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मार्केट रिसर्च

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DNA: कैंसर की नकली दवाओं की 'मार्केट रिसर्च'

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवा सप्लाई करने वाले एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो पूरे देश में नकली कैंसर की दवा बेचता था. इस मामले में 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिसमे एक डॉक्टर, 2 इंजीनियर और एक MBA पास ऑउट शामिल था.

सेल्स, ब्रैंड मैनेजमेंट या मार्केट रिसर्च में हैं बेहतर संभावनाएं

सूचना तकनीक के इस युग में अब पारंपरिक क्षेत्र को छोड़कर अन्य नय क्षेत्र खुल रहे हैं जिसमें रोजगार के काफी अवसर है। ऐसे में युवाओं को बेहतर केरियर बनाने इस क्षेत्रों में उतरना होगा। ऐसे में अगर आप सेल्स, ब्रैंड मैनेजमेंट या मार्केट रिसर्च में करियर के बारे में सोच रहे हैं, तो इसमें काफी अच्छी संभावनाएं हैं। इसके लिए आपकी संवाद शैली बेहतर होनी चाहिए। जानें, मैनेजमेंट के क्षेत्र में कौन-कौन से विकल्प मौजूद हैं

ऑपरेशंस मैनेजमेंट

अगर आप विपरीत परिस्थितियों को आसानी से मार्केट रिसर्च संभाल लेते हैं और तकनीक में आपकी रुचि है, तो मार्केट रिसर्च आप यह स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं। यह क्वॉलिटी कंट्रोल और प्रॉडक्टिविटी इंप्रूवमेंट में अहम भूमिका निभाता है।

फाइनैंस

नंबरों से खेलने का शौक रखने वाले इस लाइन में जा सकते हैं। ये लोग बैक एंड पर काम करते हैं और इंवेस्टमेंट बैंकिंग, मर्चेंट बैंकिंग, कॉरपोरेट फाइनेंस वगैरह की रीढ़ की हड्डी होते हैं।

सिस्टम मैनेजमेंट

यह स्पेशलाइजेशन आईटी से ताल्लुक रखता है और अच्छी टेक्निकल व बिजनेस समझ रखने वालों को इसे चुनना चाहिए। इसके बाद आपको सिस्टम कंसल्टेंसी, अकाउंट या प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट वगैरह में प्लेसमेंट मिल सकता है।

ह्यूमन रिसॉर्स मैनेजमेंट

इसमें काम करने वाले लोगों पर पूरे ऑफिस के लोगों का मैनेजमेंट होता है। इसके लिए आपके पास अच्छा व्यक्तित्व, अच्छी तरह बात करने की क्षमता और रिश्ते बनाने की कला का होना बेहद जरूरी है।

स्पेशलाइज्ड एमबीए

कुछ इंस्टिट्यूस प्लेसमेंट्स को ध्यान में रखकर कोर्स भी पेश कर रही हैं, जिनमें रूरल मैनेजमेंट, रिटेल मैनेजमेंट, टेलिकॉम मैनेजमेंट, इंश्योरेंस मैनेजमेंट, फॉरिन ट्रेड उल्लेखनीय हैं।

इस तरह के हैं कोर्स

एमबीए में दो साल की डिग्री के अलावा, एक साल का फुल टाइम प्रोग्राम, पार्ट टाइम एमबीए, डिस्टेंस लर्निंग एमबीए जैसे ऑप्शंस हैं। हालांकि हर पार्ट की अपनी-अपनी खूबी और खामियां हैं।

बिसलेरी के पानी को मिलेगा ‘टाटा’ जैसा स्वाद; 7000 करोड़ का एग्रीमेंट होगा फाइनल

टाटा समूह की कंपनी- टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड जल्द ही अपने नाम से ‘बिसलरी ब्रांड’ बनाएगी। इकोनॉमिक टाइम्स अखबार के मुताबिक, डील 7000 करोड़ में तय होने की उम्मीद है। यह जानकारी बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनी बिसलेरी के अध्यक्ष रमेश चौहान के हवाले से दी गई है।

सबसे बड़ा बोतलबंद पानी ब्रांड बिसलेरी अब टाटा समूह में आ गया है। कहा जाता है कि टाटा कंज्यूमर कंपनी ने बिसलेरी ब्रांड को खरीद लिया है। हालांकि, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स और बिसलेरी ने अभी तक आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, एक बार सौदा तय हो जाने के बाद, टाटा समूह की कंपनी पानी के बाजार में सबसे बड़े खिलाड़ी के रूप में उभर सकती है। Tata Group का उपभोक्ता व्यवसाय Tata Consumer Products Limited (TCPL) के अंतर्गत आता है।

टाटा

रमेश चौहान की अध्यक्षता में यह ब्रांड भारत में खूब फला-फूला। उसके बाद मार्केट रिसर्च टाटा ने इस ब्रांड को करीब 7 हजार करोड़ रुपए में खरीद लिया। अगले दो साल तक बिसलेरी का प्रबंधन मार्केट रिसर्च मौजूदा कंपनी के पास रहेगा। उसके बाद टाटा कंज्यूमर मैनेजमेंट संभालेगी। इससे पहले करीब 30 साल पहले रमेश चौहान ने अमेरिकी कंपनी कोका कोला को थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, लिम्का कोल्ड ड्रिंक ब्रांड बेचे थे।

मार्केट रिसर्च और कंसल्टेंसी TechSci रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2021 में भारतीय बोतलबंद पानी का बाजार 2.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 19,315 करोड़ रुपये) से अधिक होने का अनुमान था। रिपोर्ट में कहा गया है कि बोतलबंद पानी उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है। इसे खुले बाजार में मिलने वाले सामान्य पानी से भी साफ माना जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुला पानी सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है और पीने के लिए भी असुरक्षित है। कोका-कोला इंडिया सहित कई कंपनियां बोतलबंद पानी के बाजार में अपने ब्रांडों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही हैं।

मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस के सर्वे में सामने आया, सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध चाहते हैं 78 फीसदी लोग

मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस के एक नए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है कि 78 प्रतिशत शहरी भारतीय सिंगल यूज प्लास्टिक के पूर्णप्रतिबंध को लेकर ठोस कदम उठाने के पक्ष में हैं। ‘अ थ्रोअवे मार्केट रिसर्च वर्ल्ड- द चैलेंज ऑफ प्लास्टिक पैकेजिंग एंड वेस्ट’ नामक सर्वे के अनुसार, 80 प्रतिशत से अधिक शहरी भारतीयों ने कहा कि वे अपने द्वारा उत्पादित पैकेजिंग के रिसाइक्लिंग और रीयूज के लिए इसे बनाने वालों को जिम्मेदार ठहराएंगे।

इप्सोस इंडिया की क्लाइंट ऑफिसर नीतू बंसल ने अपने बयान में कहा, “भारतीयों द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पर कड़े रुख का अपनाना, सरकार द्वारा लागू किए गए सख्त नियमों का असर है, जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री खुद कर रहे हैं। इस वजह से भारतीयों में व्यापक तौर पर जागरूकता और उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा जा रहा है।”

हालांकि सर्वे में इस बात का भी खुलासा हुआ मार्केट रिसर्च है कि प्लास्टिक के रिसाइकिलिंग को लेकर कम भारतीयों को ही जानकारी है। यह सर्वे 26 जुलाई से 9 अगस्त के बीच किया गया था, जिसमें 19,515 वयस्कों को शामिल किया गया था।

लकड़ी एनर्जी मार्केट रिसर्च

सुप्रभात,
मैं एक जलाऊ लकड़ी प्रसंस्करण और बिक्री व्यवसाय बनाने के बीच में हूं, और आपकी राय आपको रुचि नहीं देगी।
आप नीचे दिए गए लिंक की एक कॉपी / पेस्ट बना सकते हैं, जो सिर्फ एक बाजार अध्ययन है जो मुझे अपने ऋणों पर बातचीत करने की अनुमति देगा।
अग्रिम धन्यवाद।
Cordialement,
फ्रेडरिक।
http://www.abc-energie.मार्केट रिसर्च fr.nf/

द्वारा Korben डलास » 12/04/09, 17:09

मैंने यह प्रश्नावली पूरी की, लेकिन यहां कुछ टिप्पणियां दी गई हैं:
- कई घरों के लिए "केवल हीटिंग" बजट का आकलन करना आसान नहीं है। बहुत बार, उपयोग की जाने वाली ऊर्जा न केवल हीटिंग के लिए उपयोग की जाती है (उदाहरण के लिए खाना पकाने, घरेलू गर्म पानी को गर्म करने के लिए)मार्केट रिसर्च । मेरी राय में, एकत्र किया गया डेटा इसलिए गलत होगा।
- मुझे नहीं लगता कि एबीसी ऊर्जा मुझे क्या व्यावसायिक पेशकश कर सकती है, इस कंपनी को बेचने का कोई सटीक विचार नहीं है। इसलिए मैंने इस सवाल का नकारात्मक जवाब दिया 'क्या आप एबीसी एनर्जी से कमर्शियल ऑफर लेना चाहेंगे'।

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