सुबह का तारा

उत्तर दिशा की ओर क्षितिज से कुछ ऊपर आपको रोज अपनी जगह अटल जगमगाता सितारा नजर आएगा, यही है ध्रुव तारा। नन्हा ध्रुव जिसने अपनी मां को उसका हक दिलाने के लिए भगवान को भी मजबूर कर दिया था। हमारा ये ध्रुव तारा अब बदल रहा है।
पुराने जमाने में लोग ध्रुव तारे को देख कर दिशा समझते थे। समंदर में भटके जहाजियों को ये ध्रुव तारा उनकी मंजिल की सही राह दिखाता था। आसमान के सारे तारे पृथ्वी के घूमने की दिशा के विपरीत घूमते से दिखते हैं। सिवाय एक. ध्रुव तारे के। ध्रुव तारा अपनी जगह पर अटल रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सितारा हमेशा पृथ्वी के ध्रुव के ठीक ऊपर रहता है। लेकिन ऐसा हमेशा नहीं रहेगा। जिस ध्रुव तारे से हमारी जान-पहचान सदियों पुरानी है वो अपनी जगह पर अब कुछ हजार साल का ही मेहमान है। उसे अपनी जगह छोड़नी होगी। इसकी जगह लेने आ रहा है आसमान का सबसे चमकदार सितारा वेगा। 16 हजार साल बाद वेगा पृथ्वी का ध्रुवतारा बन जाएगा।
वेगा पृथ्वी से 25 प्रकाशवर्ष दूर है। अंतरिक्ष विज्ञान में ये दूरी कोई खास मायने नहीं रखती, इसलिए ये भी कहा जाता है कि वेगा पृथ्वी के सबसे नजदीक सितारों में से है। 1983 में इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉ़मी सेटेलाइट ने वेगा के चारों ओर धूल सुबह का तारा के घने बादल देखे। साइंटिस्टों ने संभावना जताई कि धूल के इन बादलों के पीछे वेगा को कोई ग्रह भी मौजूद हो सकता है। इस खोज से अंतरिक्ष विज्ञानी कार्ल सगान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। उन्होंने अपने मशहूर उपन्यास कॉन्टैक्ट में वेगा के ऐसे ग्रह की परिकल्पना पेश की जहां दूसरी दुनिया के लोग मौजूद हैं। 1998 में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलिस्कोप से एक बार फिर सुराग मिले कि वेगा के चारो ओर मौजूद धूल के घने बादलों में कोई ग्रह भी मौजूद हो सकता है। वेगा सदियों से इंसानों को आकर्षित करता रहा है. अब वो ध्रुव तारा बनकर धरती के लोगों से सीधा रिश्ता भी जोड़ना चाहता है।
भावार्थ लिखिए : रात समय वह मेरे आवे। भोर भये वह घर उठि जावे।। यह अचरज है सबसे न्यारा। ऐ सखि साजन ? ना सखि तारा।। - Hindi (Second/Third Language) [हिंदी (दूसरी/तीसरी भाषा)]
पहली सहेली कहती है कि रात के समय वह मेरे पास आता है। सुबह होने पर वह उठकर घर चला जाता है। यह आश्चर्य सबसे अलग है। इस पर दूसरी सखी पूछती है कि हे सखी!, क्या वह साजन (प्रियतम) है? जवाब में पहली सहेली बताती है कि नहीं, वह तारा है।
आजकल शाम होते ही आसमान में कौन सा ग्रह सबसे ज्यादा चमकता हुआ दिखता है
5 जून को घटित होने वाला चंद्र ग्रहण, एक उपछाया चंद्रग्रहण होगा.
अगर आप ध्यान से देखें तो शाम होते ही पश्चिम की ओर एक तारा सबसे ज्यादा चमकता हुआ नजर आता है. ये दूसरे तारों की तुलना में धरती से ज्यादा करीब और बड़ा भी लगता है. दरअसल ये तारा नहीं बल्कि शुक्र ग्रह है. जो इन दिनों आसमान में साफ नजर आ रहा है
- News18Hindi
- Last Updated : April 27, 2020, 16:45 IST
अगर आजकल आप शाम होते ही आसमान की ओर नजर दौड़ाएं तो आसमान में एक चमकदार तारा चमकता हुआ नजर आता है. उसकी स्थिर चमक साफ नजर आती है. ये भी नजर आता है कि ये तारा ना केवल सबसे ज्यादा चमकदार है बल्कि बड़ा भी है. कई बार हैरान होते होंगे कि ये तारा कौन सा है, जो इन दिनों इतना साफ होकर हमें नीले आकाश में नजर आ रहा है. ये तारा दरअसल शुक्र ग्रह है, जो सबसे चमकदार माना जाता है.
सूरज के ढ़लने के बाद पश्चिम में सबसे चमकदार और सबसे बड़ा दिखलाई देने वाला तारा शु्क्र ग्रह ही है. उसे शाम का तारा भी कहा जाता है. चूंकि आजकल वातावरण एकदम साफ है, लिहाजा शुक्र की चमक भी कुछ ज्यादा ही नजर आ रही है.
सूरज और चांद के बाद सबसे चमकदार
चमक की द्रष्टि से सूर्य तथा चंद्रमा के बाद अगर कोई ग्रह, तारा या आकाशीय पिंड सबसे चमकदार है तो वो शुक्र है. अंधेरी रात में इसके प्रकाश के कारण वस्तुओं की हल्की छाया भी देखी जा सकती है. जिस प्रकार यह ग्रह शाम को सबसे पहले दिखाई देता है. उसी तरह सुबह पूर्व दिशा में सबसे बाद तक दिखाई देता हैं. इसे हम भोर का तारा भी कहते हैं.
पाइथागोरस ने बताया था कि ये शुक्र यानी वीनस है
आदि काल में लोग इसे शाम को पश्चिम और सुबह पूर्व में दिखाई पड़ने के कारण दो अलग ग्रह मानते थे लेकिन वास्तव में ये एक ही है. इसे तब दो अलग नाम भी दिए गए थे. ये नाम थे – फास्फोरस तथा हैस्पैरस. बाद सुबह का तारा में गणितज्ञ पाइथागोरस ने 500 ईसा पूर्व ये पता लगा लिया कि ये दोनों तारे वास्तव में एक ही हैं. आप मानें या ना मानें इसकी जबरदस्त चमक विशेष अवस्थाओं में इसे धूप के समय भी दिखा देती है. शायद उसकी वजह ये भी है कि ये प्रकाश का अच्छा परावर्तक भी है.
कितनी है पृथ्वी से दूरी
पृथ्वी से इसकी दूरी करीब 40 करोड़ किलोमीटर है. अगर कोई 1000 किलोमीटर प्रति घंटे गति वाले किसी यान में भी चले तो शुक्र तक पहुंचने में उसको साढ़ें चार साल लग जाएंगे.
पृथ्वी और शुक्र में बहुत समानता
हमारी पृथ्वी और शुक्र में बहुत समानताएं हैं. शुक्र का व्यास लगभग बारह हजार किलोमीटर है. पृथ्वी का 12800 किलोमीटर. शुक्र और पृथ्वी की मा़त्रा का अनुपात चार और पांच का है. इसका घनत्व 5.1 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है जो पृथ्वी के घनत्व से थोड़ा ही कम है. इसका घूर्णन अक्ष अपनी कक्षा से 23 डिग्री का कोण बनाता है जबकि पृथ्वी की अक्ष का झुकाव 23.5 डिग्री है. इसे पृथ्वी की जुड़वां बहन भी कहा जाता है.
शुक्र के चारों ओर घने बादलों का आवरण
शुक्र के चारों ओर तरफ घने बादलों का मोटा आवरण है जिसके कारण शक्तिशाली दूरबीन की मदद से भी इसकी वास्तविक सतह को देखना मुश्किल होता है. वैसे इस पर क्रेटर अच्छे-खासे हैं.
शुक्र का एक दिन कितना लंबा
शुक्र के एक दिन की लंबाई 243 दिन आंकी गई है. जबकि वो सूर्य की परिक्रमा 225 दिनों में पूरी करता है. शुक्र का कोई उपग्रह नहीं है. नीदरलैंड में हुए शोध बताते हैं कि शुक्र का एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र है. जब शुक्र सूर्य व पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है. तब उसका चुम्बकीय क्षेत्र सूर्य से पृथ्वी तक आने वाले आवेशयुक्त कणों पर अपना प्रभाव डालता है.
जितना सुंदर उतना ही रहस्यमय
शुक्र हमारे जितने पास है और जितना सुंदर दिखाई देता है उतना ही अधिक रहस्यमय भी है. इसीलिए शुक्र के बारे में केवल अनुमान ही लगाए जा सकते हैं. ये भी कहा जाता है कि ये हमारे सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह है. शुक्र का वायुमंडल मुख्यरूप से कॉर्बनडाइऑक्साइड CO2 से भरा हुआ है. सूरज की गर्मी इसमें प्रवेश तो करती है लेकिन निकल नहीं सकती. इस तरह से ये सुबह का तारा एक भट्टी का रूप ले लेती है. शुक्र की सतह का तापमान लगभग 462 डिग्री सेल्सियस रहता है.
ये भी पढ़ें :-
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
सुबह का तारा
सोमवार, 13 अप्रैल 2009
बदल जाएगा ध्रुव तारा
ध्रुव तारे को तो आपने जरूर देखा होगा। अगर नहीं देखा, तो उसे आज ही देखिए। बचपन में बिजली अकसर गुल रहने का फायदा ये था कि हम सब खुले आसमान के नीचे छत पर सोते थे। मेरी मम्मी ध्रुव तारे के बारे में बताती थीं कि ध्रुव तारा सुबह 4 बजे नजर आता है। 4 बजे सुबह उठना केवल परीक्षा के दिनों में ही मुमकिन होता है, और तब उठते ही हम पढ़ने बैठ जाते थे, इसलिए लंबे वक्त तक ध्रुव तारे से मुलाकात नहीं हो पाई। काफी बाद में जब खगोल विज्ञान में दिलचस्पी हुई तब पहली बार मैं ध्रुव तारे के आमने-सामने हुआ, और ये जानकर मुझे खुशी हुई कि ध्रुव तारा तो शाम ढले ही नजर आने लगता है। मैंने ये बात अपनी मां को भी बताई।
उत्तर दिशा की ओर क्षितिज से कुछ ऊपर आपको रोज अपनी जगह अटल जगमगाता सितारा नजर आएगा, यही है ध्रुव तारा। नन्हा ध्रुव जिसने अपनी मां को उसका हक दिलाने के लिए भगवान को भी मजबूर कर दिया था। हमारा ये ध्रुव तारा अब बदल रहा है।
पुराने जमाने में लोग ध्रुव तारे को देख कर दिशा समझते थे। समंदर में भटके जहाजियों को ये ध्रुव तारा उनकी मंजिल की सही राह दिखाता था। आसमान के सारे तारे पृथ्वी के घूमने की दिशा के विपरीत घूमते से दिखते हैं। सिवाय एक. ध्रुव तारे के। ध्रुव तारा अपनी जगह पर अटल रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये सितारा हमेशा पृथ्वी के ध्रुव के ठीक ऊपर रहता है। लेकिन ऐसा हमेशा नहीं रहेगा। जिस ध्रुव तारे से हमारी जान-पहचान सदियों पुरानी है वो अपनी जगह पर अब कुछ हजार साल का ही मेहमान है। उसे अपनी जगह छोड़नी होगी। इसकी जगह लेने आ रहा है आसमान का सबसे चमकदार सितारा वेगा। 16 हजार साल बाद वेगा पृथ्वी का ध्रुवतारा बन जाएगा।
वेगा पृथ्वी से 25 प्रकाशवर्ष दूर है। अंतरिक्ष विज्ञान में ये दूरी कोई खास मायने नहीं रखती, इसलिए ये भी सुबह का तारा कहा जाता है कि वेगा पृथ्वी के सबसे नजदीक सितारों में से है। 1983 में इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉ़मी सेटेलाइट ने वेगा के चारों ओर धूल के घने बादल देखे। साइंटिस्टों ने संभावना जताई कि धूल के इन बादलों के पीछे वेगा को कोई ग्रह भी मौजूद हो सकता है। इस खोज से अंतरिक्ष विज्ञानी कार्ल सगान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। उन्होंने अपने मशहूर उपन्यास कॉन्टैक्ट में वेगा के ऐसे ग्रह की परिकल्पना पेश की जहां दूसरी दुनिया के लोग मौजूद हैं। 1998 में जेम्स क्लार्क मैक्सवेल टेलिस्कोप से एक बार फिर सुराग मिले कि वेगा के चारो ओर मौजूद धूल के घने बादलों में कोई ग्रह भी मौजूद हो सकता है। वेगा सदियों से इंसानों को आकर्षित करता रहा है. अब वो ध्रुव तारा बनकर धरती के लोगों से सीधा रिश्ता भी जोड़ना चाहता है।
1 टिप्पणी:
latest discovery profs that Vega a pole-star is distance about 25 light year from the earth live in canis majour rear system.contain a group of planet like our soler system but we have collect much information about this star environment and planetary system according to NASA it may be possible that a exoplanet remain in life zone.
जम्मू : शुभ मुहूर्त के लिए अब नहीं करना होगा इंतजार, शनिवार को चढ़ रहा गुरु तारा
नगर प्रवेश देव प्रतिष्ठा एवं तीर्थयात्रा के समय नववधू को द्विरागमन के लिए शुक्र दोष नहीं लगता। वृद्ध व बाल्य अवस्था रहित शुक्रोदय में मंत्र दीक्षा लेना शुभ माना जाता है। प्रसूति स्नान के अलावा अन्य शुभ कार्यों में भी इन दोनों ग्रहों का अस्त काल वर्जित है।
जम्मू, जागरण संवाददाता : गुरु तारा 26 मार्च शनिवार शाम 06 बजकर 38 मिनट पर उदय होगा।इस वर्ष गुरुवार 24 फरवरी सुबह 08 बजकर 50 मिनट पर गुरू तारा अस्त हुआ था।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरू और शुक्र तारा उदय हो एवं शुभ मुहूर्त में ही विवाह आदि मांगलिक कार्य सम्पन्न किए जाते है। इस विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया कि विवाह एवं मांगलिक कार्यों के लिए गुरू और शुक्र तारा का उदय होना एवं शुभ मुहूर्त का होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
तारा डूबने या चढ़ने का तात्पर्य तारा के अस्त और उदय हो जाने से होता है। जैसे सूर्य का उदय और अस्त होना। खगोल के मुताबिक सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है जो अपने ही प्रकाश से चमकता है। अन्य ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। भारतीय ज्योतिष में गुरु एवं शुक्र ग्रह को तारा माना गया है।
गुरु एवं शुक्र अस्त के इन दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार, शपथ ग्रहण करना, शिलान्यास, व्रत उद्यापन, मोख, यगोपवीत संस्कार आदि शुभ मांगलिक कार्य करना पूर्णतः वर्जित है। इसी तरह स्वयंवर के लिए भी गुरु व शुक्र के अस्त का समय त्याज्य माना गया है। कोई व्यक्ति पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।
पुराने या मरम्मत किए गए मकान में सुबह का तारा गृह प्रवेश के लिए गुरु एवं शुक्र के अस्त काल का विचार नहीं किया जाता अर्थात जीर्णोद्धार वाले मकान बनाने के लिए गुरु व शुक्र अस्त काल में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक्र के अस्त होने पर यात्रा करने से प्रबल शत्रु भी जातक के वशीभूत हो जाता है। शत्रु से सुलह या संधि हो जाती है। शुक्रास्त काल में वशीकरण के प्रयोग शीघ्र सिद्धि देने वाले साबित होते हैं।
यात्रा के लिए शुक्र का सामने और दाहिने होना त्याज्य है। वधू का द्विरागमन गुरु व शुक्र के अस्त काल में वर्जित है। यदि आवश्यक हो तो दीपावली के दिन ऋतुवती वधू का द्विरागमन इस काल में कर सकते हैं।नगर प्रवेश, देव प्रतिष्ठा एवं तीर्थयात्रा के समय नववधू को द्विरागमन के लिए शुक्र दोष नहीं लगता। वृद्ध व बाल्य अवस्था रहित शुक्रोदय में मंत्र दीक्षा लेना शुभ माना जाता है। प्रसूति स्नान के अलावा अन्य शुभ कार्यों में भी इन दोनों ग्रहों का अस्त काल वर्जित है।
अस्तकाल में गुरु में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शुक्र की अंतर्दशा, गुरु में शुक्र की अंतर्दशा, शुक्र में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शनि की और शनि में शुक्र की अंतर्दशा और शेष ग्रहों में गुरु एवं शुक्र की अंतर्दशाएं कष्टप्रद होती हैं।कोई विधवा स्त्री या परित्यक्ता नारी किसी अन्य पुरुष से पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।
3 दिनों के लिए संध्या का तारा में मौसम
3 से 5 के एक यूवी इंडेक्स रीडिंग का अर्थ है असुरक्षित सूरज के संपर्क से नुकसान का मध्यम जोखिम। दोपहर के समय धूप तेज रहने पर छाया के पास रहें। यदि बाहर की ओर, धूप से सुरक्षा के कपड़े, एक चौड़ी-चौड़ी टोपी और यूवी-ब्लॉकिंग धूप का चश्मा पहनें। आमतौर पर हर 2 घंटे में व्यापक स्पेक्ट्रम एसपीएफ 30+ सनस्क्रीन लागू करें, यहां तक कि बादल के दिनों में, और तैराकी या पसीना आने के बाद। रेत, पानी और बर्फ जैसी चमकदार सतहों, यूवी जोखिम को बढ़ाएंगी।
सुबह07:00 से 12:00 तक | ![]() |
दोपहर12:01 से 18:00 तक | ![]() |
शाम18:01 से 00:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , उत्तर पूर्व, गति 7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 25 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 60-69%
बादल: 95%
वायु - दाब: 748-749 एचपीए
दृश्यता: 100%
शुक्रवार, 18 नवंबर 2022
सूर्य: | सूर्योदय --:--, सूर्यास्त --:--. |
चंद्रमा: | चंद्रोदय 01:09, चंद्रास्त 14:20, |
जियोमैग्नेटिक क्षेत्र: अस्थिर | |
पराबैंगनी सूचकांक: 2,6 (कम) |
0 से 2 के एक यूवी इंडेक्स रीडिंग का मतलब औसत व्यक्ति के लिए सूरज की यूवी किरणों से कम खतरा है। उज्ज्वल दिनों पर धूप का चश्मा पहनें। यदि आप आसानी से जलते हैं, तो कवर करें और व्यापक स्पेक्ट्रम एसपीएफ 30+ सनस्क्रीन का उपयोग करें। रेत, पानी और बर्फ जैसी चमकदार सतहों, यूवी जोखिम को बढ़ाएंगी।
रात00:01 से 06:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , उत्तरी, गति 4-7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 18 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 65-67%
बादल: सुबह का तारा 100%
वायु - दाब: 745 एचपीए
दृश्यता: 100%
सुबह06:01 से 12:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , पूर्वी, गति 4-7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 18 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 40-69%
बादल: 100%
वायु - दाब: 745-748 एचपीए
दृश्यता: 100%
दोपहर12:01 से 18:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , दक्षिणी, गति 4-7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 22 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 38-49%
बादल: 100%
वायु - दाब: 747-748 एचपीए
दृश्यता: 100%
शाम18:01 से 00:00 तक | ![]() |
हवा: सुबह का तारा अल्प समीर , पूर्वी, गति 4-11 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 14 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 60-66%
बादल: 47%
वायु - दाब: 747 एचपीए
दृश्यता: 100%
शनिवार, 19 नवंबर 2022
सूर्य: | सूर्योदय 06:56, सूर्यास्त 16:59. |
चंद्रमा: | चंद्रोदय 02:10, चंद्रास्त 14:44, |
जियोमैग्नेटिक क्षेत्र: सक्रिय | |
पराबैंगनी सूचकांक: 2,8 (कम) |
रात00:01 से 06:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , उत्तरी, गति 7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 14 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 63-66%
बादल: 0%
वायु - दाब: 745 एचपीए
दृश्यता: 100%
सुबह06:01 से 12:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , उत्तरी, गति 4-7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 18 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 38-64%
बादल: 0%
वायु - दाब: 745-753 एचपीए
दृश्यता: 100%
दोपहर12:01 से 18:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , दक्षिण पश्चिम, गति 4-11 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 18 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 36-47%
बादल: 15%
वायु - दाब: 752-753 एचपीए
दृश्यता: 100%
शाम18:01 से 00:00 तक | ![]() |
हवा: अल्प समीर , उत्तरी, गति 4-7 किमी / घंटा
हवा का झोंका: 14 किमी / घंटा
सापेक्ष आर्द्रता: 55-66%
बादल: 10%
वायु - दाब: 751-752 एचपीए
दृश्यता: 100%