेची. डॉलर की वास्तविक बिक्री के अलावा, डॉलर के तुलना में यूरो और येन जैसी मुद्राओं में गिरावट से भी रिजर्व पर असर पड़ता है.

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डॉलर में उछाल डॉलर के सिवा दूसरी मुद्राओं के डॉलर मूल्य को गिराता है.

इसके उलट, अप्रैल 2013 से सितंबर 2013 के बीच हुए ‘टेपर टैंट्रम’ प्रकरण के दौरान रुपये की कीमत करीब 16 फीसदी कम हो गई. उस दौरान रिजर्व में मामूली, 21.5 अरब डॉलर की कमी आई.

कितना रिजर्व पर्याप्त है

अधिकतर देश विदेशी मुद्रा भंडार को अपनी अर्थनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं. बाजार में उथलपुथल का सामना करने, मुद्रा में भरोसा कायम करने, विनिमय दर को प्रभावित करने जैसे कई कारणों से उन्हें रोक कर रखा जाता है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आइएमएफ) ने कई शोधपत्रों के जरिए बताया है कि रिजर्व की पर्याप्तता को मापने के तीन पारंपरिक पैमाने हैं. जिन देशों में कैपिटल एकाउंट्स पर नियंत्रण रखा जाता है उनमें आयात को प्रासंगिक पैमाना माना जाता है. यह बताता है कि झटके के मद्देनजर आयात के लिए कितने समय तक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है. विकासशील देशों में तीन महीने तक आयात करने लायक रिजर्व को पर्याप्त मानने का नियम चलता है. लेकिन वित्तीय समेकीकरण में वृद्धि के कारण इस पैमाने को अब कम उपयोगी माना जाता है.

उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा पैमाना बकाया अल्पकालिक बाहरी कर्ज की 100 फीसदी कवरेज है. यह खासकर उन देशों के लिए लागू है जो दूसरे देशों के साथ बड़े अल्पकालिक लेन-देन करते हैं. तीसरा पैमाना है व्यापक धन में रिजर्व के अनुपात का. इसका उपयोग पूंजी के बाहर जाने से उभरे संकट में रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन करने के लिए किया जाता है. हाल के संकट के साथ स्थानीय डिपॉजिट के भी बाहर जाने से संकट पैदा हुआ. इस जोखिम से बचने के लिए रिजर्व व्यापक धन (जनता के पास और डिपॉजिट में मुद्रा) के 20 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.

भारत के पास पर्याप्त रिजर्व

भारत में रिजर्व अब तक 3 महीने से ज्यादा के आयात बिल भरने लायक रहता आया है. अक्तूबर 2021 में रिजर्व 642 अरब डॉलर के शिखर पर था और 16 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता था. अब यह 545.6 अरब डॉलर पर आ गया है और 9 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता है. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के के बीच आयात में वृद्धि ने आयात कवर को घटा दिया है. हालांकि फिलहाल रिजर्व तीन महीने के आयात कवर की सीमा से ज्यादा है, लेकिन रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन उथलपुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की पहल से किया जाएगा.

उपरोक्त दूसरे पैमाने के हिसाब से भारत का रिजर्व अल्पकालिक बाहरी कर्ज से ज्यादा है. हाल के अनुमानों के मुताबिक, अल्पकालिक बाहरी कर्ज उसके रिजर्व के अनुपात में आधे से भी कम के बराबर है. रिजर्व व्यापक धन के 20 प्रतिशत की सीमा से ठीक ऊपर है. रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे भी समय आए जब रिजर्व इस सीमा से नीचे था.

नीति का हासिल और चुनौतियां

डॉलर में तेज उछाल ने न केवल रुपये को बल्कि पाउंड, यूरो, येन जैसी मुद्राओं को भी कमजोर किया है. चालू खाते के घाटे के बीच पूंजी की विस्फोटक आवक ने रिजर्व में वृद्धि की गति को धीमा किया. जुलाई में, रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा की आवक को बढ़ाने और रुपये में गिरावट को रोकने के उपायों की घोषणा की थी. इन उपायों में, सरकारी तथा कॉर्पोरेट बॉन्डों में विदेशी निवेश की शर्तों को ढीला करना, विदेशी मुद्रा में उधार की सीमा में छूट देना, और बैंक आप्रवासियों से बड़े डिपॉजिट ले सकें इसकी छूट देना शामिल है. लेकिन डॉलर में तेजी के कारण इन उपायों का विदेशी मुद्रा की आवक पर फर्क नहीं पड़ा.

रिजर्व बैंक को शायद रुपये को सहारा देने के लिए दरों में शायद अतिरिक्त 50 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि करनी पड़ेगी. यह चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि इससे बैंकिंग सिस्टम में तरलता पर ऐसे समय में दबाव बढ़ेगा जब क्रेडिट की मांग बढ़ रही है. और ज्यादा विदेशी पूंजी को आकर्षित करने के लिए बॉन्डों को उभरते बाजार के बॉन्ड सूचकांक में शामिल करना बेहतर होगा.

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