शेयर दलाल क्या है?

How To Choose Best Stock Broker In Hindi – एक अच्छा शेयर ब्रोकर कैसे चुने ?
How To Choose Best Stock Broker In Hindi – एक अच्छा शेयर ब्रोकर कैसे चुने ?
Best Stock Broker – बहुत से ऐसे लोग है जो शेयर मार्केट ( Share Market ) में निवेश तो करना चाहते है लेकिन स्टॉक मार्केट की ज्यादा समझ नहीं होने के कारण वे स्टॉक ब्रोकर ( Stock Broker ) की तलाश में रहते जो उन्हें अच्छा रिटर्न दिला सके ! दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको बताएँगे कि कैसे आप एक अच्छा स्टॉक ब्रोकर चुन सकते है तो आइये शुरू करते है How To Choose Best Stock Broker In Hindi-
यदि आप शेयर बाजार में अच्छा पैसा कमाना चाहते है तो आपके लिए सही दलाल का चयन करना बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है ! शेयर ब्रोकर के मामले में विश्व के सबसे बड़े निवेशक वोरेन बफे की कहावत है – “ शेयर ब्रोकर आपका दोस्त नहीं है ! वह एक डॉक्टर की तरह होता है , जो मरीज से दवा के बदले शुल्क लेता है ! अब यदि आप सही डॉक्टर के पास नहीं पहुंचेंगे तो खामियाजा आपको ही भुगतना होगा !” हालाँकि यह बात सही है निवेशक इसे मानते है , लेकिन बावजूद इसके उनके व्यवहार में यह नहीं झलकता है कि वे ब्रोकर को लेकर संजीदा है ! ज्यादातर निवेशक तो अपने शेयर ब्रोकर का नाम , उसकी फर्म तथा उसके फोन नंबर से ज्यादा कुछ नहीं जानते और शेयर की खरीद – बिक्री के लिए पूरी तरह से ब्रोकर पर ही निर्भर रहते है और सोचते की ब्रोकर सब हमारे लाभ के लिए ही कर रहा है !
यदि आप भी ऐसा सोचते है तो यह बिल्कुल गलत है क्योंकि की सच तो यह है कि पैसा किसी के कंधे पर सवार होकर नहीं कमाया जा सकता ! यदि आपमें सूझ – बुझ , विश्लेषण करने की क्षमता व् थोड़ी सी जागरूकता नहीं है तो आपकी सहायता कोई नहीं कर सकता ! इसलिए एक सही ब्रोकर का चुनाव करते समय बहुत सी बातो का ध्यान रखना चाहिए जो इस प्रकार है –
ट्रैक रिकॉर्ड देखना
जब भी कभी आप स्टॉक ब्रोकर का चयन करना चाहते है तो सबसे पहले आप उसके पीछे के ट्रैक रिकॉर्ड को देखे अर्थार्त आपको देखना चाहिए कि उस ब्रोकर या ब्रोकर फर्म ने पिछले सालो में अपने clints को कितना रिटर्न दिया है ! आपको उस ब्रोकर के ट्रैक रिकॉर्ड को अच्छे से विश्लेषण करना आना चाहिए ताकि आप अच्छा दलाल चुन सके !
सेवा की गुणवत्ता
एक अच्छे और सही ब्रोकर की पहचान होती है कि वह आपको अच्छी तथा हर प्रकार की सेवा प्रदान करे ! इसलिए शेयर ब्रोकर का चयन करते समय यह जरुर ध्यान रखे कि वह हमें कोन – कोनसी सुविधाए प्रदान कर रहा है और उसके द्वारा प्रदान की गई सेवा की गुणवता का प्रतिशत कितना है !
रिसर्च की सुविधा
बहुत सी ऐसी ब्रोकिंग फर्म होती है जिनके पास रिसर्च करने की सुविधा होती है , जो अन्य ब्रोकर के पास नहीं होती है ! यदि आप शेयर बाजार का अच्छा ज्ञान हासिल करना चाहते है तो आपको मिलने वाली रिसर्च की सुविधा काफी मददगार साबित हो सकती है ! इसलिए एक अच्छे ब्रोकर का चयन करते समय यह जरुर ध्यान रखे की उसके पास रिसर्च की सुविधा है या नहीं !
ब्रोकरेज फ़ीस
एक शेयर दलाल क्या है? अच्छे ब्रोकर का चुनाव करते समय आपको उस ब्रोकरेज फर्म की सेवा शुल्क अर्थार्त ब्रोकरेज शुल्क कितना है इस बात का भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक है ! यदि किसी ब्रोकर की फ़ीस बहुत अधिक है तो उसकी अधिक फ़ीस को देखकर आपको यह नहीं सोचना चाहिए कि यह ब्रोकर फर्म तो अच्छी होगी ! तथा बहुत कम शुल्क को देखकर भी किसी ब्रोकर का चयन ना करे ! अतः आपको शुल्क के अलावा अन्य fectors को भी ध्यान में रखना चाहिए !
ब्रोकर का व्यवहार
एक अच्छे ब्रोकर का व्यवहार ही होता है कि वह आपको हमेशा सही और सटीक जानकारी दे ! तथा आपके हर सवालों का जवाब दे ! इसलिए ब्रोकर का चुनाव करते समय हमेशा उसके व्यवहार को भी ध्यान में रखे !
कस्टमर केयर सेवा
एक अच्छा ब्रोकर हमेशा आपको Customer Care Services की सुविधा भी प्रदान करता है !
यदि आपका ब्रोकर आपकी जरुरत , वित्तीय स्थिति व् व्यक्तिगत इच्छाओ को जाने शेयर दलाल क्या है? बिना आपके लिए ट्रेड करता है तो आपको जोखिम व् हानी उठानी पड़ सकती है ! एक अच्छे ब्रोकर को यह पता होता है कि उसका ग्राहक किस तरह का निवेशक है ! यदि निवेशक को ब्रोकर से शिकायत हो तो शेयर बाजार के सर्विस विभाग के अतिरिक्त सेबी से भी संपर्क किया जा सकता है !
BSE व् NSE की वेबसाइट पर ब्रोकरों की सूची उपलब्ध है ! इसके अलावा अलावा ब्रोकर भी अपनी जानकारियां अन्य माध्यमो द्वारा प्रकाशित करवाते है ! लेकिन ब्रोकर का चयन करते समय उसका ट्रैक रिकॉर्ड अवश्य देखे ! आपके घर या ऑफिस के पास स्थित ब्रोकर आपके लिए सुविधाजनक होता है ! आजकल अनेक बैंक भी ब्रोकिंग का कारोबार कर रहे है ! इसलिए आप जिस बैंक में अपना डी – मेट अकाउंट खुलवा रहे है , यदि वह बैंक ब्रोकिंग कारोबार में भी है तो वही अपना ब्रोकिंग अकाउंट खुलवाना ठीक रहता है !
ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज का सदस्य होता है ! उसके पास यह अधिकार होता है कि वह सवयं के लिए तथा किसी और के लिए भी , जो उस ब्रोकर के पास रजिस्टर्ड हो , शेयर की खरीद – बिक्री कर सकता है ! वह पूरी खरीद – बिक्री होने के हिसाब से अपना कमीशन ( ब्रोकरेज ) लेता है ! इसके अलावा यह अपने ग्राहकों कि शेयर से सम्बन्धित परामर्श और उनके पोर्टफोलियो को संचालित करता है ! कुछ वर्ष पहले तक BSE का शेयर दलाल सदस्य बनना काफी महंगा था ! पहले जो करोडो रूपये का शुल्क था वो अब घटकर कुछ लाख रूपये हो गया है !
दोस्तों उपरोक्त बातो को ध्यान में रखकर ही आपको एक अच्छे शेयर ब्रोकर का चुनाव करना चाहिए !
उम्मीद करता हूँ आपको How To Choose Best Stock Broker In Hindi लेख जरुर अच्छा लगा होगा ! अगर यह लेख आपको अच्छा लगा है तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करे !
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146 साल का हुआ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज: कैसा रहा BSE का 1875 से लेकर अब तक का सफर?, जानिए सबकुछ
आज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) 146 साल का गया है। 9 जुलाई 1875 में BSE की स्थापना हुई थी। यह एशिया का पहला और सबसे तेज स्टॉक एक्सचेंज है। करीब 41 साल पहले 100 के आधार अंक से शुरू हुआ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स आज 53,000 के पार पहुंच गया है। यानी सेंसेक्स में लगभग 530 गुना की बढ़ोतरी हुई है।
शेयर मार्केट की शुरुआत एक बरगद के पेड़ के नीचे 318 लोगों ने 1 रुपये के एंट्री फीस के साथ की थी। 25 जनवरी, 2001 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) ने डॉलेक्स-30 लॉन्च किया था। इसे BSE का डॉलर लिंक्ड वर्जन कहा शेयर दलाल क्या है? जाता है।
सेंसेक्स की शुरुआत कहानी
1986 में जब सेंसेक्स की शुरुआत हुई तो इसका बेस इयर 1978-79 को रखा गया और बेस 100 पॉइंट बनाया गया। जुलाई 1990 में ये आंकड़ा 1,000 पॉइंट पर पहुंच गया। 1991 के आर्थिक उदारीकरण के बाद सरकार ने FDI के दरवाजे खोले और बिजनेस करने के कानून में बदलाव किया। मार्केट वैल्यू का डिरेगुलेशन किया गया और अर्थव्यवस्था को सर्विस ओरिएंटेड कर दिया। इसने सेंसेक्स में गति बढ़ाई।
जब सेंसेक्स पहली बार बना, तब क्या बदलाव हुए
सबसे पहले सर्विस इंडस्ट्री, यानी बैंकिंग, टेलीकॉम और आईटी सेक्टर्स की कंपनियों को शामिल किया गया। इसके बाद 90 के दशक के अंत और 2,000 की शुरुआत में आईटी कंपनियों में तेजी से हो रहे डेवलपमेंट को देखते हुए पुरानी कंपनियों की जगह टीसीएस और इंफोसिस को शामिल किया गया। उदारीकरण के बाद से ही भारत की बड़ी कंपनियां घरेलू बिक्री पर ज्यादा निर्भर नहीं हैं। ये सभी कंपनियां एक्सपोर्ट के जरिए बिजनेस बढ़ाती रही हैं। वहीं आईटी सेक्टर में आउटसोर्सिंग की वजह से इन्फोसिस जैसी कंपनियों को फायदा हुआ है। टाटा जैसी ऑटोमोबाइल सेक्टर की कंपनी ने यूके जैसे विकसित बाजारों में कदम रखा है
हर्षद मेहता कांड:मार्च 1992 में सेंसेक्स पहली बार 4 हजार के स्तर पर बंद हुआ, लेकिन इसके बाद सेंसेक्स 2,900 से 4,900 के बीच झूलता रहा और इसे 5 हजार तक पहुंचने में सात साल से ज्यादा लग गया। इसका मुख्य कारण था कि इसी साल हर्षद मेहता के घोटाले का खुलासा होने से शेयर बाजार में भारी बिकवाली हुई थी।
2006 में 10 हजार पार
सेंसेक्स को 5 हजार से 10 हजार तक पहुंचने में 6 साल से ज्यादा समय लग गया। 7 फरवरी 2006 को सेंसेक्स 10,082.28 पर बंद हुआ, लेकिन अगले डेढ़ साल में ही सेंसेक्स 10 से 15 हजार के स्तर पर पहुंच गया।
सेंसेक्स के लिए 2007 सबसे बेहतरीन
9 जुलाई 2007 को सेंसेक्स 15,045.73 पर बंद हुआ। 2007 सेंसेक्स के लिए अब तक सबसे बेहतरीन साल रहा। अगले छह महीने में ही सेंसेक्स 20 हजार के स्तर पर पहुंच गया और दिसंबर 2007 में सेंसेक्स ने 20,000 का स्तर भी पार कर लिया था।
2008 की मंदी ने बाजार का खेल बिगाड़ा
8 जनवरी 2008 को सेंसेक्स ने कारोबार के दौरान पहली बार 21 हजार का स्तर पार किया था, लेकिन इसी साल आई अंतरराष्ट्रीय मंदी ने पूरा खेल बिगाड़ दिया था। मंदी की वजह से पूरी दुनिया के शेयर बाजारों के साथ ही भारतीय शेयर बाजार भी धड़ाम हो गए और 10 जनवरी 2008 को सेंसेक्स 14,889.25 के स्तर पर बंद हुआ. इसी साल 16 जुलाई को सेंसेक्स 12,575.8 पर बंद हुआ। इतना ही नहीं नवंबर 2008 में सेंसेक्स 8,451.01 के स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद सेंसेक्स को फिर वापस 21 हजार के स्तर तक जाने में करीब 3 साल लगे थे।
2014 में बाजार ने नरेंद्र मोदी का शानदार स्वागत किया
साल 2013 में BSE सेंसेक्स ने पलटी मारी और 18 जनवरी 2013 को सेंसेक्स फिर 20,039.04 पर बंद हुआ। 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। शेयर बाजार ने भी मोदी सरकार का जमकर स्वागत किया। 16 मई 2014 को ही सेंसेक्स 25,364 के स्तर तक पहुंच गया था। इसके बाद सेंसेक्स को 25 हजार से 30 हजार तक पहुंचने में तीन साल का समय लगा था।
साल 2017 में 30 हजार का स्तर
साल 2017 के अप्रैल महीने में सेंसेक्स 30,133 तक पहुंचा और अगले एक साल में ही सेंसेक्स 35 हजार के लेवल पर पहुंच गया। 17 जनवरी 2018 को सेंसेक्स 35,081 पर बंद हुआ। 30 अक्टूबर 2019 को सेंसेक्स ने 40,051 के स्तर को छू लिया था।
कोरोना संकट में बड़ा झटका लगा
सेंसेक्स जनवरी 2020 में 42 हजार के करीब पहुंच गया था, लेकिन इसके बाद साल 2020 का कोरोना ने तबाही मचाना शुरू कर दिया था। और यही कारण था कि सेंसेक्स मार्च 2020 में लॉकडाउन के बाद 25,981 तक पहुंच गया था, हालांकि अप्रैल के अंत और मई से सेंसेक्स में फिर से शानदार रिकवरी आने लगी।
15 महीने में 40 से 50 हजार का सफर
30 अक्टूबर 2019 को सेंसेक्स पहली बार 40,000 के पार बंद हुआ। विदेशी और घरेलू निवेशकों के दम पर सेंसेक्स ने करीब एक साल में ही 40 से 45 हजार तक का सफर तय कर लिया। 4 दिसंबर, 2020 को सेंसेक्स 45,079 पर बंद हुआ। इसके करीब डेढ़ महीने बाद ही सेंसेक्स ने 21 जनवरी 2021 को नया रिकॉर्ड बनाते हुए 50 हजार का आंकड़ा पार कर लिया।
किसने की थी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत?
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत 4 गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स ने की थी। 1850 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या साल-दर-साल लगातार बढ़ती गई। 1875 में इन्होंने अपना 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन’ बना लिया, साथ ही, दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया। आज इसे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है।
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में BSE के MD & CEO आशीष चौहान ने कहा कि BSE अपनी स्थापना के बाद पिछले 146 सालों से भारत में इन्वेस्टमेंट और वेल्थ क्रिएशन के लिए काम कर रहा है। BSE की सफलता की कोशिश, 7.2 करोड़ से ज्यादा निवेशक खाते, 4,700 से ज्यादा रजिस्टर्ड कंपनियों और 231 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के इक्विटी मार्केट कैपिटलाइजेशन से देखी जा सकती है। BSE आने वाले समय में भारत को डबल शेयर दलाल क्या है? डिजिट एनुअल ग्रोथ हासिल करने में मदद करेगा।
जानिए शेयर बाजार कैसे बना दो खरब का मार्केट
नई दिल्ली। शेयर बाजार की शुरुआत आजादी मिलने से 107 साल पहले ही हो चुकी थी। लेकिन उस समय तरीका बिल्कुल अलग था। 1840 में पहली बार शेयर बाजार की शुरुआत मुंबई में बरगद के पेड़ के नीचे 22 लोगों के साथ शुरु की गई। मुंबई के टाउनहाल के पास बरगद के वृक्ष के नीचे सभी लोग दलाल एकत्रित होते थे और शेयरों का सौदा करते थे। हालांकि कुछ सालों बाद ये दलाल महात्मा गांधी रोड पर बरगद के वृक्ष के नीचे जुटने लगे। धीरे-धीरे शेयर दलालों की संख्या बढती गई ।
एशिया के सबसे पुराने एक्सचेंज की स्थापना का श्रेय चार गुजराती और एक पारसी शेयर ब्रोकर्स को जाता है। ये सभी 1840 के आसपास अपने कारोबार के सिलसिले में मुंबई के टाउन हॉल के सामने बरगद के एक पेड़ के नीचे बैठक किया करते थे। इन ब्रोकर्स की संख्या में साल दर साल बढ़ोत्तरी होती रही। 1875 में इन्होंने अपना नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन बना लिया। साथ ही दलाल स्ट्रीट पर एक ऑफिस भी खरीद लिया।
आजादी मिलने के 10 साल बाद साल 31 अगस्त 1957 को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को भारत सरकार ने सिक्योरिटी एक्ट के तहत लाया। साल 1980 में बीएसई को दलाल स्ट्रीट पर शिफ्ट किया गया। 1986 में एक्सचेंज में एसएनपी, बीएसई और सेसेक्स जैसे इंडेक्स बनाए गए। 2000 में डेरिएटिव मार्केट के लिए इसे खोला गया। 25 जनवरी 2001 को डॉलेक्स-30 लॉन्च किया था। इसे बीएसई का डॉलर लिंक्ड वर्जन कहा जाता है। साल दर साल विस्तार के बाद आज यहां हर काम टेक्नॉलिजी से होता है।
सेबी का स्थापना
1980 के दशक तक बीएसई बहुत कम पारर्दशिता के साथ कार्य करती थी। इस दश के अंत तक नई आर्थिक बल, आर्थिक ग्रोथ के लिए एक आधुनिक वित्तिय सिस्टम की जरूरत पड़ी। तब 1988 भारत सरकार ने सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया की स्थापना की।
एनएसई की शुरूआत
वर्ष 1992 में हर्षद मेहता स्कैम के चलते बॉम्बे स्टॉका एक्सचेंज क्रैश हो गया। तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने बीएसई की प्रतिस्पर्धा के लिए एक और स्टॉक एक्सचेंज की जरूरत की बात शेयर दलाल क्या है? कही। नवंबर 1992 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की शुरूआत हुई। ऑपरेशन के कुछ ही दिनों के बाद एनएसई भारत का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज माकेर्ट बन गया।
इस दिग्गज निवेशक ने सिर्फ 5000 रुपये से की थी Stock Market में शुरुआत, आज 39,527 करोड़ की दौलत
बिग बुल राकेश झुनझुनवाला ने भारतीय शेयर बाजार में 37वां साल पूरा कर लिया है। उन्होंने साल 1985 में दलाल स्ट्रीट (Dalal Street) का सफर शुरू किया था।
Written By: Alok Kumar @alocksone
Published on: July 05, 2022 14:33 IST
Photo:FILE
Stock Market ने बहुत सारे लोगों को खाकपति तो उससे कई गुना ज्यादा लोगों को अमीर बनाने का काम किया है। आमतौर शेयर मार्केट को लोग लॉटरी की तरह लेते हैं। वहीं, जिसने इसी समझा और निवेश किया उसे करोड़पति बनने से कोई रोक नहीं सकता है। आज हम आपको शेयर मार्केट के उस दिग्गज निवेशक से रूबरू करा रहे हैं, जिन्होंने मार्केट में निवेश की शुरुआत सिर्फ 5000 रुपये से की थी। आज उनकी कुल दौलत करीब 39,527 करोड़ रुपये हो गई है। आप सोच रहेंगे कि मैं किसकी बात कर रहा हूं। मैं बात कर रहा हूं दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) की जो 5 जुलाई को 62 साल के हो गए हैं। आज उनका जन्मदिन है।
37 साल से बाजार में जमे हुए हैं झुनझुनवाला
बिग बुल राकेश झुनझुनवाला ने भारतीय शेयर बाजार में 37वां साल पूरा कर लिया है। उन्होंने साल 1985 में दलाल स्ट्रीट (Dalal Street) का सफर शुरू किया था, तब BSE सेंसेक्स 150 अंक के स्तर पर था। झुनझुनवाला ने निवेश की शुरुआत महज 5,000 रुपये से की थी. फोर्ब्स के मुताबिक, आज राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala net worth) के पास 39,527 करोड़ रुपए की दौलत है। बीते एक साल में उनकी दौतल 15 फीसदी बढ़ी है। राकेश झुनझुनवाला की पहली बड़ी कमाई टाटा टी के शेयर से हुई थी। इसमें उन्होंने साल 1986 में 5 लाख रुपये कमाया था। उन्होंने 43 रुपये की कीमत पर टाटा टी के 5,000 शेयर खरीदे, जो सिर्फ तीन महीनों के भीतर बढ़कर 143 रुपये हो गए थे। इससे उनके तीन गुना का मुनाफा हुआ था।
झुनझुनवाला के पास 25,000 करोड़ से अधिक के 33 शेयर
नवीनतम कॉर्पोरेट शेयर होल्डिंग के अनुसार, राकेश झुनझुनवाला और अपनी कंपनी के पास 25,842 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 33 कंपनियों के स्टॉक हैं। ट्रेंडलाइन के आंकड़ों के मुताबिक, ये शेयर टाइटन कंपनी, टाटा मोटर्स, स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी, मेट्रो ब्रांड्स, फोर्टिस हेल्थकेयर, नजारा टेक्नोलॉजीज, फेडरल बैंक, डीबी रियल्टी और टाटा कम्युनिकेशंस हैं।
पढ़ाई और शेयर मार्केट का सफर
राकेश झुनझुनवाला का जन्म (Rakesh Jhunjhunwala Birthday) 5 जुलाई 1960 को मुंबई के एक मारवाडी परिवार में हुआ था।राकेश झुनझुनवाला ने सिडेनहैंम कॉलेज मुंबई से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया है। इसके बाद उन्होंने 1985 में इंस्टिट्यूट ऑफ चार्टेड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया से सीए किया। सीए पूरा करने के बाद उन्होंने शेयर बाजार में जाने की इच्छा अपने पिताजी को बताई। राकेश झुनझुनवाला का जन्म (Rakesh Jhunjhunwala Birthday) 5 जुलाई 1960 को मुंबई के एक मारवाडी परिवार में हुआ था। हालांकि, उनके पिताजी ने शेयर में पैसा लगाने के लिए नहीं दी। उन्होंने कहा कि तुम खुद पैसा कमाकार अपने पैसे से शेयर बाजार में कारोबार करो।