विश्लेषण और योजना

डीआरडीओ में पद्धति विश्लेषण के क्रियाकलापों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप, डीएससई (DSE)के प्रकार्य नए सिरे से परिभाषित किए गए तथा वर्ष 1980 में वर्तमान नाम अर्थात् पद्धति अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (ईसा) रखा गया। वर्ष 1972 में एक छोटा से समूह जिसका नाम था “वैमानिक पद्धति विश्लेषण विश्लेषण और योजना समूह (ASAG)” का सृजन वैमानिक पद्धति अध्ययन एवं विश्लेषण का पालन करने के उद्देश्य से किया गया। यह समूह राष्ट्रीय वैमानिकी प्रयोगशाला, बैंगलोर से वैमानिकी निदेशालय की टुकड़ी के रुप में कार्य कर रही थी। वर्ष 1974 में “वैमानिक पद्धति विश्लेषण समूह (ASAG)” को स्वतः लेखा पूर्ण इकाई अर्थात् वैमानिक पद्धति अध्ययन एवं विश्लेषण केन्द्र (कासा) में परिवर्तित किया गया और इसका परिसर “वैमानिक विकास स्थापना (ADE), बैंगलोर” में स्थानन्तरित कर दिया गया। सन् 1974 से 2003 तक कासा ने डीआरडीओ मुख्यालय और भारतीय वायु सेना के लिए पद्धति विश्लेषण अध्ययन की ऋंखला में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अपने विषयपरक विश्लेषण के साथ कई डिजाइन और विकास क्रियाकलापों और नीति स्तर के मामलों में योगदान दिया।
शिक्षा गुणवत्ता के लिये परिणामों का मूल्यांकन हेतु दिशा-निर्देश (परीक्षा परिणामों की विश्लेषण योजना)
Возможно, адреса электронной почты являются анонимными для этой группы или вам требуется разрешение на просмотр адресов электронной почты ее участников, чтобы увидеть исходное сообщение.
– INDIA NEWS GOOGLE, RIGHT TO INFORMATION GOOGLE, INDIAN ADVOCATES GOOGLE, HINDI VIKAS GOOGLE, CHAMBAL KI AWAZ MSN
शिक्षा गुणवत्ता के लिये परिणामों का मूल्यांकन हेतु दिशा-निर्देश (परीक्षा परिणामों की विश्लेषण योजना)
माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने एवं परीक्षा परिणामों में उत्तरोत्तर सुधार लाने के उद्देश्य से प्रदेश के समस्त आदिवासी विभाग के विद्यालयों में योजनाबध्द अध्यापन कार्य एवं मूल्यांकन विश्लेषण कार्य किया जा रहा है। इसके लिये सभी जिलों में कार्य योजना तैयार की गई है। इसके तहत कक्षा नवी से बारहवीं तक छात्रवार मूल्यांकन , विषयवार ग्रेडिंग तथा शिक्षकवार मूल्यांकन भी किया जायेगा। कार्ययोजना के क्रियान्वयन से कमजोरी वाले क्षेत्र समय पर विश्लेषण और योजना मालूम होंगे और समय रहते निदान तथा उसकी उपचारात्मक व्यवस्था की जायेगी। परीक्षा परिणामों की विश्लेषण योजना के लिये सभी सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग तथा जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण विभाग को शिक्षा गुणवत्ता हेतु परीक्षा परिणाम के मूल्यांकन के दिशा-निर्देश दिये गये हैं।
कृषि बाजार नेटवर्क – एगमार्कनेट
शेखपुरा जिले में शेखपुरा नाम से एजीमार्कनेट पोर्टल पर एक बाजार है। देश के थोक बाजारों को इलेक्ट्रॉनिक कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए मार्च 2000 में लॉन्च किया गया यह ऑनलाइन बाजार मूल्य रिक्रोड सिस्टम। इसका उद्देश्य किसानों, व्यापारियों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को बाजार की जानकारी एकत्रित करना, विश्लेषण करना और प्रसार करना है। इस योजना के तहत 3200 से अधिक बाजार शामिल हैं और 2700 से अधिक बाजार एग्मार्कमार्क पोर्टल पर डेटा रिपोर्ट कर रहे हैं। इस योजना के तहत 350 से अधिक वस्तुओं और 2000 किस्में शामिल हैं।
अधिक जानने के लिए कृपया पोर्टल पर जाएं: http://agmarknet.gov.in
मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करें
कृषि बाजार नेटवर्क – एगमार्कनेट
इस योजना को विपणन निदेशालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है & amp; राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) से तकनीकी सहायता के साथ निरीक्षण और राज्य कृषि विपणन बोर्ड / निदेशालयों और एपीएमसी के सहयोग से।
कृषि उत्पादन के लिए मूल्य और आगमन इत्यादि के बारे में बाजार जानकारी उचित उत्पादन और विपणन निर्णय लेने वाले किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। विपणन प्रणाली में परिचालन और मूल्य निर्धारण दक्षता दोनों हासिल करने के लिए पूर्ण और सटीक बाजार जानकारी का अस्तित्व और प्रसार महत्वपूर्ण है।
तेजी से संग्रह के लिए एक राष्ट्रव्यापी बाजार सूचना नेटवर्क स्थापित करने के लिए
बाजार की जानकारी और उसके कुशल और समय पर उपयोग के लिए डेटा के बेहतर मूल्य प्रसार से संबंधित जानकारी के संग्रहण और प्रसार की सुविधा के लिए। किसानों द्वारा प्राप्ति और बाजार का उपयोग। इसमें शामिल होगा:
1. बाजार से संबंधित जानकारी
2. मूल्य संबंधित जानकारी
3. बुनियादी ढांचा संबंधित विश्लेषण और योजना जानकारी
4. बाजार की आवश्यकता से संबंधित जानकारी
विस्तार के वाहन के रूप में आईटी का उपयोग करके कृषि विपणन में नई चुनौतियों का जवाब देने के लिए किसानों को संवेदनशील बनाने और उन्मुख करने के लिए।
क्षेत्रीय विशिष्ट किसानों को अपनी स्थानीय भाषा में पहुंचने के लिए नियमित प्रशिक्षण और विस्तार के माध्यम से कृषि विपणन में दक्षता में सुधार करना।
देश में अच्छे विपणन प्रथाओं का माहौल बनाने के लिए घास के स्तर पर किसानों और अन्य बाजार कार्यकर्ताओं के प्रसार के लिए बाजार की जानकारी उत्पन्न करने के लिए विपणन अनुसंधान के लिए सहायता प्रदान करना
सरकारी विभागों और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा लागू कृषि विपणन के संबंध में योजनाओं से संबंधित जानकारी। एक बार खेत के उत्पादन को मानकीकृत और लेबल किया जाता है, गुणवत्ता प्रमाणन द्वारा समर्थित, इसे सीधे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विश्लेषण और योजना बाजारों में स्पॉट एक्सचेंज पर बिक्री के लिए पेश किया जा सकता है। विश्लेषण और योजना
एजीमार्कनेट पोर्टल कृषि विपणन से संबंधित विभिन्न संगठनों की वेबसाइटों का आकलन करने के लिए एक खिड़की के रूप में भी कार्य करता है। यह प्रमुख कृषि वस्तुओं के संबंध में महत्वपूर्ण बाजारों के लिए साप्ताहिक मूल्य प्रवृत्ति रिपोर्ट भी प्रदान करता है। यह महत्वपूर्ण वस्तुओं के लिए स्पॉट और भविष्य की कीमतें प्रदान करने के लिए ऑनलाइन एक्सचेंज पोर्टल से जुड़ा हुआ है। इस पोर्टल के माध्यम से विभिन्न कृषि वस्तुओं के अंतर्राष्ट्रीय मूल्य रुझान भी उपलब्ध हैं।
Sudhir Chaudhary Show: 'फ्री योजनाओं' देश के लिए कितनी खतरनाक, देखें विश्लेषण
- नई दिल्ली,
- 11 अगस्त 2022,
- अपडेटेड 11:30 PM IST
Sudhir Chaudhary Show: हमारे देश के सुप्रीम कोर्ट को बार-बार कहना पड़ रहा है कि मुफ़्त रेवड़ी कल्चर. देश के सामने बहुत गंभीर समस्या है..इससे अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हो रहा है. इस फ्री योजनाओं वाले सिस्टम की वजह से हमारे देश में कानून मानने वाला व्यक्ति बहुत बुरी स्थिति में है, जबकि गलत तरीके से काम करने वाले लोग सरकारी सुविधाओं का भरपूर लाभ उठा रहे हैं. मुफ़्त की चीजें दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति को ख़त्म कर देती हैं और इसका पता तब चलता है जब श्रीलंका जैसा कोई देश बर्बाद हो जाता है. ये हमारे देश का भी हो सकता है.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय रक्षा पर्यावरण में संक्रिया विज्ञान और पद्धति विश्लेषण तकनीक प्रयोग करने का विचार वर्ष 1959 के आरंभ में आया। एक छोटा समूह – ‘शस्त्र प्रणाली विश्लेषण समूह (WEG)’ का गठन तीनों सेवाओं, अंतर सेवा संस्थानों और रक्षा मंत्रालय के लिए शस्त्र और उपकरण के संक्रिया अनुसंधान और कम लागत के अध्ययन के लिए किया गया।
क्रियाकलापों के विविधीकरण के साथ सन 1963 में ‘शस्त्र प्रणाली विश्लेषण समूह (WEG)’ का नाम बदलकर ‘वैज्ञानिक मूल्यांकन समूह (SEG)’ कर दिया गया और आगे सन 1968 में ‘वैज्ञानिक मूल्यांकन समूह (SEG)’ एक पूर्णतः संपन्न निदेशालय बना जिसका नाम ‘वैज्ञानिक मूल्यांकन निदेशालय (DSE)’ रखा गया। निदेशालय ने निर्णायक रक्षा योजना और विश्लेषण, शस्त्र मूल्यांकन, क्षति मूल्यांकन, निष्पादन मूल्यांकन और संक्रिया अनुसंधान अनुप्रयोगों आदि क्षेत्रों में सेवा मुख्यालयों, रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार, डीआरडीओ मुख्यालयों और रक्षा मंत्रालयों को अपनी परामर्शी सेवाएं जारी रखीं। इस दौरान बड़ी संख्या में पद्धति विश्लेषण अध्ययन किए गए। इन अध्ययनों के परिणाम और संस्तुतियों ने सर्वोच्च निर्णय निर्धारण प्रक्रिया में योगदान दिया।
भारतीय भाषाओं के प्रौद्योगिकी विकास संबंधित योजना की वेबसाइट देखें
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा भारतीय भाषाओं के प्रौद्योगिकी विकास संबंधित योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी उपकरणों एवं तकनीकों को विकसित किया जायगा ताकि मानव एवं मशीनी संवाद के बीच भाषा बाधक ना बने। आप इस वेबसाइट पर भाषा से संबंधित मुफ्त सॉफ्टवेयर एवं उपकरणों, भारतीय भाषा प्रौद्योगिकी प्रसार और परिनियोजन केंद्र, पेटेंट विश्लेषण प्रबंधन प्रणाली, विधिमान्यकरण/स्थानीयकरण उपकरणों, भाषाई संसाधनों एवं उपकरणों इत्यादि विश्लेषण और योजना के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भाषा प्रौद्योगिकी साधनों एवं भाषा.