विदेशी मुद्रा व्यापारी पाठ्यक्रम

विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है

विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है
हिन्दुस्तान 1 दिन पहले हिन्दुस्तान टीम

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विदेशी मुद्रा समाधान विवरण:
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्प्रवास पर विदेश जाने वाले व्यक्ति को कितनी विदेशी मुद्रा उपलब्ध है?

उत्प्रवास पर विदेश यात्रा करने वाले व्यक्ति अधिकतम 1000,000 अमरीकी डालर की विदेशी मुद्रा प्राप्त कर सकते हैं। यह भारत में एक अनुमोदित डीलर से स्व-घोषणा के आधार पर है। राशि का उपयोग केवल उत्प्रवास के देश में आकस्मिक व्यय को पूरा करने के लिए किया जाना है।

विदेश यात्रा के लिए कितनी विदेशी मुद्रा नकद में ले जाया जा सकता है?

आरबीआई कानून विदेशी मुद्रा को निर्दिष्ट करता है जिसे पर्यटन आदि जैसे उद्देश्यों के लिए विदेशी यात्राओं के लिए ले जाया जा सकता है। यह राशि किसी एक वित्तीय वर्ष में $ 10,000 है जिसे स्व-घोषणा के आधार पर एक अनुमोदित डीलर से प्राप्त किया जा सकता है। यात्रियों के लिए अब 3,000 डॉलर तक के विदेशी मुद्रा के सिक्कों/नोटों की अनुमति है।

क्या मैं किसी भी बैंक में विदेशी मुद्रा का आदान-प्रदान कर सकता हूं?

यदि आपके पास बचत या चेकिंग खाता है तो अधिकांश बैंक विदेशी मुद्रा के आदान-प्रदान की पेशकश विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है करेंगे। यदि आपके पास कुछ मामलों में क्रेडिट कार्ड है तो बैंक मुद्रा का आदान-प्रदान करेगा।

क्या मैं क्रेडिट कार्ड से विदेशी मुद्रा खरीद सकता हूं?

आप उसी तरह से क्रेडिट कार्ड से विदेशी मुद्रा खरीद सकते हैं; आप डेबिट कार्ड के साथ करेंगे। केवल एक चीज जो आपको करने की आवश्यकता है वह है फॉरेक्स लोगों को सूचित करना कि आप अपने क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर रहे हैं। हालांकि, लेनदेन शुल्क लागू होंगे।

आप कब तक विदेशी मुद्रा रख सकते हैं?

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 2000, निर्दिष्ट करता है कि अप्रयुक्त विदेशी मुद्रा को विदेशों से वापसी के 6 महीने के भीतर वापस किया जाना चाहिए। फिर भी, यदि आप चाहें, तो आप अपने घरेलू निवासी विदेशी मुद्रा खातों में अधिकतम 2,000 अमरीकी डालर की विदेशी मुद्रा रख सकते हैं।

भारतीय व्यापार के लिए जोखिम को कम करेगा सीमापार लेन-देन में रुपये का उपयोग, एक्सपर्ट व्यू

हाल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को भारतीय मुद्रा यानी रुपये में करने के लिए सरकार ने विदेश व्यापार नीति में बदलाव किया है। अब सभी तरह के पेमेंट बिलिंग और आयात-निर्यात में लेन-देन का निपटारा रुपये में हो सकता है। रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से देश को चौतरफा लाभ होंगे

राहुल लाल। केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय ने हाल में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को भारतीय मुद्रा यानी रुपये में करने के लिए विदेश व्यापार नीति में बदलाव किया है। इससे सभी तरह के पेमेंट, बिलिंग और आयात-निर्यात में लेन-देन का निपटारा रुपये में हो सकता है। इस बारे में विदेश व्यापार महानिदेशलय (डीजीएफटी) ने भी एक नोटिफिकेशन जारी किया है। सरल भाषा में कहें तो यह रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की प्रक्रिया की तरफ भारत सरकार का पहला कदम है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि के बाद लगातार कमजोर हो रहे रुपये और घटते विदेशी मुद्रा भंडार के बीच आरबीआइ ने इस ओर कदम बढ़ाएं हैं। अमेरिकी डालर के मुकाबले रुपया अक्टूबर में 1.8 प्रतिशत फिसला है, जबकि 2022 में अब तक रुपया 11 प्रतिशत कमजोर हुआ है। क्या है रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण: रुपये का अंतरराष्ट्रीयकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सीमा पार लेन-देन में स्थानीय मुद्रा का उपयोग किया जाता है। इसमें आयात-निर्यात के लिए रुपये को प्रोत्साहन देने के अतिरिक्त अन्य चालू खाता एवं पूंजी खाता लेन-देन में भी इसका उपयोग सुनिश्चित किया जाता है।

जहां तक रुपये का संबंध है तो यह चालू खाते में पूरी तरह परिवर्तनीय है, लेकिन पूंजी खाते में विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है आंशिक रूप से। चालू और पूंजी खाता भुगतान संतुलन के दो घटक हैं। चालू खाते के घटकों में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात और आयात तथा विदेश में निवेश से आय शामिल हैं। वहीं पूंजी खाते के घटकों में सभी तरह के विदेशी निवेश और एक देश की सरकार द्वारा दूसरे देश को ऋण देना शामिल हैं। इस तरह तकनीकी तौर पर रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण का अर्थ है “पूर्ण पूंजी खाता परिवर्तनीयता को अपनाना”। पूरी तरह से परिवर्तनीय पूंजी खाते का मतलब है कि विदेश में किसी भी संपत्ति को खरीदने के लिए आप कितने रुपये को विदेशी मुद्रा में परिवर्तित कर सकते हैं, इस पर कोई प्रतिबंध नहीं हो।

क्यों है रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण की आवश्यकता

वैश्विक मुद्रा बाजार के कारोबार में डालर की हिस्सेदारी 88.3 प्रतिशत है। इसके बाद यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग का स्थान आता है। वहीं रुपये की हिस्सेदारी विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है मात्र 1.7 प्रतिशत है। दुनियाभर का 40 प्रतिशत ऋण डालर में जारी किया जाता है। डालर का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका के बाहर मौजूद है। डालर पर अत्यधिक निर्भरता के कारण वर्ष 2008 का वैश्विक आर्थिक संकट भी दुनिया के समक्ष है। ऐसे में रुपये की वैश्विक बाजार में हिस्सेदारी में वृद्धि के लिए भारतीय मुद्रा का अंतरराष्ट्रीयकरण आवश्यक है।

रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण का महत्व

सीमापार लेन-देन में रुपये का उपयोग भारतीय व्यापार के लिए जोखिम को कम करेगा। मुद्रा की अस्थिरता से सुरक्षा न केवल व्यवसाय करने की लागत को कम करती है, बल्कि यह व्यवसाय के बेहतर विकास को भी सक्षम बनाती है, जिससे भारतीय व्यापार के विश्व स्तर पर बढ़ने की संभावना में सुधार होता है। यह विदेशी मुद्रा भंडार रखने की आवश्यकता को भी कम करता है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार विनिमय दर की अस्थिरता को प्रबंधित करने में मदद करता है, लेकिन वह अर्थव्यवस्था पर एक लागत लगाता है। विदेशी मुद्रा पर निर्भरता कम करने से भारत बाहरी झटकों के प्रति कम संवेदनशील हो जाएगा।

लिहाजा अमेरिका में मौद्रिक सख्ती के विभिन्न चरणों और डालर को मजबूत करने के दौरान घरेलू व्यापार की अत्यधिक देनदारियों के बावजूद अंततः भारतीय अर्थव्यवस्था को लाभ ही होगा। भारत का अपनी मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय उधार लेने में सक्षम होना भी इसके विशिष्ट लाभ में सम्मिलित है। भारत के दीर्घकालिक विकास के लिए इसके फर्मों को विदेशियों से स्वतंत्र उधार लेने में सक्षम होना जरूरी है, ताकि वे अपने व्यवसाय को वित्तपोषित कर सकें। फर्मों द्वारा रुपये में अंतरराष्ट्रीय उधार लेना विदेशी मुद्रा की तुलना में अधिक सुरक्षित होगा। यह राजस्व स्रोत (जो रुपया है) के मुद्रा मूल्यवर्ग और कंपनियों के ऋण (जो विदेशी मुद्रा है) के मुद्रा मूल्यवर्ग के बीच एक बेमेल के जोखिम को कम करेगा।

ऐसे बेमेल जोखिम से अंततः फर्म दिवालियापन तक पहुंच सकते हैं। मुद्रा संकट की यह स्थिति थाइलैंड और इंडोनेशिया जैसी अर्थव्यवस्था में देखी भी गई है। जब कोई मुद्रा पर्याप्त रूप से अंतरराष्ट्रीय हो जाती है तो उस देश के नागरिक और सरकार अपनी मुद्रा में कम ब्याज दरों पर विदेश में बड़ी मात्रा में उधार लेने में सक्षम हो जाते हैं। रुपये का व्यापक अंतरराष्ट्रीय उपयोग भारत के बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों को भी अधिक व्यवसाय प्रदान करेगा। रुपये में परिसंपत्तियों की अंतरराष्ट्रीय मांग घरेलू वित्तीय संस्थानों में व्यापार लाएगी, क्योंकि रुपये में भुगतान को अंततः भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थाओं द्वारा ही नियंत्रित किया जाएगा। रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण से देश की विशिष्ट आर्थिक प्रभाव में अभूतपूर्व वृद्धि हो जाएगी।

जब विदेशी रुपये पर भरोसा करेंगे तो वे मुद्रा विनिमय के माध्यम और विदेशी मुद्रा भंडार के रूप में इसे रखने के लिए तैयार होंगे। जब कोई मुद्रा किसी अन्य देश के लिए आरक्षित मुद्रा बन जाती है तो मुद्रा जारी करने वाला देश इसे उसके पक्ष में विनिमय के लिए लीवरेज के रूप में उपयोग कर सकता है। रुपये के अंतराष्ट्रीयकरण के प्रयास इस समय क्यों : भारत में रुपये के अंतराष्ट्रीयकरण के प्रयास तब हो रहे हैं, जब डालर की तुलना में रुपया कमजोर हो रहा है। और रुपया को मजबूत करने के लिए आरबीआइ को भारी मात्रा में डालर की बिकवाली करनी पड़ रही है। ऐसे में आरबीआइ प्रयास कर रहा है कि जहां तक संभव हो अन्य वैसे देश जो इस समय विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में दबाव का सामना कर रहे हैं, उनसे निर्यात सेटलमेंट रुपये में हो। इस तरह के सुझाव एसबीआइ के रिसर्च में भी दी गई थी।

एसबीआइ के इन सुझावों को आरबीआइ और केंद्रीय वित्त मंत्रालय क्रियान्वित करते हुए नजर आ रहे हैं। इससे पहले पिछली सदी के सातवें दशक में कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे खाड़ी देशों में रुपया स्वीकार किया गया था। तब भारत के पूर्वी यूरोप के साथ भी भुगतान समझौते थे। हालांकि 1965 के आपपास इन व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया था। इससे स्पष्ट है कि आरबीआइ के ये प्रयास सफल हो सकते हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों के पूर्व 2019 तक भारत ईरान से रुपये में या अनाज तथा दवाओं जैसे महत्वपूर्ण उत्पादों के बदले तेल खरीदता रहा है।

यूक्रेन संकट के दौरान खुद रूस ने ही भारत को स्थानीय करेंसी में व्यापार करने का आफर दिया था और विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है भारत और रूस के बीच अभी जो पेट्रोलियम का व्यापार हो रहा है, वह चीन की करेंसी युआन के जरिये हो रहा है। लेकिन अब भारत खुद अपनी करेंसी में व्यापार कर सकता है। इस वित्त वर्ष 2022-23 में भारत द्वारा रूस से लगभग 36 अरब डालर का तेल खरीदे जाने की संभावना है। इससे स्पष्ट है कि भारत रूस को जो 36 अरब डालर देने वाला था, वह अब नहीं देना होगा। इसकी जगह भारत रूस को अपनी मुद्रा यानी रुपया में भुगतान करेगा। वहीं रूस को भारत में व्यापार के लिए भारतीय मुद्रा भंडार मिलेगा, जो अंततः भारतीय बांड के लिए स्वागतयोग्य मांग प्रदान करेगा।

किन देशों के साथ खुल सकते हैं दरवाजे

रूस के अलावा ईरान, अरब देश और यहां तक कि श्रीलंका जैसे देशों के लिए भी भारत के दरवाजे खुल सकते हैं। ईरान और रूस के खिलाफ व्यापक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं। लिहाजा अब वे दोनों आसानी से बिना प्रतिबंधों का उल्लंघन किए भारत के साथ तीव्र व्यापार रुपये में कर सकते हैं। वहीं श्रीलंका जैसे देश, जिनका डालर खत्म हो चुका है, उनके लिए भारत से रुपये में सामान खरीदना एक वरदान जैसा होगा। कुल मिलाकर भारत का उद्देश्य है कि 2047 तक रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में स्थापित करना। सरकार चाहती है कि जब देश आजादी की 100वीं वर्षगांठ मनाए तब भारतीय करेंसी बुलंदियों पर हो।

अंदर के लिए. ऑस्ट्रेलिया से द्विपक्षीय व्यापार 50 अरब डॉलर तक जाएगा : गोयल

हिन्दुस्तान लोगो

हिन्दुस्तान 1 दिन पहले हिन्दुस्तान टीम

वर्षों वार्ता के बाद ऑस्ट्रेलिया की संसद ने आखिरकार मंगलवार को भारत के साथ ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर लगा दी। केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा कि इस फैसले से द्विपक्षीय व्यापार का प्रारंभिक आकार अगले 5-6 वर्षों में लगभग 45-50 अरब डॉलर तक जा सकता है। मौजूदा समय में यह 27 अरब डॉलर के आसपास है।

भारत के बढ़ते कद का प्रतीक

गोयल ने कहा कि ये उस मजबूत बंधन को दर्शाता है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में सरकार के साथ बनाया है। यह भारत के बढ़ते कद और क्षमताओं की एक बड़ी मान्यता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय रसोइयों और योग प्रशिक्षकों के लिए वीजा मिलना आसान होगा। ऑस्ट्रेलिया जाने वाले प्रत्येक बच्चे को वहां रोजगार का अवसर मिलेगा। स्टेम ग्रेजुएट, डॉक्टरेट को ऑस्ट्रेलिया में चार साल का वर्क वीजा और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को तीन विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है साल का वर्क वीजा मिलेगा। यह समझौता हमारे लिए व्यापार संबंधों को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ाने और बड़े पैमाने पर आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए मंच तैयार करता है।

ब्रिटेन से मुक्त व्यापार करार शीर्ष प्राथमिकता

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता दोनों देशों के लिए शीर्ष प्राथमिकता है। अगले दौर की बातचीत दिसंबर में होने वाली है। चर्चा अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है और इसके अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस्पात उद्योग के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में राजनीतिक घटनाक्रमों के कारण हमें थोड़ा झटका लगा। सौभाग्य से अब एक स्थिर सरकार है। हम एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। एफटीए के लिए बातचीत पूरी करने की कोई सख्त समयसीमा नहीं होनी चाहिए। ऐसे समझौतों पर विचार करना होता है और सावधानीपूर्वक बातचीत होती है।

यूरोपीय संघ से वार्ता समय पर पूरा होने की उम्मीद

भारत और यूरोपीय संघ ने व्यापार एवं निवेश समझौतों को लेकर जारी वार्ता में प्रगति पर मंगलवार को संतोष जताया और कहा कि इसके समय पर पूरा होने की उम्मीद है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, नौंवे दौर की वार्ता 22 नवंबर को नयी दिल्ली में हुई। सह अध्यक्षता विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा और यूरोपीय विदेश कार्य सेवा के राजनीतिक मामलों के उप महासचिव इनरिक मोरा ने की। बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने व्यापार एवं निवेश समझौतों को लेकर जारी वार्ता में हुई प्रगति का स्वागत किया जो मई 2021 में नेताओं के बीच हुई बैठक में किये गए फैसलों के तर्ज पर चल रही है। दोनों पक्षों ने साइबर सुरक्षा, आतंकवाद से मुकाबला, नौवहन सुरक्षा, निरस्त्रीकरण एवं अप्रसार सहित भारत एवं यूरोपीय संघ के बीच विभिन्न संस्थागत ढांचों के कामकाज की समीक्षा की । दोनों पक्षों ने सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को और मजबूत बनाने की संभावना तलाशने पर भी चर्चा की ।

क्या है मुक्त व्यापार करार

दो या दो से अधिक देशों के बीच आयात-निर्यात शुल्क को कम करने या समाप्त करने के लिए यह समझौता किया जाता है। इसके तहत संबंधित देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार बहुत कम या बिना किसी टैरिफ बाधाओं के किया जा सकता है। तरजीही व्यापार समझौतों में केवल एक निश्चित संख्या में टैरिफ लाइनों पर टैरिफ को कम किया जा सकता है जबकि इसमें ज्यादातर उत्पादों पर शून्य शुल्क भी लागू करना संभव है।

यह क्यों चुनते हैं देश

जानकारों के मुताबिक, मुक्त व्यापार करार के वैसे तो कई फायदे हैं पर टैरिफ खत्म करने का मतलब है कि देशों को अन्य बाजारों तक आसानी से पहुंच मिल जाती है और वे अपना उत्पाद बेच सकते हैं। एफटीए देशों में व्यापार और निवेश के अवसरों को बढ़ावा दे सकते हैं। इससे काफी लाभ संभव है।

कितने देशों से करार

-वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत लगभग 54 अलग-अलग देशों के साथ तरजीही पहुंच, आर्थिक सहयोग और मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) कर चुका है। वहीं 18 देशों के साथ एफटीए/अधिमानी व्यापार समझौते पर भी दस्तखत हुए हैं। हाल ही में भारत-यूएई सीएपीए पर भी बात पूरी हुई है। कनाडा के साथ बातचीत जारी है।

एक्सप्लेनर. युवाओं को रोजगार, समृद्ध होगा कारोबार

ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार करार से हजारों युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और व्यापारियों को काफी बड़ा बाजार मिलेगा। आइए जानते हैं कि इस करार के मायने क्या हैं।

अप्रैल में हुआ था करार

भारत और ऑस्ट्रेलिया के उद्योग मंत्रियों ने 2 अप्रैल को इस समझौते पर दस्तखत किए थे और संसद की मंजूरी के बाद यह जल्द लागू होने की उम्मीद है। करीब एक दशक में पहली बार किसी विकसित देश के साथ इस तरह का करार किया गया। फरवरी में संयुक्त अरब अमीरात के साथ इसी तरह का समझौता हुआ था।

-समझौता लागू होने के पहले दिन से ऑस्ट्रेलिया लगभग 96.4 प्रतिशत निर्यात (मूल्य के आधार पर) के लिए भारत को शून्य सीमा शुल्क पहुंच की पेशकश करेगा। इसमें कई उत्पाद ऐसे हैं जिन पर 4-5 प्रतिशत सीमा शुल्क वसूलता है।

-कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित भारत के 6,000 से अधिक उत्पादों को ऑस्ट्रेलियाई बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच मिलेगी।

-ऑस्ट्रेलिया अपने बाजार में घरेलू आईटी कंपनियों की वजह से दोहरे कराधान का सामना कर रहे भारतीय आईटी कंपनियों के मुद्दे हल करने पर भी सहमत हो गया है।

-ऑस्ट्रेलियाई नियामक भारतीय दवाओं के इस्तेमाल को तेजी से मंजूरी देंगे क्योंकि ऑस्ट्रेलिया भारत की फार्मास्यूटिकल्स और विनिर्माण सुविधाओं के मूल्यांकन प्रक्रिया में कनाडा और यूरोपीय संघ के साथ शामिल रहेगा।

ऑस्ट्रेलिया को फायदा

-भारत ऑस्ट्रेलिया के लिए अपनी 85 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों के लिए शून्य शुल्क पहुंच की पेशकश करेगा। इसमें कोयला, भेड़ का मांस, ऊन, एलएनजी, एल्यूमिनियम, धातु अयस्क, मैंगनीज, तांबा, निकल, टाइटेनियम और जिरकोनियम जैसे उत्पाद शामिल होंगे।

-भारत ऑस्ट्रेलियाई शराब पर शुल्क कम करने पर भी सहमत है। 5 डॉलर विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है प्रति बोतल के न्यूनतम आयात मूल्य वाले शिपमेंट पर शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया जाएगा, जबकि 15 डॉलर की लागत वाली बोतलों पर शुल्क 75 प्रतिशत तक घटाया जा रहा है।

-भारत सरकार अपने डेयरी क्षेत्र को इस समझौते से बचाने में पूरी तरह कामयाब रही, उस पर शुल्क में कोई कमी नहीं की जाएगी। इससे ऑस्ट्रेलिया यहां के डेयरी बाजार पर कब्जा नहीं कर पाएगा।

-छोले, अखरोट, पिस्ता नट्स, गेहूं, चावल, बाजरा, सेब, सूरजमुखी के बीज का तेल, चीनी, तेल केक, सोना, चांदी, प्लेटिनम, आभूषण, लौह अयस्क और अधिकांश चिकित्सा उपकरण भी बाहर रखे गए हैं। यानी इन पर शुल्क में कोई रियायत नहीं दी जाएगी

10 लाख नौकरियों का अनुमान

-भारत में इस समझौते के बाद 10 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा होने का अनुमान। साथ ही, ऑस्ट्रेलिया में भारतीयों के लिए नौकरी के मौके बढ़ेंगे। विदेशी मुद्रा भारत आने की संभावना भी बढ़ेगी। छात्रों को पढ़ाई के बाद वर्क वीजा आसान हो जाएगा। इससे एक लाख से ज्यादा भारतीय छात्रों को फायदा होगा।

-ऑस्ट्रेलिया से निवेश बढ़ेगा। इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा और मेडिकल डिवाइस क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले उत्पादों को मिलेगा बढ़ावा।

-भारत के कई उद्योगों को सस्ता कच्चामाल मिलेगा जिससे स्टील, एल्यूमिनियम और गारमेंट क्षेत्र को फायदा होगा।

-दोनों देशों के बीच चल रहे टैक्स विवाद हल हो जाएंगे। इससे सालाना 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वित्तीय बचत होगी।

इन क्षेत्रों को सीधा फायदा

-टेक्सटाइल और कपड़ा उद्योग

-कृषि और मछली उत्पाद

-चमड़ा, चप्पल और फर्नीचर

-फार्मा और मेडिकल उत्पाद

-फर्नीचर और खेलकूद के सामान

निर्यात से जुड़े सभी क्षेत्रों को लाभ

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन यानी फियो के अध्यक्ष डॉक्टर ए शक्तिवेल ने कहा कि इस समझौते का फायदा निर्यात से जुड़े सभी क्षेत्रों को होगा। भारत से ऑस्ट्रेलिया को होने वाले सामानों का निर्यात 2025 तक 15 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा जो 2021 में 6.9 बिलियन डॉलर हुआ करता था। वहीं सेवा क्षेत्र में ये 3.9 बिलियन डॉलर से बढ़कर 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। दोनों देशों के बीच 50 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार लक्ष्य तय समय से पहले हासिल किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल के पहले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का उद्घाटन किया, जलविद्युत परियोजना देश को समर्पित की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नए डोनी पोलो हवाई अड्डे का उद्घाटन किया जो अरुणाचल प्रदेश में पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है. अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हवाई अड्डा इस सीमावर्ती राज्य को वाणिज्यिक उड़ानों के जरिये देश के अन्य शहरों के साथ तथा अरुणाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों को हेलीकॉप्टर सेवाओं के माध्यम से जोड़ेगा.

प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल के पहले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का उद्घाटन किया, जलविद्युत परियोजना देश को समर्पित की

ईटानगर, 19 नवंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को नए डोनी पोलो हवाई अड्डे का उद्घाटन किया जो अरुणाचल प्रदेश में पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा है. अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह हवाई अड्डा इस सीमावर्ती राज्य को वाणिज्यिक उड़ानों के जरिये देश के अन्य शहरों के साथ तथा अरुणाचल प्रदेश के अन्य हिस्सों को हेलीकॉप्टर सेवाओं के माध्यम से जोड़ेगा. हवाई अड्डे की आधारशिला मोदी ने फरवरी 2019 को रखी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने अरुणाचल प्रदेश राज्य के पश्चिम कामेंग जिले में 600 मेगावाट की कामेंग जलविद्युत परियोजना को भी राष्ट्र को समर्पित किया.

कामेंग जलविद्युत परियोजना को 80 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में 8,450 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है. इससे अरुणाचल प्रदेश के बिजली अधिशेष वाला राज्य बनने और स्थिरता एवं एकीकरण के मामले में राष्ट्रीय ग्रिड को लाभ होने की उम्मीद है. मोदी ने हवाई अड्डे पर सभा को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘संपर्क विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है और ऊर्जा बुनियादी ढांचा पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विकास की एक नयी सुबह लाएगा.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार देश के विकास के लिए 365 दिन, सातों दिन और 24 घंटे काम करती है. उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक टिप्पणी करने वालों ने (2019 में) दावा किया था कि हवाई अड्डे की आधारशिला रखना एक चुनावी हथकंडा है. हालांकि आज जब कोई चुनाव नहीं होना है, तो हम इस हवाई अड्डे की शुरुआत कर रहे हैं.’’ यह भी पढ़ें : अच्छा मुनाफा होने के बावजूद निजी क्षेत्र के बैंकों से पिछड़े सरकारी बैंक

अधिकारियों का अनुमान है कि यह क्षेत्र के करीब 20 लाख लोगों की जरूरतों को पूरा करेगा और संपर्क, व्यापार तथा पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद करेगा. मोदी ने कहा, ‘‘मैं सारा दिन काम करता हूं ताकि देश आगे बढ़े. हम चुनाव में फायदा उठाने के लिए काम नहीं करते. आज सुबह मैं अरुणाचल प्रदेश में हूं और शाम को देश के दूसरे कोने में स्थित गुजरात में रहूंगा. बीच में, मैं वाराणसी में भी रहूंगा.’’ उन्होंने केंद्र सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ पर एक कॉफी-टेबल बुक का विमोचन भी किया. इस मौके पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू भी मौजूद थे.

NEOM आपको कैसे प्रभावित करेगा? (2022)

नोट: यह लेख लिंग, अभिविन्यास, रंग, पेशे या राष्ट्रीयता पर किसी भी व्यक्ति को बदनाम या अनादर करने का इरादा नहीं रखता है। इस लेख का उद्देश्य अपने पाठकों के लिए भय या चिंता पैदा करना नहीं है। कोई भी व्यक्तिगत समानता विशुद्ध रूप से संयोग है।

पिछले कुछ वर्षों से मध्य-पूर्व निर्माण के क्षेत्र में कुछ शानदार अद्भुत इंजीनियरिंग का केंद्र रहा है। मुझे विश्वास है कि यदि आप इसे पढ़ रहे हैं, तो आप पहले से ही कुछ जानते हैं। चूंकि इस विषय पर चर्चा करने वाले अधिकांश ऑनलाइन स्रोत या तो सरकार द्वारा नियंत्रित समाचार पत्र, प्रायोजित मीडिया या मध्य-पूर्वी देशों से नफरत करने वाले लोग हैं; इस परियोजना का विश्वसनीय विश्लेषण कहीं नहीं मिलता है।

इसलिए, इस नए शहर के वैश्विक प्रभाव को देखते हुए; मैंने एक वैश्विक नागरिक के रूप में इस परियोजना का निष्पक्ष विश्लेषण करने का निर्णय लिया। (1 नवंबर, 2022.)

निओम क्या है?

NEOM एक लीनियर स्मार्ट सिटी है जिसे सऊदी अरब के दक्षिणी तबुक प्रांत में बनाया जा रहा है। यहां, स्थिरता, पर्यावरण और प्रौद्योगिकी प्रमुख परिभाषित पहलू हैं। संख्या में, 170 किलोमीटर लंबा, 200 मीटर चौड़ा और 500 मीटर ऊंचा है। इसकी अनुमानित लागत 1 ट्रिलियन डॉलर है। शहर के साथ-साथ, शहर की सहायता के लिए कई छोटी परियोजनाओं को भी शामिल किया गया है, जैसे OXAGON नामक एक तैरता हुआ बंदरगाह।

इसे क्यों बनाया जा रहा है?

इसके कई कारण हैं:-

सबसे पहले, तेल के दिन समाप्त हो रहे हैं। पिछली सदी की प्रमुख कंपनियों पर नजर डालें तो मुख्य रूप से तेल कंपनियां थीं। तेल ने सबसे अधिक पैसा बनाया और तेल उत्पादकों ने तेल की कीमतों पर अपने नियंत्रण के साथ अर्थव्यवस्था पर शासन किया। लेकिन अब, डेटा नया तेल है। 2008 के बाद, हमने तेजी से डिजिटलीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण तकनीकी उद्योग में राजस्व में वृद्धि देखी। सभी प्रमुख टेक कंपनियां Google, Microsoft, आदि जैसी टेक कंपनियां हैं।

बाजार में तेल का अभी भी कुछ नियंत्रण बचा है; लेकिन यह दूर हो रहा है। चूंकि सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से तेल पर आधारित है, इसलिए यह विविधता लाने का उनका आखिरी मौका है।

दूसरा, पर्यटकों को आकर्षित करने और कुछ हद तक अर्थव्यवस्था में विविधता लाने में संयुक्त अरब अमीरात (विशेष रूप से दुबई) की सफलता के साथ, सऊदी अरब दुबई के एक विकसित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन की नकल करने की कोशिश कर रहा है। संयुक्त अरब अमीरात का प्राथमिक लाभ प्राकृतिक भौगोलिक खाड़ी है। एक खाड़ी को एक भूभाग में पानी (महासागरों और समुद्रों) के एक बड़े प्रवेश के रूप में माना जाता है। इस भौगोलिक टोपोलॉजी ने इसे व्यापारिक जहाजों की यात्रा के लिए एक प्राकृतिक बंदरगाह बनने की अनुमति दी। इसी तरह, सउदी एशियाई-यूरोपीय अंतरराष्ट्रीय शिपिंग व्यापार मार्ग को भुनाना चाहते हैं जो लाल सागर से होकर गुजरता है।

तीसरा, सऊदी अरब ने अपने निर्माण के बाद से कोई बड़ा नागरिक विकास नहीं देखा है। इसके अधिकांश विकास धार्मिक स्थलों के पास या उनकी राजधानी में थे। NEOM पहली विकासात्मक परियोजना होगी जो पूरी तरह से सऊदी अरब के लोगों के लिए है। सऊदी अरब में हो रही हालिया प्रगतिशील घटनाओं और लोगों के लिए देश में खरबों डॉलर के पुनर्निवेश को देखते हुए, इस तथ्य का संकेत है कि सरकार देश और उसके लोगों के आधुनिकीकरण पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसलिए, हम कह सकते हैं, यह अंततः राजशाही को इस आधुनिक दुनिया में प्रासंगिकता बनाए रखने में मदद करता है।

अंत में, अपने सहयोगियों से बढ़ी हुई प्रतिस्पर्धा भी इस परियोजना के विशाल होने का एक कारण है। जब 2 विश्व नेता एक साथ मिलते हैं और कैमरे पर मुस्कुराते हैं, तो आम लोग सोचते हैं कि दोनों देश सबसे अच्छे दोस्त हैं। लेकिन राजनीति की दुनिया में सहयोगी और दुश्मन जैसी कोई चीज नहीं होती; केवल अवसर मौजूद हैं, दूसरे व्यक्ति/राष्ट्र को मात देने का अवसर; और जब कोई अवसर नहीं होता है, राष्ट्र कुछ बनाने के लिए युद्ध में संलग्न होते हैं। यह युद्ध एक प्रतियोगिता हो सकती है। चूंकि अधिकांश मध्य पूर्वी देशों के लिए तेल आय का मुख्य स्रोत है, सऊदी अरब को अपनी अर्थव्यवस्था में विविधता लाने और तेल निर्यात पर अपनी निर्भरता कम करने के प्रयास में अपने सभी पड़ोसियों से बेहतर होने की आवश्यकता है।

NEOM मध्य पूर्व के लोगों को कैसे प्रभावित करता है?

NEOM के पूरा होने के साथ, मध्य पूर्व के पास एक विकास रोल मॉडल होगा जिसे वे अपनी अर्थव्यवस्थाओं में विविधता लाने के लिए अपने स्वयं के स्मार्ट शहरों का निर्माण करते समय संदर्भित कर सकते हैं। प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी। सऊदी में राजस्व में वृद्धि से शायद पड़ोसी देशों को भी मदद मिलेगी। ऐसा ही एक उदाहरण: सप्ताहांत के दौरान, आमतौर पर, सऊदी नागरिक छुट्टी के लिए कतर की यात्रा करते हैं। इस अवधि के दौरान कतर को बिक्री और पर्यटन से अधिक राजस्व प्राप्त होता है।

क्या यह सफल होगा?

NEOM की सफलता इसके पूर्ण रूप से पूर्ण होने पर निर्भर करती है। मध्य विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है पूर्वी देशों की अधिकांश परियोजनाओं के विपरीत, जो केवल कागज पर मौजूद हैं, NEOM को इसके पूरा होते हुए देखना चाहिए और उम्मीद के मुताबिक काम करना चाहिए। चूंकि सऊदी अरब इस लेख में रुचि का मुख्य देश है, आइए हम जेद्दा टॉवर को एक उदाहरण के रूप में देखें। जेद्दा टॉवर बुर्ज खलीफा से लंबा होना तय था और 1 किमी की ऊंचाई के साथ दुनिया की सबसे ऊंची इमारत बन गई थी। लेकिन राजनीति और महामारी के कारण, यह परियोजना वर्तमान में 2020 से रुकी हुई है।

सरकार की ओर से हमें जो जानकारी दी गई है, उसकी मानें तो व्यापार और रहवासियों के रहन-सहन जैसे अन्य कारकों में भी सुधार होगा।

NEOM परियोजना को सीधे क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान द्वारा नियंत्रित किया जाता है; इसलिए, वह NEOM के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। उनके लिए इस परियोजना की सफलता राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। नीचे दिया गया वीडियो दिखाता है कि वह खुद NEOM को समझा रहा है।

युद्ध से जुड़ी हालिया राजनीति के साथ, प्रतिकूल देश उन्हें सत्ता से हटाने का प्रयास कर सकते हैं। यह NEOM को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

एनईओएम परियोजना के विकास के लिए धन का निरंतर प्रवाह होना चाहिए; लेकिन हाल ही में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और राजनीति लंबे समय में एनईओएम के विकास को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, निवेशकों को बिना किसी निवेश सुरक्षा वाले रेगिस्तानी शहर में निवेश करने की संभावना कम है। (सऊदी अरब में मानवाधिकार के मुद्दों पर विचार)। निवेश के लिए NEOM की मार्केटिंग करने से पहले सऊदी अरब को एक भरोसेमंद सरकारी प्रणाली बनाने की जरूरत है।

मध्य पूर्व में अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे

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NEOM दुनिया को कैसे प्रभावित कर सकता है?

व्यापार के संदर्भ में, एक अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग पर एक नया सुलभ स्मार्ट-पोर्ट हमेशा जहाजों के लिए एक नया पड़ाव जोड़कर व्यापार और वाणिज्य के अवसरों को बढ़ाता है। अपने स्थान को देखते हुए, यह यूरोप, अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया के केंद्र में सही है। लाल सागर शिपिंग मार्ग दुनिया के व्यापार का 10% हिस्सा है। ट्रेड स्टॉप जंक्शनों के रूप में कार्य कर सकते हैं जहां जहाज नए व्यापार मार्गों में नई दिशाएं ले सकते हैं। ट्रेड स्टॉप विभिन्न स्थानों के लिए नियत माल को लोड और अनलोड करने के स्थान के रूप में कार्य करता है। बड़ी सड़कों से निकलने वाली छोटी सड़कों की तरह, नए समुद्री व्यापार जंक्शन शिपिंग मार्गों के माध्यम से परस्पर संपर्क बढ़ाते हैं; जिससे शिपिंग लागत और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के मुद्दों को कम किया जा विदेशी मुद्रा व्यापार और यह कैसे काम करता है सके।

नए विकास का मतलब है लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर। सऊदी अरब की विदेशी कुशल कामगारों पर निर्भरता को देखते हुए रोजगार के अवसर वैश्विक होंगे। इसके विकास के लिए आवश्यक अधिकांश प्रौद्योगिकी पश्चिमी देशों से आयात की जाती है। जबकि दक्षिण एशिया के प्रवासी श्रमिक साइट पर कार्यबल का बड़ा हिस्सा बनाते हैं। चूंकि सऊदी अरब पश्चिमी देशों की तरह नागरिकता या स्थायी निवास की पेशकश नहीं करता है, इसलिए श्रमिकों से सऊदी अरब से अंतरराष्ट्रीय प्रेषण की उम्मीद की जा सकती है। इन प्रेषणों से उन श्रमिकों के घरेलू देशों को विदेशी मुद्रा भंडार और कराधान में वृद्धि के रूप में मदद मिलेगी। मैं इस बिंदु को शामिल कर रहा हूं क्योंकि यह परियोजना ट्रिलियन डॉलर के संदर्भ में बात करती है। क्योंकि 10 वर्षों में कार्यबल के वेतन के रूप में अरबों डॉलर खर्च किए जाएंगे। (यदि वे भुगतान करते हैं।)

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