भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

दुनिया में 7वें स्थान पर भारत, 7.3 प्रतिशत आबादी के पास क्रिप्टोकरेंसी
संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने एक रिपोर्ट में कहा, क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से सबसे उपर 20 अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। सूची में भारत सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 4.1 प्रतिशत के साथ 15वें स्थान पर है।
कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी का प्रयोग ऐसे हुआ है जो पहले न हुआ हो। भारत में भी बड़ी संख्या में लोगों ने इस डिजिटल मुद्रा में निवेश किया है। 2021 में 7.3 प्रतिशत भारतीय आबादी के पास क्रिप्टोकरेंसी थी।
संयुक्त राष्ट्र की व्यापार एवं विकास संस्था यूएनसीटीएडी ने एक रिपोर्ट में कहा, क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली आबादी की हिस्सेदारी के लिहाज से सबसे उपर 20 अर्थव्यवस्थाओं में से 15 विकासशील अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं। सूची में भारत सातवें स्थान पर है, जबकि पाकिस्तान 4.1 प्रतिशत के साथ 15वें स्थान पर है। यूएनसीटीएडी का कहना है कि कोरोना काल के दौरान पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। इसमें विकासशील देश भी शामिल हैं।
हर देश की अलग-अलग हिस्सेदारी है जहा यूक्रेन 12.7 प्रतिशत कर के सबके आगे है वहीं दुसरी स्थान पर रूस है जिसकी हिस्सेदारी 11.9 प्रतिशत है, तीसरे स्थान पर वेनेजुएला है जिसकी हिस्सेदारी 10.3 प्रतिशत है, सिंगापुर की हिस्सेदारी 9.4 प्रतिशत के साथ चौथे पर है। केन्या जहां पांचवें स्थान पर है वहीं अमेरिका की हिस्सेदारी 8.3 प्रतिशत के साथ छठे स्थान पर है तो भारत सातवें पर है जिसकी हिस्सेदारी 7.3 प्रतिशत है।
वही अगर बात की जाए तो विकसित देशों में सबसे ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी की हिस्सेदारी तो सिंगापुर पहले पर है अमेरिका दुसरे पर और तीसरे पर ब्रिटेन है जिसकी 5.0 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
महंगाई से लड़ने में हो रहा प्रयोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि डिजिटल मुद्रा का इस्तेमाल महंगाई से लड़ने के लिए किया जा रहा है। लेकिन, इसमें गिरावट से पता चलता है कि क्रिप्टो रखने के निजी जोखिम हैं। केंद्रीय बैंक वित्तीय स्थिरता को लेकर कदम उठाता है तो समस्या सार्वजनिक हो जाती है।
देशों की संप्रभु मुद्रा पर खतरा
अगर क्रिप्टोकरेंसी भुगतान का व्यापक माध्यम बन जाती है और अनाधिकारिक रूप से घरेलू मुद्रा की जगह ले लेती है तो इससे देशों की संप्रभु मुद्रा खतरे में पड़ सकती है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पहले ही अपनी चिंता जाहिर कर दी है। क्रिप्टोकरेंसी के खतरे से बचने के लिए यूएनसीटीएडी ने सलाह दी है कि विकासशील देशों को नकदी की सेवा बनाए रखना चाहिए। नकदी को जारी करने और इसके वितरण में कोई कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
विकासशील देशों में क्रिप्टोकरेंसी को रोक लगाने की जरूरत
डिजिटल मुद्रा ने कुछ लोगों को फायदा पहुंचाया है। फिर भी इसमें जोखिम ज्यादा है। क्रिप्टो विकासशील देशों में घरेलू संसाधन जुटाने के प्रयासों को कमजोर कर रहा है। कर चोरी को बढ़ावा मिल सकता है। ऐसे में विकासशील देशों में क्रिप्टो के विस्तार पर रोक लगाने की जरूरत है।
क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी ?
क्रिप्टो करेंसी रूपया का लेन-देन का एक जरिया है। बिल्कुल भारतीय रुपये और अमेरिकी डॉलर के तरह होता है बस अंतर इतना है कि यह आभाषी है और दिखाई नहीं देती, न ही आप इसे छू सकते हैं। इसलिए इसे डिजिटल करेंसी भी कहते हैं। इसका पूरा कारोबार ऑनलाइन माध्यम से ही होता है। जहां एक ओर किसी भी देश की करेंसी के लेन-देन के बीच में एक मध्यस्थ होता है, जैसे भारत में केंद्रीय बैंक, लेकिन क्रिप्टो के कारोबार में कोई मध्यस्थ नहीं होता और इसे एक नेटवर्क द्वारा ऑनलाइन संचालित किया जाता है। यही कारण है कि इसे अनियमित बाजार के तौर पर जाना जाता है।
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश का है इरादा, आगे बढ़ने से पहले पांच जरूरी बातें
नई दिल्ली,डेस्क रिपोर्ट। पिछले कुछ दिनों से क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) लगातार सुर्खियों में है। इससे जुड़े फायदे नुकसान पर चर्चा तेजी से जारी है। इस बीच लोग अचानक क्रिप्टो करेंसी (cryptocurrency) में निवेश करने में दिलचस्पी ले रहे हैं, क्रिप्टो से जुड़े स्कैम होने की संभावनाएं भी जताई जाती रही है। क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) को रेग्यूलेट करने के लिए फिलहाल भारत में कोई बड़ा फैसला नहीं हुआ है। हालांकि एडवर्टाइजिंग काउँसिल ने अपने स्तर पर गाइडलाइन जारी की है। जिसमें कहा गया है कि 1 अप्रैल 2022 के बाद क्रिप्टो से जुड़े विज्ञापनों में डिस्क्लेमर देने जरूरी कर दिया गया है। जिसमें विज्ञापन देने वालों को ये साफ साफ लिखना होगा कि क्रिप्टो करेंसी भारत में रेग्युलेटेड नहीं है, इसमें निवश करना जोखिम भरा हो सकता है।
जोखिमों की जानकारी के बावजूद लोग क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने में दिलचस्पी ले भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार रहे हैं। ऐसे में क्रिप्टो करेंसी के कुछ जानकारों ने इसमें निवेश से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखने की सलाह दी है।
पूरी जानकारी लें
क्रिप्टो करेंसी में निवेश से पहले पूरी रिसर्च करना जरूरी है, निवेश का फैसला करने से पहले क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार के बारे में पूरी जानकारी लेना सही होता है। रिसर्च के दौरान कई फैक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए कि निवेश कब किया जाना चाहिए, निवेश से आपको कितना फायदा होगा। कीमतों को कौन कौन से फेक्टर्स प्रभावित करेंगे।
क्रिप्टो एक्सचेंज से निवेश
अपनी रिसर्च के आधार पर ही क्रिप्टोकरेंसी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार का सिलेक्शन करें। ज्यादा संख्या में अलग अलग डिजिटल करेंसी तलाशने की जगह जिसकी जानकारी अच्छे से मिले उसी में निवेश करें। निवेश के बाद किसी भी नुकसान से बचने के लिए किसी जाने माने क्रिप्टो एक्सचेंज से निवेश की सलाह दी जाती है।
संचालक को जानें
निवेश से पहले ये जरूर जान लें कि जिस भी क्रिप्टो करेंसी में आप पैसा डाल रहे हैं, उसका संचालन कौन कर रहा है। टीम की जानकारी मिलते ही अलग अलग सोशल मीडिया पर उस टीम से जुड़ी सारी जानकारी जरूर हासिल करें।
गणित समझें
क्रिप्टोकरेंसी का गणित जरूर समझ लें, भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार इसे टोकोनॉमिक्स कहा जाता है। टोकोनॉमिक्स यानि कि क्रिप्टो करेंसी की इकोनॉमिक्स, जिसे समझ कर आप ये जान सकते हैं कि डिमांड और सप्लाई का तरीका और सही समय क्या है, ये पूरा खेल समझने के बाद ही आगे बढ़ें।
जोखिम की तैयारी
विशेषज्ञों का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों को उतना ही पैसा इसमें लगाना चाहिए जिसका घाटा वो बर्दाश्त कर सकें। पूरी तैयारी से निवेश करने के बावजूद नुकसान की संभावना हमेशा बनी ही रहेगी।
*Disclaimer :- इसमें निवेश करने से पहले सही से जानकारी प्राप्त कर लें, तभी निवेश करने में दिलचस्पी लें, MPBreakingnews इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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बिटकॉइन सबसे अधिक कारोबार वाली क्रिप्टोकरेंसी है जिसके बारे में हर कोई जानता है और बात करता है, लेकिन यह एकमात्र तरह की क्रिप्टोकरेंसी नहीं है। लिटकोइन, पोलकाडॉट, चेनलिंक, मूनकॉइन, शिबा इनु, डॉगकॉइन आदि भी क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं।
क्रिप्टोकरेंसी के लिए फिलहाल भारत में कोई कानून नहीं है।
महब कुरैशी. क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिसकी सबसे बड़ी वजह है कि, इसमें शेयर बाजार के विपरीत तेजी से उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। ऐसे में बहुत से लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करके बड़ा लाभ कमाया है। वहीं जिन लोगों ने अभी तक इसमें कभी निवेश नहीं किया है। अब वह भी बिटकॉइन, डॉगकोइन और एथेरियम जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना चाहते हैं। आपको बता दें क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत हुए अभी केवल 10 साल ही पूरे हुए है। लेकिन इसके बावजूद इसमें लोगों की रूचि दिन दूनी रात चौगनी बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने की सोच रहे हैं। तो आपको इस खबर को पूरा पढ़ना चाहिए। क्योंकि इसके बिना आपको तकड़ा नुकसान हो सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी क्या हैं?
क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल संपत्ति हैं- जिनका उपयोग आप निवेश के रूप में और यहां तक कि ऑनलाइन खरीदारी के लिए भी कर सकते हैं। यह क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है, जिससे भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार नकली या दोहरा खर्च करना लगभग असंभव हो जाता है। लेकिन यहां पर ये ध्यान देने वाली बात है कि, क्रिप्टोकरेंसी भौतिक रूप से मौजूद नहीं है, जिसका अर्थ है कि आप एक बिटकॉइन नहीं उठा सकते हैं और इसे अपने हाथ में पकड़ सकते हैं। और भारतीय रुपये के विपरीत, कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है जो क्रिप्टोकरेंसी के मूल्य को बनाए रखता है।
इसके अलावा, क्रिप्टोक्यूरेंसी के प्रत्येक सिक्के में प्रोग्राम या कोड की एक अनूठी लाइन होती है। इसका मतलब है कि इसे कॉपी नहीं किया जा सकता है, जिससे उन्हें ट्रैक करना और पहचानना आसान हो जाता है।
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यह कैसे काम करती है?
क्रिप्टोकरेंसी को सरकार जैसे केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा समर्थित नहीं किया जाता है। इसके बजाय, ये कंप्यूटर की एक श्रृंखला में चलते हैं। यह बिना किसी बिचौलिए के वेब पर पीयर-टू-पीयर से एक्सचेंज किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी का विकेंद्रीकरण किया जाता है – जिसका मतलब है कि कोई भी सरकार या बैंक यह प्रबंधित नहीं करता है कि वे कैसे बने हैं, उनका मूल्य क्या है, या उनका आदान-प्रदान कैसे किया जाएगा। सभी क्रिप्टो लेनदेन क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित हैं – जिसका अर्थ है कि यह केवल बेचने वाले और खरीदने वाले को इसकी सामग्री देखने की अनुमति होती है।
आप क्रिप्टोकरेंसी को कैसे स्टोर कर सकते हैं?
क्रिप्टोकरेंसी को ऑनलाइन ‘वॉलेट’ में स्टोर किया जा सकता है, जिसे आपकी ‘private key’ के यूज से एक्सेस किया जा सकता है। अगर इसे समझा जाए तो एक सुपर-सुरक्षित पासवर्ड के बिना क्रिप्टो को एक्सचेंज नहीं किया जा सकता।
किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद है?
बिटकॉइन सबसे अधिक कारोबार वाली क्रिप्टोकरेंसी है जिसके बारे में हर कोई जानता है और बात करता है, लेकिन यह एकमात्र तरह की क्रिप्टोकरेंसी नहीं है। लिटकोइन, पोलकाडॉट, चेनलिंक, मूनकॉइन, शिबा इनु, डॉगकॉइन आदि भी क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं। कॉइनमार्केट कैप के अनुसार, वर्तमान में 6,000 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं।
क्रिप्टो कैसे खरीदें और बेचें?
इस सवाल का जवाब भी अब आसान हो गया है। बढ़ती लोकप्रियता के चलते अब बाजार में ढेरो क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स हैं। ऐसे में देश में Bitcoin और Dogecoin जैसी क्रिप्टोकरेंसी को खरीदना और बेचना काफी आसान है। पॉपुलर प्लेटफॉर्म्स में WazirX, Zebpay, Coinswitch Kuber और CoinDCX GO के नाम शामिल हैं। इन्वेस्टर्स Coinbase और Binance जैसे इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स से Bitcoin, Dogecoin और Ethereum जैसी दूसरी क्रिप्टोकरेंसी भी खरीद सकते हैं।
सबसे खास बात यह है कि खरीदारी के ये सभी प्लेटफॉर्म चौबीसों घंटे खुले रहते हैं। क्रिप्टोकरेंसी को खरीदने और बेचने की प्रक्रिया भी काफी आसान है। आपको केवल इन प्लेटफॉर्म्स पर साइन अप करना होगा। इसके बाद अपना KYC प्रोसेस पूरा कर वॉलेट में मनी ट्रांसफर करना होगा। इसके बाद आप खरीदारी कर पाएंगे।
क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का रूख क्या है?
फिलहाल, भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कवर करने वाली कोई कानून नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टोकरेंसी का मालिक होना अवैध है। इस बीच, भारत को अभी तक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक, 2021 के क्रिप्टोक्यूरेंसी और विनियमन को प्रस्तुत करना बाकी है, जो “आधिकारिक डिजिटल मुद्रा” के शुभारंभ के लिए नियामक ढांचा तैयार करेगा, इसे संसद के बजट सत्र में पेश किया जाना था, लेकिन हितधारकों के साथ चर्चा के चलते इसे टाल दिया गया। आपको बता दें अब तक, केवल कुछ देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी तौर पर स्वीकार किया है और यह सूची काफी छोटी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान की, जानें किसने लगाया था प्रतिबंध?
रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को गैर-कानूनी बताने वाले फैसले पर रोक लगा दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने 04 मार्च 2020 को देश में क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार की अनुमति प्रदान कर दी. अब भारत में वर्चुअल करेंसी का कारोबार किया जा सकेगा. विश्वभर में सबसे मंहगी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन की कीमत 0.39 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 8,815 डॉलर के आस-पास रिकॉर्ड की गई.
रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार, क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार को गैर-कानूनी बताने वाले फैसले पर रोक लगा दी गई है. इस फैसले से देश भर में बिटकॉइन समेत अन्य क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार और उपयोग पर लगा प्रतिबंध खत्म हो गया है. इसका लेन-देन अब देश के सभी बैंक शुरू कर सकते है.
किसने लगाया था प्रतिबंध?
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने साल 2018 में एक सर्कुलर भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार जारी कर बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी (Crypto currency) में कारोबार करने से मना कर दिया था. आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से जुड़ी इकाइयों को इससे अलग होने हेतु तीन महीने का समय दिया था. आरबीआई के सर्कुलर को चुनौती देने हेतु इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आईएएमएआई द्वारा कहा गया कि आरबीआई के इस कदम से क्रिप्टोकरेंसी में होने वाली वैध कारोबारी गतिविधियों पर प्रभावी रूप से पाबंदी लग गई है. आरबीआई ने इसके जवाब में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. आरबीआई ने कहा कि उसने क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से ‘मनी लांड्रिंग’ और ‘आतंकी वित्त पोषण’ के खतरे के मद्देनजर यह कदम उठाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भारत में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-फरोख्त पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिया और इसमें जस्टिस अनिरुद्ध बोस और वी रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय भी बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी खरीद और बेच सकेंगे.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है. यह करेंसी कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है. इसका उपयोग शॉपिंग या कोई सर्विस खरीदने हेतु किया जा सकता है. इस तकनीक के जरिए करेंसी के लेन-देन का पूरा लेखा-जोखा होता है. यह स्वतंत्र मुद्रा है जिसका कोई मालिक नहीं है. क्रिप्टोकरेंसी की सबसे पहले शुरुआत साल 2009 में हुई थी. बिटकॉइन सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी थी.
पृष्ठभूमि
केंद्र सरकार जुलाई 2019 में संसद में विधेयक लाई थी, जिसमें तय हुआ था कि क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटक्वाइन को रखने, बेचने या खरीदने पर 10 साल की जेल हो सकती है. इसे पूरी तरह से अवैध बनाने के अतिरिक्त विधेयक में क्रिप्टोकरेंसी रखने को गैर-जमानती अपराध बनाया गया है.
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