स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है

बोलिंजर बैंड एक संकेतक है जिसका उपयोग बाजार की अस्थिरता का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
इस प्राइवेट बैंक ने दिया आपने कस्टमर्स को तोहफा! अब FD पर मिलेगा 8% के करीब ब्याज
इसी क्रम में प्राइवेट सेक्टर लेंडर फेडरल बैंक (Federal Bank) ने 2 करोड़ रुपये से अधिक के बल्क एफडी (2 करोड़ रुपये से स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है अधिक की FD) पर इंटरेस्ट रेट को बढ़ा दिया है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसे निवेश करना अभी भी सबसे सुरक्षित विकल्प माना जाता है। अपने पैसे को एफडी में निवेश करने पर आपको एक निश्चित अवधि के बाद गारंटीड रिटर्न मिलता है। इसी क्रम में प्राइवेट सेक्टर लेंडर फेडरल बैंक (Federal Bank) ने 2 करोड़ रुपये से अधिक के बल्क एफडी (2 करोड़ रुपये से अधिक की FD) पर इंटरेस्ट रेट को बढ़ा दिया है। इंटरेस्ट रेट में इस इजाफे के बाद फेडरल बैंक अपने ग्राहकों को 7 दिन से लेकर 5 साल से अधिक की बल्क एफडी पर 4.25 पर्सेंट से 6.50 पर्सेंट का ब्याज देगा। जबकि बैंक सबसे ज्यादा 7.29 पर्सेंट का ब्याज 1 साल 1 दिन से 15 महीने की बल्क एफडी पर दे रहा है। बैंक की बढ़ी हुई नई ब्याज दरें 28 नवंबर से लागू है।
फेडरल बैंक की बढ़ी हुई नई ब्याज दरें
बल्क डिपॉजिट रेट में इजाफे के बाद फेडरल बैंक अपने ग्राहकों को 7 दिन से 14 दिन की डिपॉजिट पर 4.25 पर्सेंट, 15 दिन से 29 दिन के डिपॉजिट पर 4.75 पर्सेंट, 30 दिन से 45 दिन के डिपॉजिट पर 5 पर्सेंट, 46 दिन से 60 दिन के डिपॉजिट पर 5.25 पर्सेंट, 61 दिन से 90 दिन के डिपॉजिट पर 5.50 पर्सेंट और 91 दिन से 120 दिन के डिपॉजिट पर 6.25 पर्सेंट का ब्याज दे रहा है। वहीं बैंक 181 दिन से 270 दिन के डिपॉजिट पर 6.50 पर्सेंट, 271 दिन से लेकर 1 साल से कम के डिपॉजिट पर 6.75 पर्सेंट और 1 साल 1 दिन से 18 महीने के डिपॉजिट पर 7 पर्सेंट का ब्याज दे रहा है।
NRE टर्म डिपॉजिट पर 6.50% से 6.85% का ब्याज
इंटरेस्ट रेट में लेटेस्ट इजाफे के बाद बैंक 18 महीने से 2 साल के डिपॉजिट पर 7.15 पर्सेंट, 2 साल से 3 साल के डिपॉजिट पर 7 पर्सेंट, 3 साल से लेकर 5 साल के डिपॉजिट पर 6.75 पर्सेंट और 5 साल से ऊपर के डिपॉजिट पर 6.50 पर्सेंट का ब्याज दे रहा है। इसके अलावा फेडरल बैंक ने 2 करोड़ रुपये और उससे अधिक के NRE टर्म डिपॉजिट पर 6.50 पर्सेंट से 6.85 पर्सेंट का ब्याज देगा। हालांकि 2 करोड़ रुपये और उससे अधिक के सिंगल डिपॉजिट पर बैंक ने सीनियर सिटीजन ग्राहकों को कोई एडिशनल एडवांटेज नहीं दिया है।
Overload Relay full explain in hindi
What is Overload Relay (ओवरलोड रिले क्या है)
ओवरलोड रिले एक इलेक्ट्रिकल डिवाइस है, जिसका उपयोग हम मोटर को सेफ्टी देने के लिए करते है। इसकी वर्किंग काफी आसान होती है। यह मोटर में जाने वाले करंट को सेंस करती है। और अगर मोटर Relay पर सेट करंट से ज्यादा एम्पेयर लेती है, तो यह OLR सर्किट को ट्रिप करा देती है। इस तरह मोटर सेफ हो जाती है।
Overload relay working (OLR कैसे काम करती है)
ओवरलोड रिले के अंदर बाई मेटालिक एलिमेंट होते है। मोटर में जाने वाला करंट इन्ही बाई-मेटालिक एलिमेंट से होकर जाता है। अब अगर मोटर ज्यादा करंट लेती है, तो यह बाई मेटालिक एलिमेंट गरम होकर मुड जाते है। ऐसा होते ही सर्किट ब्रेक हो जाता है, और मोटर बंद हो जाती है।
Overload relay Connection
OLR का ज्यादातर उपयोग कॉन्टैक्टर के साथ किया जाता है। ओवरलोड रिले को उपयोग में लेते समय दो प्रकार के कनेक्शन होते है।
- Power connection(पावर कनेक्शन)
- Control connection(कण्ट्रोल कनेक्शन)
Power Wiring- पावर वायरिंग के अंदर कॉन्टैक्टर से निकले तीन फेज को हम रिले के L1 L2 L3 टर्मिनल के साथ जोड़ देते है। इसके बाद Relay के T1 T2 T3 टर्मिनल से हम मोटर को थ्री फेज सप्लाई देते है।
Control Wiring- कण्ट्रोल वायरिंग में आपको सिर्फ मोटर स्टॉप बटन (NC push button) के सीरीज में रिले को जोड़ना होता है। यह हम सभी को पता है, की कॉन्टैक्टर को बंद चालू करने के लिए हम सप्लाई NO NC पुश बटन से देते है। तो अब आपको NC बटन से निकले वायर को डायरेक्ट NO पुश बटन में नहीं लगाना है।
NC बटन से निकला फेज पहले OLR relay के NC कांटेक्ट में जाएगा और फिर relay के NC कांटेक्ट से निकले फेज वायर को हम स्टार्ट पुश बटन (NO) में जोड़ देंगे।
OLR Relay types (ओवरलोड रिले के प्रकार)
ओवरलोड रिले मुख्य 2 प्रकार की आती है।
- Thermal Overload relay
- Magnetic Overload relay
Thermal Overload relay- थर्मल ओवरलोड रिले की वर्किंग काफी आसान होती है। इस प्रकार की रिले में मोटर के अंदर जाने वाला करंट पहले रिले के कांटेक्ट से होकर जाता है। यह रिले के कांटेक्ट उस करंट के बहने से हीट मतलब गरम हो जाते है और यह कितने गरम हो रहे है, इसी पर थर्मल ओवरलोड रिले काम करती है।
Magnetic Overload relay- लेकिन मैग्नेटिक ओवरलोड रिले हीट पर काम नहीं करती है। यह मैग्नेटिक फील्ड पर काम करती है। जैसा हम सभी को पता है अगर किसी कंडक्टर में से करंट फ्लो होता है, तो उसके आस-पास मैग्नेटिक फील्ड बन जाती है। तो यह मैग्नेटिक ओवरलोड रिले इसी पर काम करती है।
यह करंट से बनने वाले मैग्नेटिक फील्ड की स्ट्रेंथ को सेंस करके पता करती है, की मोटर ओवरलोड तो नहीं चल रही है। और अगर कोई ओवरलोड कंडीशन होती है, तो यह तुरंत ट्रिप कर जाती है।
Overload relay protection in hindi
ओवरलोड रिले हमारे इलेक्ट्रिकल उपकरण को मुख्य 3 फाल्ट से सुरक्षा देती है।
- Overloading Fault- ओवरलोडिंग फाल्ट का मतलब जब कभी हम हमारे उपकरण को ओवरलोड रिले से जोड़ देते है। अब अगर वह उपकरण रिले पर सेट एम्पेयर से ज्यादा करंट लेता है, तो उस समय रिले ओवरलोड फाल्ट समझ कर सर्किट को ट्रिप कर देती है।
- Input Phase loss- यह सुरक्षा इलेक्ट्रिकल मोटर के लिए काफी ज्यादा जरूरी है। जैसा की हम सभी को पता है की अगर किसी थ्री फेज मोटर के अंदर हम गलती से 2 फेज सप्लाई दे देते है, तो वह मोटर कुछ दी देर में जल जाएगी। तो ओवरलोड रिले इस फाल्ट से भी सुरक्षा देती है। अगर कभी कोई फेज कही मिस हो जाता है, तो यह रिले इनपुट फेज लॉस फाल्ट पर ट्रिप हो जाती है।
- Phase Imbalance- अगर कभी हमारे तीनो फेज में वोल्टेज अलग-अलग आ रहे है, एक में ज्यादा दूसरे में कम तब भी Olr relay ट्रिप होकर सिस्टम को सुरक्षा देती है। इसके साथ ही अगर हमारी मोटर भी एक फेज में ज्यादा करंट और दूसरे में कम करंट लेती है तब भी यह रिले फेज इम्बैलेंस फाल्ट से ट्रिप हो जाती है।
Can OLR protect from short circuits?
कई लोगो के मन में यह सवाल होता है की क्या ओवरलोड रिले शार्ट सर्किट से सुरक्षा देती है? तो दोस्तों इसका जवाब है नहीं। ओवरलोड रिले हमारे उपकरण को सिर्फ तीन प्रोटेक्शन देती है overload, phase loss और phase imbalance.
अगर आपको साथ में शार्ट सर्किट प्रोटेक्शन चाहिए तो आपको इसके साथ में MCB को भी लगा देना चाहिए, ताकि MCB शार्ट सर्किट फाल्ट पर सिस्टम को प्रोटेक्शन देती रहे।
Parts of an overload relay
Terminal- रिले के अंदर कुल 6 टर्मिनल होते है। इसमें L1 L2 L3 पर फेज सप्लाई वायर को जोड़ा जाता है। इसके साथ ही इसमें T1 T2 T3 टर्मिनल होते है, इन टर्मिनल पर मोटर के वायर को जोड़ा जाता है।
Ampere Range Setting- सभी प्रकार की ओवरलोड रिले में आपको एक रोटरी नॉब जरूर देखने को मिलेगी। इसकी सहयाता से हम रिले को सेट कर सकते है, की वह ज्यादा से ज्यादा कितने करंट को निकलने देगी।
Reset Button- जब किसी कारण से ओवरलोड रिले ट्रिप हो जाती है, तब हमे उसको वापस उपयोग करने के लिए रिले को रिसेट करना होता है। तो OLR relay को रिसेट करने के लिए इस पर एक रिसेट बटन लगा होता है।
Manual/Auto reset selection- यह एक बटन होता है, इसको आप ऑटो पर या फिर मैन्युअल दोनों में से किसी पर भी सेट कर सकते है। अगर आपने इसे मैन्युअल पर सेट कर रखा है, तो फाल्ट के होने पर आपको रिले खुद जाकर रिसेट करनी होगी। लेकिन ऑटो के समय यह रिले थोड़ी देर में अपने आप ठंडी होकर रिसेट हो जाती है।
Auxiliary contact- यह ऑक्सलारी कांटेक्ट में NO और NC कांटेक्ट होते है। इसके NC कांटेक्ट का मुख्य उपयोग हम कॉन्टैक्टर को रिले से स्टार्ट और बंद के करने के लिए लेते है।
Test button- इस बटन की मदद से हम relay को चेक कर सकते है की वह सही से काम कर रही है या नहीं।
यह भी पढ़े(Also Read):-
- Earthing और Grounding में अंतर
- ट्रांसमिशन लाइन पर रंग बिरंगी गेंदो का काम?
- AC motor की बॉडी पर Strips मतलब पट्टियां क्यों होती है?
- इलेक्ट्रिकल केबल में सफेद पाउडर क्यों होता है?
तो दोस्तो उम्मीद है, आज आपके OLR मतलब Overload Relay से जुड़े कई सवालो के जवाब मिल गए होंगे। अगर अभी भी आपके कोई सवाल इंजीनियरिंग से जुड़े है, तो आप हमे कमेन्ट में जरूर बताए।
इंजीनियरिंग दोस्त (Engineering Dost) से जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। 🙂
अगर आप इलेक्ट्रिकल की वीडियो हिन्दी मे देखना पसन्द करते है, तो आप हमारे YouTube Channel इलेक्ट्रिकल दोस्त को जरूर विजिट करे।
सौंदर्य, स्वास्थ्य और जीवन शैली विकल्प
लेख की सिफारिश करें लेख पर टिप्पणी करें लेख प्रिंट करें स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है इस लेख को फेसबुक पर साझा करें इस लेख को ट्विटर पर साझा करें इस लेख को लिंक्डइन पर साझा करें इस लेख को रेडिट पर साझा करें इस लेख को Pinterest पर साझा करें
एक शेयर बाजार, इक्विटी बाजार या शेयर बाजार स्टॉक (जिसे शेयर भी कहा जाता है) के खरीदारों और विक्रेताओं (आर्थिक लेनदेन का एक ढीला नेटवर्क, भौतिक सुविधा या असतत इकाई नहीं) का एकत्रीकरण है, जो व्यवसायों पर स्वामित्व के दावों का प्रतिनिधित्व करता है; इनमें सार्वजनिक स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के साथ-साथ निजी रूप से कारोबार करने वाली प्रतिभूतियां भी शामिल हो सकती हैं। उत्तरार्द्ध के उदाहरणों में निजी कंपनियों के शेयर शामिल हैं जो निवेशकों को इक्विटी क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से बेचे जाते हैं। स्टॉक एक्सचेंज सामान्य इक्विटी के साथ-साथ अन्य सुरक्षा प्रकारों के शेयरों को सूचीबद्ध करते हैं, उदा। कॉर्पोरेट बांड और परिवर्तनीय बांड। अधिक जानकारी के लिए इस पर जाएँ:- शेयरट्रेडटिप्स
स्टॉक एक्सचेंज एक एक्सचेंज (या एक्सचेंज) है जहां स्टॉक ब्रोकर और व्यापारी स्टॉक, बॉन्ड और अन्य प्रतिभूतियों के शेयर खरीद और बेच सकते हैं। कई बड़ी कंपनियों के शेयर स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं। यह स्टॉक को अधिक तरल बनाता है और इस प्रकार कई निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक होता है। एक्सचेंज निपटान के गारंटर के रूप में भी कार्य कर सकता है। अन्य शेयरों का कारोबार "काउंटर पर" (OTC) किया जा सकता है, जो कि एक डीलर के माध्यम से होता है। कुछ बड़ी कंपनियां अपने स्टॉक को विभिन्न देशों में एक से अधिक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करती हैं, ताकि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।
शेयर बाजारों में व्यापार का अर्थ है किसी विक्रेता से खरीदार को स्टॉक या सुरक्षा के पैसे का हस्तांतरण। इसके लिए इन दोनों पक्षों को कीमत पर सहमत होने की आवश्यकता है। इक्विटी (स्टॉक या शेयर) किसी विशेष कंपनी में स्वामित्व हित प्रदान करते हैं। शेयर बाजार में भाग लेने वालों में छोटे व्यक्तिगत स्टॉक निवेशकों से लेकर बड़े व्यापारी निवेशक शामिल हैं, जो दुनिया में कहीं भी स्थित हो सकते हैं, और इसमें बैंक, बीमा कंपनियां, पेंशन फंड और हेज फंड शामिल हो सकते हैं। उनके खरीद या बिक्री के आदेश स्टॉक एक्सचेंज व्यापारी द्वारा उनकी ओर से निष्पादित किए जा सकते हैं।
स्टॉक मार्केट इंडेक्स?
बाजार या बाजार के किसी हिस्से में कीमतों के उतार-चढ़ाव को शेयर बाजार सूचकांक कहे जाने वाले मूल्य सूचकांकों में दर्ज किया जाता है, जिनमें से कई हैं, उदाहरण के लिए, S&P, FTSE और यूरोनेक्स्ट सूचकांक। इस तरह के सूचकांक आमतौर पर बाजार पूंजीकरण भारित होते हैं, भार सूचकांक में स्टॉक के योगदान को दर्शाते हैं। बदलते कारोबारी माहौल को प्रतिबिंबित करने के लिए स्टॉक को शामिल करने/बाहर करने के लिए सूचकांक के घटकों की अक्सर समीक्षा की जाती है।
निफ्टी फ्यूचर पैकेज में हम उचित लक्ष्य और स्टॉप लॉस के साथ दैनिक आधार पर निफ्टी और बैंक निफ्टी फ्यूचर टिप्स प्रदान करते हैं। इस खंड में व्यापार करना इस अत्यधिक अप्रत्याशित बाजार में अच्छा मुनाफा पाने का सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा तरीका है। निफ्टी और बैंक निफ्टी में हलचल अगर एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है और सभी क्षेत्रों का एक साथ विश्लेषण करने में विशेषज्ञता की आवश्यकता है।
निफ्टी ऑप्शन पैकेज में हम उचित लक्ष्य और स्टॉप लॉस के साथ दैनिक आधार पर निफ्टी और बैंक निफ्टी ऑप्शन टिप्स प्रदान करते हैं। इस खंड में व्यापार करना इस अत्यधिक अप्रत्याशित बाजार में अच्छा मुनाफा पाने का सबसे सुरक्षित और सबसे अच्छा तरीका है। निफ्टी और बैंक निफ्टी में हलचल अगर एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है और सभी क्षेत्रों का एक साथ विश्लेषण करने में विशेषज्ञता की आवश्यकता है।
हमारी इक्विटी अनुसंधान और रणनीति टीम विभिन्न बाजार मुद्दों यानी अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट कार्रवाई आदि पर केंद्रित निवेश विषयों और अंतर्दृष्टि का उत्पादन करती है, जो हमें एनएसई में सूचीबद्ध 1900 स्टॉक में से एक सही स्टॉक चुनने में मदद करती है। यह एक विशेष सेवा है जिसे ग्राहकों को ट्रेडिंग अनुशंसाओं के साथ-साथ बाज़ार और ट्रेडिंग मनोविज्ञान की मूल बातें के बारे में शिक्षित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
IQ Option में स्टॉप लॉस और टेक प्रॉफिट का उपयोग कैसे करें
स्टॉप-लॉस एक ऑर्डर है जिसे आप अपने फॉरेक्स स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है ब्रोकर को स्थिति को स्वचालित रूप से बंद करने के लिए भेजते हैं। टेक-प्रॉफिट उसी तरह से काम करता है, जब एक निश्चित मूल्य स्तर पर पहुंचने पर आपको लाभ में लॉक करने की सुविधा मिलती है। इसलिए, SL/TP का उपयोग बाजार से बाहर निकलने के लिए किया जाता है। अधिमानतः, सही तरीके से और सही समय पर। कई रणनीतियाँ मौजूद हैं, जो निर्णय लेने की प्रक्रिया को कठिन बनाती हैं, लेकिन साथ ही ट्रेडर को अतिरिक्त अवसर भी प्रदान करती हैं।
SL/TP अनुकूलन मेनू को ऊपरी दाएँ हाथ के कोने में पहुँचा जा सकता है
स्टॉप-लॉस ऑर्डर खोलना
स्टॉप-लॉस क्या है और कोई इसका इस्तेमाल ट्रेडिंग में क्यों करेगा? स्टॉप-लॉस ऑर्डर खोलकर आप यह निर्धारित करते हैं कि आप प्रत्येक विशेष सौदे के मामले में कितना जोखिम उठाने को तैयार हैं।
IQ Option ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म उक्त राशि की गणना आपके प्रारंभिक निवेश के प्रतिशत के रूप में करता है।
सही समय पर घाटे को कम करना एक ऐसा कौशल है जो सभी व्यापारियों को जल्दी या बाद में सीखना होगा, चाहे वे सफलता की एक निश्चित डिग्री तक पहुंचना चाहते हों। पेशेवर व्यापारियों का मानना है कि स्टॉप-लॉस को बाजार की स्थितियों में समायोजित करना बुद्धिमानी है, न कि केवल उस राशि की जो आप त्याग करने के लिए तैयार हैं। तकनीकी विश्लेषण को ध्यान में रखना व्यावहारिक भी हो सकता है। और याद रखें, अधिकांश ट्रेडर सहमत हैं: यह जानना महत्वपूर्ण है कि पोजीशन खोलने से पहले ही ट्रेड से बाहर कब निकलना है।
इष्टतम स्टॉप-लॉस पॉइंट निर्धारित करने के तीन प्रमुख तरीके हैं:
1 प्रतिशत स्टॉप। प्रत्येक विशेष क्षण में आप जिस पूंजी का जोखिम उठाने को तैयार हैं, उसके आधार पर स्टॉप-लॉस स्थिति निर्धारित करें। इस मामले में स्टॉप-लॉस आपकी कुल पूंजी और निवेश की गई राशि पर बहुत अधिक निर्भर करेगा। याद रखें कि विशेषज्ञ आपकी व्यापारिक पूंजी का 2% से अधिक एक सौदे के लिए आवंटित नहीं करने की वकालत करते हैं।
2 चार्ट स्टॉप। यह विधि अन्य की तुलना में अधिक तकनीकी विश्लेषण-उन्मुख है। यह पता चला है, समर्थन और प्रतिरोध स्तर भी हमें इष्टतम SL/TP अंक निर्धारित करने में मदद कर सकते हैं। समर्थन/प्रतिरोध स्तरों से परे स्टॉप-लॉस सेट करना इसे करने का एक तरीका है। जब बाजार इन क्षेत्रों से परे व्यापार करता है, तो एक अच्छा मौका है कि प्रवृत्ति आपके खिलाफ काम करना जारी रखेगी। यह आपके निवेश का बचा हुआ हिस्सा लेने का समय है।
3 अस्थिरता बंद करो। अस्थिरता कुछ ऐसा है जिसे व्यापारी छोड़ना नहीं चाहते हैं। यह संपत्ति से संपत्ति में नाटकीय रूप से भिन्न हो सकता है, इस प्रकार व्यापारिक परिणामों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ता है। एक मुद्रा जोड़ी या स्टॉक कितना स्थानांतरित हो सकता है यह जानने से इष्टतम स्टॉप-लॉस पॉइंट निर्धारित करने में काफी मदद मिलेगी। अस्थिर संपत्तियों को उच्च जोखिम सहनशीलता की आवश्यकता हो सकती है और इसलिए स्टॉप-लॉस स्तर अधिक हो सकते हैं।
बोलिंजर बैंड एक संकेतक है जिसका उपयोग बाजार की अस्थिरता का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
यह एक अच्छा विचार हो सकता है कि आप अपने स्वयं के SL/TP सिस्टम को आकार दें, विभिन्न दृष्टिकोणों का संयोजन करें। यह आपकी ट्रेडिंग रणनीति और बाजार की स्थितियों पर आधारित होना चाहिए।
SL/TP का उपयोग करके आप पूर्व निर्धारित मूल्य स्तर तक पहुँचने तक प्रतीक्षा करने के दायित्व को स्वीकार नहीं करते हैं। बाजार में प्रतिकूल मूल्य कार्रवाई का प्रदर्शन करने पर सौदा बंद करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें। लेकिन साथ ही अपनी भावनाओं को बीच में न आने दें। क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि भावनात्मक व्यापार कितना विनाशकारी हो सकता है? ऐसा ही तब होता है जब आप स्टॉप-लॉस ऑर्डर देते हैं और अपनी ट्रेडिंग रणनीति को खुद को मान्य करने के लिए पर्याप्त समय नहीं देते हैं।
स्टॉप-लॉस केवल निकास बिंदु नहीं है, अच्छा स्टॉप-लॉस आपके वर्तमान व्यापारिक विचार का "अमान्य बिंदु" बनने के लिए तैयार है। दूसरे शब्दों में, यह साबित होना चाहिए कि चुनी गई रणनीति काम नहीं करती। नहीं तो इंतजार करना ही ठीक रहेगा।
टेक-प्रॉफिट ऑर्डर खोलना
स्टॉप-लॉस और टेक-प्रॉफिट काम लगभग एक ही तरह से करते हैं लेकिन उनके स्तर अलग-अलग निर्धारित होते हैं। स्टॉप-लॉस सिग्नल एक असफल व्यापार के खर्चों को कम करने के उद्देश्य से काम करते हैं, जबकि टेक-प्रॉफिट ऑर्डर व्यापारियों को सौदे के चरम पर पैसा लेने का अवसर प्रदान करते हैं।
सही समय पर लाभ लेना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि इष्टतम स्टॉप-लॉस सिग्नल सेट करना। बाजार में हमेशा उतार-चढ़ाव होता रहता है और सकारात्मक रुझान जैसा लगता है वह कुछ ही सेकंड में मंदी में बदल सकता है। कुछ लोग कहेंगे कि प्रतीक्षा करने और अपने संभावित भुगतानों को खोने का जोखिम उठाने की तुलना में सम्मानजनक भुगतान लेना हमेशा बेहतर होता है। ध्यान दें कि अपने भुगतान को पर्याप्त रूप से बढ़ने न देना और सौदे को समय से पहले बंद करना भी अच्छा नहीं है, क्योंकि यह संभावित भुगतान के एक हिस्से को खा जाएगा। बहुत देर तक प्रतीक्षा करना भी उतना ही हानिकारक हो सकता है।
टेक-प्रॉफिट ऑर्डर की कला प्रवृत्ति के उलटने से ठीक पहले सही क्षण को चुनना और सौदे को बंद करना है। उत्क्रमण बिंदुओं को निर्धारित करने में तकनीकी विश्लेषण उपकरण बहुत मदद कर सकते हैं। आप बोलिंगर बैंड, सापेक्ष शक्ति सूचकांक या औसत दिशात्मक सूचकांक के बीच चयन कर सकते हैं। ये संकेतक एसएल/टीपी प्रबंधन के उद्देश्यों के लिए सबसे अच्छा काम करते हैं।
आरएसआई अधिकतम लाभ लेने की स्थिति निर्धारित करने में मदद कर सकता है
कुछ व्यापारी 1:2 जोखिम/इनाम अनुपात का उपयोग करने की सिफारिश कर सकते हैं। ऐसे मामले में, भले ही घाटे की संख्या सफल सौदों की संख्या के बराबर हो, फिर भी आप लंबे समय में भुगतान कर रहे होंगे। एक इष्टतम जोखिम/इनाम अनुपात खोजने पर विचार करें, जो आपकी व्यक्तिगत रणनीति के अनुकूल हो और याद रखें कि कोई सार्वभौमिक नियम नहीं है जो प्रत्येक संपत्ति और प्रत्येक व्यापारी के लिए काम करेगा।
याद रखने वाली चीज़ें
ध्यान रखें कि SL/TP आपके समृद्ध ट्रेडिंग पोर्टफोलियो का एक अन्य टूल है। ट्रेडिंग कौशल संकेतकों के सही उपयोग और स्टॉप-लॉस/टेक-प्रॉफिट ऑर्डर तक सीमित नहीं हैं। किसी भी स्वचालित प्रणाली को अपने लिए व्यापार न करने दें। बल्कि अपने सौदों और भावनाओं पर बेहतर नियंत्रण पाने के लिए इस पर निर्भर रहें। SL/TP ऑर्डर की मूल बातें सीखने में कुछ समय लग सकता है लेकिन जब यह हो जाता है, तो आपके पास एक और आवश्यक ट्रेडिंग कौशल बच जाता है।