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शेयर बाजार 18 सितंबर 2022 ,14:15

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लगातार 7वें हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार घटा

-देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 7वें हफ्ते आई विदेशी मुद्रा कला विदेशी मुद्रा कला गिरावट

- इस हफ्ते में 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर हुआ

नई दिल्ली, 23 सितंबर (हि.स)। अर्थव्यवस्था के र्मोचे पर सरकार को झटका लगने वाली खबर है। देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 7वें हफ्ते गिरावट आई है। विदेशी मुद्रा भंडार 16 सितंबर को समाप्त हफ्ते में 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया है, जबकि इसके पिछले हफ्ते यह 2.234 अरब डॉलर कम होकर 550.871 अरब डॉलर रहा था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों यह जानकारी दी।

आरबीआई के आंकड़ों के मुातबिक विदेशी मु्द्रा भंडार में आई गिरावट की बड़ी वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति (एफसीए), विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर), स्वर्ण और अंतरराष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आरक्षित निधि में कमी आना है। रिजर्व बैंक के मुताबिक विदेशी मु्द्रा भंडार विदेशी मुद्रा कला 16 सितंबर को समाप्त हफ्ते में 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया है। विेदेशी मु्द्रा भंडार का ये 2 अक्टूबर, 2020 के बाद से सबसे निचला स्तर है।

आंकड़ों के मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक एफसीए 4.7 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 484.9 अरब डॉलर पर आ गया है। इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 45.8 करोड़ डॉलर घटकर 38.2 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि, विदेशी भंडार में गिरावट आंशिक रूप से मूल्यांकन में बदलाव की वजह से है। वहीं, विश्लेषकों का मानना है कि विदेशी मु्द्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा रिजर्व बैंक के मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप के लिए रुपये को डॉलर के मुकाबले ज्यादा तेजी से मूल्यह्रास से रोकने के लिए किया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर

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विदेशी मुद्रा व्यापार की कला सीखना

विदेशी मुद्रा व्यापार

हर नए उद्यम के लिए बुनियादी ज्ञान की आवश्यकता होती है। चूंकि विदेशी मुद्रा व्यापार कई लोगों के लिए एक आकर्षक व्यवसायिक विचार है निवेशक और व्यापारी, हर कोई इस अवसर में अपने पैर भीगना चाहता है। इस मामले में, विदेशी मुद्रा व्यापार की समझ व्यापारियों को कम से कम जोखिम के साथ व्यापार करने और बड़ी राशि का लाभ जीतने में मदद कर सकती है। इस प्रकार, सफलता के सोपानों तक पहुँचना।

विदेशी मुद्रा व्यापार सीखना

जोखिम और व्यापार

मुद्राओं को समझना

सूक्ष्म विदेशी मुद्रा खाते के लाभ

एक सूक्ष्म विदेशी मुद्रा खाता बनाने से व्यापारियों को वास्तविक समय के दलालों के साथ कम मात्रा में व्यापार करने की अनुमति मिल सकती है। ऐसा करने से, पैसे को लाइन में रखा जा सकता है और आपको भविष्य के लिए छोटे नुकसान, वास्तविक व्यापार समझ के लिए खुद को बेनकाब करने में सक्षम बनाता है। यह अनुभव सार्थक है क्योंकि डेमो अकाउंट में कुछ भी वास्तविक ट्रेडिंग का ऐसा अनुभव नहीं सिखाएगा। इसलिए, यदि आप वास्तव में विदेशी मुद्रा व्यापार में उतरना चाहते हैं, तो आपको एक सूक्ष्म विदेशी मुद्रा व्यापार खाता खोलना चाहिए।

विदेशी मुद्रा ज्ञान का महत्व

यदि कोई प्रभावी ढंग से विदेशी मुद्रा कला व्यापार करना चाहता है, तो आवश्यक जानकारी प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सबसे पहले, शुरुआती को फॉरेक्स के बारे में सभी निर्देशों को पढ़ना होगा और विश्लेषण करना होगा कि यह वास्तव में कैसे काम करता है। समय बीतने के साथ और पर्याप्त अनुभव के साथ, शुरुआत करने वाले को जल्द ही विदेशी मुद्रा व्यापार के बारे में हर एक विवरण पता चल जाएगा। प्रारंभिक गलतियाँ भविष्य के लिए अनुभव प्रदान करती हैं क्योंकि अनुभव सबसे अच्छा शिक्षक है। इसके अलावा, डेमो ट्रेडिंग नए लोगों के लिए सबसे अच्छी सुविधा है क्योंकि यह वास्तविक विदेशी मुद्रा व्यापार की बेहतर समझ के लिए नकली लेनदेन को सक्षम बनाता है। यह एक विशिष्ट मंच के तरीकों पर एक तकनीकी आधार प्रदान करता है।

एक और सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अनुभव के साथ आप सीखेंगे कि कोई भी किताब या व्याख्यान आपको उन गहन यांत्रिकी नहीं सिखाता है जो अनुभव के माध्यम से सीखे जाते हैं। इसलिए, प्रत्येक स्तर से पहले, ध्यान से सोचें और फिर सही कदम उठाएं क्योंकि एक बार आपने गलत कदम उठाया है, तो आप इसे ठीक करने के लिए कभी पीछे नहीं जा सकते। जल्दबाजी में किए गए निर्मम फैसलों से कई व्यापारियों को भारी रकम गंवानी पड़ती है। जोखिम भरे निर्णय आपकी वास्तविक व्यावसायिक क्षमता को परिभाषित करते हैं और वे आपको गौरव की ऊंचाइयों तक ले जाने की क्षमता रखते हैं लेकिन जब आप जोखिम ले रहे हों तो आपको तार्किक और उचित भी होना चाहिए क्योंकि अन्यथा, यह विनाशकारी साबित हो सकता है।

फ़ॉरेक्स ट्रेडिंग दुनिया भर के निवेशकों के लिए बड़ी मात्रा में धन उत्पन्न कर सकता है लेकिन सफलतापूर्वक धन उत्पन्न करने के लिए, ध्वनि ज्ञान पहला कदम है। लालच और लोभ की नकारात्मक भावनाएं शुरुआती लोगों को बाधित कर सकती हैं क्योंकि वे बिना सोचे समझे और जल्दबाजी में ऐसे निर्णय लेते हैं जिससे उन्हें भारी नुकसान होता है। डेमो ट्रेडिंग बहुत कुछ सिखा सकती है और अनुभव प्रदान कर सकती है जैसे कि आप वास्तविक बाजार में व्यापार कर रहे हैं। यह बदले में, उसे विदेशी मुद्रा व्यापारियों से निपटने के लिए अपने ज्ञान और विशेषज्ञता को मजबूत कर सकता है। साथ ही, मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग व्यवसाय को सुचारू रूप से चलाने में मदद कर सकता है क्योंकि वे आसान और आसानी से सुलभ हैं। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए।

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सुधारों को स्वीकार्य बनाने की कला, ताकि न आए विरोध की नौबत

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राजीव सचान : सेना में भर्ती के लिए घोषित की गई अग्निपथ योजना के विरोध में 20 जून को जो भारत बंद बुलाया गया, वह चूंकि निष्प्रभावी रहा, इसलिए उसे कोई याद नहीं रखने वाला, लेकिन 31 साल पहले इस तिथि का एक अन्य संदर्भ में विशेष महत्व है। इसी दिन विदेशी मुद्रा कला नरसिंह राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेता चुना गया था। तब देश विषम स्थितियों से दो-चार था। जैसे आज यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल के दाम बढ़ रहे, वैसे ही उन दिनों खाड़ी युद्ध के कारण ऐसा हो रहा था।

संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था जब मूकदर्शक बनकर रह गई हो तो जी-20 की भूमिका बढ़ जाती है।

पीएम पद की शपथ लेने के एक दिन पहले यानी 20 जून को नरसिंह राव को जब कैबिनेट सचिव ने इससे अवगत कराया कि देश के पास महज दो सप्ताह के आयात के लिए ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है तो उन्होंने पूछा कि क्या आर्थिक हालत इतनी खराब है? इस पर उन्हें बताया गया कि वास्तव में हालत तो इससे भी अधिक खराब है। इस जानकारी ने उन्हें अपनी प्राथमिकताएं बदलने को बाध्य किया और इसी के चलते उन्होंने पेशेवर अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया। इसके बाद के इस इतिहास से हम सब अवगत हैं कि नरसिंह राव और मनमोहन सिंह ने किस तरह देश का कायाकल्प करने वाले आर्थिक सुधार किए, लेकिन यह आसान काम नहीं था। इसलिए और भी नहीं था, क्योंकि राव अल्पमत सरकार चला रहे थे।

गुजरात की जनता विगत 27 वर्षों से भाजपा को लगातार चुनती आई है

नरसिंह राव को इसका आभास था कि विपक्षी नेताओं विदेशी मुद्रा कला के साथ नेहरूवादी सोच वाले कांग्रेस नेता भी अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का विरोध करेंगे, लेकिन वह एक चतुर राजनेता थे। उन्होंने नई औद्योगिक नीति का जो मसौदा तैयार कराया, उसमें नेहरूजी के ऐसे वक्तव्यों को खूब उल्लेख कराया, जिसमें उद्योग-व्यापार की महत्ता पर बल दिया गया विदेशी मुद्रा कला था। बजट से पहले नई औद्योगिक नीति की घोषणा की गई। हालांकि राव ने उद्योग मंत्रालय अपने पास रखा हुआ था, लेकिन एक रणनीति के तहत संसद में इस क्रांतिकारी नीति की घोषणा उद्योग राज्य मंत्री पीजे कुरियन ने की।

इस नीति ने लाइसेंस-कोटा-परमिट राज को खत्म किया। स्वाभाविक रूप से इस नीति की आलोचना विपक्षी नेताओं ने तो की ही, कई कांग्रेसी नेताओं ने भी की, लेकिन राव अपने करीबी नेताओं की ओर से ऐसे बयान दिलवाते रहे कि इंदिरा और राजीव गांधी भी ऐसे ही परिवर्तन के आकांक्षी थे। हालांकि वह नेहरू, इंदिरा और राजीव की नीतियों को पलट रहे थे, लेकिन प्रकट यह कर रहे थे कि वह उन्हीं की राह पर चल रहे हैं। वह यह सब इसलिए कर रहे थे ताकि पार्टी के अंदर विरोध के स्वर थमें।

उन्होंने ऐसी ही चतुराई इजरायल से कूटनीतिक संबंध स्थापित करने में भी दिखाई। वह इजरायल से कूटनीतिक रिश्ते कायम करने के पक्ष में थे, लेकिन इस्लामी देशों को नाराज भी नहीं करना चाहते थे। उन्होंने फलस्तीन लिबरेशन आर्गनाइजेशन के नेता यासिर अराफात को भारत निमंत्रित किया और उनसे कहा कि यदि आप यह चाहते हैं कि हम आपकी मदद कर सकें तो इसके लिए हमें इजरायल से बात करनी होगी। अराफात को यह तर्क समझ आया। उन्होंने सहमति दे दी और इस तरह 1992 में इजरायल से कूटनीतिक संबंध कायम हुए। इसके बाद के इतिहास से विदेशी मुद्रा कला हम सब अवगत ही हैं।

उपरोक्त दोनों प्रसंग क्या कहते हैं? यही कि जितना आवश्यक सुधार और बदलाव के बड़े कदम उठाना होता है, उतना ही उन्हें लेकर अनुकूल वातावरण बनाना भी। इस कला में अटल बिहारी वाजपेयी भी पारंगत थे। 2003 में जब अमेरिका इराक में हमले की तैयारी कर रहा था, तब भारत पर इसके लिए दबाव डाल रहा था कि वह अपनी सेनाएं इराक भेजे। वाजपेयी इसके पक्ष में नहीं थे, लेकिन वह अमेरिका को सीधे इन्कार भी नहीं कर सकते थे। उन दिनों इसे लेकर खूब चर्चा हो रही थी कि क्या भारत को इराक में अमेरिका का साथ देना चाहिए? ऐसे माहौल में वाजपेयी ने माकपा नेता हरकिशन सिंह सुरजीत और भाकपा नेता एबी वर्धन को बुलाया। बातचीत के क्रम में जब इन नेताओं ने यह कहा कि हमें इराक में अपनी विदेशी मुद्रा कला सेनाएं नहीं भेजनी चाहिए तो वाजपेयी ने कहा कि आप ऐसा कह तो रहे हैं, लेकिन कोई शोर नहीं सुनाई दे रहा है। विदेशी मुद्रा कला समझदार को इशारा काफी था। इसके कुछ दिन बाद वामपंथी दलों ने देश भर में इराक युद्ध में भारत की किसी भी तरह की भागीदारी के विरोध में प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों के आधार पर वाजपेयी को अमेरिका से यह कहने में आसानी हुई कि हमारा जनमत इसकी अनुमति नहीं देता कि भारत की सेनाएं इराक जाएं।

इसमें संदेह नहीं कि मोदी सरकार ने बीते आठ साल में कई क्रांतिकारी और साहसी फैसले लिए हैं, लेकिन उसे अपने दो बड़े फैसले वापस भी लेने पड़े हैं। पहले कार्यकाल में भूमि अधिग्रहण कानून को और दूसरे कार्यकाल में कृषि कानूनों को। ये कानून इसीलिए वापस लेने पड़े, क्योंकि सरकार उनके पक्ष में अनुकूल वातावरण तैयार नहीं कर सकी और इन कानूनों से प्रभावित होने वालों तक अपनी बात सही तरह नहीं पहुंचा सकी। इससे विरोधियों को लोगों को बरगलाने का मौका मिला। यह अच्छा है कि सरकार अग्निपथ योजना को लेकर अडिग है, लेकिन और भी अच्छा होता कि इस योजना की घोषणा के पहले व्यापक चर्चा होती। इस योजना की घोषणा के बाद जिस तरह अगले कई दिनों तक भावी सैनिकों यानी अग्निवीरों को आयु सीमा में छूट देने, केंद्रीय बलों एवं सार्वजनिक उपक्रमों में 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने, पुलिस भर्ती में प्राथमिकता देने, कौशल प्रमाण पत्र देने संबंधी जो तमाम घोषणाएं की गईं, वे यदि पहले दिन ही कर दी जातीं तो शायद इतना विरोध, हंगामा और बवाल नहीं होता।

केंद्रीय विवि में पंहुचे बाजरे के पारंपरिक व्यंजन और पाक-कला

शेयर बाजार 18 सितंबर 2022 ,14:15

केंद्रीय विवि में पंहुचे बाजरे के पारंपरिक व्यंजन और पाक-कला

© Reuters. केंद्रीय विवि में पंहुचे बाजरे के पारंपरिक व्यंजन और पाक-कला

नई दिल्ली, 18 सितंबर (आईएएनएस)। बाजरे के पारंपरिक व्यंजन देश के जाने-माने केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिलिया इस्लामिया में भी पहुंच रहे हैं। दरअसल बाजरा भारत बल्कि एशिया, अफ्रीका और अन्य देशों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गौरतलब है कि 2022-23 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष घोषित किए जाने का संकल्प किया गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक बाजरा अनाज की एक किस्म है जो लगभग हर आवश्यक पोषक तत्व से भरी हुई है और अक्सर इसे ग्लूटेन मुक्त के रूप में एक प्राचीन सुपरफूड माना जाता है। भारत में कई प्रकार के बाजरा उगाए जाते हैं और इनमें से प्रत्येक बाजरा सस्ती, आसानी से सुलभ है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष का उद्देश्य जीवन को बढ़ावा देना है, जो एक स्थायी और लचीली जीवन शैली की ²ष्टि से जलवायु संकट और भविष्य की अप्रत्याशित चुनौतियों से निपटने में उपयोगी है। इसे पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली के एक जन आंदोलन के रूप में प्रस्तावित किया गया है जो बाजरे के टिकाऊ, विचारशील और अनिवार्य उपयोग को बढ़ावा देता है। इसी क्रम में जामिया के पर्यटन और आतिथ्य प्रबंधन विभाग ने बाजरा के पारंपरिक व्यंजन विषय पर एक पाक-कला प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसका उद्देश्य बाजरा के पोषण और स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। हाल के दिनों में बाजरा ने वैश्विक रुचि हासिल की है।

जामिया के बाजरा के पारंपरिक व्यंजन कार्यक्रम में कुल 9 टीमें थीं जिनमें प्रत्येक में 3 छात्र थे। यहां प्रत्येक आइटम्स का मूल्यांकन एक निश्चित मानदंड के आधार पर किया गया था जिसमें स्वाद, रूप और प्रस्तुति शामिल थे। छात्रों ने उनके द्वारा तैयार किए गए बाजरे के व्यंजनों के पोषण और कैलोरी मान भी प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता के निर्णायक शेफ अजय सूद और प्रो. निमित चौधरी थे जिन्होंने प्रत्येक व्यंजन की सावधानीपूर्वक जांच की और प्रतिभागियों को विस्तृत प्रतिक्रिया दी। शेफ अजय सूद ने छात्रों के साथ बातचीत की और छात्रों द्वारा दिखाए गए उत्साह को देखकर बहुत खुश हुए। छात्रों के प्रयासों से प्रतियोगिता की ज्यूरी भी असमंजस में थी और विजेता टीम का फैसला करना वास्तव में कठिन था।

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