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डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है

डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है
क्रूड ऑयल की तेजी भारतीय रुपये के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.

डॉलर हुआ और मजबूत, दबाव में भारतीय करेंसी, 79.60 के नए रिकॉर्ड Low पर बंद हुआ रुपया

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 16 पैसे गिरकर 79.60 पर बंद हुआ.

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 16 पैसे गिरकर 79.60 पर बंद हुआ.

डॉलर के मुकाबले रुपया आज 16 पैसे गिरकर 79.60 पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजार की कमजोरी, FIIs की लगातार जारी बिकवाली और ग्ल . अधिक पढ़ें

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  • Last Updated : July 12, 2022, 16:40 IST

हाइलाइट्स

घरेलू शेयर बाजार की कमजोरी, FIIs की लगातार जारी बिकवाली और विकास की चिंताएं कर रही हैं परेशान.
RBI ने बड़ा फैसला लिया है कि अब पार्टनर कंट्री के साथ इंटरनेशनल ट्रेड में रुपये से पेमेंट सेटलमेंट कर सकते हैं.
दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्‍पी को देखते हुए नया सिस्‍टम विकसित किया जा रहा है.

नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले रुपया आज फिर गिरा और फिर से एक नया रिकॉर्ड लो बना दिया. डॉलर के मुकाबले रुपया आज 16 पैसे गिरकर 79.60 पर बंद हुआ. हालांकि आज रुपये की ओपनिंग डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है 7 पैसे कमजोरी के साथ हुई थी, परंतु बाद में इसमें गिरावट बढ़ गई. बाद में निचले स्तरों से हल्की रिकवरी के साथ 79.60 पर क्लोजिंग हुई. दरअसल डॉलर इंडेक्स अक्टूबर 2002 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 108 के पार निकल गया है, जिससे भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया की करेंसी में उछल-पुथल मचा है.

मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक, मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अपने नए रिकॉर्ड लो पर जाता नजर आया. घरेलू शेयर बाजार की कमजोरी, FIIs की लगातार जारी बिकवाली और ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ से जुड़ी चिंताएं रुपये पर अपना दबाव बना रही हैं.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का बड़ा कदम
इस बीच गिरते रुपए को संभालने के लिए RBI ने एक और कदम उठाया है. अब पार्टनर कंट्री के साथ इंटरनेशनल ट्रेड में रुपए से पेमेंट सेटलमेंट कर सकते हैं. विदेशों में Vostro Accounts के जरिये पेमेंट होगी. समझा जा रहा है कि इससे बाजार में रुपये की कीमत में सुधार होगा.

आरबीआई ने बताया है कि अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार भी रुपये में करने के लिए नया सिस्‍टम बनाया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्‍पी को देखते हुए नया सिस्‍टम विकसित किया जा रहा है. इसके बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा और ग्‍लोबल ट्रेडिंग सिस्‍टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्‍म हो जाएगा.

आरबीआई ने कहा है कि नया सिस्‍टम फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है. इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में किए जा सकेंगे. रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्‍लोबल फॉरेक्‍स मार्केट में चल रहे भाव के आधार की तय की जाएगी और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा.

FIIs लगातार बने हुए हैं बिकवाल
दूसरी तरफ एफआईआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो 11 जुलाई को भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 170.51 करोड़ रुपए की बिकवाली की. वहीं, इस दिन घरेलू संस्थागत निवेशकों ने भी 296.99 करोड़ रुपए की बिकवाली की. वहीं, F&O में FIIs 1703.05 करोड़ रुपए के नेट बायर रहे. FIIs ने इंडेक्स फ्यूचर्स में 524.88 करोड़ रुपए की बिकवाली की. वहीं, इंडेक्स ऑप्शंस में 2714.20 करोड़ रुपए की खरीदारी की. FIIs ने स्टॉक फ्यूचर्स में 560.18 करोड़ रुपए की बिकवाली की. वहीं, स्टॉक ऑप्शंस में 73.91 करोड़ रुपए की खरीदारी की.

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रुपये की गिरावट ने फिर बनाया नया रिकॉर्ड, राहुल गांधी ने पीएम को याद दिलाया पुराना बयान

Rupee Hits Record Low Against US Dollar : डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत मंगलवार को 48 पैसे गिरकर 78.85 पर आ गई.

रुपये की गिरावट ने फिर बनाया नया रिकॉर्ड, राहुल गांधी ने पीएम को याद दिलाया पुराना बयान

क्रूड ऑयल की तेजी भारतीय रुपये के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है.

Rupee Hits Record Low Against US Dollar : भारतीय करेंसी में गिरावट का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा. मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में 48 पैसे की गिरावट देखने को मिली और यह 78.85 पर बंद हुआ. यह डॉलर के मुकाबले रुपये का अब तक का सबसे निचला स्तर है. इसके साथ ही रुपया लगातार पांचवें कारोबारी सेशन के दौरान नए रिकॉर्ड न्यूनतम स्तर पर बंद हुआ है. जानकारों की राय में इस गिरावट के लिए क्रूड ऑयल यानी कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी पूंजी का देश से लगातार पलायन जिम्मेदार है.

भाषण के बदले शासन पर ध्यान देना होगा : राहुल गांधी

रुपये में इस गिरावट के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है. राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी के एक पुराने बयान की तरफ इशारा करते हुए ट्विटर पर लिखा, “सरकार और रुपए के बीच में कॉम्पिटिशन चल रहा है, किसकी आबरू तेज़ी से गिरती चली जा रही है, कौन आगे जायेगा.” – ये बात किसने कही थी? देश की अर्थव्यवस्था की बिगड़ती हालत को गिरफ़्तार करने के लिए भाषण के बदले शासन पर ध्यान देना होगा. मगर ये प्रधानमंत्री के बस की बात नहीं है.”

दरअसल, राहुल गांधी ने जिस बयान का जिक्र किया है, वह नरेंद्र मोदी ने उस वक्त दिया था, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे और देश में डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार थी. उस वक्त मोदी ने रुपये में गिरावट आने पर मनमोहन सरकार के खिलाफ जो बयान दिया था, अब उसी का इस्तेमाल राहुल गांधी मोदी सरकार के विरुद्ध कर रहे हैं.

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क्रूड में तेजी, FII की बिकवाली से गिरा रुपया : अनुज चौधरी

दरअसल मंगलवार को इंटरबैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में डॉलर के मुकाबले रुपया गिरावट के साथ 78.53 पर खुला. दिन के कारोबार के दौरान इसमें 48 पैसे की गिरावट देखने को मिली और फिर 78.85 पर बंद हुआ. बीएनपी परीबा से जुड़े रिसर्च एनालिस्ट अनुज चौधरी के मुताबिक भारतीय रुपये में इस एतिहासिक गिरावट के लिए घरेलू इक्विटी बाजार की कमजोरी और क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी जैसे कारण जिम्मेदार हैं. इसके अलावा विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली किए जाने की वजह से भी रुपये पर दबाव बढ़ा है.

79.50 रुपये तक जा सकता है एक डॉलर का भाव : चौधरी

अनुज चौधरी के मुताबिक आने वाले दिनों में भी रुपये में गिरावट का रुझान बने रहने की आशंका है, क्योंकि घरेलू बाजार में निवेशक जोखिम से बचना चाहेंगे. इसके अलावा विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की तरफ से बिकवाली का दबाव भी लगातार बना हुआ है, जो रुपये को नीचे की तरफ ले जाने का काम करेगा. तेल कीमतों में तेजी बने रहने की संभावना भी भारतीय करेंसी के लिए चुनौती बनी हुई है. चौधरी का अनुमान है कि निकट भविष्य में एक डॉलर का भाव 78 रुपये से लेकर 79.50 रुपये तक जा सकता है.

डॉलर का भाव 79.20 रुपये तक पहुंचने का खतरा : सचदेवा

रेलिगेयर ब्रोकिंग (Religare Broking) की वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च) सुगंधा सचदेवा रुपये में इस भारी गिरावट के लिए क्रूड के दाम में उछाल के साथ ही साथ घरेलू इक्विटी बाजार की कमजोरी को भी जिम्मेदार मानती हैं. उनका कहना है कि अमेरिका में क्रूड की भारी मांग और चीन में महामारी के कारण लगाई गई डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है पाबंदियों में ढील के चलते कच्चे तेल की कीमतों में अभी और तेजी देखने को मिल सकती है, जो भारतीय करेंसी के लिए बुरी खबर साबित हो सकती है. सचदेवा का मानना है कि मुश्किल आर्थिक हालात और बढ़ती महंगाई की वजह से सारी दुनिया में ग्रोथ घटने की चिंता बढ़ती जा रही है, जबकि डॉलर इंडेक्स इससे मजबूत हो रहा है. उनका अनुमान है कि आने वाले दिनों में रुपये में और गिरावट आ सकती है, जिससे एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 79.20 रुपये तक डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है पहुंचने का खतरा है. हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करके रुपये में तेज उतार-चढ़ाव को संभालने की कोशिश करता रहेगा.

6 कारोबारी दिनों में 100 पैसे गिरा रुपया

एलकेपी सिक्योरिटीज़ के वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के मुताबिक डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले 6 कारोबारी दिनों के दौरान 100 पैसे गिर चुका है, तो इसकी बड़ी वजह है कैपिटल मार्केट के खिलाड़ियों का भारतीय करेंसी में ज्यादा दिलचस्पी न लेना और FII का लगातार देश से पैसे बाहर ले जाना. क्रूड की कीमत 105 डॉलर से बढ़कर 114 डॉलर पर पहुंच जाने की वजह से भी रुपये की कमजोरी और बढ़ी है. त्रिवेदी का यह भी मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व का हॉकिश रुख भी रुपये को और कमजोर बना रहा है. उनके मुताबिक क्रूड की कीमतों में गिरावट नहीं आई तो रुपया अभी और कमजोर हो सकता है.
(Input : PTI)

Independence Day 2021: आजादी के बाद से रुपये में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिला, आज हालत पस्त

Independence Day 2021: बीते 75 वर्षों में रुपया गिरते-गिरते गुरुवार को बाजार बंद होने तक 74.2655 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। आइए जानने की कोशिश करते है कि 1947 से लेकर आज तक रुपये में कब-कब भारी गिरावट दर्ज की गई।

rupee ruined in 75 year

Independence Day 2021: हम आजादी की 75 वीं सालरिगरह (15 August 2021) को मनाने जा रहे हैं। बीते 74 सालों में हमारे देश ने काफी प्रगति की है। मगर देश की मुद्रा लगातार गिरावट को ओर जा रही है। वह लगातार टूटती जा रही है। गुरुवार बाजार बंद होने तक भारतीय पैसा 74.2655 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गया। बीते साल भी रुपये की कीमत इसी के आसपास थी।

इस साल कोरोना महामारी के कारण पूरे देश के कारोबार पर असर देखने को मिला। कई महीनों के लॉकाडाउन के कारण बाजार में पैसे का फ्लो नहीं हो सका। इस कारण मंदी छाई रही। वहीं पेट्रोल और डीजल के दामों में बढ़ोतरी के कारण पूरे देश में महंगाई का असर दिखा। 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उस समय भारत में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपये थी। इसके बाद दो ऐसे मौके आए जब यह फासला तेजी से बढ़ा।

देश को दो बार आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा

आजादी के बाद से भारत को दो बार आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा। यह साल थे 1991 और 2008। वर्ष साल 1991 में आई आर्थिक मंदी के पीछे आंतरिक कारण थे। मगर 2008 में वैश्विक मंदी के कारण भारत में अर्थव्यस्था पर असर दिखाई दिया था। 1991 में भारत के आर्थिक संकट में फंसने की बड़ी वजह भुगतान संकट था। इस दौरान आयात में भारी कमी आई थी, जिसमें देश दोतरफा घाटे में था।

देश के अंदर व्यापार संतुलन बिगड़ चुका था। सरकार बड़े राजकोषीय घाटे पर चल रही थी। खाड़ी युद्ध में 1990 के अंत तक, स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार मुश्किल से तीन सप्ताह के आयात लायक बचा था। सरकार पर भारी कर्ज था जिसे चुकाने में वह असमर्थ थी।

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बजट नहीं पेश कर थी सरकार

विदेशी मुद्रा भंडार घटने से रुपये में काफी तेज गिरावट आई थी। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार फरवरी 1991 में बजट नहीं पेश कर सकी। कई वैश्विक क्रेडिट-रेटिंग एजेंसियों ने भारत को डाउनग्रेड कर दिया था। यहां तक की विश्व बैंक और आईएमएफ ने सहायता रोक दी। इसके बाद सरकार के पास देश के सोने को गिरवी रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसकी मुख्य वजह रुपये की कीमत में तेजी से गिरावट आना और भारत पर निवेशकों का घटता भरोसा था।

वहीं 2008 में आर्थिक मंदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को उतना नुकसान नहीं पहुंचाया था, जितना अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओ को झेलना पड़ा। 2008 की मंदी के बाद भारत का व्यापार वैश्विक जगत से काफी घट गया था। आर्थिक विकास घटकर छह फीसदी तक चली गई थी।

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बीते 75 साल में डॉलर के मुकाबले रुपया

- वर्ष 1947 में जब देश आजाद हुआ था, तब भारत में एक डॉलर की कीमत 4.16 रुपये तक थी।

- वर्ष 1950 से 1965 तक करीब 15 वर्षों के लंबे अंतराल तक रुपया 4.76 रुपये प्रति डॉलर पर स्थिर बना रहा।

- वर्ष 1966 में अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में भारतीय मुद्रा की कीमत में अचानक तेज गिरावट दर्ज की गई। एक डॉलर की कीमत 6.36 रुपए तक हो गई।

- वर्ष 1967 से लेकर 1970 के बीच एक डॉलर की कीमत स्थिर रही। ये 7.50 रुपये पर बनी रही।

- वर्ष 1974 में रुपये में बड़ी गिरावट दर्ज करी गई। यह डॉलर के मुकाबले 8.10 रुपये स्तर पर पहुंच गई।

- इमरजेंसी के समय यानी 1975 में रुपया 28 पैसा तक गिरा। इस समय एक डॉलर की कीमत 8.38 रुपये हो गई।

- वर्ष 1983 में रुपया गिरकर 10.1 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। वहीं वर्ष 1991 के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव के कार्यकाल में देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। उस समय रुपये में जोरदार गिरावट दर्ज की गई थी। डॉलर मजबूत हो गया। इस समय एक डॉलर की कीमत 22.74 रुपये हो चुकी थी।

- वर्ष 1993 में डॉलर के मुकाबले रुपया 30.49 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 1994 से लेकर 1997 तक यह 31.37 रुपये प्रति डॉलर से लेकर 36.31 रुपये प्रति डॉलर का उतार चढ़ाव देखा गया।

- वर्ष 1998 में देश में गैर-कांग्रेसी सरकार बनने की आहट के साथ ही रुपये में एक बार फिर जोरदार गिरावट देखगी गई। एक डॉलर की कीमत 41.26 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंच गई।

- वर्ष 2012 में रुपये में जोरदार गिरावट हुई और डॉलर के मुकाबले इसकी कीमत 53.44 रुपये हो गई। इसके बाद वर्ष 2014 में जब देश में पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो रुपये में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। यह डॉलर के मुकाबले 62.33 रुपये प्रति डॉलर तक टूट। वर्ष 2018 में एक बार जोरदार गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान डॉलर के मुकाबले कीमत 70.09 रुपये प्रति डॉलर तक पहुंची।

रुपया 80 प्रति डॉलर के पार, जानें आप पर क्या होगा सीधा असर

Rupee hits 80: इस साल 2022 की शुरुआत में रुपया एक डॉलर पर 74 रुपये के लगभग चल रहा था, लेकिन अभी सात महीने बीते नहीं हैं कि इसमें सात फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है. रुपया अपने सार्वकालिक स्तर पर आ गया है.

रुपया 80 प्रति डॉलर के पार, जानें आप पर क्या होगा सीधा असर

अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले आज मंगलवार को रुपया बाजार खुलने के बाद पहली बार अब तक के अपने निम्नतम स्तर 80.05 रुपया प्रति डॉलर पर आ गया. अमेरिकी मुद्रा के मजबूत बने रहने डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है और कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच रुपया शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले अब तक के अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया. इस साल 2022 की शुरुआत में रुपया एक डॉलर पर 74 रुपये के लगभग चल रहा था, लेकिन अभी सात महीने बीते नहीं हैं कि इसमें सात फीसदी तक की गिरावट आ चुकी डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है है. रुपया अपने सार्वकालिक स्तर पर आ गया है.

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लोकसभा में वित्तमंत्री की ओर से दिए गए लिखित जवाब में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2014 के बाद से रुपया 25 फीसदी तक गिर चुका है.

रुपये में इतनी तेज गिरावट का आप पर क्या असर हो सकता है, हम वही देखने की कोशिश कर रहे हैं-

आयात की लागत बढ़ जाएगी

किसी देश की करेंसी कमजोर होने का मतलब है कि उसके लिए विदेशों से वस्तुओं का आयात महंगा होगा क्योंकि अब उसे पहले के डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है मुकाबले ज्यादा पैसे चुकाने होंगे. जैसे कि मान लीजिए कि आप इस साल जनवरी में विदेश से आ रहे किसी उत्पाद पर 1 डॉलर के बदले में 74 रुपये चुका रहे थे, तो अब आपको उसी प्रॉडक्ट पर 80 रुपये देने होंगे. रुपये की कीमत अभी और गिरने की आशंका जताई जा रही है, ऐसे में हो सकता डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है है कि विदेशी वस्तुओं को खरीदना और महंगा हो.

ईंधन-ऊर्जा महंगी

भारत अपनी तेल की कुल जरूरतों का लगभग 80 फीसदी हिस्सा आयात करता है. रुपया कमजोर होगा तो इसका असर विदेशों से आयातित किए जा रहे तेल और ऊर्जा उत्पादों पर भी पड़ेगा. इससे देश में घरेलू बाजार में उपभोक्ताओं के लिए तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं क्योंकि तेल रिफाइनरी और तेल विपणन कंपनियां अतिरिक्त भार को उपभोक्ताओं पर डाल देती हैं. हालांकि, बता दें कि पिछले कई महीनों में तेल की कीमतों ने उछाल देखा है, लेकिन इसका असर घरेलू बाजार पर नहीं दिखा है.

विदेशी शिक्षा और यात्रा महंगी

रुपये का मूल्य घटने पर विदेशी यात्रा और विदेश में पढ़ाई करना भी महंगा हो जाएगा. अगर जनवरी में आप किसी दूसरे देश जाने के लिए 1,000 डॉलर यानी लगभग 74,000 रुपये चुका रहे थे, तो अब आपको उस यात्रा के लिए डॉलर और रुपये के बीच चल क्या रहा है 80,000 रुपये चुकाने पड़ेंगे.

छह महीने में ही यूएस की शिक्षा और यात्रा 7% हुई महंगी

रुपया डॉलर के मुकाबले पिछले छह महीनों में 7 फीसदी तक गिर गया है. इसका मतलब अब आपके लिए यूएस जाना और यूएस में पढ़ाई करना भी इन बीते छह महीनों में इतना महंगा हो गया है.

एक सकारात्मक पहलू भी है

कमजोर रुपये का यह भी मतलब है कि अब भारत में निर्यात को बढ़त मिलेगी. कमजोर रुपये से अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय निर्यात के लिए ज्यादा प्रतिद्वंद्वी पैदा होगा. निर्यातक जिस उत्पाद पर 74 रुपये का मूल्य पा रहे थे, उसके लिए उन्हें अब 80 रुपये मिलेगा.

Video : रुपया पहली बार 80 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक गिरा

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