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निवेश रणनीति

निवेश रणनीति
2. बाजार में अस्थिरता है, क्या निवेशकों को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश करना चाहिए? अस्थिरता से निपटने के लिए पीजीआईएम इंडिया बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैसे सक्षम है?

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रक्षात्मक निवेश रणनीति

एक रक्षात्मक निवेश रणनीति, एक नियत परिसंपत्ति आवंटन को बनाए रखने के लिए नियमित रूप से पोर्टफोलियो पुनर्संतुलन पर जोर देती है । इसमें उच्च-गुणवत्ता, लघु-परिपक्वता बांड और ब्लू-चिप स्टॉक खरीदना शामिल है; क्षेत्रों और देशों में विविधता लाने; रखकर नकदी और नकदी समकक्ष धारण करना । इस तरह की रणनीतियां निवेशकों को प्रमुख बाजार गिरावट से महत्वपूर्ण नुकसान से बचाने के लिए हैं।

चाबी छीन लेना

  • रक्षात्मक निवेश रणनीतियों को पहले संरक्षण देने के लिए और दूसरी सबसे मामूली वृद्धि के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • कई पोर्टफोलियो मैनेजर जोखिम वाले ग्राहकों के लिए रक्षात्मक निवेश रणनीतियों को अपनाते हैं, जैसे कि स्थिर वेतन के बिना सेवानिवृत्त।
  • रक्षात्मक रणनीति में विशिष्ट निवेश में उच्च-गुणवत्ता वाले अल्पकालिक बांड (जैसे ट्रेजरी नोट्स) और ब्लू-चिप या रक्षात्मक स्टॉक शामिल हैं।

एक रक्षात्मक निवेश रणनीति को समझना

रक्षात्मक निवेश रणनीतियों को पहले संरक्षण देने के लिए और दूसरी सबसे मामूली वृद्धि के लिए डिज़ाइन किया गया है। एक आक्रामक या आक्रामक निवेश रणनीति के साथ, इसके विपरीत, एक निवेशक प्रतिभूतियों को खरीदकर एक बढ़ते बाजार का लाभ उठाने की कोशिश करता है जो किसी दिए गए स्तर और जोखिम की अस्थिरता के लिए बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

एक आक्रामक रणनीति में विकल्प ट्रेडिंग और मार्जिन ट्रेडिंग भी हो सकती है । आक्रामक और रक्षात्मक दोनों निवेश रणनीतियों के लिए सक्रिय प्रबंधन की आवश्यकता होती है, इसलिए उनके पास निष्क्रिय प्रबंधित पोर्टफोलियो की तुलना में उच्च निवेश शुल्क और कर देयताएं हो सकती हैं। एक संतुलित निवेश रणनीति रक्षात्मक और आक्रामक दोनों रणनीतियों के तत्वों को जोड़ती है।

रक्षात्मक निवेश रणनीति और पोर्टफोलियो प्रबंधन

एक रक्षात्मक निवेश रणनीति पोर्टफोलियो प्रबंधन के अभ्यास में कई विकल्पों में से एक है। पोर्टफोलियो प्रबंधन कला और विज्ञान दोनों है; पोर्टफोलियो प्रबंधकों को अपने निवेश रणनीति या अपने ग्राहकों के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए, विशिष्ट निवेश उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए और उचित परिसंपत्ति आवंटन का चयन करना, जोखिम और संभावित इनाम को संतुलित करना।

कई पोर्टफोलियो मैनेजर जोखिम वाले ग्राहकों के लिए रक्षात्मक निवेश रणनीतियों को अपनाते हैं, जैसे कि स्थिर वेतन के बिना सेवानिवृत्त। बिना अधिक पूंजी गंवाए उन लोगों के लिए रक्षात्मक निवेश रणनीतियां भी उपयुक्त हो सकती हैं। दोनों ही मामलों में, उद्देश्य मौजूदा पूंजी की रक्षा करना और मामूली वृद्धि के साथ मुद्रास्फीति को गति देना है।

एक रक्षात्मक निवेश रणनीति के लिए निवेश

उच्च गुणवत्ता वाले शॉर्ट-मेच्योरिटी बॉन्ड में निवेश का चयन करना, जैसे कि ट्रेजरी नोट्स और ब्लू-चिप स्टॉक एक निर्णायक निवेश रणनीति के लिए ठोस रणनीति हैं। स्टॉक उठाते समय भी, एक रक्षात्मक पोर्टफोलियो प्रबंधक अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड के साथ बड़े, स्थापित नामों से चिपक जाएगा। आज, पोर्टफोलियो प्रबंधक एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों की ओर झुकाव करने की अधिक संभावना है जो बाजार के सूचकांकों की नकल करते हैं, क्योंकि ये एक विविध निवेश में सभी स्थापित शेयरों के लिए जोखिम की पेशकश करते हैं।

एक रक्षात्मक रणनीति का अभ्यास करने वाले पोर्टफोलियो प्रबंधक, ट्रेजरी बिल और वाणिज्यिक पत्र जैसे नकद और नकद समकक्षों की एक खाई भी पकड़ सकते हैं, जो मुद्रास्फीति के साथ तालमेल रखने और डाउन मार्केट में पोर्टफोलियो की रक्षा करने में मदद कर सकते हैं। हालांकि, नकद और नकद समकक्षों में बहुत अधिक रखने से यह सवाल उठ सकता है कि निवेशक पहली बार सक्रिय प्रबंधन के लिए भुगतान क्यों कर रहे हैं।

बाजार में लंबी अवधि में पैसा बनाने का सही है समय, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड से पोर्टफोलियो करें मजबूत

बाजार में लंबी अवधि में पैसा बनाने का सही है समय, बैलेंस्ड एडवांटेज फंड से पोर्टफोलियो करें मजबूत

इस साल घरेलू शेयर बाजार में उतार चढ़ाव रहा है। महंगाई, जियोपॉलिटिकल टेंशन, रेट हाइक और मंदी की आशंका जैसे फैक्‍टर ने बाजार में अस्थिरता बढ़ाई है। हालांकि भारतीय बाजारों ने पियर्स की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। बाजार में घरेलू निवेशकों का भरोसा कायम है। एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली के बाद भी घरेलू निवेशकों ने बाजार को बैलेंस किया है। एक्सपर्ट का मानना है कि मौजूदा समय में अस्थिरता के चलते बाजार में कुछ और गिरावट आ सकती है, लेकिन लंबी अवधि में बाजार का आउटलुक मजबूत है। निवेशकों को बैलेंस्ड एडवांटेज फंड का रुख करना चाहिए, जिसमें कम रिस्क के साथ बेहतर रिटर्न की गुंजाइश है। इस बारे में हमने PGIM इंडिया म्‍यूचुअल फंड के इक्विटी हेड, अनिरुद्ध नाहा से बात की है।

कौन हैं वॉरेन बफ़े

वॉरेन बफ़ेट का जन्म 30 निवेश रणनीति अगस्त 1930 को ओमाहा के नेब्रास्का कस्बे में हुआ था. ओमाहा का होने के कारण ही उन्हें ऑरेकल ऑफ़ ओमाहा भी कहा जाता है.

उनका एप्पल में निवेश है, लेकिन उनके पास आईफ़ोन नहीं है. आईफ़ोन क्या, उनके पास कोई भी स्मार्टफ़ोन नहीं है और वो अभी तक पुराना फ्लिप फ़ोन इस्तेमाल करते हैं.

साल 2013 में एक टेलीविजन इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "मैं कुछ भी नहीं फेंकता, जबतक कि उसे 20-25 साल अपने पास नहीं रख लेता." फिर उन्होंने अपना फोन दिखाते हुए कहा था, "ये अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने मुझे दिया था."

87 साल के बफ़ेट ने 11 साल की उम्र में अपना पहला शेयर ख़रीदा था और दो साल बाद ही उन्होंने पहली बार टैक्स भी फ़ाइल कर दिया.

निजी जेट है लेकिन चलते पुराने कार से

आज भले ही पूरी दुनिया बफ़ेट की व्यापार समझ और निवेश रणनीति का लोहा मानती हो, लेकिन नामचीन हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल ने उन्हें दाखिला देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद बफ़ेट ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री हासिल की.

बिज़नेस मैगजीन फ़ोर्ब्स के मुताबिक, बफ़ेट ने अपना तीन बेडरूम वाला मकान 1958 में नेब्रास्का में 31 हज़ार 500 डॉलर में खरीदा था और आज भी वो उसी घर में रहते हैं.

साल 2014 तक बफ़े अपनी आठ साल पुरानी कार से ही चलते थे. बाद में जनरल मोटर्स के सीईओ ने किसी तरह उन्हें नई अपग्रेडेड कार लेने के लिए मनाया. हालाँकि बफ़ेट के पास अपना निजी जेट है, जिसका इस्तेमाल वो बिज़नेस मीटिंग्स के लिए करते हैं.

बफ़ेट ने जीवनभर पैसा कमाया और जमकर कमाया. लेकिन उन्हें इस कमाई गई दौलत का मोह नहीं है. वो अपनी कमाई गई दौलत का 99 फ़ीसदी दान कर चुके हैं. इसके लिए उन्होंने अपने नाम का फाउंडेशन या ट्रस्ट नहीं बनाया है, बल्कि इसे बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन को दान कर दिया है.

उभरती अर्थव्यवस्थाओं में निवेश न करने की वजह

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अब मूल सवाल पर लौटते हैं कि वॉरेन बफ़ेट भारत और चीन जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में निवेश क्यों नहीं करते.

बाज़ार के जानकारों का कहना है कि बफ़ेट की रणनीति हमेशा जोखिम वाले निवेश से बचने की रही है और वो लंबी अवधि का निवेश ही करते हैं.

विवेक मित्तल बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि बफ़ेट भारत जैसे बाज़ारों पर दांव लगाना ही नहीं चाहते. उनकी होल्डिंग कंपनी बर्कशायर हैथवे ने 2010-11 में भारत के बीमा कारोबार में उतरने की कोशिश भी की थी. भारत ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के दरवाज़े खोले थे, लेकिन दो साल तक कोशिशें करने के बाद हैथवे ने अपने हाथ खड़े कर दिए.

मित्तल का कहना है कि लालफीताशाही अब भी बरकरार है और बफ़ेट क्योंकि अमरीका, जापान जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में निवेश करते हैं, वो यहां काग़जी औपचारिकताओं से निपटने को एक मुश्किल के रूप में देख सकते हैं.

कोविड हाहाकार के बीच शेयर बाजार मालामाल?अब क्या हो निवेश की रणनीति

कोविड हाहाकार के बीच शेयर बाजार मालामाल?अब क्या हो निवेश की रणनीति

कोविड के बढ़ते मामलों के बावजूद शेयर बाजार की रौनक ने सबको हैरत में डाल दिया है. कुछ लोग इसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर निवेशकों के भरोसे के तौर पर देखते हैं. जबकि कुछ अन्य इसे आने वाले दिनों में बड़े करेक्शन का संकेत मानते हैं. लगातार 4 दिन चढ़ने के बाद अब बाजार बीते 2 सेशन में करीब 1.5% कमजोर हुआ है. आखिर क्यों नहीं है कोविड का बाजार पर असर? एक्सपर्ट्स के अनुसार आने वाले समय में कैसा रहेगा मार्केट और क्या हो बाजार में सही रणनीति? आइए जानते हैं-

शेयर बाजार की हालिया चाल:

देश में कुल कोविड मामले और मृत्यु का आंकड़ा अपने शिखर के करीब है. इसके बावजूद बीते 2 हफ्तों में शेयर बाजार चढ़ा है. 30 अप्रैल को खत्म हुए हफ्ते में निफ्टी नेट आधार पर 2.02% मजबूत हुआ था. वहीं, 7 मई को समाप्त हुए कारोबारी हफ्ते में भी NSE निफ्टी 1.31% चढ़ा. इन दोनों हफ्तों में सर्वाधिक चढ़ने वाले शेयरों ने करीब 17% और 14% तक का बड़ा मुनाफा भी बनाया था. बाजार में लगातार कई शेयर अपना नया शिखर बना रहे हैं. मंगलवार 11 मई को टूटने से पहले बाजार में 4 दिनों की तेजी देखी गई थी. आखिरी दो दिनों में बाजार के वैल्यूएशन में सुधार आया है.

बाजार के तेजी के पीछे कुछ अहम वजहें हैं. मार्च तिमाही के वित्तीय रिजल्ट्स में ज्यादातर कंपनियों का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा है. बीते हफ्ते RBI ने अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए कुछ अहम घोषणाएं भी की थी. वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के निरंतर आगे बढ़ने से भी निवेशकों द्वारा मार्केट में अच्छी खरीदारी की जा रही है.

आम बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवंटन को 35 फीसदी बढ़ाते हुए उम्मीद की गई है कि राज्य सरकारें पीएम गति शक्ति परियोजना, जिसका मकसद नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत चिह्नित नए निवेश रणनीति इंफ्रा प्रोजेक्ट्स हेतु फंड जुटाने के लिए सरकारी परिसंपत्तियों का मौद्रिकरण है, के तहत फंडिंग में योगदान करेंगी. पर सवाल है कि सरकार द्वारा सार्वजनिक निवेश में इज़ाफ़ा किस हद तक निजी निवेशक को प्रोत्साहित कर पाएगा?

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट को पिछले आठ वर्षों से ठहर से गए निजी क्षेत्र के निवेश में तेजी लाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आखिरी कोशिश के तौर पर देखा जा सकता है.

प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी का कार्यकाल लगभग एक दशक पूरा करने की ओर बढ़ रहा है. उन्हें यह चिंता अवश्य सता रही होगी कि आय, निजी निवेश, रोजगार, बचत ओर पूंजी निर्माण जैसे विभिन्न अहम पैमानों पर निराशाजनक वृद्धि को उनकी विरासत के तौर पर लिए याद किया जाएगा. 1991 में आर्थिक सुधारों की शुरुआत होने के बाद से इन मोर्चों पर किसी भी प्रधानमंत्री का रिपोर्ट कार्ड इतना फीका नहीं रहा है.

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