दो चलती औसत पर रणनीति

एक्सक्लूसिव: यूपी योद्धा के कोच ने बताया परदीप नरवाल के औसत प्रदर्शन का कारण
प्रो कबड्डी लीग (पीकेएल) के 8वें सीजन का आधे से ज्यादा सफर समाप्त हो चुका है। अभी तक टूर्नामेंट में हमें कई रोमांचक मुकाबले देखने को मिले हैं। कुछ दो चलती औसत पर रणनीति टीमें ऐसी रही हैं जिनका परफॉर्मेंस काफी शानदार रहा है और कुछ टीमों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा है। टूर्नामेंट की बेहतरीन टीमों में से एक यूपी योद्धा की अगर बात करें तो टीम का परफॉर्मेंस अभी तक उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है। टीम प्लेऑफ में जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रही है। कई मैचों में यूपी योद्धा को शिकस्त झेलनी पड़ी है।
टीम ने प्रो कबड्डी लीग के ऑक्शन के दौरान टूर्नामेंट के सबसे बेहतरीन रेडर परदीप नरवाल को भारी भरकम रकम में खरीदा था। फ्रेंचाइजी ने परदीप नरवाल को पीकेएल इतिहास की सबसे महंगी बोली लगाकर खरीदा था। हालांकि, वह उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं।
खेल नाओ के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान यूपी योद्धा के हेड कोच जसवीर सिंह ने परदीप नरवाल के खराब परफॉर्मेंस समेत कई मुद्दों को लेकर अपनी राय रखी।
परदीप नरवाल के खराब परफॉर्मेंस का कारण
परदीप नरवाल इस सीजन अपने नाम के अनुरूप खेल नहीं दिखा पाए हैं। अभी तक 16 मैचों में उन्होंने केवल 107 रेड प्वॉइंट हासिल किए हैं और सबसे ज्यादा प्वॉइंट्स के मामले में वो टॉप- 5 में भी नहीं हैं। कई बार उन्हें बीच मैच के दौरान ही सब्सीट्यूट कर दिया गया। कोच जसवीर सिंह ने परदीप नरवाल के खराब परफॉर्मेंस की बड़ी वजह बताई।
उन्होंने कहा, “कोरोनावायरस की वजह से परदीप नरवाल ने पीकेएल जैसा टूर्नामेंट दो सालों तक नहीं खेला। उन्होंने केवल घरेलू टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया और ज्यादा लंबे कैंप में भी शामिल नहीं हो पाए। उनके खराब परफॉर्मेंस का प्रमुख कारण यही है कि दो साल तक उन्होंने ज्यादा कोई बड़ा कंपटीशन नहीं खेला और इसका असर उनके ऊपर पड़ा है। इसके अलावा दूसरी टीमों ने उनके खिलाफ काफी होमवर्क भी कर रखा है। सभी टीमें बड़े प्लेयर्स के खिलाफ अपनी रणनीति बनाकर आती हैं।”
जसवीर सिंह ने आगे कहा कि इतने बड़े खिलाड़ी से सबको काफी उम्मीदें होती हैं और जब वो प्लेयर नहीं चलता है तो उसका असर टीम पर भी पड़ता है। हालांकि, मैनेजमेंट दूसरे विकल्प के लिए भी तैयार रहता है और प्लेयर्स को फ्री हैंड भी दिया जाता है।
यूपी योद्धा के प्लेऑफ में जाने के चांसेस
लगातार शिकस्त की वजह से यूपी योद्धा की टीम के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं और उनका प्लेऑफ में जाना काफी मुश्किल लग रहा है। हालांकि, कोच जसवीर सिंह का मानना है कि उनकी उम्मीदें अभी भी बरकरार हैं।
उन्होंने कहा, “अभी हमारी प्लेऑफ में जाने की उम्मीदें बरकरार हैं। हालांकि, हमें आने वाले मुकाबलों में जरूर जीत हासिल करनी होगी। अब गलती की कोई गुंजाइश नहीं बची है। अभी हमें आने वाले मैचों में पूरी उम्मीद है।”
यूपी योद्धा की ताकत हमेशा से ही उनका डिफेंस रहा है। उनके कप्तान नितेश कुमार ने सातवें सीजन में सबसे ज्यादा टैकल प्वॉइंट हासिल करने का रिकॉर्ड भी बनाया था लेकिन इस सीजन डिफेंस उतना अच्छा नहीं रहा है और टीम को इसका काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
कोच ने इस बारे में कहा, “हम अपने डिफेंस पर लगातार काम कर रहे हैं। कुछ मैचों में हमारा डिफेंस अच्छा रहा है और कुछ मैचों में खराब रहा है। विडियो एनालिसिस और प्रैक्टिस के जरिए हम लगातार सुधार करने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले सीजन हमारा डिफेंस काफी शानदार था। हालांकि इस बार कुछ नए खिलाड़ी हैं जो दबाव में आ जा रहे हैं।”
सुरेंदर गिल और श्रीकांत जाधव के परफॉर्मेंस पर राय
परदीप नरवाल का परफॉर्मेंस भले ही पीकेएल के आठवें सीजन में अच्छा नहीं रहा है लेकिन अन्य रेडर्स सुरेंदर गिल और श्रीकांत जाधव ने जरूर प्रभावित किया है। कोच जसवीर सिंह ने बताया कि क्यों ये रेडर इतने सफल रहे।
उन्होंने कहा, “ये दोनों ही खिलाड़ी काफी प्रतिभाशाली हैं। सुरेंदर गिल और श्रीकांत जाधव के लिए अपने आपको साबित करने का ये सुनहरा मौका था और जब-जब इन प्लेयर्स को मौका मिला, इन्होंने अपनी तरफ से 100 प्रतिशत योगदान दिया। परदीप नरवाल कई मैचों में नहीं चले हैं और उसमें भी हमने जीत हासिल की है। सुरेंदर गिल हमारी एकेडमी में एक साल साथ थे और इस बार हमने उनके बोनस स्किल पर काम किया है। पहले वो बोनस कम करते थे। एकेडमी से ही लग रहा था कि वो इस सीजन अच्छा प्रदर्शन करेंगे।”
नवीन ‘एक्सप्रेस’ को रोकने का तरीका
दबंग दिल्ली के नवीन कुमार इस सीजन भी लगातार जबरदस्त खेल दिखा रहे हैं। कुछ मैचों में इंजरी की वजह से वो नहीं खेल पाए थे लेकिन इसके बावजूद वो टॉप-5 में बने हुए हैं। हर एक टीम को उनके खिलाफ मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। हालांकि, यूपी योद्धा के कोच के मुताबिक उनका डिफेंस नवीन एक्सप्रेस की रफ्तार को थामने में कामयाब रहा है।
Coronavirus Madhya Pradesh News : देश के औसत से भी ज्यादा इंदौर, भोपाल और उज्जैन में कोरोना की जांच
भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। Coronavirus Madhya Pradesh News : कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए भोपाल, इंदौर और उज्जैन में देश के औसत से भी ज्यादा जांच कराई गई हैं। देश में प्रति दस लाख व्यक्तियों पर जांच का औसत 517 का है, लेकिन उज्जैन में 3870 जांच की गईं, जो रिकॉर्ड है। वहीं, इंदौर में प्रति दस लाख व्यक्तियों पर दो हजार 486 और भोपाल में तीन हजार 316 जांच की गई।
उधर, धीरे-धीरे संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में भी आती जा रही है। शिवपुरी में 22 दिन, गुना में 17 दिन और आगर में 16 दिन से कोई कोरोना पॉजिटिव प्रकरण नहीं आया है। बैतूल और रतलाम जिले में भी पिछले 13 दिनों से कोई पॉजिटिव मामला नहीं आया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोरोना संकट को समाप्त करने के लिए अब शहर और जिलेवार परिस्थितियों को देखते हुए विशेष रणनीति बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को मंत्रालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में मरीज ठीक हो रहे हैं। नए प्रकरणों में कमी आ रही है। अधिकारियों की टीम जिलों में भेजी गई है।स्थिति पर लगातार नजर रखें और किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हो।
इस दौरान अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि जांच में जिस तरह पॉजिटिव मरीजों की संख्या में लगातार कमी आ रही है, उससे पता चलता है कि संक्रमण की रफ्तार कम हो रही है। मंगलवार की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में कुल तीन हजार 942 कोरोना सैंपल में से 223 ही पॉजिटिव आए हैं।
भोपाल की स्थिति में विशेष सुधार हुआ है। यहां के दो हजार 30 सैंपल में से 30 पॉजिटिव आए हैं। इसी तरह उज्जैन के 225 सैंपल में से चार और जबलपुर के 222 सैंपल में एक पॉजिटिव है।
ग्वालियर के 225 टेस्ट में से कोई भी पॉजिटिव नहीं आया है। मंगलवार से इंदौर के अरबिंदो अस्पताल और बुधवार से उज्जैन के आरडी गार्डी अस्पताल में जांच शुरू हो जाएंगी। इस दौरान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने अधिकारियों से कहा कि संक्रमण मुक्त क्षेत्रों में सिर्फ गली व नुक्कड़ की दुकानें ही खुलेंगी। बाजार किसी भी सूरत में नहीं खुलने चाहिए, यह कलेक्टर तय करें। संक्रमित क्षेत्रों में सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति ही होगी।
Cryptocurrency : क्रिप्टो निवेशक कैसे बनाते हैं मार्केट स्ट्रेटजी, क्या होते हैं Pivot Points, समझें
क्रिप्टो ट्रेडिंग इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स. निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं.
Crypto Trading में पिवट पॉइंट्स के सहारे ओवरऑल ट्रेंड प्रिडिक्ट किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग (cryptocurrency trading) इक्विटी और स्टॉक में ट्रेडिंग जैसी ही है. दोनों ही जोखिम के साथ अनुमानों पर चलती हैं और दोनों ही बाजार में निवेशक कुछ पैरामीटर्स के जरिए ओवरऑल ट्रेंड का अनुमान लगाते हैं और प्रिडिक्शन करते हैं. इनमें से एक पैरामीटर होते हैं- पिवट पॉइंट्स (pivot points). निवेशक बाजार में पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर इन पॉइंट्स को कैलकुलेट करते हैं. इससे अनुमान लगाया जाता है कि निवेश में उनका अगला कदम क्यों होना चाहिए. क्या उन्हें पैसे निकाल लेने चाहिए या निवेश डबल कर देना चाहिए.
पिवट पॉइंट्स क्या होते हैं?
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पिवट पॉइंट का पता तकनीकी विश्लेषण के जरिए लगाया जाता है और इससे बाजार के ओवरऑल ट्रेंड का पता चलता है. सीधे शब्दों में बताएं तो यह पिछले ट्रेडिंग सेशन में सबसे ऊंचे स्तर, निचले स्तर और क्लोजिंग प्राइस का एवरेज यानी औसत आंकड़ा होता है. अगर अगले दिन के ट्रेडिंग सेशन बाजार इस पिवट पॉइंट के ऊपर जाता है, तो कहा जाता है कि बाजार बुलिश सेंटीमेंट यानी तेजी दिखा रहा है, वहीं, अगर बाजार इस पॉइंट से नीचे ही रह जाता है तो इसे बेयरिश यानी गिरावट वाला मार्केट माना जाता है. ऐसे मार्केट में निवेशकों को अपनी रणनीति बदलने की सलाह दी जाती है.
जब पिवट पॉइंट्स के साथ दूसरे टेक्निकल टूल्स को मिलाकर गणना की जाती है, तो इससे उस असेट के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ-साथ किसी शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग सेशन में सपोर्ट और रेजिस्टेंट लेवल का पता भी लगता है.
पिवट पॉइंट्स कैसे कैलकुलेट किए जाते हैं?
पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने के कई तरीके हैं, लेकिन सबसे आम तरीका फाइव-पॉइंट सिस्टम है. इस सिस्टम में पिछले ट्रेडिंग सेशन के ऊंचे, सबसे निचले स्तर, और क्लोजिंग प्राइस के साथ दो सपोर्ट लेवल और दो रेजिस्टेंस लेवल को लेकर कैलकुलेशन किया जाता है.
पिवट पॉइंट कैलकुलेट करने का समीकरण ये है :
पिवट पॉइंट = (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर + पिछले सत्र का निचला स्तर + पिछला क्लोजिंग प्राइस) 3 से विभाजन (/)
सपोर्ट लेवल कैलकुलेट करने का समीकरण :
सपोर्ट 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का ऊंचा स्तर
सपोर्ट 2 = पिवट पॉइंट − (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)
रेजिस्टेंस लेवल कैलकुलेट करने के लिए समीकरण :
रेजिस्टेंस 1 = (पिवट पॉइंट X 2) − पिछले सत्र का निचला स्तर
रेजिस्टेंस 2 = पिवट पॉइंट + (पिछले सत्र का ऊंचा स्तर − पिछले सत्र का निचला स्तर)
इन समीकरणों से निकली गणनाओं का इस्तेमाल दो रेजिस्टेंस लेवल, दो सपोर्ट लेवल और एक पिवट पॉइंट तय करने के लिए करते हैं. इस सिस्टम से ट्रेडर्स पता लगा सकते हैं कि कहां पर कीमतें प्रभावित हो सकती हैं और बाजार के सेंटीमेंट पर असर डाल सकती हैं.
टाइम फ्रेम
ट्रेडर्स आमतौर पर पिवट पॉइंट्स का इस्तेमाल छोटे टाइम फ्रेम का चार्ट बनाने के लिए करते हैं. या तो ज्यादा से ज्यादा 4 घंटे या फिर कम से कम 15 मिनट का चार्ट बनाया जा सकता है.
पिवट पॉइंट्स कितने तरह के होते हैं?
पिवट पॉइंट पांच तरह के होते हैं. फाइव-पॉइंट सिस्टम में स्टैंडर्ड पिवट पॉइंट (Standard Pivot Point) का इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा बाकी चार पिवट पॉइंट्स को- Camarilla Pivot Point, Denmark Pivot Point, Fibonacci Pivot Point और Woodies Pivot Point कहते हैं.
पिवट पॉइंट्स दूसरे इंडिकेटर्स या संकेतकों से अलग कैसे है?
पिवट पॉइंट सिस्टम मौजूदा प्राइस में मूवमेंट पर निर्भक रहने के बजाय, पिछले सत्र के डेटा का इस्तेमाल करता है. इस अप्रोच से ट्रेडर्स को आगे की संभावनाओं का जल्दी पता चलता है और वो इसके हिसाब से स्ट्रेटजी तैयार कर सकते हैं. ये पिवट पॉइंट अगले ट्रेडिंद सेशन तक स्टैटिक यानी स्थिर रहते हैं.
पिवट पॉइंट्स में कमी क्या है?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिवट पॉइंट्स ज्यादा बेहतर मदद बस इंट्रा-डे ट्रेडिंग में ही करते हैं क्योंकि ये बहुत ही सीधी गणना पर आधारित होते हैं और इस वजग से स्विंग ट्रेडिंग में काम नहीं आ सकते. साथ ही, अगर करेंसी में प्राइस मूवमेंट बहुत ज्यादा होने लगी तो इससे पिवट पॉइंट्स के अनुमान व्यर्थ हो सकते हैं. ऐसे में जब बाजार में ज्यादा वॉलेटिलिटी हो यानी कि ज्यादा उतार-चढ़ाव हो तो निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वो पिवट पॉइंट्स पर भरोसा न करें क्योंकि प्राइस मूवमेंट किसी भी कैलकुलेशन स्ट्रेटजी को धता बता सकता है.
1 हजार करोड़ खर्च, फिर भी विश्व के औसत से ज्यादा है मध्यप्रदेश में जनसंख्या
भोपाल : मध्यप्रदेश की बढ़ती जनसंख्या सरकार के लिए नई चुनौती के रुप में सामने आ रही है। प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि की दर देश ही नहीं पूरी दुनिया के औसत से ज्यादा है। प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि दर यानी टीएफआर 2.7 है, जबकि देश का 2.2 और दुनिया का टीएफआर 2.4 है। देश के अन्य राज्यों से तुलना करें तो जनसंख्या वृद्धि में मध्यप्रदेश पांचवें नंबर पर आता है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ का टीएफआर मध्यप्रदेश से कम है।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार एक्शन प्लान तैयार कर रही है। इस चुनौती से निपटना इस समय सरकार के लिए सबसे ज्यादा जरुरी है। प्रदेश का पूरा अर्थशास्त्र जनसंख्या के आधार पर ही तय होता है। विकास की गति,जीडीपी, प्रति व्यक्ति आय, और संपन्नता का सीधा संबंध प्रदेश की जनसंख्या से ही है।
ये है टीएफआर का मतलब :
टोटल फर्टिलिटी रेट यानी टीएफआर प्रजनन दर होती है जो प्रति परिवार के आधार पर निकाली जाती है। इस सर्वे में पति-पत्नी और बच्चों को गिना जाता है। प्रदेश की प्रजनन दर दो चलती औसत पर रणनीति 2.7 है यानी एक परिवार में औसतन दो से ज्यादा बच्चे होते हैं। गांव में प्रति परिवार 3 बच्चे और शहर में 2.1 बच्चे होते हैं। दपत्ति और बच्चों वाले परिवार के आधार पर टीएफआर तय होता है।
जनसंख्या वृद्धि में अव्वल ये हैं देश के पांच राज्य :
- बिहार - 3.2
- मेघालय - 3
- उत्तरप्रदेश - 3
- नागालैंड - 2.7
- मध्यप्रदेश - 2.7
प्रदेश से कम दर है राजस्थान और छत्तीसगढ़ की :
- राजस्थान - 2.6
- छत्तीसगढ़ - 2.4
- महाराष्ट्र - 1.7
- दिल्ली - 1.6
- जम्मू-कश्मीर - 1.6
ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा है जनसंख्या वृद्धि :
प्रदेश में शहरों की अपेक्षा गांवों में जनसंख्या वृद्धि दर ज्यादा है। बढ़ती जनसंख्या का कारण कारण कम साक्षरता, परिवार नियोजन के प्रति अरुचि और बच्चों के जन्म में कम अंतराल रखना है। ग्रामीण क्षेत्रों का टीएफआर 3 है जबकि शहरी क्षेत्र में ये आंकड़ा 2.1 है। यानी ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के बीच 0.9 का बड़ा अंतर सामने आता है। सरकार अपने एक्शन प्लान में ग्रामीण क्षेत्रों को ही ज्यादा फोकस कर रही है।
फैमली प्लानिंग पर खर्च हुए करोड़ों :
परिवार नियोजन पर केंद्र और प्रदेश सरकार अब तक करीब एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है लेकिन फिर प्रदेश की जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण नहीं कर पाई है। साल 2015-16 से 2018-19 यानी पिछले पांच साल में फैमली प्लानिंग के लिए 968 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। ये राशि केंद्र सरकार ने प्रदेश के लिए जारी की है।
परिवार नियोजन के लिए चल रहीं योजनाएं :
- मिशन परिवार विकास के तहत ज्यादा टीएफआर वाले राज्यों के कुछ जिले चिन्हित किए गए हैं। मध्यप्रदेश के 25 जिले, राजस्थान के 14 और छत्तीसगढ़ के 2 जिलों में मिशन दो चलती औसत पर रणनीति परिवार विकास का कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
- परिवार नियोजन के लिए क्षतिपूर्ति योजना - परिवार नियोजन अपनाने वाले परिवारों को क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है।
- परिवार नियोजन की निशुल्क दवाओं की होम डिलेवरी करने की योजना भी चलाई जा रही है।
- बच्चों के जन्म में अंतर के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है। उनको जांच किट भी उपलब्ध कराई गई है।
- परिवार नियोजन संचार तंत्र एंव सूचना प्रणाली के जरिए मीडिया का उपयोग कर लोगों को जागरुक किया जा रहा है।
- प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या हमारे लिए बड़ी चुनौती है। इस पर जोर-जबरदस्ती से नहीं बल्कि जागरुकता और सहमति से नियंत्रण किया जा सकता है। सरकार ने एक्शन प्लान तैयार किया है जिसके तहत परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाने के साथ ही जन जागरुकता पर भी काम किया जा रहा है।
- तुलसी सिलावट स्वास्थ्य मंत्री -
Investment Tips: इस साल निवेश के लिए अपनाएं ये खास रणनीति, एक्सपर्ट्स ने इन सेक्टर्स के शेयरों को दी खरीदने की सलाह
Investment Tips: इस साल इक्विटी में निवेश के लिए खास रणनीति अपनानी चाहिए ताकि अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके.
इस साल रणनीति बनाते समय लांग टर्म निवेशकों को एक्टिव मैनेजमेंट और मल्टी एसेट/एसेट एलोकेशन की रणनीति अपनानी चाहिए. (Image- Reuters)
Investment Tips: पिछले दशक में नकदी की आसान उपलब्धता और दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों द्वारा दरों में कटौती के चलते इक्विटी मार्केट का प्रदर्शन शानदार रहा. पिछले एक साल की बात करें तो कोरोना महामारी के झटकों से उबरने के लिए इकोनॉमी में पर्याप्त नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित की गई. हालांकि अब पर्याप्त मात्रा में नकदी के कारण बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों ने धीरे धीरे बाजार से अतिरिक्त नकदी वापस लेने के संकेत दिए हैं. इसका असर भारत समेत दुनिया भर के बाजारों पर पड़ सकता है. ऐसे में इस साल रणनीति बनाते समय लांग टर्म निवेशकों को एक्टिव मैनेजमेंट और मल्टी एसेट/एसेट एलोकेशन की रणनीति अपनानी चाहिए.
रणनीति बनाते समय इन बातों का रखें ख्याल
मौजूदा परिस्थितियों वैल्यूएशन, साइकिल, ट्रिगर्स और सेंटीमेंट के आधार पर भारतीय बाजार मजबूत दिख रहा है.
Stocks in News: LIC, Zomato, अडानी ग्रुप दो चलती औसत पर रणनीति स्टॉक समेत इन शेयरों पर रखें नजर, इंट्राडे में दिखा सकते हैं एक्शन
Nykaa: फाल्गुनी नायर ने ऐसा खेला मास्टर स्ट्रोक, शेयर में आ गई 19% तेजी, बोनस शेयर का रिकॉर्ड डेट आज
- वैल्यूएशन: लंबे समय के औसत के मुकाबले विभिन्न एसेट क्लास का वैल्यूएशन बेहतर स्थिति में है. अभी तक का रूझान ये रहा है कि जब कोई एसेट क्लास फुल्ली वैल्यूएड हो तो वह वोलेटाइल होने लगता है. इक्विटी वैल्यूएशन इंडेक्स से पता चलता है कि वैल्यूएशन सस्ता नहीं है और इसके हिसाब से निवेशकों को लांग टर्म के हिसाब से निवेश किया जाना चाहिए और एसेट एलोकेशन पर सख्ती से जमे रहना चाहिए.
- साइकिल: कंपनियों ने अपना कर्ज घटाया है, सरकार का राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है और वित्तीय क्षेत्र के नॉन-परफॉर्मिंग कर्ज का साइकिल भी नियंत्रण में है. सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और अन्य सेक्टर पर खर्च बढ़ा रही है. चालू वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही में कॉरपोरेट की कमाई बढ़ी है.
- ट्रिगर्स: अमेरिकी फेड दरों में बढ़ोतरी, अमेरिका के 10 साल के ट्रेजरी यील्ड्स और कोरोना के नए वैरिएंट के खतरों पर नजर रखने की जरूरत है.
- सेंटीमेंट्स: पिछले छह महीने से निवेशक आईपीओ में निवेश की रणनीति अपना रहे हैं और महंगे इश्यू में भी पैसे लगा रहे हैं जो सेंटिमेंट के हिसाब से खराब संकेत है.
मीडियम टर्म में निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत
- लांग टर्म में इक्विटी मार्केट बेहतर परफॉर्म कर सकता है लेकिन मीडियम टर्म में निवेशकों को सावधान रहने की जरूरत है.
- वैश्विक व घरेलू बाजारों की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सक्रिय रूप से इंवेस्टमेंट मैनेजमेंट और मल्टी एसेट स्ट्रेटजी अपनाकर शॉर्ट टर्म में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
- अगर आपके पोर्टफोलियो में अधिक रिस्क वाले एसेट्स हैं तो इनका वेटेज कम करने का यह बेहतर समय है.
- सिर्फ एक एसेट क्लास पर फोकस करने की बजाय कई एसेट क्लास में निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए. अगर आप सिर्फ इक्विटी में निवेश की सोच रहे हैं तो जिसमें कई कंपनियों व सेक्टर्स में निवेश की फ्लेक्सिबिलिटी हो.
- सेक्टरवाइज बात करें तो ऑटो, बैंक, टेलीकॉम और डिफेंस स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं. वहीं कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स में निवेश को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि महामारी के बाद भी यह सेक्टर खपत को लेकर जूझ रहा है.
(आर्टिकल: एस नरेन, ईडी और सीआईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी)