भारत का विदेशी मुद्रा भंडार

Forex reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा, लगातार 9वें हफ्ते आई गिरावट
India Forex Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार नौवें सप्ताह गिरकर 532.66 अरब डॉलर पर आ गया, जो पिछले हफ्ते से करीब 4.854 अरब डॉलर कम है
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) लगातार नौवें सप्ताह गिरकर 532.66 अरब डॉलर पर आ गया, जो पिछले हफ्ते से करीब 4.854 अरब डॉलर कम है। यह पिछले 2 सालों का (24 जुलाई 2020 के बाद का) इसका सबसे निचला स्तर है। आंकड़े 30 सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते के हैं।
RBI की तरफ से शुक्रवार 7 अक्टूबर को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। 23 सिंतबर को समाप्त हुए इसके पिछले हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 537.52 अरब डॉलर रहा था।
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विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के पीछे एक मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में आना रहा, जो 30 सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते में 472.81 अरब डॉलर रहा। इसके पिछले हफ्ते में FCA 477.21 अरब डॉलर रहा था। इसके अलावा गोल्ड एसेट्स 30 सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते में घटकर 37.61 अरब डॉलर रहा, जो इसके पिछले हफ्ते 37.89 अरब डॉलर रहा।
डॉलर के मुकाबले रुपये की वैल्यू में उतार-चढ़ाव को रोकने और भारतीय पैसे में बेतहाशा उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए RBI ने हाल के हफ्तों में अमेरिकी डॉलर बेचे हैं, इससे भी विदेशी मुद्रा भंडार घटा है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया शुक्रवार 7 अक्टूबर को गिरकर 82.43 रुपये पर पहुंच गया। साल 2022 की शुरुआत से अब तक भारतीय रुपया 9 फीसदी घट चुका है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और ग्लोबल सेंट्रल बैंकों की तरफ से महंगाई रोकने के लिए ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी करने की वजह से इस साल रुपये में कमजोरी आई है।
MoneyControl News
First Published: Oct 07, 2022 9:56 PM
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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर, क्या होगा गिरावट का असर?
मुंबईः देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है और यह घटकर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था। पिछले कई महीनों से विदेशीमुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है।
अक्टूबर 2021 में सबसे ऊंचे स्तर पर था
एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। देश के मुद्रा भंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपए की गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है। अक्टूबर 2021 से अब तक रुपए में गिरावट की वजह से आरबीआई घरेलू करेंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा लगा चुका है।
रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार, 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण घटक मानी जाने वाली, विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 3.593 अरब डॉलर घटकर 465.075 अरब डॉलर रह गई। आंकड़ों के अनुसार देश का स्वर्ण भंडार मूल्य के संदर्भ में 24.7 करोड़ डॉलर घटकर 37,206 अरब डॉलर रह गया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (SDR) 70 लाख डॉलर बढ़कर 17.44 अरब डॉलर हो गया है।
क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?
विदेशी मुद्रा भंडार की मदद से कोई भी देश जरूरत पर अपनी करेंसी में आई गिरावट को थामने के लिए उचित कदम उठा सकता है। आयात पर निर्भर रहने वाले देशों पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है। दरअसल, मुद्रा भारत का विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से आयात महंगा हो जाता है और सामान के बदले ज्यादा कीमत चुकानी होती है। भुगतान की क्षमता पर असर पड़ने से आयात रुकने लगता है और देश में सामान की कमी हो सकती है।
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डॉलर की मजबूती के आगे फीके पड़े बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार, अमेरिका और जापान के मुकाबले कहां है भारत
Foreign Reserve डॉलर की मजबूती के कारण पिछले कुछ महीनों में यूरो ब्रिटिश पाउंड और येन की कीमत में तेजी के गिरावट हुई है जिससे दुनिया के बड़े केंद्रीय बैंकों का विदेशी मुद्रा भंडार बड़ी मात्रा में गिरा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। डॉलर के लगातार मजबूत रहने के कारण वैश्विक विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली है। भारत ही नहीं, यूरोप के बड़े देशों के विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से नीचे गिरे हैं। इसके पीछे का कारण इन देशों की ओर से अपनी मुद्रा को सहारा देने के लिए डॉलर को बड़ी संख्या में खर्च करना है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से अब तक दुनिया के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में 1 ट्रिलियन डॉलर की कमी आ चुकी है और यह घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर रह गया है। ब्लूमबर्ग की ओर से 2003 से आंकड़े एकत्रित किए जाने के बाद से अब तक की यह सबसे बड़ी गिरावट है।
डॉलर दो साल की ऊंचाई पर
अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेड की ओर से ब्याज दर लगातार तीसरी बार 0.75 प्रतिशत बढ़ाने के एलान के बाद से डॉलर पूरी दुनिया की मुद्राओं के मुकाबले लगातार मजबूत हो रहा है। डॉलर, यूरो और येन जैसी मजबूती मुद्राओं के सामने 20 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
विदेशी मुद्रा भंडार कमी का कारण
डॉलर की मजबूती के कारण दुनिया के विभिन्न देशों के पास विदेशी मुद्रा भंडारों में मौजूद अन्य विदेशी मुद्राओं जैसे यूरो और पाउंड की कीमत में तेजी से गिरावट हुई हैं। इसके कारण दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडारों का मूल्यांकन गिरा है। वहीं, दुनिया के सभी देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का एक अन्य बड़ा कारण डॉलर के सामने अपने देश की मुद्रा के अवमूल्यन में कमी लाने के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर को बेचना है।
उदाहरण के लिए, भारत का विदेश मुद्रा भंडार इस साल की शुरुआत से अब तक 96 बिलियन डॉलर गिरकर 538 बिलियन डॉलर पहुंच गया है। इसमें 67 प्रतिशत गिरावट दुनिया की अन्य मुद्राओं में कमी के कारण है, जबकि बाकी की गिरावट भारतीय रुपये में गिरावट रोकने के लिए डॉलर खर्च करने के कारण हुई है। इस साल की शुरुआत से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में 10 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है।
जापान अपनी मुद्रा येन को संभालने के लिए करीब 20 बिलियन डॉलर की राशि को खर्च कर चुका है। 1998 के बाद यह पहला मौका था, जब जापान ने डॉलर के मुकाबले येन की स्थिति को संभालने के लिए करेंसी मार्केट में हस्तक्षेप किया था। इस साल से अब तक डॉलर के मुकाबले येन की कीमत में 19 प्रतिशत की गिरावट हुई है। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार यूरोपीय देश चेक रिपब्लिक के विदेशी मुद्रा भंडार में भी 19 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
भारत के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है। यह अभी भी 2017 के स्तर से 49 प्रतिशत अधिक है, जो कि नौ महीने के आयात के लिए काफी है।
‘रुपये को बचाने की कीमत’- हर हफ्ते $3.6 बिलियन गंवाए, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक दशक में सबसे बड़ी गिरावट दिखी
जनवरी के पहले सप्ताह में भारत के पास 633 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसमें अब तक 82 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट के संकेत मिले हैं. विदेशी मुद्रा घटने का मतलब है कि आरबीआई रुपये की लगातार गिरावट पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है.
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साप्ताहिक स्टेटिस्टिकल सप्लीमेंट के मुताबिक, 9 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550.8 अरब डॉलर था. ये 2020 के बाद सबसे कम है, जब यह आंकड़ा 580 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.
जनवरी के पहले सप्ताह में भारत के पास 633 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसका मतलब है कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 82 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है जो कि पिछले एक दशक में सबसे अधिक है.
ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट
विदेशी मुद्रा भंडार पिछले भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सात माह में 82 अरब डॉलर घटा चुका है, और इसमें से लगभग आधा नुकसान पिछले तीन महीनों में हुआ. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून में 12.7 अरब डॉलर, जुलाई में 14.4 अरब डॉलर और अगस्त में 20 अरब डॉलर घटा. जून के पहले हफ्ते के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 47 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.6 अरब डॉलर प्रति सप्ताह की दर से गिरा.
2022 में इस दर पर कमी संभवतः 2007-08 के वैश्विक आर्थिक संकट (जीएफसी) के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में अब तक की सबसे बड़ी गिरावट हो सकती है. पिछले महीने अपने बुलेटिन में आरबीआई ने उल्लेख किया था कि जीएफसी के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 70 बिलियन डॉलर गिर गया था.
आरबीआई के अर्थशास्त्रियों ने अपने विश्लेषण में अनुमान लगाया था कि जुलाई अंत तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 56 अरब डॉलर घट गया था, साथ ही उल्लेख किया कि इसमें से 20 अरब डॉलर स्वैप सेल के कारण घटे थे—जिसका मतलब है कि यह मुद्रा आरबीआई के पास वापस लौट आनी थी. मौजूदा समय में अगर स्वैप सेल को हटा दिया जाए तो भी वास्तविक गिरावट 63 अरब डॉलर से कुछ अधिक हो सकती है.
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एक दशक में सबसे ज्यादा कमी
पिछले 10 सालों की तुलना में यह कमी भारत में अब तक की सबसे तेज गिरावट है. कैलेंडर वर्ष 2011 (0.6 अरब डॉलर), 2012 (1.7 अरब डॉलर), 2013 (1.8 अरब डॉलर) और 2018 (13.28 अरब डॉलर) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटने के गवाह हैं—लेकिन यह गिरावट उनके आकार की तुलना में मामूली थी.
बाकी सालों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है और इसमें से वर्ष 2020—जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से प्रभावित रही—सबसे अधिक लाभकारी रहा. उस साल भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति में करीब 119 अरब डॉलर (2019 के अंत में 461 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 के अंत तक 580 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई. 2021 के अंत तक, आंकड़ा 52 अरब डॉलर बढ़कर 633 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले साल 3 सितंबर को भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को 642.45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर देखा था.
ग्राफिक: रमनदीप भारत का विदेशी मुद्रा भंडार कौर | दिप्रिंट
ऐसा क्यों हुआ?
विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.
ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.
ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.
भारतीय रिजर्व बैंक के वित्तीय बाजार संचालन विभाग से जुड़े सौरभ नाथ, विक्रम राजपूत और गोपालकृष्णन एस. का एक अध्ययन से बताता है कि 2008 में आर्थिक संकट के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 70 अरब डॉलर घट गया था. जब तक उनका शोध प्रकाशित (12 अगस्त) हुआ तब तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पहले ही 56 भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अरब डॉलर कम हो चुका था.
हालांकि, अध्ययन का सार यही था कि मुद्रा के तौर पर रुपये की कीमतों में उतार-चढ़ाव की संभावनाएं—पिछले आर्थिक झटकों की तुलना में—घटी ही हैं. मुद्रा अस्थिरता एक देश की मुद्रा के मूल्य में दूसरे देश की मुद्रा की तुलना में आने वाले बदलावों से जुड़ी है.
लेखकों ने कहा कि 2008 के आर्थिक संकट के दौरान भारत की विदेशी मुद्रा में गिरावट उसके कुल विदेशी मुद्रा भंडार के 22 प्रतिशत से अधिक थी, जो इस बार सिर्फ 6 प्रतिशत है. ऐसा सिर्फ इसलिए है कि देश में 14 साल पहले की तुलना में अब बहुत अधिक डॉलर (282 अरब डॉलर) हैं. अध्ययन में लिखा गया है, ‘रिजर्व बैंक विदेशी मुद्रा भंडार में धीर-धीरे कम प्रतिशत में गिरावट के साथ अपने दखल के उद्देश्यों को हासिल करने में सक्षम रहा है.’
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) में सलाहकार अर्थशास्त्री राधिका पांडे का भी मानना है कि अभी स्थिति बहुत खराब नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘अस्थिर वैश्विक पृष्ठभूमि को देखते हुए पूंजी प्रवाह इनफ्लो और आउटफ्लो के बीच झूलता रहेगा. फिलहाल तो रिजर्व में गिरावट चिंताजनक नहीं है. रिजर्व का अनुपात पर्याप्त मात्रा में बना हुआ है. हम 2014 के टेंपर टैंट्रम प्रकरण की तुलना में बहुत बेहतर स्थिति में हैं. लेकिन साथ ही अगर डॉलर मजबूत बना रहता है, तो आरबीआई को रुपये को अपनी गति से गिरने देना होगा.’
मुंबई स्थित इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च में एसोसिएट प्रोफेसर राजेश्वरी सेनगुप्ता ने संकेत दिया कि आरबीआई को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है.
उन्होंने कहा, ‘80 अरब डॉलर (विदेशी मुद्रा हानि) वो कीमत है जो आरबीआई को रुपये को गिरने से बचाने और इसे एक निश्चित सीमा स्तर पर बनाए रखने के लिए चुकानी पड़ रही है. लेकिन बढ़ते चालू खाते के घाटे को देखते हुए रुपये को फिलहाल उसके हाल पर छोड़ देने में ही ज्यादा समझदारी होगी. रुपये के अवमूल्यन से निर्यात बढ़ाने में तो मदद मिल सकती है लेकिन इसकी गिरावट रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार गंवाना कोई स्थायी रणनीति नहीं हो सकती है.’
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज, बीते साल भर में 116 अरब डॉलर घटा
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कुछ समय से लगातार कम हो रहा है.
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई 2020 के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. आंकड़ों के अनुसार, बीते साल भर में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 116 अरब डॉलर घटा है. इससे पहले, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 4.50 करोड़ डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर पर आ गया था. बता दें, सात अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पहुंच गया था, इसमें इस साल अगस्त के बाद से पहली बार किसी सप्ताह में वृद्धि दर्ज की गई थी. देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले कई समय से लगातार कम हो रहा है. दरअसल तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में डॉलर के मुकाबले तेजी से गिरते रुपये को संभालने भारत का विदेशी मुद्रा भंडार के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इस विदेशी मुद्रा भंडार के एक हिस्से का इस्तेमाल किया है.
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देश के विदेशी मु्द्रा भंडार में आ रही गिरावट को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अख्तियार कर रखा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कल ही कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार हो रही गिरावट को लेकर जवाब देना चाहिए.
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 85 अरब डॉलर की गिरावट आई है. खरगे ने ट्वीट करके यह आरोप भी लगाया कि विदेशी मुद्रा में गिरावट डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में हो रही गिरावट से तेज है. उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या वित्त मंत्री या प्रधानमंत्री को इस स्थिति को लेकर कुछ कहना है?''