निवेश बैंकिंग

निवेश बैंकिंग
रेलीगेयर इंटरप्राइजेज निवेश बैंकिंग क्षेत्र में विकास कर रही है। वित्तीय सेवा देने वाली इस कंपनी ने निवेश बैंकिंग क्षेत्र में विस्तार का फैसला उभरते हुए बाजारों का फायदा उठाने के मकसद से किया है। कंपनी की निवेश बैंकिंग शाखा का नाम रेलीगेयर कैपिटल मार्केटस लिमिटेड (आरसीएमएल) रखा है। मैकिंसे ने अध्ययन के मुताबिक 2010 तक उभरते हुए बाजार में निवेश बैंकिंग की विकास दर 16 फीसदी निवेश बैंकिंग रहेगी।
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कौस्तुभ कुलकर्णी जेपी मॉर्गन इंडिया के प्रमुख बने
जेपी मॉर्गन ने भारत के अपने नए कंट्री हेड कौस्तुभ कुलकर्णी की नियुक्ति की घोषणा की है। भारत के वर्तमान कंट्री हेड माधव कल्याण 1 नवंबर 2022 से एशिया पैसिफिक पेमेंट्स डिवीजन में सेवारत होंगे। कौस्तुभ कुलकर्णी वर्तमान में जेपी मॉर्गन इंडिया में निवेश बैंकिंग के प्रमुख और बैंक के लिए एशिया पैसिफिक के उपाध्यक्ष और दक्षिण पूर्व एशिया के लिए निवेश बैंकिंग के सह-प्रमुख के रूप में भी कार्यरत हैं।
जेपी मॉर्गन में कौस्तुभ कुलकर्णी की भारत के कंट्री हेड के रूप में नियुक्ति से संबंधित निवेश बैंकिंग प्रमुख बिंदु
- कौस्तुभ कुलकर्णी पिछले 24 सालों से जेपी मॉर्गन में सेवा दे रहे हैं।
- माधव कल्याण 2009 से जेपी मॉर्गन में भारत के लिए कॉर्पोरेट बैंकिंग के प्रमुख के रूप में कार्यरत हैं।
- उन्होंने जेपी मॉर्गन चेस बैंक इंडिया के मुख्य कार्यकारी के रूप में भी कार्य किया।
- उन्हें बैंकिंग और वित्तीय सेवा उद्योग में 28 वर्षों का अनुभव है।
- जेपी मॉर्गन के लिए निवेश बैंकिंग के प्रमुख नवीन वाधवानी होंगे।
जेपी मॉर्गन के बारे में
जॉन पियरपोंट मॉर्गन एक अमेरिकी फाइनेंसर और निवेश बैंकर थे, जो गिल्डेड एज के दौरान वॉल स्ट्रीट पर कॉर्पोरेट वित्त पर हावी थे। फर्म को जेपी मॉर्गन एंड कंपनी के रूप में जाना जाता है। वह निवेश बैंकिंग 19 वीं सदी के अंत और 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में संयुक्त राज्य अमेरिका में उद्योग समेकन की लहर के पीछे प्रेरक शक्ति थी। निवेश बैंकिंग संस्थान की स्थापना 1871 में जेपी मॉर्गन ने की थी।
एक साल में 14% रिटर्न, क्या आपको बैंकिंग सेक्टर फंडों में निवेश करना चाहिए?
इन स्कीमों ने तीन साल में 10.50 फीसदी, पांच साल में 9.88 फीसदी और 10 साल में 10.41 फीसदी रिटर्न दिया है.
इस कैटेगरी में टॉपर टाटा बैंकिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज फंड है. इस स्कीम ने एक साल में 24.70 फीसदी रिटर्न दिया है.
प्रिंसिपल म्यूचुअल फंड के हेड-इक्विटी रवि गोपालकृष्णन कहते हैं, "मीडियम और लॉन्ग टर्म में हम सेक्टर को लेकर पॉजिटिव हैं. इसका भरोसा सरकार के फोकस को देखकर लगता है. बैंकिंग सुविधाओं को दूर दराज के इलाकों तक पहुंचाने में उसका रोडमैप साफ है. हालांकि, निकट अवधि में खपत और निवेश में सुस्ती की चुनौतियां हैं. इससे क्रेडिट ग्रोथ कम रह सकती है."
बैंकिंग सेक्टर को एनपीए का मसला लंबे समय से दर्द दे रहा है. फंड मैनेजरों को लगता है कि हाल में सेक्टर में सुधार के कुछ संकेत दिखने शुरू हुए हैं. बीते वित्त वर्ष में कुल एनपीए 9.49 लाख करोड़ रुपये रहे.
इस सेक्टर को लेकर उत्साह के पीछे सरकार की वह घोषणा है जिसमें उसने सरकारी बैंकों में पूंजी डालने का एलान किया है. इसके अलावा सरकार ने 10 पीएयू बैंकों का विलय कर 4 बड़े बैंक बनाने का भी फैसला किया है. सेक्टर में इन सुधारों के चलते पूरे सेगमेंट में सेंटिंमेंट पॉजिटिव हुए हैं.
गोपालकृष्णन कहते हैं, "सरकारी बैंकों का विलय अच्छा कदम है. इससे गवर्नेंस में मजबूती आएगी. जोखिम घटेगा. लागत कम होगी. लेकिन, निकट भविष्य में कर्मचारियों को मैनेज करने की दिक्कतें खड़ी होंगी. टेक्नोलॉजी का एकीकरण एक और चुनौती होगी. इसका बिजनेस की ग्रोथ पर असर पड़ेगा."
हालांकि, फंड मैनेजर मानते हैं कि लंबी अवधि में सेक्टर का भविष्य काफी सुनहरा है. टाटा म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर सोनम उदासी मानते हैं कि बैंकिंग और फाइनेंशियल सर्विसेज के लिए बाजार के रूप में भारत ने अभी उभरना शुरू किया है. यह अपने शुरुआती चरण में है.
सोनम ने कहा, "बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर की पहुंच अभी काफी बढ़नी है. इससे काफी अवसर तैयार होंगे. मुझे लगता है कि आउटलुक काफी पॉजिटिव हैं. हमें उम्मीद है कि बैंकिंग सेक्टर जीडीपी ग्रोथ रेट की तुलना में 1.6 गुना की रफ्तार से बढ़ेगा."
फंड मैनेजर कहते हैं कि रियल एस्टेट और एनबीएफसी सेक्टर में कुछ चिंताएं बनी हुई हैं. रियल एस्टेट में सुस्ती और फंडों की किल्लत इसमें मुख्य वजह है. हालांकि, पहले के मुकाबले दबाव कम हुआ है. फंड मैनेजरों का कहना है कि निवेशकों को बैंकिंग सेक्टर फंड में तब तक पैसा नहीं लगाना चाहिए जब तक वे इस सेक्टर को अच्छी तरह से समझते न हों.
सोनम ने कहा कि डायवर्सिफाइड फंडों के मुकाबले सेक्टर फंडों में अस्थरिता ज्यादा होती है. बैंकिंग सेक्टर भी इससे अलग नहीं है. 2018 में बैंकिंग सेक्टर फंडों में काफी उथल-पुथल रही. छोटे निवेशकों के लिए अच्छा है कि वे डायवर्सिफाइड स्कीमों के जरिए ही बैंकिंग सेक्टर में निवेश करें. आमतौर पर डायवर्सिफाइड स्कीमों का बैंकिंग सेक्टर में 20 फीसदी तक निवेश रहता है. अगर आप रिटेल इनवेस्टर हैं तो आपको इससे ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं है.
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