ETF का इतिहास

डेली न्यूज़
भारत बॉण्ड ETF का का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, CPSEs, CPSUs ,CPFIs तथा अन्य सरकारी संगठनों के लिये पूंजी के अतिरिक्त स्रोत के तौर पर ETF कितना प्रभावी है?
चर्चा में क्यों
4 दिसंबर, 2019 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने भारत बॉण्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) को बनाने और लॉन्च करने की योजना को मंज़ूरी दे दी है।
डेली अपडेट्स
जुलाई, 2022 में गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) से 457 करोड़ रुपए का शुद्ध बहिर्वाह हुआ क्योंकि निवेशकों ने पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन रणनीति (Portfolio Rebalancing Strategy) के हिस्से के रूप में अन्य परिसंपत्ति वर्गों में अपना पैसा निवेश किया।
- यह जून 2022 में 135 करोड़ रुपए के शुद्ध अंतः प्रवाह की तुलना में था।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
- परिचय:
- स्वर्ण/गोल्ड ETF (जिसका उद्देश्य घरेलू भौतिक सोने की कीमत को आंकलन करना है) निष्क्रिय निवेश साधन हैं जो सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं तथा सोने को बुलियन में निवेश करते हैं।
- गोल्ड ETF भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयाँ हैं जो कागज या डीमैट रूप में हो सकती हैं।
- एक गोल्ड ETF इकाई 1 ग्राम सोने के बराबर होती है और इसमें उच्च शुद्धता का भौतिक सोना होता है।
- वे स्टॉक निवेश के लचीलेपन और सोने के निवेश की सहजता को संयोजित करते हैं।
- ETF की हिस्सेदारी में पूरी पारदर्शिता है।
- गोल्ड ETF में भौतिक सोने के निवेश की तुलना में बहुत कम खर्च होता है।
- ETFs पर संपत्ति कर, सुरक्षा लेनदेन कर, वैट और बिक्री कर नहीं लगाया जाता है।
- ETF सुरक्षित और संरक्षित होने के कारण चोरी का कोई डर नहीं है क्योंकि धारक के डीमैट खाते में इकाइयाँ होती हैं।
बहिर्वाह के कारण:
- बढ़ती ब्याज़ दर चक्र के कारण सोने की कीमतों में गिरावट आई है।
- सोने की कीमत में गिरावट का सीधा प्रभाव गोल्ड ईटीएफ प्रवाह पर पड़ा है।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
- एक एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) प्रतिभूतियों की एक बास्केट है जो स्टॉक की तरह ही एक्सचेंज पर व्यापार करती है।
- ETF बीएसई सेंसेक्स की तरह एक सूचकांक की संरचना को दर्शाता है। इसका ट्रेडिंग मूल्य अंतर्निहित शेयरों (जैसे शेयर) के नेट एसेट वैल्यू (NAV) पर आधारित होता है, जिसका यह प्रतिनिधित्व करता है।
- ETF शेयर की कीमतों में पूरे दिन उतार-चढ़ाव होता है क्योंकि इसे खरीदा और बेचा जाता है। यह म्युचुअल फंड से अलग है जिसका बाज़ार बंद होने के बाद दिन में केवल एक बार व्यापर होता है।
- एक ETF विभिन्न उद्योगों में सैकड़ों या हज़ारों शेयर रख ETF का इतिहास सकता है, या फिर उसे किसी एक विशेष उद्योग या क्षेत्र में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- बॉण्ड ईटीएफ एक प्रकार के ईटीएफ हैं जिनमें सरकारी बॉण्ड, कॉरपोरेट बॉण्ड और राज्य तथा स्थानीय बॉण्ड शामिल हो सकते हैं - जिन्हें म्युनिसिपलबॉण्ड कहा जाता है।
- बॉण्ड एक ऐसा साधन है जो एक निवेशक द्वारा एक उधारकर्त्ता (आमतौर पर कॉर्पोरेट या सरकारी) को दिये गये ऋण का प्रतिनिधित्व करता है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):
प्रश्न. भारत सरकार की बॉण्ड यील्ड निम्नलिखित में से किससे प्रभावित होती है? (2021)
- युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कार्रवाइयों से।
- भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्य से।
- मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज़ दरों के कारण।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) ETF का इतिहास केवल 2
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3उत्तर: (d)
व्याख्या:
- बॉण्ड पैसा उधार लेने का साधन है। किसी देश की सरकार या किसी कंपनी द्वारा धन जुटाने के लिये बॉण्ड जारी किया जा सकता है।
- बॉण्ड यील्ड वह रिटर्न है जो एक निवेशक को बॉण्ड पर मिलता है। प्रतिफल की गणना के लिये गणितीय सूत्र बॉण्ड के मौजूदा बाज़ार मूल्य से विभाजित वार्षिक कूपन दर है।
- प्रतिफल में उतार-चढ़ाव ब्याज़ दरों के रुझान पर निर्भर करता है, इसके परिणामस्वरूप निवेशकों को पूंजीगत लाभ या हानि हो सकती है।
- बाज़ार में बॉण्ड यील्ड बढ़ने से बॉण्ड की कीमत नीचे आ जाएगी।
- बॉण्ड यील्ड में गिरावट से निवेशक को फायदा होगा क्योंकि बॉण्ड की कीमत बढ़ेगी, जिससे पूंजीगत लाभ होगा।
- फेड टेपरिंग अमेरिकी फेडरल रिज़र्व के बॉण्ड खरीद कार्यक्रम में क्रमिक कमी हुई है। इसलिये युनाइटेड स्टेट्स फेडरल रिज़र्व की कोई भी कार्रवाई भारत में बॉण्ड यील्ड को प्रभावित करती है। अत: कथन 1 सही है।
- सरकारी बॉण्ड का प्रतिफल निर्धारित करने में RBI की कार्रवाइयाँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती ETF का इतिहास हैं। अर्थव्यवस्था में ब्याज़ दरों की एक विस्तृत शृंखला को प्रभावित करने में मौद्रिक नीति के लिये संप्रभु यील्ड वक्र का विशेष महत्त्व है। अत: कथन 2 सही है।
- मुद्रास्फीति और अल्पकालिक ब्याज दरें भी सरकारी बाॅण्ड की यील्ड को प्रभावित करती हैं। अत: कथन3 सही है।
अतः विकल्प (d) सही है।
प्रश्न. कभी-कभी समाचारों में देखे जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम के 'मसाला बाॅण्ड' के संदर्भ में, नीचे दिये गए कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)
- अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम, जो इन बाॅण्डों की पेशकश करता है, विश्व बैंक की एक शाखा है।
- ये रुपए मूल्यवर्ग के बाॅण्ड हैं और सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के लिये ऋण वित्तपोषण का एक स्रोत हैं।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2Investment Tips : Silver ETF में निवेश कर कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, दिया है 63 फीसदी रिटर्न, जानें कैसे बन सकते हैं मालामाल
इस साल चांदी 80000 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच सकती है.
Investment In Silver ETF : दुनियाभर में चांदी में लोग तेजी से पैसे लगा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह है तगड़ा रिटर्न. चांदी ने . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : January 27, 2022, 12:33 IST
नई दिल्ली. Investment Tips : कम जोखिम की वजह से सोने में निवेश करना अच्छा विकल्प माना जाता है. हालांकि, अब लोगों का रुझान सोने के साथ चांदी (Investment in Silver) की ओर भी बढ़ रहा है. दुनियाभर में चांदी में लोग तेजी से पैसे लगा रहे हैं. इसकी बड़ी वजह है तगड़ा रिटर्न. चांदी ने पिछले चार वर्षों में 63 फीसदी रिटर्न दिया है.
दरअसल, देश में लंबे समय से सोने और चांदी की ETF का इतिहास फिजिकल होल्डिंग की परंपरा रही है. लेकिन बीते 5 वर्षों में इस ट्रेंड में काफी बदलाव आया है. शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) में अब ज्यादा लोग निवेश करने लगे हैं. यही वजह है कि ETF का ETF का इतिहास दायरा बढ़ रहा है और अब लोग सिल्वर ईटीएफ (Silver ETF) में निवेश का रुख कर रहे हैं. सेबी ने हाल ETF का इतिहास ही में सिल्वर ईटीएफ को मंजूरी दी थी.
इस साल 80,000 पहुंचेगी चांदी
इस साल अब तक दो सिल्वर ईटीएफ बाजार में आ चुके हैं. आने वाले महीनों में न सिर्फ इनकी संख्या बढ़ेगी, बल्कि रिटर्न को देखते हुए निवेश में भी इजाफा होगा. केडिया एडवाइजरी के प्रबंध निदेशक अजय केडिया का कहना है कि तगड़ा रिटर्न मिलने की बड़ी वजह औद्योगिक इस्तेमाल के लिए चांदी की मांग बढ़ना है. ग्रीन टेक्नोलॉजी के आने के बाद इसकी मांग और तेजी से बढ़ी है, जबकि खनन में लगातार गिरावट आ रही है. इस साल चांदी 80000 रुपये प्रति किलोग्राम पहुंच सकती है.महंगाई से बचाव का बेहतर साधन
मॉर्गन स्टैनली की हिलया रिपोर्ट में कहा गया है कि चांदी प्रभावशाली बुलियन बनती जा रही है. औद्योगिक इस्तेमाल बढ़ने से अर्थव्यवस्था में बदलावों के प्रति सोने की तुलना में चांदी ज्यादा संवेदनशील हो गई है. जब कभी अर्थव्यवस्थाएं मजबूत होंगी, चांदी की मांग बढ़ने लगेगी. इसका एक मतलब यह भी है कि बढ़ती महंगाई वाले दौर में सोने के मुकाबले चांदी की कीमत ज्यादा बढ़ेगी. ऐसे में महंगाई से बचाव के साधन के तौर पर चांदी बेहतर साबित होगी.क्या है ईटीएफ
ETF सिक्योरिटीज़ और शेयर जैसे एसेट का एक बास्केट है. इसकी खरीद-बिक्री एक्सचेंज पर होती है. इसलिए इनके फीचर्स और फायदे शेयरों में निवेश की तरह हैं, लेकिन ये म्यूचुअल फंड्स और बॉन्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स के भी लाभ देते हैं. किसी एक कंपनी के शेयर की तरह ETF की ट्रेडिंग भी दिनभर होती है. इनके दाम एक्सचेंज पर सप्लाई और डिमांड के हिसाब से घटते-बढ़ते रहते हैं.ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
पर्सनल फाइनेंस: आर्थिकमंदी के इस दौर में 3 से 5 साल के लिए सोने में करें निवेश, मिल सकता है बड़ा लाभ
इतिहास गवाह है कि जब भी शेयर बाजार में नुकसान की आशंका हो, डॉलर की तुलना में अन्य मुद्रा कमजोर पड़ने की नौबत हो तो सोने के भाव में उछाल देखा जाता है। भारत में सोने का दाम 1965 की तुलना में अभी 746 गुना ज्यादा है। कोरोना संक्रमण के बाद दुनिया में सोने की मांग बढ़ी है और जब भी सोने का दाम पिछले उच्च स्तर के ऊपर गया है, उसकी गति में अप्रत्याशित तेजी आई है। इतना तय है कि 3 से 5 साल कि अवधि के लिए सोने में निवेश अप्रत्याशित लाभ दे सकता है।
कहां करें निवेश
एचडीएफसी जैसे बैंक डिजिटल गोल्ड सुविधा देते हैं जिसमें ETF का इतिहास 1000 रुपए से शुरू कर घर बैठे सोने में निवेश कर सकते हैं। जब आप चाहें, आप इनकी जगह बैंक से फिजिकल सोना भी प्राप्त कर सकते हैं।कितना निवेश
आपके कुल निवेश का करीब 10% सोने में होना चाहिए। मौजूदा समय में आप अपने सामर्थ्य के हिसाब से निवेश बढ़ा भी सकते हैं।80 हजार रुपए प्रति दस ग्राम पहुंच सकती है कीमत
दुनियाभर में फैल चुके कोरोनावायरस ETF का इतिहास संक्रमण के कारण शेयर बाजार और बॉन्ड में गिरावट का माहौल बना हुआ है। मौजूदा हालातों को देखते हुए निवेशकों ने अब सोने में निवेश बढ़ा दिया है। इससे सोने की कीमतों में लगातार उछाल जारी है। इस बीच बैंक ऑफ अमेरिका सिक्युरिटीज (BofA Sec) के एनालिस्टों ने अनुमान जताया है कि 2021 के अंत तक अंतरराष्ट्रीय बाजारों में सोने की कीमत 3000 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। 3000 डॉलर को यदि आज के भारतीय रुपए में कन्वर्ट किया जाए तो यह राशि 2,28,855 रुपए बैठती है।अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव औंस के हिसाब से तय होता है। एक औंस में 28.34 ग्राम वजन होता है। ऐसे में एक ग्राम सोने की कीमत 8075 रुपए होती है। इस दर से 10 ग्राम सोने की कीमत 80,753 रुपए होती है। सामान्य तौर पर भारत में सोने का कारोबार प्रति 10 ग्राम के आधार पर होता है। शुक्रवार दोपहर को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर जून का सोने का वायदा भाव 46,731 रुपए प्रति दस ग्राम पर कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में भारत में अगले डेढ़ साल में करीब 75 फीसदी की तेजी हो सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना अभी 1750 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है।
ऑनलाइन खरीद सकते हैं सोना
आप 3 तरह से गोल्ड खरीद सकते हैंफिजिकल गोल्ड
आप इसे आभूषण या सोने के बिस्कुट और ज्वैलर्स के सिक्कों के रूप में खरीद सकते हैं। ज्वैलर्स के अलावा, आप कुछ खास बैंकों से भी सोने के सिक्के खरीद सकते हैं। कई ज्वैलर्स आपको ऑनलाइन सोना खरीदने की भी सुविधा देते है। ये सोना आपके घर पहुंचा दिया जाता है।गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETF)
सोने को शेयरों की तरह खरीदने की सुविधा को गोल्ड ईटीएफ कहते हैं। यह म्यूचुअल फंड की स्कीम है। ये एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड हैं जिन्हें स्टॉक एक्सचेंजों पर खरीदा और बेचा जा सकता है। चूंकि गोल्ड ईटीएफ का बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड की कीमतें है, आप इसे सोने की वास्तविक कीमत के करीब खरीद सकते हैं। गोल्ड ईटीएफ खरीदने के लिए आपके पास एक ट्रेडिंग डीमैट खाता होना चाहिए। इसमें सोने की खरीद यूनिट में की जाती है। इसे बेचने पर आपको सोना नहीं बल्कि उस समय के बाजार मूल्य के बराबर राशि मिलती है। यह सोने में निवेश के सबसे सस्ते विकल्पों में से एक है। इसकी खरीद यूनिट में की जाती है। आमतौर पर ईटीएफ के लिए डीमैट खाता जरूरी होता है। इन्हें शेयरों की तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के कैश मार्केट में खरीदा-बेचा जा सकता है। इसमें कोई न्यूनतम लॉट साइज नहीं होता है। गोल्ड ईटीएफ की एक यूनिट एक ग्राम सोने के बराबर होती है। निवेशक इसकी यूनिट्स को एकमुश्त या फिर सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिये थोड़ा-थोड़ा भुगतान कर खरीद सकते हैं।सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
ये बॉन्ड भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा भारत सरकार की ओर से जारी किए जाते हैं और स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड किए जाते हैं। आप ETF का इतिहास एक ग्राम भी सोना खरीद सकते हैं। सॉवरेन गोल्ड बांड एक सरकारी बांड होता है। इसे डीमैट रूप में परिवर्तित कराया जा सकता है। इसका मूल्य रुपए या डॉलर में नहीं होता है, बल्कि सोने के वजन में होता है। यदि बांड पांच ग्राम सोने का है, तो पांच ग्राम सोने की जितनी कीमत होगी, उतनी ही बांड की कीमत होगी। इसे खरीदने के लिए सेबी के अधिकृत ब्रोकर को इश्यू प्राइस का भुगतान करना होता है। बांड को भुनाते वक्त पैसा निवेशक के खाते में जमा हो जाता है। यह बांड भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सरकार की ओर से जारी करता है। सरकार ने अगले 6 महीने में यानी 20 अप्रैल से लेकर 4 सितबंर तक 6 बार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bonds) जारी करने का फैसला किया है। टाइमलाइन के मुताबिक, बॉन्ड सितंबर तक 6 किस्तों में जारी किए जाएंगे। इन्हे बैंकों और बडे डाकघरों से खरीदा जा सकेगा।