फॉरेक्स मार्केट

तकनीकी विश्लेषण

तकनीकी विश्लेषण

तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है? मतभेद

तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण दो अध्ययन हैं जो बाजार व्यवहार को मापने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं। स्टॉक एक्सचेंज में काम करते समय दोनों आवश्यक होते हैं और पूर्वानुमान या भविष्य के बाजार के रुझान में बहुत उपयोगी होते हैं। जबकि बुनियादी विश्लेषण अधिक गहन शोध पर केंद्रित है, विभिन्न कारकों का अध्ययन किया जाना चाहिए। तकनीकी विश्लेषण सरल है और बाजार के रुझान की भविष्यवाणी करने के लिए एक के-लाइन चार्ट, पैटर्न और डेटा की सुविधा देता है।

दोनों अध्ययनों का उपयोग बाजार के अल्पकालिक और दीर्घकालिक मूल्य को मापने के लिए किया जाता है। उनकी उच्च विश्वसनीयता के कारण, सभी प्रकार के निवेशक लगभग किसी भी प्रकार के निवेश में इन अध्ययनों का उपयोग कर सकते हैं। उन लोगों के लिए जिनके पास बहुत कम पैसा है और जिनके पास बहुत बड़ा निवेश है।

तकनीकी विश्लेषण क्या है?

तकनीकी विश्लेषण क्या है? तकनीकी विश्लेषण विधि मौलिक विश्लेषण क्या है? बुनियादी विश्लेषण उपकरण तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण के बीच अंतर

तकनीकी विश्लेषण तकनीकी विश्लेषण स्टॉक मार्केट विश्लेषण का एक अध्ययन है। एल्गोरिदम और गणितीय प्रक्रियाओं के माध्यम से ग्राफिक्स, डेटा और पैटर्न का उपयोग करें। लघु, मध्यम, और दीर्घकालिक बाजार मूल्य की भविष्यवाणी करने की क्षमता, हालांकि अल्पावधि में बाजार के मूल्यांकन में तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करने की अधिक संभावना है।

तकनीकी विश्लेषण मूल रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका से था और 19 वीं शताब्दी के अंत में अर्थशास्त्री चार्ल्स हेनरी टॉड द्वारा पेश किया गया था। इसने डॉव तकनीकी विश्लेषण थ्योरी बनाई, लेकिन इसकी वास्तविक प्रगति अर्थशास्त्री राल्फ नेल्सन एलियट से हुई। जिन्होंने स्टॉक मार्केट में तकनीकी विश्लेषण लाने के लिए अपने इलियट वेव सिद्धांत का इस्तेमाल किया और फिर इसे भविष्य के बाजार में पेश किया।

तकनीकी विश्लेषण को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है: ग्राफिक विश्लेषण और एक सख्त अर्थ में विश्लेषण। ग्राफिकल विश्लेषण अन्य उपकरणों की सहायता के बिना K- लाइन चार्ट में प्रदर्शित जानकारी का विश्लेषण करता है। उपयोग संकेतकों का सख्त विश्लेषण। दूसरी ओर, कुछ मानों से निकाले गए चर का उपयोग संकेतकों के निर्माण के लिए किया जाता है।

तकनीकी विश्लेषण विधि

तकनीकी विश्लेषण अक्सर बाजार पूर्वानुमान के लिए विभिन्न उपकरणों का उपयोग करता है, जिनमें शामिल हैं:

प्रवृत्ति: विधि K- लाइन चार्ट में दो बिंदुओं की सीधी रेखा संयोजन पर आधारित है। जितनी बार इस रेखा का परीक्षण किया जाता है, यह उतना ही अधिक महत्वपूर्ण होता है। तकनीकी पैटर्न: ये ग्राफ में मौजूद ग्राफ होते हैं, जिन्हें अलग-अलग तरीकों से वर्गीकृत किया जाता है और भविष्य कहनेवाला मूल्य होता है। निराशा: मूल्य में प्रतिशत परिवर्तन का एक उपाय है निराशा। सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रतिशत 50% है। दोलन: इनका उपयोग बाजार में अधिक विकसित और / या बिक्री की स्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है। मूविंग एवरेज: ये ऐसे मेट्रिक्स हैं जो यह पता लगाने के लिए सिग्नल खरीदना और बेचना चाहते हैं कि क्या कोई ट्रेंड अभी भी मान्य है।

इनमें से प्रत्येक उपकरण तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से बाजार के रुझान को समझता है।

मौलिक विश्लेषण क्या तकनीकी विश्लेषण है?

फंडामेंटल एनालिसिस भी स्टॉक मार्केट एनालिसिस से जुड़ी एक विधि है, जिसके जरिए किसी एसेट की सही कीमत मांगी जाती है। यहां, हम विभिन्न कारकों का विश्लेषण करते हैं जो कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। मौलिक विश्लेषण में विचार किए गए विभिन्न कारक वे हैं जो बाजार की संपत्ति की कीमत में बदलाव का कारण हो सकते हैं। इसलिए, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए।

मूल विश्लेषण उपकरण

मौलिक विश्लेषण संपत्ति के वास्तविक मूल्य को पकड़ने के लिए डिज़ाइन किया गया है; इस प्रकार के मूल्यों की गणना करने के लिए उपलब्ध उपकरण हैं:

अनुपात की गणना। कंपनी मूल्यांकन प्रौद्योगिकी पर्यावरण विश्लेषण सामान्य आर्थिक जानकारी कोई भी जानकारी जो उत्पाद का मूल्य बदलती है

तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण क्या है? असहमति चित्रण

तकनीकी विश्लेषण और मौलिक विश्लेषण के बीच अंतर

मौलिक विश्लेषण विभिन्न राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक संदर्भों का विश्लेषण करता है जो भविष्य के बाजार मूल्य निर्धारित कर सकते हैं। इसलिए, तकनीकी विश्लेषण के विपरीत, मौलिक विश्लेषण विशुद्ध रूप से भविष्य के बाजार पूर्वानुमानों पर केंद्रित है। विभिन्न बाहरी और आंतरिक परिदृश्यों का मूल्यांकन करें जो स्टॉक की कीमतों को बदल सकते हैं। यद्यपि तकनीकी विश्लेषण K- लाइन चार्ट, मॉडल और डेटा पर अधिक आधारित है, लेकिन यह स्टॉक मार्केट विश्लेषण में मौलिक विश्लेषण के मूल्य कारकों को ध्यान में नहीं रखता है।

यद्यपि बुनियादी विश्लेषण का एक मजबूत सैद्धांतिक आधार है, सांख्यिकी के क्षेत्र में अकादमिक शोध निर्धारित किया गया है; भविष्य की संपत्ति की कीमतों की भविष्यवाणी करने में मौलिक विश्लेषण से बेहतर तकनीकी विश्लेषण है।

सूचना का स्रोत: TECNOLOGIA से 0x जानकारी तकनीकी विश्लेषण से संकलित। कॉपीराइट लेखक के स्वामित्व में है और बिना अनुमति के पुन: पेश नहीं किया जा सकता है।

तकनीकी विश्लेषण क्या है वर्णन करें, ( What तकनीकी विश्लेषण is meant by technical analysis? )

टेक्निकल एनालिसिस वह है जब किसी स्टॉक कि पिछला मूल्य ( past price ) क़ो देखकर यह अनुमान लगाना कि भविष्य (future ) मे उसका कीमत (price) क्या होगा.इसमें यह देखा जाता है कि भविष्य मे शेयर ऊपर जायेगा या निचे.

टेक्निकल एनालिसिस मे close price, open price, high, low, support, resistance, demand, supply, past price आदि का भी एनालिसिस किया जाता है.

Assumptions of Technical Analysis । तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं

Assumptions of Technical Analysis । तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं

Hi मित्रों, आज हम Assumptions of Technical Analysis । तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं कोनसी है ? इस टॉपिक्स पर चर्चा करेंगे ।

Table of Contents

आज से हम Technical Analysis की basics जानकारी आसन शब्दों में आपको देंगे , जिससे इस विषय का ज्ञान को आप सरलता से पा सके।

हमने हमारे पिछले पोस्ट में Fundamental Analysis और Technical Analysis क्या है ? उस बारे में जानकारी दी थी। जिसे आप निचे दिए गए Link को click कर के पढ़ सकते हो, जिससे आपको Technical Analysis के बारेमे ज्यादा जानकारी प्राप्त होगी ।

Technical Analysis , काफी प्रचलित analysis तकनीकी विश्लेषण है और काफी Traders और Investors इसे इस्तेमाल करते है।

यह Analysis के द्वारा, यह पता कर सकते की, Market में Stocks कोनसा और कब खरीदना या बेचना है. Technical Analysis में पिछले साल का Price और Volume के data को, Charts के रूप में analysis किया जाता है।

अब हम Assumptions of Technical Analysis: तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं कोनसी है, उसे हम विस्तार से जानेंगे ।

Assumptions of Technical Analysis: तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं

  1. Market discount Everything
  2. Price moves in trends
  3. History repeats itself

अब सब धारणाओं को एक एक करके विस्तार से जानेंगे ।

1> Market discount Everything

यह कथन Market discount Everything का अर्थ है की, मार्केट या स्टॉक्स में जो प्राइस अभी चल रहा है, वह Fundamentally , politically , economically, अथवा और कोई भी information , हाल में चल रहे उसके प्राइस में discount हुई होती है ।

यानि की मानलो, कोई बड़ी खबर स्टॉक्स के बारे में आने वाली हो तब, कोई भी informative source, अगर उसको खरीद रहा हो तो, उसके Price , Volume ,Patterns ,Demand-Supply के बदलाव से Technical Analyst को पता चल जाता है।

2> Price Moves in Trends

Technical Analysis की दूसरी धारणा यह है की स्टॉक्स का प्राइस हमेंशा trends को follow करता है. Technical Analysis में चार्ट को बनाने का उद्देश्य यही है की, मार्केट का या स्टॉक्स के trends का पता पहेले से ही कर सके।

और पता कर सके की, वह उप्पर की तरफ जायेगा या निचे की तरफ, जिससे उस स्टॉक्स या मार्केट में trades कर सके।

Market या Stocks, के trends की दिशा एक तरफ ही रहती है, जब तक की उसको उल्टा न जाये। Technical Analyst, उस trends अनुमान लगाते है,की वह Short Term है , Medium Term है या Long Terms।

3> History Repeats Itself

Technical Analysis की तीसरी धारणा यह है की, मार्केट या स्टॉक्स में history हमेंशा दोहराता है, चाहे वह शोर्ट टर्म हो, मीडियम टर्म हो या लॉन्ग टर्म के लिए हो।

यानि की मार्केट या स्टॉक्स का behavior बार बार repeat होते रहता है, और इस कारण से Analyst पिछले सालो के price movements , demand – supply zone , price patterns को समजने के किये उसकी गहिरी study करता है। जिससे, आने वाले future के trends को आसानी से predict कर सके।

Charts में , कही प्रकार के patterns , Channels , Top – Bottom बनते है, जो human behavior और rhythm को reflect करते है, और उसका उपयोग एक predictable results को सही साबित में करते है ।

मित्रों , यह थी Technical Analysis Assumptions: तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं – विषय की जानकारी।

आपने आज यहाँ क्या सिखा?

उम्मीद है की आपको मेरा यह आर्टिकल, Technical Analysis Assumptions: तकनीकी विश्लेषण की धारणाएं पसंद आई होगी. इसे पढ़ने के बाद, आप आसानी से समज सके होंगे के Technical Analysis Assumptions कोनसी है ।

और इसे आसानी से भी आपको समज में भी आया होगा ।

यदि आपको इस article को लेकर कोई भी और जानकारी चाहिए हैं, या कोई तरह का doubt हो तो, आप नीचे हमे comments लिख सकते हैं ।

यदि आपको यह post, पसंद आया , या कुछ नया सीखने को मिला तो Please इस post को Social Networks जैसे कि Facebook, Twitter और दुसरे Social media sites पर share करना न भूलिए ।

शेयरों का तकनीकी विश्लेषण (technical analysis)

शेयरों का तकनीकी विश्लेषण (technical analysis)

शेयर के तकनीकी विश्लेषण में उससे जुड़े सेक्टर व निश्चित समयावधि के उतार चढ़ाव और शेयरों के ट्रेडिंग वॉल्यूम और उसमें होने वाले बदलाव निश्चित समयावधि में तकनीकी विश्लेषण उनके चार्ट और उनके ग्रोथ और ट्रेंड से तकनीकी विश्लेषण किए जाते हैं । तकनीकी विश्लेषण शेयर के शार्ट टर्म या लॉन्ग टर्म (Short term or long term) अवधि में होने वाले परिवर्तन उसके उस ग्राफ को देखकर लगाए जाते हैं जो उस कंपनी के शेयर के निश्चित तकनीकी विश्लेषण समय अवधि के , वॉल्यूम, ट्रेंड, मांग और आपूर्ति के आधार पर बनाए जाते हैं।

जहां एक और फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के बेसिक और मूलभूत चीजों तकनीकी विश्लेषण को देखकर उसके शेयर की कीमत के अनुमान लगाया जाते हैं । वही इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस (technical analysis) में बाजार का अध्ययन किया जाता है।

तकनीकी विश्लेषकों का मानना है कि शेयर एक निश्चित ट्रेंड या पैटर्न को फॉलो करते हैं जोकि समय-समय पर परिवर्तित होते रहते हैं । और उसी पैटर्न में काम करते हैं कोई भी ट्रेंड तब तक फॉलो होता है जब तक उस पर बाहरी कारक प्रभाव ना डालें ।

किसी भी ट्रेंड या पैटर्न के दौरान और शेयर की डिमांड एवं सप्लाई नियम पर आधारित होती हैतकनीकी विश्लेषण करने वालों के लिए शेयर तकनीकी विश्लेषण के ट्रेंड को पहचानना और उन में होने वाले बदलाव को पूर्वानुमान लगाना काफी ज्यादा जरूरी होता है।

तकनीकी विश्लेषण की बारीकियां (The nuances of technical analysis)

निवेशकों को अधिकतर सलाह दी जाती है कि उन्हें बाजार में सही समय की पहचान पर ध्यान देने के बजाय एक निश्चित अवधि तक क्रमिक निवेश करना चाहिए और यह सलाह सही भी है । परंतु बाजार के सही समय की पहचान करने में अक्सर पुराने लोग भी मात खा जाते हैं ऐसा नहीं है कि दिग्गज खिलाड़ियों को बाजार की अनिश्चितता का पता नहीं होता है।

उसके बावजूद भी अधिक धन कमाने का लालच इनको बाजार की अनिश्चितता में डुबो देता है। प्रत्येक निवेशक बाजार से अधिक धन कमाना चाहता है और उसकी इच्छा बाजार की गतिविधियों और तकनीकी विश्लेषण उसकी चंचलता को ध्यान में रखकर तकनीकी विश्लेषण की शुरुआत हुई।

तकनीकी विश्लेषण का उद्देश्य विभिन्न निवेशकों की टाइमिंग तथा कीमतों में अपेक्षित परिवर्तन का अनुमान लगाना है। तकनीकी विश्लेषण का पूरा फोकस शेयर की कीमत उनके ट्रेडिंग वॉल्यूम पर रहता है पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुए शेयर के बदलाव उनके उतार-चढ़ाव उनसे जुड़े ट्रेडिंग वॉल्यूम के विश्लेषण करके विभिन्न प्रकार के चार्ट ग्राफ मूविंग एवरेज ट्रेंड आदि टूल बनाए जाते हैं । उनका उपयोग आगामी लघु काल, मध्यकाल, और दीर्घकालिक अवधि के दौरान शेयर के अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।

तकनीकी विश्लेषण के क्षेत्र में चार्ल्स डाउ द्वारा दिया गया सिद्धांत सर्वाधिक प्रचलित है इस सिद्धांत के तहत बाजार में प्राइमरी या बड़े परिवर्तनों को पहचानने की कोशिश की जाती है शेयर बाजार में होने वाली मूवमेंट को तीन प्रकार से समझा जा सकता है

  • प्राइमरी तथा लंबी अवधि की गति ,जो कुछ महीनों से लेकर कई वर्षों तक बनी रहती है ।
  • सेकेंडरी अथवा मध्य गति जो कि कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों तक बनी रहती है ।
  • अल्पकालिक गति या दैनिक गति जोकि कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह तक बनी रहती है ।

चार्ट का विश्लेषण (Chart analysis)

बीते कुछ दिनों मैं शेयर की कीमत उसके ट्रेंडिंग वॉल्यूम को प्रतिदिन के आधार पर दर्शाने के लिए चार्ट बनाया जाते हैं । और यह चार्ट आज काफी ज्यादा प्रचलित है। चार्ट में लाइन चार्ट बार चार्ट कैंडलेस्टिक चार्ट आदि प्रमुख है जो विभिन्न ट्रेंडिंग वॉल्यूम और कुछ दिनों के अंतराल के हिसाब से बनाए जाते हैं । जो कि लगभग सभी एक जैसी सूचनाएं देते हैं।

इन चार्ट के द्वारा शेयर के ट्रेंड और उनके पैटर्न स्कोर जानने की कोशिश की जाती है और यह अनुमान लगाए जाते हैं कि यह ट्रेंड किस समय से बना है और किस समय तक चलेगा और इस ट्रेंड में कब परिवर्तन आ सकता है इसके आधार पर निवेशक अपना निवेश करते हैं।

मल्टीबैगर स्टॉक कैसे चुने

अपवर्ड ट्रेंड (Upward trend)

इस ट्रेंड में किसी शेयर की कीमत निरंतर बढ़ती है इस प्रकार के शेयरों में शॉर्ट टर्म (short term) निवेशक शेयर को खरीद कर बाद में अच्छे दामों पर बेचकर लाभ कमाते हैं । इससे यह पता लगाया जाता है की शेयर का ट्रेडिंग वॉल्यूम और शेयरों की कीमत लगातार बढ़ रही है । और निवेशक इसमें काफी ज्यादा निवेश कर रहे हैं । परंतु यदि शेयर की कीमत में वृद्धि हो रही हो और उसके ट्रेंडिंग वॉल्यूम में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हो रही हो तो उस शहर में सट्टा बाजारी हो रही है।

डाउनवर्ड ट्रेंड (Downward trend)

जब ग्राफ्ट या चार्ट नीचे जाने लगते हैं , शेयरों की कीमत में गिरावट दर्ज होती है। तो इसे डाउनवार्ड ट्रेंड (Downward trend) कहते हैं । कई निवेशक डाउनवार्ड ट्रेंड में खरीदारी कर अच्छे दाम आने पर या अपवर्ड ट्रेंड होने पर शेयर बेचकर लाभ कमाते हैं । यहां भी ट्रेंड को पहचानना और उसकी टाइमिंग महत्वपूर्ण है क्योंकि डाउनवार्ड ट्रेंड में खरीदे गए शेयर काफी कम कीमत पर मिल जाते हैं । और भविष्य में अच्छा लाभ देते हैं।

साइडवेज ट्रेंड (Sideways trend)

जब ग्राफ या चार्ट का ट्रेंड छोटे-छोटे उतार-चढ़ाव के साथ एक जैसा दिखाई देता है। तो ऐसे ट्रेंड को Sideways trend कहा जाता है । Sideways trend के दौर में शेयरों की गति में कुछ खास मोमेंट नहीं होता है । यह यह कुछ ऊपर कुछ नीचे होता रहता है और इस दौरान इसका ट्रेंडिंग वॉल्यूम बहुत कम होता है।

ट्रेंडिंग वॉल्यूम (Trending volume)

ट्रेंडिंग वॉल्यूम का मतलब एक निश्चित समय में बाजार से खरीदे या बेचे गए शेयरों की संख्या होती है जिससे कि ट्रेंडिंग वॉल्यूम कहा जाता है।तकनीकी विश्लेषण में ट्रेंडिंग वॉल्यूम (trending volume) का बहुत महत्वपूर्ण रोल है। इससे मार्केट में एक्टिव निवेशक और बड़े निवेशकों की उपस्थिति ,अनुपस्थिति का पता चलता है। विश्लेषक ट्रेंडिंग वॉल्यूम को देखकर share के रुझान का पता लगाते हैं।

मूविंग एवरेज (Moving average)

मूविंग एवरेज पिछले कुछ दिनों की कीमतों का एवरेज होता है। जोकि उस शेयरों का मूविंग एवरेज कहलाता है यह अवधि 15 दिन 10 दिन 30 दिन 60 दिन 90 दिन या अन्य हो सकती है । इसमें उस शेयरों की प्रतिदिन की क्लोजिंग तकनीकी विश्लेषण प्राइस को कैलकुलेशन के लिए लिया जाता है ।क्योंकि बाजार में शेयरों की कीमत प्रतिदिन बदलती रहती है जिससे कि मूविंग एवरेज भी बदलता रहता है।

रेटिंग: 4.84
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 632
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *