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प्रतिभूति और सामूहिक निवेश

प्रतिभूति और सामूहिक निवेश
Published at : 30 Mar 2022 04:14 PM (IST) Tags: SEBI Stock Market business news in hindi collective investment schemes investment interests हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

SEBI ने कई नियमों में किया संशोधन, जानें किन निवेशकों को मिलेगा फायदा?

By: पीटीआई, एजेंसी | Updated at : 30 Mar 2022 04:14 PM (IST)

SEBI: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने सामूहिक निवेश योजनाओं (CIS) के लिए कड़े नियामकीय नियम लागू किए हैं. इनका संचालन करने वाली इकाइयों के लिए न्यूनतम नेटवर्थ की जरूरत को बढ़ाया गया है. साथ ही ऐसी योजनाओं का संचालन सिर्फ उन इकाइयों को करने की अनुमति दी जाएगी जिनका पिछला रिकॉर्ड अच्छा है.

बैठक में लिया फैसला
सेबी के निदेशक मंडल की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया है. इसके अलावा नियामक ने प्रतिभूतियों के स्वामित्व के स्थानांतरण को सुगम करने के लिए सूचीबद्धता प्रतिबद्धताओं और खुलासा अनिवार्यता से संबंधित नियमनों में बदलाव की भी मंजूरी दी है.

सेबी ने बदलाव को दी मंजूरी
सेबी ने म्यूचुअल फंड के चांदी के एक्सचेंज ट्रेडेड कोष (ETF) के पास मौजूद चांदी या चांदी से संबद्ध उत्पादों के लिए संरक्षण (कस्टोडियल) सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देने को पंजीकृत संरक्षकों (कस्टोडियन) के लिए नियमन में बदलाव को मंजूरी दी है.

सेबी ने निवेशकों के हितों के संरक्षण के लिए सामूहिक निवेश योजनाओं के नियमों में संशोधन किया

सेबी के निदेशक मंडल की मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया। इसके अलावा नियामक ने प्रतिभूतियों के स्वामित्व के स्थानांतरण को सुगम करने के लिए सूचीबद्धता प्रतिबद्धताओं और खुलासा अनिवार्यता से संबंधित नियमनों में बदलाव की भी मंजूरी दी है।

साथ ही सेबी ने म्यूचुअल फंड के चांदी प्रतिभूति और सामूहिक निवेश के एक्सचेंज ट्रेडेड कोष (ईटीएफ) के पास मौजूद चांदी या चांदी से संबद्ध उत्पादों के लिए संरक्षण (कस्टोडियल) सेवाएं प्रदान प्रतिभूति और सामूहिक निवेश करने की अनुमति देने को पंजीकृत संरक्षकों (कस्टोडियन) के लिए नियमन में बदलाव को मंजूरी दी है।

निवेशकों को धन जुटाने की योजनाओं के जरिये चूना लगाने की घटनाओं के मद्देनजर सेबी ने सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी (सीआईएमसी) और उसके समूह/सहायक/शेयरधारकों की किसी योजना में हिस्सेदारी को 10 प्रतिशत पर सीमित करने का फैसला किया है।

सामूहिक निवेश योजना नियमन में आखिर सेबी को क्यों है मुश्किल

मीडिया खबरों में इस तरह की अटकलें हैं कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) पर अपना रुख बदलने वाला है और अब वह इस तरह की योजनाओं के नियमन के लिए मिले वैधानिक प्रतिभूति और सामूहिक निवेश प्राधिकार को छोडऩे की तैयारी में है। सबसे पहले 1995 में सीआईएस को बाजार मध्यस्थों (बिचौलियों) की सूची में हुए संशोधन के जरिये सेबी अधिनियम में जगह मिली थी। इन बिचौलियों के लिए भारतीय बाजार में कामकाज जारी रखने के लिए सेबी के पास पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया था। हालांकि उस समय भी सेबी इनके नियमन में एक तरह का संकोच ही रखता था। पौधरोपण, पशुपालन और चेन-मार्केटिंग के दम पर लुभावने रिटर्न का वादा करने वाली निवेश योजनाएं 1990 के दशक में खूब फली-फूली थीं।

'सामूहिक निवेश योजना' को सेबी अधिनियम में परिभाषित तक नहीं किया गया था। यही वजह है कि अधिनियम में संशोधन के बाद भले ही ऐसी योजनाओं को सेबी के दायरे में ला दिया गया लेकिन वह उन्हें अपनी निगरानी में लेने के लिए तैयार नहीं था। लेकिन छोटे निवेशकों को चूना लगाने की कई घटनाएं होने के बाद उपजे गुस्से और शिकायतों की बढ़ती संख्या के फलस्वरूप सेबी अधिनियम में सीआईएस को पहली बार 1999 में परिभाषित किया गया। उसके बाद सेबी ने 1999 में ही ऐसी योजनाओं के बारे में दिशानिर्देश भी तय कर दिए जिसका निहितार्थ यही था कि 'कोई भी व्यक्ति सामूहिक निवेश योजना नहीं चला सकता है।' सेबी के ये नियम इतने सख्त और टेढ़े थे कि किसी के लिए भी सामूहिक निवेश योजना चला पाना लगभग असंभव हो गया। ऐसे में आश्चर्य नहीं है कि 1999 के बाद से अब तक केवल एक सीआईएस का ही सेबी के पास पंजीकरण कराया गया है।

सेबी ने किया सामूहिक निवेश योजना के नियमों में बदलाव

सेबी के निदेशक मंडल ने इसके अलावा सेबी कस्टोडियन रेग्युलेशन 1996 में संशोधन को मंजूरी दी ताकि पंजीकृत कस्टोडियन देसी एमएफ की तरफ से पेश सिल्वर ईटीएफ के संबंध में कस्टोडियन से जुड़ी सेवाएं मुहैया कराने मेंं सक्षम हो सके। इसके अलावा बोर्ड ने लिस्टिंग आब्लिगेशंस ऐंड डिस्क्लोजर रिक्वायरमेंट रेग्युलेशन में भी संशोधन किया ताकि निवेशकों के लिए प्रतिभूति पारेषण प्रक्रिया आसान हो और प्रक्रिया में एकरूपता सुनिश्चित हो। बोर्ड ने अगले वित्त्त वर्ष के लिए बजट अनुमानों को भी मंजूरी दे दी।

एक प्रेस विज्ञप्ति में सेबी ने कहा कि सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के नियमोंं में हुए अहम बदलाव में न्यूनतम नेटवर्थ की अनिवार्यता में इजाफा और सीआईएस के गठन को लेकर संबंधित क्षेत्र में ट्रैक रिकॉर्ड के लिए एक उपबंध को जोडऩा शामिल है। साथ ही क्रॉस शेयरधारिता के नियम भी हैं, जहां एक इकाई सामूहिक निवेश प्रबंधन कंपनी की 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं रख सकती।

सामूहिक निवेश स्कीमों में लगी नकदी पर रोक

बाजार नियामक सेबी ने सामूहिक निवेश योजनाओं [सीआइएस] में नकद निवेश पर पाबंदी लगा दी है। आम निवेशकों के हित में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] ने यह अहम कदम उठाया है। अब केवल चेक, बैंक ड्राफ्ट जैसे बैंकिंग चैनलों के जरिये ही इन योजनाओं में निवेश किया जा सकेगा। सेबी के इस कदम का फायदा आम निवेशकों तो मिलेगा ही, साथ ही इससे ऐसी स्कीमों के जरिये मनीलांड्रिंग की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी। नियामक की ओर से जारी नए नियम गुरुवार से ही लागू प्रतिभूति और सामूहिक निवेश हो गए हैं।

मुंबई। बाजार नियामक सेबी ने सामूहिक निवेश योजनाओं [सीआइएस] में नकद निवेश पर पाबंदी लगा दी है। आम निवेशकों के हित में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड [सेबी] ने यह अहम कदम उठाया है। अब केवल चेक, बैंक ड्राफ्ट जैसे बैंकिंग चैनलों के जरिये ही इन योजनाओं में निवेश किया जा सकेगा। सेबी के इस कदम का फायदा आम प्रतिभूति और सामूहिक निवेश निवेशकों तो मिलेगा ही, साथ ही इससे ऐसी स्कीमों के जरिये मनीलांड्रिंग की गतिविधियों पर भी रोक लगेगी। नियामक की ओर से जारी नए नियम गुरुवार से ही लागू हो गए हैं।

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