क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार में इस बार भी दर्ज हुई बढ़त
राज एक्सप्रेस। देश में जमा होने वाले विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा के आंकड़े क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता आया हैं। इस साल इन आंकड़ों में ज्यादातर गिरावट ही देखने को मिलती रही है। इस क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? साल की शुरुआत में 2 बार बढ़त के बाद इसमें लगातार गिरावट बनी रही। वहीँ, पिछली बार दर्ज हुई बढ़त के बाद इस बार इसमें फिरसे बढ़त दर्ज हुई। इसके अलावा यदि स्वर्ण भंडार की बात की जाए तो उसका हाल भी कुछ कुछ विदेशी मुद्रा भंडार जैसा ही रहा। इस बार RBI द्वारा जारी हुए आंकड़ो के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार दोनों में बढ़त दर्ज हुई है।
डॉलर में तेजी
कैलेंडर वर्ष के शुरू से, अमेरिकी फेडरल रिजर्व दरों में वृद्धि की घोषणाएं कर रहा है. फेडरल फंड रेट अब 3 से 2.25 प्रतिशत के बीच है. फेडरल ओपेन मार्केट कमिटी (एफओएमसी) के सदस्यों का कहना है कि फेडरल फंड रेट 2022 के अंत तक 4.4 फीसदी और 2023 में 4.6 फीसदी होगी. इसका अर्थ हुआ कि अभी दरों में और वृद्धि होगी.
इससे डॉलर ज्यादा आकर्षक बन जाता है. दूसरे देशों के केंद्रीय बैंक भी दरों में वृद्धि कर रहे हैं लेकिन अमेरिकी फेड की तुलना में धीमी गति से.
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रुपये में गिरावट
डॉलर इंडेक्स में उछाल से रुपये में गिरावट का दबाव बनता है. यूक्रेन युद्ध के बाद से रुपये की कीमत में 8.9 फीसदी की गिरावट आई है. वैसे, समकक्ष क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? देशों की मुद्राओं की तुलना में रुपया बेहतर हाल में है. लेकिन यह स्थिति उसकी गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा डॉलर की बिक्री के कारण है.
ग्राफिक्स: रमनदीप कौर/ दिप्रिंट
यूक्रेन युद्ध शुरू क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? होने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 86 अरब डॉलर की कमी आई है. जुलाई में रिजर्व बैंक ने 19 अरब डॉलर बेची. डॉलर की वास्तविक बिक्री के अलावा, डॉलर के तुलना में यूरो और येन जैसी मुद्राओं में गिरावट से भी रिजर्व पर असर पड़ता है.
कितना रिजर्व पर्याप्त है
अधिकतर देश विदेशी मुद्रा भंडार को अपनी अर्थनीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं. बाजार में उथलपुथल का सामना करने, मुद्रा में भरोसा कायम करने, विनिमय दर को प्रभावित करने जैसे कई कारणों से उन्हें रोक कर रखा जाता है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश (आइएमएफ) ने कई शोधपत्रों के जरिए बताया है कि रिजर्व की पर्याप्तता को मापने के तीन पारंपरिक पैमाने हैं. जिन देशों में कैपिटल एकाउंट्स पर नियंत्रण रखा जाता है उनमें आयात को प्रासंगिक पैमाना माना जाता है. यह बताता है कि झटके के मद्देनजर आयात के लिए कितने समय तक वित्त उपलब्ध कराया जा सकता है. विकासशील देशों में तीन महीने तक आयात करने लायक रिजर्व को पर्याप्त मानने का नियम चलता है. लेकिन वित्तीय क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? समेकीकरण में वृद्धि के कारण इस पैमाने को अब कम उपयोगी माना जाता है.
उभरती अर्थव्यवस्थाओं में दूसरा पैमाना बकाया अल्पकालिक बाहरी कर्ज की 100 फीसदी कवरेज है. यह खासकर उन देशों के लिए लागू है क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? जो दूसरे देशों के साथ बड़े अल्पकालिक लेन-देन करते हैं. तीसरा पैमाना है व्यापक धन में रिजर्व के अनुपात का. इसका उपयोग पूंजी के बाहर जाने से उभरे संकट में रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन करने के लिए किया जाता है. हाल के संकट के साथ स्थानीय डिपॉजिट के भी बाहर जाने से संकट पैदा हुआ. इस जोखिम से बचने के लिए रिजर्व व्यापक धन (जनता के पास और डिपॉजिट में मुद्रा) के 20 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए.
भारत के पास पर्याप्त रिजर्व
भारत में रिजर्व अब तक 3 महीने से ज्यादा के आयात बिल भरने लायक रहता आया है. अक्तूबर 2021 में रिजर्व 642 अरब डॉलर के शिखर पर था और 16 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता था. अब यह 545.6 अरब डॉलर पर आ गया है और 9 महीने के आयात खर्च को पूरा कर सकता है. विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के के बीच आयात में वृद्धि ने आयात कवर को घटा दिया है. हालांकि फिलहाल रिजर्व तीन महीने के आयात कवर की सीमा से ज्यादा है, लेकिन रिजर्व की पर्याप्तता का आकलन उथलपुथल को रोकने के लिए रिजर्व बैंक की पहल से किया जाएगा.
उपरोक्त दूसरे पैमाने के हिसाब से भारत का रिजर्व अल्पकालिक बाहरी कर्ज क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? से ज्यादा है. हाल के अनुमानों के मुताबिक, अल्पकालिक बाहरी कर्ज उसके रिजर्व के अनुपात में आधे से भी कम के बराबर है. रिजर्व व्यापक धन के 20 प्रतिशत की सीमा से ठीक ऊपर है. रिजर्व बैंक के एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे भी समय आए जब रिजर्व इस सीमा से नीचे था.
विदेशी मुद्रा भंडार 3.2 अरब डॉलर घटा, क्या है वजहॽ
रिजर्व बैंक के आंकड़ों से पता चलता है कि बीते दो हफ्तों के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 5.7 अरब डॉलर की गिरावट आर्इ है.
शुक्रवार को डॉलर की तुलना में भारतीय क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? मुद्रा 66.87 के स्तर पर बंद हुर्इ थी. 2018 में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपये का मूल्य करीब ढार्इ फीसदी कम हो चुका है. अमेरिकी अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने से डॉलर मजबूत हो रहा है. एशियार्इ मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन के मामले में इस साल रुपया दूसरे नंबर पर रहा है.
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शुक्रवार को कहा था कि डॉलर के मुकाबले रुपये का 65-66 का स्तर ठीक है. इसमें किसी भी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? है.
Foreign Exchange Reserves: रुपये की गिरावट से लुढ़का विदेशी मुद्रा भंडार, 3.85 अरब डॉलर कम होकर पहुंचा दो साल के निचले स्तर पर
Foreign Exchange Reserves (सोशल मीडिया)
Foreign Exchange Reserves: बढ़ती महंगाई को रुकने के लिए विश्व की केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतियों में किये जा रहे बदलाव का असर अर्थव्यवस्था पर साफ तौर पर दिखाई पड़ा रहा है। इसके प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं रहा है। पिछले कई दिनों से भारतीय मुद्रा रुपया डॉलर की तुलना में गिरावट देखी गई है। हालांकि अब रुपया मजबूत होना शुरू कर दिया है,लेकिन इसमें आई गिरावट का असर विदेशी मुद्रा भंडार पर पड़ गया है। 21 अक्टूबर को समाप्त हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.85 अरब डॉलर की गिरावट आई है। इस गिरावट के बाद से देश का विदेशी मुद्रा गिरकर दो साल के निचले स्तर पर आ गया है। आपको बता दें कि पिछले महीने से ही विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट होने का सिलसिला शुरू हो चुका था।
विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार में इस बार भी दर्ज हुई बढ़त
राज एक्सप्रेस। देश में जमा होने वाले विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा के आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जारी करता आया हैं। इस साल इन आंकड़ों में ज्यादातर गिरावट ही देखने को मिलती रही है। इस साल की शुरुआत में 2 बार बढ़त के बाद इसमें लगातार गिरावट बनी रही। वहीँ, पिछली बार दर्ज हुई बढ़त के बाद इस बार इसमें फिरसे बढ़त दर्ज हुई। इसके अलावा यदि स्वर्ण भंडार की बात की जाए तो उसका हाल भी कुछ कुछ विदेशी मुद्रा भंडार जैसा ही रहा। इस बार RBI द्वारा जारी हुए आंकड़ो के क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार दोनों में बढ़त दर्ज हुई है।