व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

बता दें वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में 10 जनवरी को हुए जीएसटी परिषद की 32वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. छोटे कारोबारियों को छूट देने के अलावा जीएसटी क्मपोजिशन योजना का लाभ देने की सीमा भी बढ़ाई गई है. इस योजना के तहत छोटे व्यापारियों और कंपनियों को उत्पादों के मूल्यवर्धन के बजाय अपने कारोबार के हिसाब से मामूली दर पर कर देना होता है . कम्पोजिशन योजना के लिये निर्धारित सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये कर दिया गया है.
2019 में व्यापारियों ने GST को ले कर की ये मांग, बढ़ सकता है सरकार का फायदा
नए साल में व्यापारी समुदाय ने मंगलवार को देश में 'दोस्ताना जीएसटी' (वस्तु एवं सेवा कर) की मांग की है और कहा है कि सात करोड़ छोटे कारोबारियों में से आधे से अधिक को अप्रत्यक्ष कर शासन के तहत लाए जा सकते हैं, इसके लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना होगा
व्यापारियों ने कहा कि जीएसटी को और सरल बनाने की व्यापारियों को जीएसटी से लाभ जरूरत (फाइल फोटो)
नए साल में व्यापारी समुदाय ने मंगलवार को देश में 'दोस्ताना जीएसटी' (वस्तु एवं सेवा कर) की मांग की है और कहा है कि सात करोड़ छोटे कारोबारियों में से आधे से अधिक को अप्रत्यक्ष कर शासन के तहत लाए जा सकते हैं, इसके लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना होगा. व्यापारियों के संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा है की देश भर के व्यापारियों को उम्मीद है की वर्ष 2019 में जीएससटी को और अधिक सरल एवं तर्कसंगत कर प्रणाली के रूप में विकसित किया जाएगा और यदि केंद्र एवं राज्य सरकारें जीएसटी से समन्धित व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने पर केंद्रित करती हैं तो निश्चित रूप से जीएसटी एक व्यापारी मित्र कर प्रणाली के रूप में साबित हो सकती है.
2018 में कई मुश्किलों से गुजरना पड़ा
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि यह और भी अच्छा होगा यदि जीएसटी को ज्यादा से ज्यादा अपनाने के लिए सरकार व्यापारियों को जीएसटी कर में छूट का लाभ दे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 में जीएसटी को लेकर व्यापारियों को अनेक परेशनियों को भी झेलना पड़ा है जिसमें मुख्य रूप से जीएसटी पोर्टल का सुचारू रूप से काम न करना, विभिन्न कर दरों में डाली गई वस्तुओं में विसंगतियां , कर प्रणाली की जटिल प्रक्रिया, विभाग से व्यापारियों का रिफंड न मिलना, रिटर्न फॉर्म की जटिलताएं आदि समस्याएं हैं जिनको अभी ठीक होना जरूरी है.
व्यापारियों के लिए है बेहतर कर व्यवस्था
खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी एक मायने में व्यापारियों के लिए बेहतर कर प्रणाली सिद्द हुई है व्यापारियों को जीएसटी से लाभ क्योंकि अब व्यापारियों को अनेक प्रकार के कर की जगह केवल एक ही कर की पालना करनी होती है एवं विभिन्न करों की कागज़ी कार्यवाही के झंझट से भी मुक्ति मिल गई है वहां दूसरी ओर अनेक करों के इंस्पेक्टरों के मकड़ जाल से भी व्यापारी अब मुक्त हो गया है. किन्तु अभी भी देश भर 7 करोड़ व्यापारियों में से केवल 35 प्रतिशत के पास ही कम्यूटर है जबकि बाकी बचे व्यापारियों के सामने जीएसटी कर प्रणाली की समय पर पालना एक चुनौती है. इसके साथ ही जीएसटी के कानून एवं नियमों के बारे में अभी भी देश हर में व्यापारियों के एक बड़े तबके को कोई जानकारी नहीं है जिसके कारण स्वत: कर पालना अभी भी एक बड़ी चुनौती है.
जीएसटी की सफलता व्यापारियों पर निर्भर है
कैट के महामंत्री ने कहा कि जीएसटी क्योंकि एक अप्रत्यक्ष कर प्रणाली है जिसमें कर देने की जिम्मेदारी अंतिम रूप से उपभोक्ताओं के ऊपर है और व्यापारी क्योंकि उपभोक्ता के साथ सीधे संपर्क की एक मात्र कड़ी है इस वजह से जीएसटी की सफलता बहुत कुछ व्यापारियों पर निर्भर करती है. इस दृष्टि से देश भर में फैले व्यापारी संगठनों को यदि सरकार विश्वास में लेकर एक देशव्यापी जागरूकता अभियान चलाये तो देश के अंतिम कोने तक आसानी से जल्द समय में पहुंचा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा की देश में प्रत्येक जिला स्तर पर व्यापारियों और अधिकारियों के एक संयुक्त जीएसटी कमेटी का व्यापारियों को जीएसटी से लाभ गठन किया जाए एवं व्यापारियों को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए सरकार सब्सिडी दे. खंडेलवाल ने उम्मीद जताई है की प्रस्तावित नए जीएसटी रिटर्न फॉर्म को अपेक्षाकृत अधिक सरल बनाया जाएगा जिससे एक आम व्यापारी भी अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स अधिवक्ता पर निर्भर न रहकर खुद ही रिटर्न समय पर भर दे और रिटर्न हर महीने की जगह तिमाही हो जाए. जीएसटी से निश्चित रूप से बड़ी संख्यां में लोग इनफॉर्मल सिस्टम से फॉर्मल इकॉनमी में आएं है और यदि जीएसटी को और अधिक सरल बनाया जाया है तो बड़ी संख्यां में लोग फॉर्मल इकॉनमी में आएंगे जिससे सरकार का टैक्स बेस तो बढ़ेगा ही वहीँ राजस्व में भी वृद्धि होगी.
शिवराज सरकार ने GST रजिस्ट्रेशन पर लिया बड़ा फैसला, व्यापारियों को होगा लाभ
भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने व्यवसाइयों की परेशानियों को दूर करते हुए जीएसटी (GST) रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को सरल किया है। मप्र वाणिज्यिक कर विभाग (MP Commercial Tax Department) ने आज इसे जारी कर दिया। इस मौके पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया (GST Registration Process) सरल होने से व्यापारी अर्थ व्यवस्था में अधिक योगदान से सकेंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) के निर्देशों का पालन करते हुए वाणिज्यिक कर विभाग ने जीएसटी पंजीयन प्रक्रिया को सरल बनाते हुए आदर्श प्रक्रिया स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) (GST Registration Model Process Standard Operating Procedure, SOP) जारी कर दी है। इससे व्यापार करना और ज्यादा सरल हो जाएगा। पूर्व में नए जीएसटी पंजीयन प्राप्त करने में व्यवसाइयों को समस्याएँ आ रही थी।
वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने विभागीय अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग व्यवसाइयों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुविधाएँ देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे वे प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था में ज्यादा से ज्यादा योगदान दे सकें।आयुक्त वाणिज्यिक कर लोकेश कुमार जाटव ने बताया कि जीएसटी पंजीयन के लिए एसओपी जारी करने से व्यवसाइयों तथा विभाग के अधिकारियों की समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
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ऐसे होगी आसानी
विभाग के अधिकारियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन के आवेदन के साथ संलग्न किए जाने योग्य दस्तावेज, व्यवसाय की प्रकृति के अनुसार सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया है। इन दस्तावेज का सत्यापन स्वयं अधिकारियों द्वारा अलग-अलग विभागों की वेबसाइट से किस प्रकार किया जाना चाहिए, इस संबंध में भी दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
व्यवसाइयों को अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं होना पड़ेगा। इससे पंजीयन जारी करने की प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सकेगी। नई आदर्श प्रक्रिया में अब सिर्फ आवेदक का पैन, आधार, मोबाइल नम्बर, मेल आईडी एवं व्यवसायिक स्थल के प्रमाण के आधार पर ही जीएसटी पंजीयन जारी किया जायेगा।
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पंजीयन में एकरूपता
नई एसओपी अनुसार ही पंजीयन की कार्यवाही किए जाने के लिए अधिकारियों को लगातार निर्देशित किया जा रहा है। एसओपी जारी होने से जहाँ एक ओर प्रदेश के जीएसटी विभाग के समस्त कार्यालयों में पंजीयन की प्रक्रिया में एकरूपता सुनिश्चित होगी, वहीं दूसरी ओर व्यवसाइयों के पंजीयन के सत्यापन हेतु अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने की अनिवार्यता भी समाप्त होगी।
विभिन्न व्यवसायिक संगठन एवं विधिक संगठन लंबे समय से ऐसी व्यवस्था की मांग करते आ रहे थे। नई एसओपी से जहाँ एक ओर बोगस पंजीयन में रोक लगेगी। वास्तविक व्यवसाइयों को अनावश्यक दस्तावेज की मांग से मुक्ति मिलेगी और पंजीयन प्राप्त करने की प्रक्रिया में शीघ्रता आएगी। इस एसओपी को बनाने में उपायुक्त मनोज चौबे, सहायक आयुक्त श्रीमती प्रीति जौहरी, वाणिज्यिक कर अधिकारी हरीश जैन तथा अतुल त्रिपाठी का महत्वपूर्ण योगदान है।
झारखंड : रघुवर सरकार ने छोटे कारोबारियों को दी बड़ी राहत, सलाना 40 लाख के टर्नओवर पर GST नहीं
झारखंड सरकार ने छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए माल एंव सेवा कर ( जीएसटी) से छूट की सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया .
झारखंड सरकार ने छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए माल एंव सेवा कर ( जीएसटी) से छूट की सीमा को बढ़ाकर दोगुना कर दिया. इसकी जानकारी मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ट्वीट कर दी.
जानकारी के अनुसार झारखंड के 80 हजार छोटे मध्यम व्यापारियों को अब जीएसटी नहीं भरना होगा. वे टैक्स के दायरे से बाहर हो जायेंगे. राज्य में जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन की सीमा 20 लाख वार्षिक से बढ़ाकर 40 लाख कर दी गयी है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बुधवार को समीक्षा बैठक कर वाणिज्यकर सचिव को इस संबंध में निर्देश दिया है.
झारखण्ड के 80 हजार छोटे एवं मध्यम व्यापारियों को अब #GST नहीं भरना होगा। राज्य में जीएसटी रजिस्ट्रेशन की सीमा 20 लाख वार्षिक से बढ़ाकर 40 लाख कर दी गयी है।
— Raghubar Das (@dasraghubar) January 16, 2019
सरकार के इस फैसले से 80 हजार व्यापारियों को जीएसटी का रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ेगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि 20 से 40 लाख के बीच बड़ी संख्या में व्यापारी जीएसटी के दायरे में आते हैं. इस निर्णय से छोटे व मध्यम व्यापारी परेशानी से बचेंगे. गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की 10 जनवरी को हुई बैठक में जीएसटी में रजिस्ट्रेशन की सीमा 20 से 40 लाख करने का फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ दिया गया था. इसी फैसले के आलोक में झारखंड सरकार ने व्यापारियों को राहत देने का निर्णय लिया है.
बता दें वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में 10 जनवरी को हुए जीएसटी परिषद की 32वीं बैठक में कई अहम फैसले लिए गए. छोटे कारोबारियों को छूट देने के अलावा जीएसटी क्मपोजिशन योजना का लाभ देने की सीमा भी बढ़ाई गई है. इस योजना के तहत छोटे व्यापारियों और कंपनियों को उत्पादों के मूल्यवर्धन के बजाय अपने कारोबार के हिसाब से मामूली दर पर कर देना होता है . कम्पोजिशन योजना के लिये निर्धारित सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर डेढ़ करोड़ रुपये कर दिया गया है.
इस दौरान वित्त मंत्री ने कहा था कि इन दो कदमों से सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को राहत मिलेगी . इसके अलावा परिषद ने केरल को दो साल के लिए राज्य के भीतर होने वाली बिक्री पर एक प्रतिशत का उपकर ‘आपदा’ कर लगाने की अनुमति दे दी है.
भारत में अप्रत्यक्ष कर ने करों की बहुलता और लागतों में कमी के कारण अपनी आपूर्ति श्रृंखला प्रणाली के पुनर्गठन और मॉडलिंग में व्यवसायों को प्रेरित किया है। उम्मीद के साथ, यह ‘ कर आतंकवाद ‘ को समाप्त करेगा
122 nd संविधान संशोधन विधेयक 3 अगस्त 2016 को राज्यसभा में आया था, जिसे विपक्षी कांग्रेस की अच्छी हार्दिक शुभकामनाएं भी मिलीं, जो कि पारित होने के महत्वपूर्ण कार्ड हैं। यहां बताया गया है कि वर्तमान शासन से जीएसटी क्या अलग है, यह कैसे काम करेगा, और क्या होगा यदि संसद बिल को साफ करे
जीएसटी की पूरी व्यवस्था कैसे काम करेगी?
यह एक अस्पष्टता है कि कर दाताओं की कर देयता को जीएसटी प्रभाव कैसे दे सकता है ‘ क्या यह फायदे व्यापारियों को जीएसटी से लाभ हैं या नहीं’ आपके प्रश्नों को हल करने के लिए नीचे दिया गया एक उदाहरण है।
1. चरण 1: निर्माता
आइए एक उदाहरण के साथ समझें अगर कोई व्यक्ति निर्माता है
एक निर्माता की कल्पना करें जो कपड़ों का निर्माण करता है। वह कच्चे माल खरीदता है- कपड़े, उपकरण, अन्य लेख- 200 रुपये, एक राशि जिसमें रुपये का कर शामिल होता है। 20. उपरोक्त कच्चे माल के साथ उपभोक्ताओं के लिए वस्त्र तैयार करता है।
परिधान के निर्माण की प्रक्रिया में, ए सामग्री और अन्य लेखों के लिए मूल्य जोड़ता है जो परिधान को अधिक आकर्षक और टिकाऊ बना देगा। आइए हम इस वैल्यू को जोड़ते हैं जिससे उसे रु। 30. उसकी कमोडिटी का सकल मूल्य रु। होगा। 230 (200 + 30)
इसके अलावा, 10% की टैक्स दर, अर्थात कर उत्पादन रु। होगा। 23 (230 रुपये का 10%) लेकिन जीएसटी के मुताबिक, वह इस आउटपुट टैक्स को लगभग रु। सेट कर सकते हैं। 23 टैक्स के खिलाफ जो उसने पहले से ही कच्चे माल / निवेश की खरीद के समय भुगतान किया है, अर्थात रु। 20. इसलिए, निर्माता पर प्रभावी जीएसटी दर की घटनाएं केवल 3 (23-20) हैं।
इसलिए, उपरोक्त उदाहरण से निष्कर्ष निकालना यह है कि ए आपूर्ति श्रृंखला के अंत में अदा कर के क्रेडिट का दावा कर सकता है।
2. चरण 2: थोक व्यापारी
आइए एक उदाहरण के साथ समझें अगर कोई व्यक्ति थोक व्यापारी है
अगले चरण यह है कि परिधान निर्माता (ए) से थोक व्यापारी (बी) तक जाता है। यहां, बी इसे रुपये के लिए खरीदता है 230, और मूल्य पर जोड़ता है (जो मूल रूप से ‘लाभ का मार्जिन’ है) का कहना है कि रु। 30. परिधान का सकल मूल्य तब रु। होगा। 260 (230 + 30)
इसके अलावा, 10% यानी टैक्स आउटपुट का कर दर रू। 26. लेकिन फिर, जीएसटी के तहत, बी रुपये का आउटपुट टैक्स बंद कर सकता है। 26 एक यानी रुपये से अपनी खरीद पर कर के खिलाफ 23. इस प्रकार, थोक व्यापारी पर प्रभावी जीएसटी घटना केवल रु। 3 (26-23)
इसलिए, उपरोक्त उदाहरण से निष्कर्ष निकालना यह है कि बी आपूर्ति श्रृंखला के अंत में अदा किए गए कर के क्रेडिट का दावा कर सकता है।
3. चरण 3: रिटेलर
आइए एक उदाहरण के साथ समझें अगर कोई व्यक्ति खुदरा है
अंतिम चरण में, एक फुटकर विक्रेता (सी) थोक व्यापारी से परिधान खरीदता है तो परिधान की खरीद मूल्य रु। 260, वह मूल्य पर जोड़ता है (जो कि मूल रूप से ‘लाभ का मार्जिन’ है) का कहना है कि रु। 40. परिधान का सकल मूल्य रु। होगा। 300 (260 + 40)
इसके अलावा, 10% यानी टैक्स आउटपुट का कर दर रू। 30. लेकिन जीएसटी सी के तहत रुपए का आउटपुट टैक्स बंद कर सकता है। 30 बी से अपनी खरीद पर कर के खिलाफ 26, सी नीचे वह खुद को जीएसटी प्रभाव प्रभावी रूप से 4 रुपये (30-26) तक ला देता है।
इस प्रकार, निर्माता, थोक व्यापारी और रिटेलर के माध्यम से कच्चे माल / इनपुट आपूर्तिकर्ताओं (जो कोई टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकते हैं क्योंकि व्यापारियों को जीएसटी से लाभ वे खुद कुछ नहीं खरीदा है) से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला पर कुल जीएसटी अर्थात् रु। 30 (20 + 3 + 3 + 4)।
जीएसटी संवैधानिक संशोधन विधेयक को संशोधन के लिए लोकसभा में वापस जाना होगा और आगे संशोधन करना होगा। एक बार इसे संसद द्वारा अनुमोदित कर दिया जाता है और राज्य विधायिकाओं का 50 प्रतिशत, जीएसटी परिषद को मॉडल जीएसटी बिलों का काम करना होगा जो परिचालन विवरण प्रदान करेगा।