क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं

वन करेंसी कार्ड आपको बढ़ी हुई दर पर मुद्रा कनवर्ज़न चार्ज से सुरक्शित करते हैं। विदेश यात्रा पर जाते समय यदि होटल और फ्लाइट पर अच्छी डील मिल जाती है तो विदेश यात्रा कि लागत कम हो जाती है। इस लागत को आप विदेशी मुद्रा विनिमय पर भी बचा सकते हैं। थॉमस कुक ने मास्टर कार्ड के साथ मिलकर सस्ती दर पर यात्रा करेंसी कार्ड कि व्यवस्था करता है जिससे आपकी यात्रा बिना परेशानी के सम्पन्न हो सकती है। इसके साथ ही यह कार्ड आपको विदेश यात्रा करते समय विभिन्न देशों में जाने पर मुद्रा विनिमय शुल्क से भी बचाव करता है जो सामान्य रूप में 3% से 4% तक हो सकता है। थॉमस कुक का वर्षों का अनुभव विश्व स्तर कि सुविधाएं देने में दक्ष हो गया है। तो बिना देर किए अपनी यात्रा के अनुभव को सुखमय बनाएँ और थॉमस कुक के साथ फोरेक्स कार्ड लेकर अपने आनंद को दुगुना कर दें। विदेश यात्रा को सुखमय बनाने के लिए उपयोगी टिप्स ज़रूर पढ़ें।
संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा करने के लिए कितना खर्च होता है?
संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा में एक यात्री के लिए औसतन 200,705, एक जोड़े के लिए 200,842 और चार सदस्यों वाले परिवार के लिए $3,652 का खर्च आता है। संयुक्त राज्य में होटलों की कीमत औसतन $63 और $289 प्रति रात के बीच है। जबकि पूरे घर के लिए अधिकांश छुट्टी किराया $ 190 से $ 630 प्रति रात तक क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं भिन्न होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक राउंड-ट्रिप टिकट की औसत लागत इकोनॉमी क्लास के लिए $655 और $992 के बीच है। दिन की गतिविधियों क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं के आधार पर, हम यात्रा और खाने के लिए प्रत्येक दिन प्रति व्यक्ति $48 और $98 के बीच खर्च कर सकते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की एक सप्ताह की यात्रा की लागत 200,577 एफया एक व्यक्ति। इस प्रकार, दो लोगों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की एक सप्ताह भर की यात्रा लगभग $ 3,154. संयुक्त राज्य अमेरिका में, दो व्यक्तियों के लिए दो सप्ताह की यात्रा की लागत $6,308 है। जब तीन या चार का परिवार यात्रा करता है, तो लागत कम हो जाती है क्योंकि बच्चे के टिकट कम महंगे होते हैं। इसके ऊपर, होटल के कमरे कर सकते हैं साझा किया जाए . यदि आप अधिक ड्राइव करते हैं तो आपका दैनिक बजट कम हो जाएगा धीरे से अधिक दूरी पर।
रुपये में गिरावट से जेब पर पड़ता है सीधा असर
रुपये में क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं गिरावट का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है। विदेश से आयात होने वाली वस्तुओं के लिए डॉलर में भुगतान करना होता है और आयातकों को अधिक पैसा चुकाना पड़ता है। ऐसे में आयातित सामान और महंगे हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर तेल आयात महंगा होने से सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है। इसी तरह अन्य आयातित वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं और लोगों को इनकी खरीद के लिए अधिक पैसा चुकाना पड़ता है।
रुपये में गिरावट से कीमतें बढ़ती हैं और यह महंगाई की दर बढ़ाती है। बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण RBI को रेपो रेट में परिवर्तन करना पड़ता है। गत बुधवार को रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे बैंक ऋण दर भी बढ़ती है और लोगों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। इससे लोग बैंक से ऋण लेने में कतराते हैं और बाजार में भी कम पैसा होता है। इससे अर्थव्यवस्था चरमराती है।
कार और अन्य सामानों की कीमतों में इजाफा
रुपये की गिरावट के साथ आयातित लक्जरी कार और उनके उपकरण भी महंगे होने लगते हैं। इसके अलावा आयातित फोन, उनसे जुड़े उपकरण और अन्य इलेक्टि्रक उत्पादों की कीमतों में इजाफा होता है और अधिक पैसा चुकाना पड़ता है।
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट शेयर बाजार को भी प्रभावित करती है। गिरते रुपये से इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट नजर आती है और शेयर तथा इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में कमी आती है। इसी तरह विदेशी शिक्षा अधिक महंगी हो जाती है। लोगों को विदेशी शिक्षा के लिए कॉलेजों के लिए डॉलर में पैसा खर्च करना होता है और रुपये में गिरावट से उन्हें अधिक पैसा देना होता है। ऐसे में विदेशी शिक्षा का बजट गड़बड़ा जाता है।
विदेश यात्रा और विदेशी कमाई पर भी पड़ता है असर
रुपये की गिरावट का सीधा असर विदेश यात्रा के बजट पर भी पड़ता है। विदेशों में घूमने के लिए लोगों को डॉलर का इस्तेमाल करना होता है। ऐसे में उन्हें डॉलर के लिए अधिक रुपया खर्च करना होता है। इससे उनकी पूरी विदेश यात्रा का बजट बिगड़ जाता है। हालांकि, रुपये में गिरावट से विदेशों में काम करने वाले लोगों का फायदा होता है। भारत में पैसा भेजते समय उन्हें डॉलर के मुकाबले क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं अधिक भारतीय रुपया मिलता है।
भारतीय रुपये की कीमत गिरने के कई कारण है। इसका एक अहम कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वजहों से सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश बढ़ा है। इसके अलावा भारत से विदेशी निवेश के जाने और घरेलू बाजार में विदेशी निवेश के कम होने का असर भी रुपये पर पड़ा है। अकेले गुरूवार को विदेशी निवेशकों ने लगभग 2,075 करोड़ रुपये की कीमत के शेयर बेचे।
जानना जरूरी है: 2021 में एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा बनी भारतीय रुपया, जानिए देश पर इसका क्या असर होगा?
नई दिल्ली। भारत के लिए साल 2021 कुछ अच्छा नहीं रहा। क्योंकि पहले GDP में गिरावट और अब साल के अंत तक भारतीय रूपया एशिया का सबसे कमजोर करंसी बन गया है। दरअसल, कोरोना के चलते विदेशी फंड देश के शेयरों से पैसा निकाल रहे हैं, जिसका बुरा असर साफतौर पर भारतीय मुद्रा पर पड़ा है।
विदेशियों ने 4 अरब डॉलर निकाल लिए
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारतीय करेंसी में 2.2 फीसदी की गिरावाट दर्ज की गई है। जानकार बता रहे हैं कि वैश्विक फंडों ने देश के शेयर बाजार से कुल 4 अरब डॉलर निकाल लिए। जो आसपास के क्षेत्रीय बाजारों में सबसे अधिक राशि है। इसका असर ये हुआ कि एशिया के सबसे कमजोर करंसी में भारतीय रूपया शामिल हो गया।
संबन्धित पूछे जाने वाले प्रश्न
- फोरेक्स कार्ड क्या है
फोरेक्स कार्ड एक प्रकार का प्रीपेड कार्ड होता है जिसका प्रयोग विदेशी मुद्रा के रूप में भुगतान करने या पैसा निकालने के लिए किया जाता है। आप इस कार्ड का प्रयोग उस डेबिट कार्ड के रूप क्या विदेशी मुद्रा में पैसे खर्च होते हैं में भी कर सकते हैं जो आपके एकाउंट से लिंक किया गया है। फोरकेस कार्ड पर ज़ीरो या न्यूनतम शुल्क लिया जा सकता है।
फेमा अधिनियम के अनुसार, सीमाहीन प्रीपेड कार्ड और वन करेंसी कार्ड का उपयोग विदेशी मुद्रा के रूप में पैसा निकालने या भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। इस कार्ड को नेपाल, भारत और भूटान में इस्तेमाल किया जा सकता है। इन देशों के अतिरिक्त किसी अन्य देश में वेबसाइट के रजिस्टर्ड होने के कारण आप इस कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।
आपको प्रचलित बाज़ार दर और मूल्य पर विदेशी मुद्रा सरलता से प्राप्त हो सकती है। प्रीपेड फोरेक्स कार्ड आपको पहले से लेने पर आसान बाज़ार दर को लॉक करने कि सुविधा देता है।
श्रीलंका के बाद आई बांग्लादेश की बारी, खत्म होने को है विदेशी मुद्रा भंडार
श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे बड़े राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुकी है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि देश बेहद गंभीर आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है। देश के पास गैस के पैसे देने तक के पैसे नहीं है।
श्रीलंका आजादी के बाद से सबसे बड़े राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो चुकी है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि देश बेहद गंभीर आर्थिक समस्या का सामना कर रहा है। देश के पास गैस के पैसे देने तक के पैसे नहीं है। इसके साथ ही देश में बस एक दिन का पेट्रोल बचा है। इस बीच खबर है कि भारत के एक और पड़ोसी देश बांग्लादेश की हालत भी ठीक नहीं है। बांग्लादेश के पास विदेशी मुद्रा भंडार कम हो चुका है। बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की खबर के बाद सरकार ने वाशिंग मशीन, स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल, एयर कंडीशन और रेफ्रिजेरेटर के आयात पर रोक लगा दी है।