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मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

वीजा विवाद से भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता पूरा होने पर आशंका गहराई

लंदन, सात अक्टूबर (भाषा) ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन की आव्रजन संबंधी विवादास्पद टिप्पणी के बीच यहां इस बात की आशंका बढ़ रही है कि भारत-ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) फिलहाल बाधित हो सकता है।

इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए दीपावली की समयसीमा तय की गई है और इस पर चल रही बातचीत अंतिम चरण में है।

ऐसा लगता है कि भारतीय मूल की ब्रेवरमैन वीजा मुद्दे पर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस के साथ सीधे टकराव के लिए तैयार हैं। ट्रस चाहती हैं कि एफटीए के लिए तय 24 अक्टूबर की समयसीमा तक पूरा कर लिया जाए।

ट्रस इस बात को अच्छी तरह समझती हैं कि नए व्यापार समझौते के तहत भारत के लिए छात्रों और पेशेवरों की आवाजाही में सुविधा महत्वपूर्ण है।

हालांकि, ब्रेवरमैन ने एफटीए के तहत भारत के साथ एक ”खुली सीमा” प्रवास नीति होने की आशंका जाहिर की, जिसके बाद अंतिम समझौते को लेकर संदेह पैदा हो गया है।

लंदन स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज (आईआईएसएस) में दक्षिण एशिया के सीनियर फेलो राहुल रॉय चौधरी ने कहा, ”अब ऐसा लगता है कि लिज ट्रस सरकार के तहत संभावित ब्रिटेन-भारत एफटीए न तो उतना वास्तविक होगा और न ही उतना व्यापक होगा, जितना कि पिछली बोरिस जॉनसन सरकार में इसकी परिकल्पना की गई थी। हो सकता है कि आवाजाही / प्रवासन और व्यापार शुल्क के मुद्दों पर बातचीत जारी रहे।”

रणनीतिक विशेषज्ञ का मानना ​​​​है कि दिवाली की समयरेखा अभी भी प्रतीकात्मक रूप से पूरी हो सकती है ताकि दोनों सरकारें एक तरह की राजनीतिक जीत का दावा कर सकें।

ब्रिटेन की व्यापार मंत्री केमी बेडेनॉच ने भी एक परिचर्चा में इस समझौते के कम असरदार होने की आशंका जताई है। बेडेनॉच ने इस परिचर्चा में कहा कि दोनों देश यह कह सकते हैं कि वे आगे चलकर समझौते के अन्य बिंदुओं पर सहमत हो सकते हैं।

भाषा पाण्डेय प्रेम

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

डेली न्यूज़

भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता | 28 Mar 2022 | अंतर्राष्ट्रीय संबंध

प्रिलिम्स के लिये:

व्यापार समझौतों के प्रकार, भारत-यूएई सीईपीए, व्यापार समझौतों के विभिन्न रूप।

मेन्स के लिये:

भारत और उसके पड़ोसी, द्विपक्षीय समूह और समझौते, भारत-यूएई संबंध।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और संयुक्त मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई अरब अमीरात ( UAE ) के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) को अंतिम रूप दिया गया।

  • भारत-यूएई CEPA पर भारत-यूएई वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान 18 फरवरी, 2022 को हस्ताक्षर किये गए थे, यह समझौता 1 मई, 2022 से लागू होने की उम्मीद है।
  • CEPA दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने हेतु एक संस्थागत तंत्र प्रदान करता है।

United-Arab-Emirates

भारत-यूएई CEPA की मुख्य विशेषताएँ

  • यह एक व्यापक समझौता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई होंगे:
    • ट्रेड-इन गुड्स।
    • उत्पत्ति के नियम।
    • ट्रेड-इन सर्विसेज़।
    • व्यापार के लिये तकनीकी बाधाएँ (TBT)।
    • स्वच्छता और स्वास्थ संबंधी (एसपीएस) उपाय।
    • विवाद निपटान।
    • व्यक्तियों की आवाजाही।
    • दूरसंचार।
    • सीमा शुल्क प्रक्रिया।
    • दवा उत्पाद।
    • सरकारी खरीद। , निवेश, डिजिटल व्यापार और अन्य क्षेत्रों में सहयोग।

    भारत-यूएई CEPA के लाभ:

    • ट्रेड-इन गुड्स : भारत को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रदान की जाने वाले विशेष रूप से सभी श्रम प्रधान क्षेत्रों के लिये बाज़ार पहुँच से लाभ होगा।
      • जैसे- रत्न और आभूषण, कपड़ा, चमड़ा, जूते, खेल के सामान, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि तथा लकड़ी के उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, चिकित्सा उपकरण एवं ऑटोमोबाइल।
      • जैसे- व्यावसायिक सेवाएँ, संचार सेवाएँ, निर्माण और संबंधित इंजीनियरिंग सेवाएँ, वितरण सेवाएँ, शैक्षिक सेवाएँ', पर्यावरण सेवाएँ, वित्तीय सेवाएँ, स्वास्थ्य संबंधी और सामाजिक सेवाएँ, पर्यटन एवं यात्रा -संबंधित सेवाएँ, 'मनोरंजक सांस्कृतिक व खेल सेवाएँ' तथा 'परिवहन सेवाएँ'।

      भारत-यूएई CEPA की पृष्ठभूमि

      • परिचय: भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच उत्कृष्ट द्विपक्षीय संबंध मौजूद हैं, जो काफी हद तक ऐतिहासिक हैं और जिनमें घनिष्ठ सांस्कृतिक एवं सभ्यतागत समानताएँ मौजूद हैं। दोनों देशों के मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई संबंधों को लगातार उच्च स्तरीय राजनीतिक वार्ता और लोगों से लोगों के बीच जीवंत संबंधों द्वारा पोषित किया जाता है।
        • भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी वर्ष 2015 में भारत के प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान शुरू की गई थी।
        • व्यापार: 1970 के दशक में प्रतिवर्ष 180 मिलियन अमेरिकी डॉलर से भारत-यूएई द्विपक्षीय व्यापार वित्त वर्ष 2019-20 में लगातार बढ़कर 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर पहुँच गया, जिससे संयुक्त अरब अमीरात, भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है।
        • निर्यात: यूएई भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य भी है।
        • निवेश: संयुक्त अरब अमीरात 18 अरब अमेरिकी डॉलर के अनुमानित निवेश के साथ भारत में आठवाँ सबसे बड़ा निवेशक भी है।
          • इसके अलावा भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने हाल ही में एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत यूएई ने भारत में बुनियादी अवसंरचना के विकास के लिये 75 बिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है।

          CEPA के बारे में:

          • यह एक प्रकार का मुक्त व्यापार मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई समझौता है जिसमें सेवाओं एवं निवेश के संबंध में व्यापार और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों पर बातचीत करना शामिल है।
          • यह व्यापार सुविधा और सीमा शुल्क सहयोग, प्रतिस्पर्द्धा तथा बौद्धिक संपदा अधिकारों जैसे क्षेत्रों पर बातचीत किये जाने पर भी विचार कर सकता है।
          • साझेदारी या सहयोग समझौते मुक्त व्यापार समझौतों की तुलना में अधिक व्यापक हैं।
          • CEPA व्यापार के नियामक पहलू को भी देखता है और नियामक मुद्दों को कवर करने वाले एक समझौते को शामिल करता है।
          • भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ CEPA पर हस्ताक्षर किये हैं।

          अन्य प्रकार के व्यापारिक समझौते:

          • मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
            • यह एक ऐसा समझौता है जिसे दो या दो से अधिक देशों द्वारा भागीदार देश को तरजीही व्यापार समझौतों, टैरिफ रियायत या सीमा शुल्क में छूट आदि प्रदान करने के उद्देश्य से किया जाता है।
            • भारत ने कई देशों के साथ FTA पर बातचीत की है जैसे- श्रीलंका और विभिन्न व्यापारिक ब्लॉकों से आसियान के मुद्दे पर।
              • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership- RCEP) आसियान के दस सदस्य देशों और छह देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, भारत और न्यूज़ीलैंड) के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है, जिसके साथ आसियान के मौजूदा FTAs भी शामिल हैं।
              • इस प्रकार के समझौते में दो या दो से अधिक भागीदार कुछ उत्पादों के संबंध में प्रवेश का अधिमान्य या तरजीही अधिकार देते हैं। यह टैरिफ लाइन्स की एक सहमत संख्या पर शुल्क को कम करके किया जाता है।
              • मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई
              • यहाँ तक कि PTA में भी कुछ उत्पादों के लिये शुल्क को घटाकर शून्य किया जा सकता है। भारत ने अफगानिस्तान के साथ एक PTA पर हस्ताक्षर किये हैं।
              • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA ) आमतौर पर केवल व्यापार शुल्क और टैरिफ-रेट कोटा (TRQ) दरों को बातचीत के माध्यम से तय करता है। यह CECA जितना व्यापक नहीं है। भारत ने मलेशिया के साथ CECA पर हस्ताक्षर किये हैं।
              • यह एक द्विपक्षीय समझौता है मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई जिसमें दो देश एक संयुक्त बैठक करते हैं तथा दोनों देशों के नागरिकों और फर्मों/कंपनियों द्वारा निजी निवेश के लिये नियमों एवं शर्तों को तय किया जाता है।
              • यह दो या दो से अधिक देशों के बीच एक व्यापार समझौता है जो व्यापार के विस्तार और देशों के बीच मौजूदा विवादों को हल करने के लिये एक रूपरेखा तय करता है।

              विगत वर्षों के प्रश्न

              प्रश्न: निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)

              उपर्युक्त में से कौन-से देश आसियान के 'मुक्त-व्यापार समझौते' में भागीदार हैं?

              (a) 1, 2, 4 और 5
              (b) 3, 4, 5 और 6
              (c) 1, 3, 4 और 5
              (d) 2, 3, 4 और 6

              प्रश्न: 'क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक' साझेदारी' शब्द अक्सर समाचारों में देखा जाता है इसे देशों के एक समूह के मामलों के रूप में जाना जाता है: (2016)

              सुनक का प्रधानमंत्री बनना एफटीए वार्ता को रफ्तार देने में मदद करेगा

              लंदन, 25 अक्टूबर (भाषा) भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनना दोनों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की वार्ता को जरूरी रफ्तार देने में मदद करेगा। इससे पहले भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौते के लिए समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी। लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह समयसीमा पार हो चुकी है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस साल अप्रैल में भारत की यात्रा के दौरान अक्टूबर तक इस समझौते के पूरा करने की समयसीमा तय की थी। वहीं, सुनक ने एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की

              इससे पहले भारत और ब्रिटेन के बीच एफटीए समझौते के लिए समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी। लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के बीच यह समयसीमा पार हो चुकी है।

              ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस साल अप्रैल में भारत की यात्रा के दौरान अक्टूबर तक इस समझौते के पूरा करने की समयसीमा तय की थी।

              वहीं, सुनक ने एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। उन्होंने वित्तीय सेवाओं को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के विशेष रूप से ‘रोमांचक’ पहलू के रूप में चिह्नित किया है और वित्तीय प्रौद्योगिकी तथा बीमा क्षेत्र में दोनों देशों के लिए भारी अवसरों की ओर इशारा किया है।

              सुनक ने इससे पहले जुलाई में कहा था, ‘‘मैं इस क्षेत्र और दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रभावशाली भूमिका का समर्थन करता हूं। इस दिशा में एफटीए एक बड़ा कदम साबित होगा।’’

              ब्रिटेन की राजधानी के वित्तीय केंद्र सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन ने उम्मीद जताई कि सुनक का वित्तीय सेवाओं पर ध्यान एफटीए को सही दिशा में ले जाएगा।

              सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के पॉलिसी चेयरमैन क्रिस हेवर्ड ने कहा, ‘‘भारत के साथ व्यापार करार ब्रिटेन के लिए सबसे महत्वाकांक्षी और व्यावसायिक रूप से सार्थक समझौतों में से मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई एक हो सकता है।’’

              विशेषज्ञों के अनुसार, ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता अब समझौते के लिए बातचीत को तेज करने में मदद करेगी। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

              भारतीय निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो के वाइस चेयरमैन खालिद खान ने कहा, ‘‘यह भारत के लिए एक बहुत ही सकारात्मक खबर है। यह घटनाक्रम निश्चित रूप से एफटीए को लेकर बातचीत को जरूरी गति देने में मदद करेगा।’’

              हालांकि, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा कि ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री पहले घरेलू मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित करेंगे।

              उन्होंने कहा, ‘‘संकट की स्थिति में व्यापार करार नहीं होते। ये तब होते हैं जब अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन कर रही होती है।’’

              इससे पहले वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने 20 अक्टूबर को कहा था कि भारत और ब्रिटेन के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते के लिए बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और दोनों पक्षों के जल्द ही एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद है।

              उल्लेखनीय है कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। दीपावली यानी 24 अक्टूबर तक तक बातचीत को पूरा करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन ब्रिटेन में राजनितिक अस्थिरता के बीच इस समयसीमा तक बातचीत पूरी नहीं हो सकी।

              मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई

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              इंडोनेशिया में लगेगी भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर, नवंबर में मिलेंगे मोदी और सुनक

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              बिज़नेस न्यूज डेस्क - भारत और ब्रिटेन के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की पुष्टि नवंबर के मध्य में इंडोनेशिया के बाली में होने वाली जी-20 शिखर बैठक में की जाएगी। इस बैठक से इतर ब्रिटेन के नवनिर्वाचित पीएम ऋषि सनक और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी। एफटीए पर अंतिम निर्णय के लिए दोनों देशों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। गौरतलब है कि गुरुवार को पीएम मोदी ने ब्रिटिश पीएम सनक से फोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में दोनों ने एफटीए को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई थी। बाली में होने जा रहा जी20 शिखर सम्मेलन पहले से ही कई अन्य कारणों से चर्चा में है। इस बैठक में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल होंगे। इसी के चलते उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में हाल ही में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक की तर्ज पर जिनपिंग-मोदी की मुलाकात को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है।

              गौरतलब है कि एससीओ की बैठक में पीएम मोदी ने जिनपिंग से दूरी बना ली थी. चर्चाओं का बाजार इसलिए भी गर्म है क्योंकि हाल ही में शी जिनपिंग का तीसरा कार्यकाल राष्ट्रपति बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देने से खुद को दूर कर लिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, बाली में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए को मंजूरी मिलना तय है। इसे देखते हुए दोनों देश इस समझौते की अड़चनों को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। बाधाओं को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी है। चूंकि दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने गुरुवार को इसके प्रति प्रतिबद्धता जताई है, इसलिए बाली में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए को सील करने की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर जिनपिंग-मोदी की मुलाकात की संभावना है, लेकिन सरकारी सूत्र फिलहाल बैठक की संभावना से इनकार कर रहे हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के ढुलमुल रवैये से खुश नहीं है।

              Free Trade Agreement: सुनक के PM बनने से एफटीए की वार्ता को मिलेगी तेजी? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

              ऋषि सुनक और नरेंद्र मोदी

              भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की समयसीमा दीपावली तक रखी गई थी। लेकिन ब्रिटेन में राजनीतिक परिवर्तन के बीच इस समझौते की मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई समयसीमा पार हो गई। हालांकि, इस बीच भारतीय मूल के ऋषि सुनक ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बन गए। इससे समझौते के लिए बातचीत में तेजी की उम्मीद की जा रही है।

              जॉनसन के भारत दौरे के दौरान तय हुई थी समयसीमा

              नरेंद्र मोदी, बोरिस जॉनसन के साथ

              इसी साल अप्रैल में पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने इस समझौते को पूरा करने की समयसीमा तय की थी। वहीं, नए प्रधानमंत्री सुनक ने भी एफटीए के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। सुनक ने वित्तीय सेवाओं को द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के विशेष रोमांचक पहलू के रूप में चिह्नित मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई किया है। उन्होंने वित्तीय प्रौद्योगिकी व बीमा क्षेत्र में दोनों देशों के लिए भारी अवसरों की ओर इशारा किया है।

              एफटीए को लेकर सुनक ने जुलाई में क्या कहा था?

              ऋषि सुनक

              सुनक ने इससे पहले जुलाई में कहा था, मैं इस क्षेत्र और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की बढ़ती प्रभावशाली भूमिका का समर्थन करता हूं। इस दिशा में एफटीए एक बड़ा कदम साबित होगा।

              एफटीए को सही दिशा में जाएगा : मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन

              सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन

              वहीं, लंदन के वित्तीय केंद्र 'सिटी ऑफ लंदन कॉर्पोरेशन' ने उम्मीद जताई है कि सुनक का वित्तीय सेवाओं पर ध्यान एफटीए मुक्त व्यापार समझौतों को लेकर प्रतिबद्धता जताई को सही दिशा में ले जाएगा। सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के पॉलिसी चेयरमैन क्रिस हेवर्ड ने कहा, भारत के साथ व्यापार समझौता ब्रिटेन के लिए सबसे महत्वकांक्षी और व्यावसायिक रूप से सार्थक समझौतों में से एक हो सकता है।

              इसके अलावा, अब विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि ब्रिटेन में राजनीतिक स्थिरता अब समझौते के लिए बातचीत को तेज करने में मदद करेगी। इससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।

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