विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है

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निम्नलिखित में से कौन सा कथन वाणिज्यिक पत्र के बारे में सच है? [A] यह एक वचनपत्र है। [B] यह मुद्रा बाजार में कारोबार के लिए प्रयोग किया जा रहा है। [C] यह 1990 में शुरू की गर्इ थी। [D] यह असुरक्षित साधन है।
निम्नलिखित में से कौन सा कथन जमा के प्रमाण पत्र के बारे में सत्य है? [A] वाणिज्यिक पत्र की तुलना में यह सुरक्षित साधन है। [B] यह एक वचनपत्र है। [C] यह पूंजी बाजार में प्रयोग किया जा रहा है। [D] यह 1989 में शुरू की गर्इ थी।
दिए गए कथन मे जो ट्रेजरी बिल के लिए गलत है? [A] यह एक सुरक्षित साधन है। [B] यह एक वचनपत्र है। [C] यह सरकार द्वारा जारी किया जाता है। [D] यह 1 साल की अधिकतम परिपक्वता के लिए जारी किया जाता है।
दिए गए कथनों में जो एक वाणिज्यिक बिल के बारे में सच है? [A] यह एक वचनपत्र है। [B] यह मुद्रा बाजार का एक प्रपत्र है। [C] यह एक व्यापार बिल है। [D] यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है।
निम्न में से कौन सा कथन दिनांकित प्रतिभूतियों से संबंधित है? [A] यह एक सुरक्षित साधन है। विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है [B] यह सरकार द्वारा जारी किया जाता है। [C] यह एक सरकार द्वारा ऋण को स्वीकृत करता है। [D] परिपक्वता की तिथि प्रमाण पत्र पर उल्लेखित की जाती है।
वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी किए गए प्रमाण पत्र जमा का 1 साल के लिए 7 दिनों के लिए कर रहे हैं। done clear
निम्नलिखित में से कौन सा डीप डिस्काउंट बांड से संबंधित है? [A] यह एक लंबी अवधि जीरो कूपन बांड है। [B] ब्याज की दर प्रमाण पत्र पर उल्लेखित है। [C] यह डाकखानो द्वारा जारी किया जाता हैं। [D] परिपक्वता की तिथि प्रमाण पत्र पर उल्लेखित नही है।
RBI के कदमों से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की रफ्तार कम हुई- विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है रिपोर्ट
देश का विदेशी मुद्रा भंडार पांच अगस्त को समाप्त सप्ताह में 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया है. वहीं 29 जुलाई के हफ्ते में इसमें 2.3 अरब डॉलर की बढ़त रही है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Aug 19, 2022 | 9:31 AM
भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
क्या है रिपोर्ट में खास
आरबीआई के वित्तीय बाजार संचालन विभाग के सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस के अध्ययन में कहा गया है कि 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भंडार 22 प्रतिशत कम हुआ था. यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद उत्पन्न उतार-चढ़ाव के दौरान इसमें केवल छह प्रतिशत की कमी आई है. अध्ययन में कहा गया है कि इसमें व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह कोई जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक की सोच से मेल खाए. रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर अपने हस्तक्षेप उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा है. यह विदेशी मुद्रा भंडार में घटने की कम दर से पता चलता है. अध्ययन के अनुसार, निरपेक्ष रूप से 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के कारण मुद्रा भंडार में 70 अरब अमेरिकी डॉलर की गिरावट आई. जबकि कोविड-19 अवधि के दौरान इसमें 17 अरब डॉलर की ही कमी हुई. वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इस वर्ष 29 जुलाई तक 56 अरब डॉलर की कमी आई विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है है. अध्ययन में कहा गया है कि उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों में ब्याज दर, मुद्रास्फीति, सरकारी कर्ज, चालू खाते का घाटा, जिंसों पर निर्भरता राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम शामिल हैं.
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आज आएंगे विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े
आज रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े जारी करेगा. फिलहाल इसमें स्थिरता से बढ़त तक का अनुमान है क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के स्तर से नीचे ही बना हुआ है, वहीं हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारो में जमकर खरीद की है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार पांच अगस्त को समाप्त सप्ताह में 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया है. 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार में 2.315 अरब डॉलर की बढ़त देखने को मिली थी.
विदेशी मुद्रा बाज़ार
विदेशी मुद्रा बाजार, विश्व की मुद्राओं के क्रय-विक्रय (व्यापार) का बाजार है जो विकेन्द्रित, चौबीसों घंटे चलने वाला, काउन्टर पर किया जाने वाले (over the counter) कारोबार है। अन्य वित्तीय बाजारों की अपेक्षा यह बहुत नया है और पिछली शताब्दी में सत्तर के दशक में आरम्भ हुआ। फिर भी सम्पूर्ण कारोबार की दृष्टि से यह सबसे बड़ा बाजार है। विदेशी मुद्राओं में प्रतिदिन लगभग ४ ट्रिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य कामकाज होता है। अन्य बाजारों की तुलना में यह सबसे अधिक स्थायित्व वाला बाजार है। .
भारतीय वित्तीय प्रणाली
भारतीय मुद्रा किसी भी देश की वित्तीय प्रणाली वित्तीय बाजार, वित्तीय मध्यस्थता और वित्तीय साधनों या वित्तीय उत्पादों के होते हैं। यह पत्र वित्त और भारतीय वित्तीय प्रणाली और वित्तीय बाजार, वित्तीय मध्यस्थों और वित्तीय साधनों पर ध्यान केंद्रित का अर्थ पर चर्चा करता है। विभिन्न मुद्रा बाजारलिखतों पर संक्षिप्त समीक्षा भी इस अध्ययन में शामिल रहे हैं। शब्द 'वित्त' हमारी साधारण समझ में यह समकक्ष 'मनी' के रूप में माना जाता है। हम पैसे और अर्थशास्त्र में बैंकिंग के बारे में, मौद्रिक सिद्धांत और व्यवहार के बारे में और 'सार्वजनिक वित्त' के बारे में पढ़ें। लेकिन वित्त बिल्कुल पैसे नहीं है, यह एक विशेष गतिविधि के लिए धन उपलब्ध कराने का स्रोत है। इस प्रकार सार्वजनिक वित्त सरकार के साथ पैसे मतलब यह नहीं है, लेकिन यह एक सरकार के कार्यों और गतिविधियों के लिए राजस्व बढ़ाने के स्रोतों को संदर्भित करता है। यहाँ कुछ शब्द की परिभाषा का दोनों एक स्रोत के रूप में और के रूप में एक गतिविधि के एक संज्ञा और एक क्रिया के रूप में यानी वित्त'। .
आर्थिक विकास
देशों, क्षेत्रों या व्यक्तिओं की आर्थिक समृद्धि के वृद्धि को आर्थिक विकास कहते हैं। नीति निर्माण की दृष्टि से आर्थिक विकास उन सभी प्रयत्नों को कहते हैं जिनका लक्ष्य किसी जन-समुदाय की आर्थिक स्थिति व जीवन-स्तर के सुधार के लिये अपनाये जाते हैं। वर्तमान युग की सबसे महत्वपूर्ण समस्या 'आर्थिक विकास' की समस्या है। आर्थिक स्वतन्त्रता के बिना राजनैतिक स्वतन्त्रता का कोई महत्व (उपयोग) नहीं है। विकास और उससे जुड़े हुए मुद्दों के इस महत्व के कारण ही अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विकास-अर्थशास्त्र नामक एक अलग विषय का ही उदय हो गया। किन्तु पिछले कुछ वर्षों से विकास-अर्थशास्त्र के एक स्वतंत्र विषय के रूप में अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न-सा उभरता दिखाई दे रहा है। कई अर्थशास्त्री हैं जो "विकास-अर्थशास्त्र" नामक अलग विषय की आवश्यकता से ही इनकार करने लगे हैं, इनमें प्रमुख हैं- स्लट्ज, हैबरलर, बार, लिटिल, वाल्टर्स आदि। अर्थशास्त्रियों का एक वर्ग "विकास-अर्थशास्त्र" को ही समाप्त कर देने की मांग करने लगा है। कुछ अर्थशास्त्रियों ने 'आर्थिक विकास' (इकनॉमिक डेवलपमेन्ट), 'आर्थिक प्रगति' (इकनॉमिक ग्रोथ) और दीर्घकालीन परिवर्तन (सेक्युलर डेवलपमेन्ट) की अलग-अलग परिभाषाएँ की हैं। किन्तु मायर और बोल्डविन ने इन तीनों श्ब्द-समूहों का एक ही अर्थ में प्रयोग किया है तथा अलग-अलग अर्थ निकालने को 'बाल की खाल निकालना' कहा है। उनके अनुसार, .
अर्थशास्त्र
---- विश्व के विभिन्न देशों की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर (सन २०१४) अर्थशास्त्र सामाजिक विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग का अध्ययन किया जाता है। 'अर्थशास्त्र' शब्द संस्कृत शब्दों अर्थ (धन) और शास्त्र की संधि से बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ है - 'धन का अध्ययन'। किसी विषय के संबंध में मनुष्यों के कार्यो के क्रमबद्ध ज्ञान को उस विषय का शास्त्र कहते हैं, इसलिए अर्थशास्त्र में मनुष्यों के अर्थसंबंधी कायों का क्रमबद्ध ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थशास्त्र का प्रयोग यह समझने के लिये भी किया जाता है कि अर्थव्यवस्था किस तरह से कार्य करती है और समाज में विभिन्न वर्गों का आर्थिक सम्बन्ध कैसा है। अर्थशास्त्रीय विवेचना का प्रयोग समाज से सम्बन्धित विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे:- अपराध, शिक्षा, परिवार, स्वास्थ्य, कानून, राजनीति, धर्म, सामाजिक संस्थान और युद्ध इत्यदि। प्रो.
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विदेशी मुद्रा मुद्रा बाजार क्या है
अतंरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रूपया 16 पैसे मजबूत
मुंबई। रूपया कल शुक्रवार को अंतरबैंक विदेशी मुद्रा मार्केट में लगातार तीसरे दिन भी बढ़ोतरी जारी रहे इस वृद्धि से रूपया में 16 पैसे की वृद्धि के साथ चार सप्ताह के उच्चतम स्तर पर डॉलर के मुकाबले 63.67 पर पहुंच गया। ऐसा निर्यातकों द्वारा डॉलर की बिक्री बढ़ाने के ध्यान में रखा गया है।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बोला है कि इसके अलावा घरेलू इक्विटी मार्केट में मजबूत शुरूआत और यूरो एवं अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में कमजोरीकी वजह से रूपए को सहारा मिला। रूपया कल 39 पैसे की मजबूती के साथ 63.73 के लेवल पर बंद हो गया।
क्या मानना है फॉरेक्स एक्सपर्ट
फॉरेक्स एक्सपर्ट का मानना है कि मानसून की गति के आधार पर ही रुपए की गति निर्भर करेगी। इसके अलावा, कच्चे तेल के दामों में कमी भी रुपये पर दबाव बना सकती है। अमेरिका में ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी भी रुपये के लिए दबाव बनाने का काम करेगा, ऐसे में आगे डॉलर के मुकाबले रुपया 64.5-65 के भीतर रह सकता है।