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मुद्रा हेजिंग

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GYANGLOW

विदेशी विनिमय बाजार एक देश की मुद्रा को दूसरे देश के मुद्रा के साथ विनिमय की एक संस्था है। विदेशी विनिमय बाजार कई अलग-अलग बाजारों से बने होते हैं क्योंकि अलग-अलग मुद्राओं के बीच व्यापार होता है।

विदेशी मुद्रा बाजार का मुख्य महत्व किसी व्यवसाय का सर्वोत्तम बाजार मूल्य प्राप्त करना है। विदेशी मुद्रा बाजार एक प्रकार का वित्तीय संस्थान है जो निम्नलिखित कार्य करता है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राओं का परिसमापन : कुछ मुद्रा के लिए विनिमय दर निर्धारित करता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार और भंडार के लिए, नीलामी सेट करता है।

भारत में शेयर बाजार की निगरानी के उद्देश्य से, आमतौर पर, कॉर्पोरेट दलालों को किराए पर लेते हैं। जहां वित्तीय दलाल कंपनियों को उनके निवेश की बाजार स्थिति बनाए रखने में सहायता करते हैं।

विदेशी मुद्रा विदेशी निवेश का मूल्य निर्धारित करती है । विदेशी मुद्रा बाजार मुख्य रूप से विभिन्न मुद्राओं की खरीद और बिक्री से संबंधित है। इस बाजार के तहत एक देश की मुद्रा का दूसरे देश की मुद्रा के साथ आदान-प्रदान किया जाता है। जोखिम (हेजिंग), आर्बिट्रेज और सट्टा लाभ के प्रबंधन की दृष्टि से बाजार में विदेशी मुद्रा भी की जाती है। इस प्रकार का बाजार सापेक्ष स्थिरता के साथ अंतरराष्ट्रीय तरलता प्रदान करता है।

विदेशी मुद्रा बाजार विदेशी बचत के मूल्य को निर्धारित करने में मदद करता है। यह एक ऐसा बाज़ार है जहाँ विदेशी मुद्रा खरीदी और बेची जाती है और हम यह भी कह सकते हैं कि यह एक प्रकार की संस्थागत व्यवस्था है जहाँ विदेशी मुद्राएँ खरीदी और बेची जाती हैं। इसके तहत आयातक विदेशी मुद्रा खरीदते हैं जिसे निर्यातकों द्वारा बेचा जाता है।

वित्तीय केंद्रों में, इस प्रकार का बाजार केवल मुद्रा बाजार का एक हिस्सा होता है जहां विदेशी धन खरीदा और बेचा जाता है। विदेशी मुद्रा बाजार किसी भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह विदेशी मुद्रा का बाजार है।

विदेशी मुद्रा बाजारों में, बैंकों जैसे डीलरों की एक विस्तृत विविधता है। विदेशी मुद्रा का व्यापार करने वाले बैंकों की विभिन्न देशों में शाखाएँ होती हैं। इन्हें "एक्सचेंज बैंक" भी कहा जाता है, जहां से दुनिया भर में सेवाएं उपलब्ध हैं।

विनिमय के विदेशी बिलों पर छूट और बिक्री करना। बैंक ड्राफ्ट जारी करना। टेलीग्राफिक ट्रांसफर और क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट्स का प्रभाव। ऐसे दस्तावेजों के आधार पर राशि की वसूली।

विदेशी मुद्रा में, विदेशी बिल में बिल दलाल होते हैं जो खरीदारों और विक्रेताओं की सहायता करते हैं। बिचौलिये होने के कारण बैंक प्रत्यक्ष डीलर नहीं होते हैं।

विदेशी मुद्रा मुद्रा हेजिंग में, स्वीकृति गृह डीलर होते हैं जो ग्राहकों की ओर से बिल स्वीकार करके विदेशी प्रेषण में मदद करते हैं। विदेशी मुद्रा में, केंद्रीय बैंक और देश का खजाना भी डीलर होते हैं जो बाजार में हस्तक्षेप कर सकते हैं। विनिमय दरों का प्रबंधन इन अधिकारियों द्वारा किया जाता है। इन प्राधिकरणों द्वारा विभिन्न तरीकों से विनिमय नियंत्रण लागू किए जाते हैं। भारत में ऐसा कोई एक्सचेंज मार्केट नहीं है। भारत में सख्त विनिमय नियंत्रण प्रणाली मौजूद है।

यह कार्य वित्त और क्रय शक्ति को एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरित करना है। विदेशी बिलों के माध्यम से प्रेषण जो टेलीग्राफिक हस्तांतरण के माध्यम से किए गए थे, इस प्रकार के हस्तांतरण प्रभावित होते हैं।

दो देशों के बीच क्रय शक्ति के हस्तांतरण को पूरा करने के उद्देश्य से, एक मुद्रा को दूसरी मुद्रा में बदलने की सुविधा प्रदान करना।

विभिन्न क्रेडिट इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से ट्रांसफर क्रय शक्ति प्रभावित होती है जैसे टेलीग्राफिक ट्रांसफर, बैंक ड्राफ्ट और विदेशी बिल।

दूसरी मुद्राओं की तुलना में रुपये की गिरावट सीमित

दूसरी मुद्राओं की तुलना में रुपये की गिरावट सीमित

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। ग्लोबल अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल से बीते दिनों में डॉलर के मुकाबले भले ही रुपये के मूल्य में तेजी से गिरावट आई हो लेकिन अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं की तुलना में यह गिरावट काफी कम है। डॉलर के मुकाबले विभिन्न देशों की मुद्राओं में बीते एक साल के दौरान आए उतार-चढ़ाव का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि भारत की तुलना में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की जैसे देशों की मुद्रा के मूल्य में अधिक गिरावट दर्ज हुई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये में गिरावट का तात्कालिक रूप से ज्यादा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा। अगर यह गिरावट ज्यादा अधिक रहती है तो आयात बिल बढ़ जाएगा।

विदेशी मुद्रा विनिमय के आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि जनवरी 2015 से जनवरी 2016 के बीच डॉलर के मुकाबले सबसे ज्यादा गिरावट ब्राजीलियन रीएल में 53 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीकी रेंड में 40 प्रतिशत दर्ज की गई है। वहीं दक्षिण कोरियाई मुद्रा वान में 10 प्रतिशत, तुर्की की लीरा में 28 प्रतिशत, चीन की मुद्रा युआन में 5.43 और रुपये में 7.73 प्रतिशत दर्ज की गई है।

राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका पांडेय का कहना है कि अन्य उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से तुलना करें तो रुपये में उतनी गिरावट दर्ज नहीं हुई है। यह 2008 और 2013 के मुकाबले भी कम है। इसकी वजह यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था वस्तुओं के निर्यात पर निर्भर नहीं है। दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की मुद्रा में अधिक गिरावट इसलिए आई है क्योंकि ग्लोबल बाजार में वस्तुओं के दाम गिरने से उनके निर्यात में कमी आई है। इससे उनकी मुद्रा का अवमूल्यन हुआ है।

उल्लेखनीय है कि डॉलर के मुकाबले रुपये का मूल्य 68 को पार करते हुए वृहस्पतिवार को 68.02 पर बंद हुआ था जो अगस्त 2013 के बाद न्यूनतम स्तर है। हालांकि शुक्रवार को थोड़ा चढ़कर रुपया 67.63 पर बंद हुआ।

बहरहाल रुपये के मूल्य में अंशकालिक गिरावट का तत्काल निर्यात पर कुछ खास असर पड़ने की आशंका नहीं है। एपरेल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के अतिरिक्त महासचिव विजय माथुर का कहना है कि आमतौर पर रुपये में अचानक उतार-चढ़ाव से निर्यातकों पर कुछ खास असर नहीं पड़ता। बड़े निर्यातक पहले से भविष्य में जोखिम के मद्देनजर डॉलर की हेजिंग करते रखते हैं। हेजिंग का मतलब यह है कि अगर डॉलर के दाम घटते या बढ़ते हैं तो भी उस निर्यातक को हेजिंग का ही मूल्य मिलेगा। हालांकि छोटे निर्यातकों को गिरावट का अप्रत्याशित फायदा हो जाता है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने से उन्हें रुपये में अधिक राशि प्राप्त हो जाती है।

हालांकि रुपये के मूल्य में गिरावट अगर लंबे समय तक जारी रहती है तो इससे आयात बिल बढ़ जाएगा। साथ ही विदेश पढ़ने और घूमने जाने वाले लोगों की जेब पर भी इसका असर पड़ेगा।

विदेशी मुद्रा कई व्यापारियों के साथ इतना लोकप्रिय क्यों है?

लाखों सक्रिय व्यापारियों के साथ, विदेशी मुद्रा बाजार (विदेशी मुद्रा) दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार है। और प्रौद्योगिकी के विकास ने उनमें से कई को साइबर स्पेस में लेनदेन का उपयोग करते देखा है। इस स्थिति के परिणामस्वरूप अधिक से अधिक सोशल मीडिया पोस्ट और ऑनलाइन विज्ञापन लोगों को विदेशी मुद्रा प्लेटफार्मों पर व्यापार करने के लिए आमंत्रित करते हैं।

फिर भी, उनमें से कई अभी भी परिभाषा नहीं जानते हैं फॉरेक्स क्या है, यह कैसे काम करता है, और क्यों विदेशी मुद्रा एक लोकप्रिय निवेश अवसर है। लेख लोकप्रिय मुद्राओं सहित विदेशी मुद्रा बाजार का एक सिंहावलोकन प्रदान करेगा और क्यों विदेशी मुद्रा व्यापारियों के साथ लोकप्रिय है।

विदेशी मुद्रा परिभाषा और यह कैसे काम करता है

विदेशी मुद्रा विभिन्न देशों के मुद्रा जोड़े हैं। विदेशी मुद्रा बाजार वह जगह है जहां व्यापारी दुनिया भर की मुद्राओं को खरीदते और बेचते हैं।

विदेशी मुद्रा व्यापार करने के लिए, आपको यह जानना होगा कि कौन सी मुद्रा बेची जा रही है और विनिमय दर। विनिमय दर एक मुद्रा की कीमत दूसरे के सापेक्ष है।

जब आप विदेशी मुद्रा व्यापार करते हैं, तो आप एक मुद्रा खरीद रहे हैं और दूसरी बेच रहे हैं। उदाहरण के लिए, जब आप EUR/USD जैसी मुद्रा जोड़ी देखते हैं, तो यह दर्शाता है कि 1 EUR को खरीदने में कितने USD लगते मुद्रा हेजिंग हैं।

इतने सारे व्यापारी विदेशी मुद्रा क्यों पसंद करते हैं?

विदेशी मुद्रा व्यापार के कई लाभ हैं, जिसमें सुविधाजनक बाजार व्यापार घंटे, उच्च तरलता और मार्जिन पर व्यापार करने की क्षमता शामिल है।

विभिन्न मुद्रा जोड़े खरीदने या कम करने की संभावना

आप दूसरी (आधार मुद्रा) खरीदने के लिए हमेशा एक मुद्रा (उद्धरण मुद्रा) बेच सकते हैं। एक विदेशी मुद्रा जोड़ी की कीमत बोली मुद्रा के संदर्भ में आधार मुद्रा की एक इकाई का मूल्य है। आपका लाभ या हानि इस बात पर निर्भर करेगा कि आप कितनी अच्छी तरह सही भविष्यवाणी करते हैं।

विदेशी मुद्रा बाजार व्यापार 24/5

विदेशी मुद्रा (एफएक्स) बाजार दिन में 24 घंटे, सप्ताह में 5 दिन खुला रहता है - शाम 5 बजे ईएसटी रविवार से शाम 4 बजे ईएसटी शुक्रवार तक।

चूंकि विदेशी मुद्रा एक वैश्विक बाजार है, आप हमेशा सत्र के विभिन्न सक्रिय विदेशी मुद्रा व्यापार घंटों का लाभ उठा सकते हैं।

लंदन, न्यूयॉर्क, सिडनी और टोक्यो में बैंकों के खुलने के समय से मेल खाने वाले प्रत्येक दिन चार मुख्य व्यापारिक सत्र होते हैं। इनमें से प्रत्येक सत्र में और विशेष रूप से सत्र ओवरलैप होने पर बड़ी मात्रा में लेन-देन होता है।

विदेशी मुद्रा में उच्च तरलता है

विदेशी मुद्रा बाजार दुनिया में सबसे अधिक तरल बाजार है, जिसका अर्थ है कि बड़ी संख्या में खरीदार और विक्रेता हैं जो किसी भी समय व्यापार करना चाहते हैं। प्रत्येक दिन, व्यक्तियों, कंपनियों और बैंकों द्वारा $5,1 ट्रिलियन से अधिक की मुद्राओं को परिवर्तित किया जाता है - और इसका अधिकांश भाग लाभ के लिए होता है।

उच्च तरलता के साथ, विदेशी मुद्रा लेनदेन जल्दी और आसानी से पूरा किया जा सकता है। नतीजतन, लेन-देन की लागत, या स्प्रेड, आमतौर पर बहुत कम होते हैं। यह व्यापारियों को केवल कुछ पिप्स के मूल्य आंदोलनों पर सट्टा लगाने का अवसर देता है।

इसके अलावा, उच्च तरलता भी व्यापारियों के लिए ट्रेडों में जल्दी और आसानी से प्रवेश करना और बाहर निकलना संभव बनाती है।

विदेशी मुद्रा बाजार अत्यधिक अस्थिर है, जिससे कई व्यापारिक अवसर पैदा होते हैं

मुद्रा लेनदेन की उच्च दैनिक मात्रा अरबों डॉलर प्रति मिनट में चलती है, जो कुछ मुद्राओं के मूल्य आंदोलनों को बेहद अस्थिर बनाती है। आप ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में कीमतों में उतार-चढ़ाव का अनुमान लगाकर बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

उत्तोलन का उपयोग लाभ बढ़ाने के लिए किया जा सकता है

विदेशी मुद्रा में उत्तोलन आपको स्थिति के पूर्ण मूल्य का केवल एक छोटा प्रतिशत भुगतान करके मुद्रा बाजार में एक स्थिति खोलने की अनुमति देता है।

मार्जिन ट्रेडिंग अपेक्षाकृत छोटे निवेश से बड़ा मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करती है। हालाँकि, यह किसी भी नुकसान को बढ़ा सकता है। इसलिए, ट्रेडिंग से पहले लीवरेज्ड फॉरेक्स पोजीशन के कुल मूल्य पर विचार करना आवश्यक है।

विदेशी मुद्रा के साथ हेजिंग ट्रेडिंग

हेजिंग ट्रेडिंग कई रणनीतिक पदों को खोलकर, विदेशी मुद्रा बाजार में अवांछित चाल के जोखिम को कम करने की एक तकनीक है। हेजिंग ट्रेडिंग नुकसान को कम करने या नुकसान को एक ज्ञात राशि तक सीमित करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

विदेशी मुद्रा बाजार क्यों महत्वपूर्ण है?

विदेशी मुद्रा बाजार के बिना विश्व अर्थव्यवस्था ठप हो जाएगी, क्योंकि मुद्राओं की विनिमय दरों को निर्धारित करने के लिए पर्याप्त तंत्र नहीं होगा। इसके अलावा, इसके परिणामस्वरूप कुछ देशों ने बड़े पैमाने पर विनिमय दरों में हेरफेर किया है, जिससे विनिमय दर में बड़े असंतुलन पैदा हुए हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था.

इसलिए, भविष्य में, विदेशी मुद्रा बाजार की संभावनाएं बहुत बड़ी हैं। यह बाजार कभी भी रोमांचक नहीं रहेगा, निवेशकों के लिए बहुत सारे लाभदायक व्यापारिक अवसर पैदा करेगा।

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देश में बैठे-बैठे विदेशी बैंक से ले सकतें हैं सस्ते कर्ज

सेमिनार में मुख्य वक्ता जसपाल सिंग गिद्दी ने बताया कि विदेशी व्यापर में रिस्क क्या है, इससे कैसे मिटीगेट किया जा सकता है। भारत सरकार ने क्या क्या सुविधाएं एक्सपोटर्स को मुहैया करवाई है. उन्होंने कहा कि नीरव मोदी केस के बाद से बैंक ने बायर्स क्रेडिट को पूर्णत: बंद कर दिया है तथा इम्पोटेर्स को अब यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. लेकिन इसके विकल्प के रूप में अब बैंक नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट उपलब्ध करा रही है. पहले इम्पोर्टर्स के लिए बायर्स क्रेडिट उपलब्ध थी परन्तु आज सप्लायर क्रेडिट सबसे बढिय़ा विकल्प के रूप में उपलब्ध है. आज आप देश में बैठे-बैठे विदेशी बैंक से सस्ते कज़ऱ् ले सकते है.

यह कर्ज लिबोर रेट पर दिया जाता है. जैसे भारत में एमसीएलआर पर कज़ऱ् दिया जाता है वैसे ही विदेशो मैं लिबोर रेट यानि लंदन इंटरबैंक ऑफर रेट पर लोन दिया जाता है. यह रेट एक परसेंट के आस पास होता है. एक्सपोर्टर्स के लिए भारत में एक्सपोर्ट पैकिंग क्रेडिट फैसिलिटी दी जाती है जिसमें 3त्न का इंटरेस्ट सबवेंशन सरकार द्वारा दिया जाता है। यानी प्रभावी रेट 6 से 7 प्रतिश के बीच आती है। सरकार ने एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए 4 प्रइतश मर्चेंडाइज एक्सपोर्टस फ्रॉम इंडिया स्कीम का रिफंड भी एक्सपोर्टर्स को दिया जाता है.

विदेशी मुद्रा की हेजिंग जरूरी

उन्होंने बताया कि पिछले एक महीने में डॉलर का रेट बहुत ही बढ़ गया है जो कि जुलाई के रेट करीबन 64 से बढ़कर आज 73.5 हो गया है. ऐसे में विदेशी मुद्रा की हेजिंग बहुत ही जरुरी है इसके लिए बैंक के बहुत सारे प्रोडक्ट अवेलेबल है. आजकल बैंक लोन उपलब्ध कराते समय ही हेजिंग को कंपल्सरी कर रही है जिससे व्यापारी को नुकसान न हो और बैंक का पैसा सेफ रहे.

फाइनेंस के बहुत टूल्स उपलब्ध

इंदौर सीए शाखा के चेयरमैन सीए अभय शर्मा ने बताया कि आज के मार्केट कंडीशन में फॉरेन करेंसी लोन एवं फॉरेन करेंसी एक्सपोजऱ, डॉलर प्राइस में उतार चढ़ाव आने से बिजऩेस पर्सन को काफी नुकसान हो रहा है. फॉरेन करेंसी फाइनेंस मार्केट में फाइनेंस के बहुत सारे टूल्स उपलब्ध है जिससे फॉरेन करेंसी फाइनेंसिंग में फॉरेन करेंसी फ्लुचूएशन के नुकसान से बचा जा सकता है. कार्यक्रम का संचालन ब्रांच सचिव सीए हर्ष फिऱोदा ने किया. इस अवसर पर सीए राजेन्द्र जैन, सीए पराग जैन, सीए भव्य मंत्री सहित बड़ी संख्या में सीए मौजूद थे।

मजबूत डॉलर से फर्मों का बचाव

रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा समूह, भारती एयरटेल और आदित्य बिड़ला जैसे प्रमुख भारतीय औद्योगिक समूहों ने रुपये के मूल्य में आ रही गिरावट के बावजूद अमेरिकी डॉलर से जुड़ी कमाई अपनी लागत की हेजिंग करने में कामयाबी पाई है ताकि उन्हें वित्तीय कवर मिले। मंगलवार को रुपये ने डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के स्तर को पार कर लिया।

अधिकांश शीर्ष कंपनियों ने जनवरी के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य में 7 प्रतिशत की गिरावट को देखते हुए कवर को आगे बढ़ाया है। बजाज समूह के पूर्व वित्त निदेशक प्रबल बनर्जी ने कहा, ‘सतर्कता भरे कदम उठाने वाली सभी कंपनियों ने डॉलर के मुकाबले रुपये के कमजोर होने पर अग्रिम कवर लिया है।’ आदित्य बिड़ला समूह अपनी 60 अरब डॉलर की वार्षिक कमाई का आधा हिस्सा विदेशों से कमाता है। समूह की कंपनियों में सीमेंट निर्माता कंपनी अल्ट्राटेक के कुल कर्ज का एक चौथाई हिस्सा अमेरिकी डॉलर में है और इसने पूरी राशि पर कवर को आगे बढ़ाया है।

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस साल मार्च में खत्म हुए वित्त वर्ष में निर्यात के माध्यम से 2.54 लाख करोड़ रुपये की कमाई की और इसकी कुल कमाई 4.66 लाख करोड़ रुपये रही। रिलायंस की अधिकांश विदेशी मुद्रा उधारी (कुल ऋण का 40-45 प्रतिशत) तेल से लेकर रसायन से जुड़े कारोबारों के लिए हैं जिसमें स्वाभाविक रूप से मुद्रा हेजिंग हेजिंग का अच्छा रुझान होता क्योंकि इनकी कमाई और लागत अमेरिकी डॉलर में अंकित होती है।

टाटा समूह की कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022 में 9.6 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया। राजस्व का आधा हिस्सा विदेश में कार निर्माता कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) और टाटा स्टील यूरोप द्वारा सॉफ्टवेयर निर्यात या बिक्री के रूप में मिला था। टाटा मोटर्स का अधिकांश विदेशी मुद्रा ऋण पूर्ण स्वामित्व वाली ब्रिटेन की सहायक कंपनी जेएलआर में है जो अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड और यूरो में कमाई करती है। टाटा मोटर्स और मध्यवर्ती होल्डिंग कंपनी टीएमएल होल्डिंग्स में कुछ विदेशी मुद्रा ऋण की भी पूरी तरह से हेजिंग की गई है। कुल कर्ज में से लगभग 80-85 फीसदी कर्ज अमेरिकी मुद्रा में है। टाटा स्टील विदेशी मुद्रा निवेश की हेजिंग करती है क्योंकि इसके ऋण का लगभग 35 प्रतिशत से 40 प्रतिशत अमेरिकी मुद्रा में है। टाटा स्टील के विदेशी मुद्रा ऋण का एक हिस्सा यूरो में है और यह कर्ज इसकी सहायक कंपनी, टाटा स्टील यूरोप पर है। कंपनी के पास 2.3 अरब डॉलर का ऋण और इसकी भारतीय इकाई ने 30 करोड़ डॉलर का ऋण चुकाया है।

रेटिंग कंपनी मूडीज के अनुसार, भारत में इस्पात की कीमतें आयात समता के आधार पर निर्धारित की जाती हैं और इनका संबंध अंतरराष्ट्रीय कीमतों मुद्रा हेजिंग से भी जुड़ा होता है जिससे एक स्वाभाविक हेजिंग हो जाती है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस साल मार्च तक कंपनियों द्वारा लिए गए भारत के विदेशी मुद्रा ऋण का लगभग 44 प्रतिशत की कोई हेजिंग नहीं की गई है।

रुपये के अवमूल्यन का असर उन कंपनियों पर नकारात्मक पड़ेगा जो रुपये में कमाई करती हैं लेकिन फंडिंग के लिए उनकी निर्भरता अमेरिकी डॉलर पर है। इसके अलावा इसका नकारात्मक असर खासतौर पर उन कंपनियों पर पड़ेगा जिनकी डॉलर पर आधारित लागत है मसलन कच्चा माल और पूंजीगत खर्च आदि।

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि निर्यातकों को डॉलर में मजबूती से फायदा मिलेगा क्योंकि उनकी सेवाएं या उत्पाद सस्ते होंगे। ऐसे में वे वैश्विक बाजार में और प्रतिस्पर्द्धी होंगे। हालांकि मौजूदा वृहद अर्थव्यवस्था वाले माहौल में इसका लाभ सीमित होगा क्योंकि वैश्विक स्तर पर मांग में कमजोरी है और कीमतें भी बढ़ रही हैं।

वेदांत के लिए स्वाभाविक हेजिंग भारतीय मुद्रा में ही है, लेकिन यह घरेलू बिक्री के लिए आयात समता मूल्य निर्धारण और बेंचमार्क कीमतों पर निर्यात राजस्व के लिए अमेरिकी डॉलर पर निर्भर है। मूडीज ने कहा कि इसका करीब 60 फीसदी ऋण डॉलर में है और इसके मुताबिक ‘नकदी की कमजोर स्थिति और दोबारा फंडिंग पाने में बढ़ते जोखिम की वजह से इसकी स्थिति नकारात्मक बनी है।’

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