Share Market कैसे काम करते हैं?

शेयर मार्केट क्या है और कैसे काम करता हैं | Share Market In Hindi
Share Market In Hindi: शेयर बाजार एक ऐसा मंच है जहां निवेशक शेयर, बांड और डेरिवेटिव जैसे वित्तीय साधनों में व्यापार करने के लिए आते हैं। स्टॉक एक्सचेंज इस लेनदेन के एक सूत्रधार के रूप में काम करता है और शेयरों की खरीद और बिक्री को सक्षम बनाता है।
भारतीय शेयर बाजार का परिचय (Introduction to the Indian Stock Market)
Table of Contents
शेयर बाजार निवेश का सबसे बड़ा जरिया है। भारत में मुख्य रूप से दो स्टॉक एक्सचेंज हैं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई)। कंपनियां पहली बार अपने शेयरों को आईपीओ के जरिए स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध करती हैं। निवेशक इन शेयरों में द्वितीयक बाजार के माध्यम Share Market कैसे काम करते हैं? से व्यापार कर सकते हैं।
भारत में दो स्टॉक एक्सचेंजों में कुछ अवसरों पर INR 6,00,000 करोड़ के शेयरों का कारोबार हुआ है। भारत में शुरुआती लोग अक्सर शेयर बाजार में जुए में निवेश करने पर विचार करते हैं, लेकिन शेयर बाजार की एक बुनियादी समझ उस धारणा को बदल सकती है।
भारतीय शेयर बाजारों का विनियमन (Regulation of the Indian Stock Markets)
भारत में शेयर बाजारों का विनियमन और पर्यवेक्षण भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास है। सेबी का गठन 1992 के सेबी अधिनियम के तहत एक स्वतंत्र पहचान के रूप में किया गया था और स्टॉक एक्सचेंजों का निरीक्षण करने की शक्ति रखता Share Market कैसे काम करते हैं? है। निरीक्षण प्रशासनिक नियंत्रण के पहलुओं के साथ बाजार के संचालन और संगठनात्मक संरचना की समीक्षा करते हैं। सेबी की मुख्य भूमिका में शामिल हैं:
- निवेशकों के विकास के लिए एक निष्पक्ष और न्यायसंगत बाजार सुनिश्चित करना
- एक्सचेंज संगठन का अनुपालन, सिस्टम सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स (विनियमन) अधिनियम (एससी (आर) अधिनियम), 1956 के तहत बनाए गए नियमों के अनुसार इसका अभ्यास करता है।
- सेबी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और निर्देशों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करें
- जाँच करें कि क्या एक्सचेंज ने सभी शर्तों का अनुपालन किया है और एससी (आर) अधिनियम 1956 की धारा 4 के तहत, यदि आवश्यक हो तो अनुदान का नवीनीकरण किया है।
शेयर बाजार के प्रकार (Share Share Market कैसे काम करते हैं? Market In Hindi)
शेयर बाजार दो प्रकार के होते हैं, प्राथमिक और द्वितीयक बाजार।
प्राथमिक शेयर बाजार (Primary Share Market)
यह प्राथमिक बाजार में है कि कंपनियां अपने शेयर जारी करने और धन जुटाने के लिए खुद को पंजीकृत करती हैं। इस प्रक्रिया को स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग के रूप में भी जाना जाता है। प्राथमिक बाजार में प्रवेश करने का उद्देश्य धन जुटाना है और यदि कंपनी पहली बार अपने शेयर बेच रही है तो इसे प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, कंपनी एक सार्वजनिक इकाई बन जाती है।
द्वितीयक बाजार (Secondary Market)
प्राथमिक बाजार में नई प्रतिभूतियों के बेचे जाने के बाद कंपनी के शेयरों का द्वितीयक बाजार में कारोबार होता है। इस तरह निवेशक अपने शेयर बेचकर बाहर निकल सकते हैं। द्वितीयक बाजार में होने वाले ये लेन-देन व्यापार कहलाते हैं। इसमें निवेशकों की एक-दूसरे Share Market कैसे काम करते हैं? से खरीदारी करने और सहमत मूल्य पर आपस में बेचने की गतिविधि शामिल है। एक दलाल एक मध्यस्थ है जो इन लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है।
शेयर बाजार कैसे काम करते हैं (How do the Share Markets work)
स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म को समझना (Understanding the Stock Exchange Platform)
स्टॉक एक्सचेंज वास्तव में एक ऐसा मंच है जो स्टॉक और डेरिवेटिव जैसे वित्तीय साधनों का व्यापार करता है। इस प्लेटफॉर्म पर गतिविधियों को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है। ट्रेड करने के लिए प्रतिभागियों को सेबी और स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकरण कराना होता है। व्यापारिक गतिविधियों में दलाली, कंपनियों द्वारा शेयर जारी करना आदि शामिल हैं।
सेकेंडरी मार्केट में कंपनी की लिस्टिंग (Listing of the Company in the Secondary Market)
किसी कंपनी के शेयर पहली बार प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश या आईपीओ के माध्यम से द्वितीयक बाजार में सूचीबद्ध होते हैं। शेयरों का आवंटन लिस्टिंग से पहले होता है और शेयरों के लिए बोली लगाने वाले निवेशकों को निवेशकों की संख्या के आधार पर अपना हिस्सा मिलता है।
द्वितीयक बाजार में व्यापार (Trading in the Secondary Market)
एक बार कंपनी सूचीबद्ध हो जाने के बाद, निवेशकों द्वारा द्वितीयक बाजार में शेयरों का कारोबार किया जा सकता है। यह खरीदारों और विक्रेताओं के लिए लेन-देन करने और मुनाफा कमाने या कुछ मामलों में नुकसान का बाजार है।
स्टॉक ब्रोकर्स (Stock Brokers)
हजारों की संख्या में निवेशकों की संख्या के कारण, उन्हें एक स्थान पर इकट्ठा करना मुश्किल है। इसलिए, व्यापार करने के लिए, स्टॉक ब्रोकर और ब्रोकरेज फर्म तस्वीर में आते हैं।
ये ऐसी संस्थाएं हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में पंजीकृत हैं और निवेशकों और एक्सचेंज के बीच मध्यस्थ के रूप में काम करती हैं। जब आप किसी शेयर को किसी निश्चित दर पर खरीदने का ऑर्डर देते हैं, तो ब्रोकर इसे एक्सचेंज में प्रोसेस करता है जहां कई पार्टियां शामिल होती हैं।
आपके आदेश का पारित होना (Passing of your order)
आपका खरीद ऑर्डर ब्रोकर द्वारा एक्सचेंज को पास कर दिया जाता है, जहां उसका मिलान उसी के लिए बेचने के ऑर्डर के लिए किया जाता है। विनिमय तब होता है जब विक्रेता और खरीदार एक कीमत पर सहमत होते हैं और इसे अंतिम रूप देते हैं; फिर आदेश की पुष्टि की जाती है।
समझौता (Settlement)
एक बार जब आप किसी कीमत को अंतिम रूप दे देते हैं, तो एक्सचेंज यह सुनिश्चित करने के लिए विवरण की पुष्टि करता है कि लेनदेन में कोई चूक नहीं है। एक्सचेंज तब शेयरों के स्वामित्व के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करता है जिसे निपटान के रूप में जाना जाता है। ऐसा होने पर आपको एक संदेश प्राप्त होता है। इस संदेश के संचार में ब्रोकरेज ऑर्डर विभाग, एक्सचेंज फ्लोर ट्रेडर्स आदि जैसे कई पक्ष शामिल होते हैं।
जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित
Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.
- शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
- अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
- राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर
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नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.
कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश
आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.
डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर
शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्थितियों में शेयरों का मूल्य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.
कैसे काम करता है शेयर बाजार
मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.
शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.
निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?
इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.
इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.
Investment Tips: शेयर मार्केट से करोड़पति कैसे बनें? आपका भी है यही सवाल? ये 7 जवाब
पैसा कमाना हर किसी को अच्छा लगता है. कहा जाता है कि शेयर बाजार में बहुत पैसा है. कुछ लोगों को उदाहरण दिया जाता है कि इन्होंने महज 5000 रुपये से निवेश की शुरुआत की थी, और आज शेयर बाजार से करोड़ों रुपये बना रहे हैं. आखिर उनकी सफलता का राज क्या है, आज हम आपको बताएंगे? (Photo: Getty Images)
दरअसल, आप भी कुछ आसान टिप्स को फॉलो कर शेयर बाजार से पैसे बना सकते हैं. शेयर बाजार में कुछ बातों का ध्यान रखकर आप लखपति से करोड़पति बन सकते हैं. लेकिन अक्सर लोग पैसे बनाने की होड़ में नियम और रिस्क को भूल जाते हैं, या फिर कहें जानबूझकर नजरअंदाज कर देते हैं. और फिर उनकी उनकी शिकायत होती है कि शेयर बाजार से बड़ा नुकसान हो गया. (Photo: Getty Images)
यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि शेयर बाजार से 90 फीसदी से ज्यादा रिटेलर पैसा नहीं बना पाते हैं, हर रिटेल निवेशक को शेयर बाजार में कदम रखने से पहले इसे आंकड़े को ध्यान में रखना चाहिए. लेकिन एक इसमें एक अच्छी बात यह है कि 10 फीसदी रिटेल निवेशक पैसे बनाने में सफल रहते हैं. क्योंकि वे नियमों को फॉलो करते हैं. (Photo: Getty Images)
अब आइए आपको बताते हैं कि शेयर बाजार के आप कैसे करोड़पति बन सकते हैं.
1. शुरुआत कैसे करें: शेयर बाजार में निवेश से पहले ये जानने की कोशिश करें कि शेयर बाजार क्या है? शेयर बाजार कैसे काम करता है? लोगों को शेयर बाजार से कैसे कमाई होती है? क्योंकि शेयर बाजार कोई पैसे बनाने की मशीन नहीं है. डिजिटल के इस दौर में आप घर बैठे ऑनलाइन इस बारे में जानकारी जुटा सकते हैं. इसके अलावा आप इस मामले में वित्तीय सलाहकार की मदद ले सकते हैं. जो आपको शुरुआत में सही दिशा बताएंगे.
2. छोटी रकम से करें निवेश की शुरुआत: ये जरूरी नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश के लिए बड़ी रकम होनी चाहिए. अधिकतर लोग यही गलती करते हैं. अपनी पूरी जमापूंजी शेयर बाजार में लगा देते हैं. फिर बाजार में उतार-चढ़ाव को झेल नहीं पाते हैं. आप छोटी रकम यानी महज 5 रुपये से भी निवेश की शुरुआत कर सकते हैं. (Photo: Getty Images)
3. टॉप कंपनियों को चुनें: शुरुआत में बहुत ज्यादा रिटर्न पर फोकस करने से बचें. क्योंकि बहुत ज्यादा रिटर्न के चक्कर में लोग उन कंपनियों स्टॉक्स में पैसे लगा देते हैं, जो फंडामेंटली मजबूत नहीं होते हैं, और फिर फंस जाते हैं. इसलिए निवेश की शुरुआत अक्सर लार्ज कैप कंपनियों से करें. जो फंडामेंटली मजबूत हो. जब आपको कुछ साल का अनुभव हो जाएगा तो फिर थोड़ा रिस्क ले सकते हैं.
4. निवेशित रहने की जरूरत: जब आप छोटी रकम से निवेश की शुरुआत करेंगे, तो फिर हर महीने निवेश को बढ़ाते रहें. अपने पोर्टफोलियो को संतुलित बनाकर रखें. जब आप लगातार कुछ साल तक बाजार में निवेशित रहेंगे तो फिर आप लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं. अक्सर बाजार में लंबे समय के निवेशित रहने वालों का फायदा होता है. (Photo: Getty Images)
5. पैनी स्टॉक्स से रहें दूर: रिटेल निवेशक अक्सर सस्ते स्टॉक्स पर फोकस करते हैं. 10-15 रुपये वाले स्टॉक्स को अपने पोर्टफोलियो में शामिल कर लेते हैं और फिर गिरावट में घबरा जाते हैं. उन्हें लगता है कि सस्ते शेयर में कम निवेश कर ज्यादा कमाया जा सकता है. लेकिन ये सोच गलत है. स्टॉक्स का चयन हमेशा कंपनी की ग्रोथ को देखकर करें. उसी कंपनी में निवेश करें, जिसका बिजनेस अच्छा हो और उस बिजनेस को चलाने वाला मैनेजमेंट अच्छा हो.
6. गिरावट में घबराएं नहीं: शेयर बाजार में जब भी गिरावट आए, तो अपने निवेश को बढ़ाने बढ़ाएं. अक्सर रिटेल निवेशक को जब तक कमाई होती है, तब तक वो निवेश में बने रहते हैं. लेकिन जैसे से बाजार में गिरावट का दौर चलता है, रिटेल निवेशक घबराने लगते हैं, और फिर बड़े नुकसान के डर से शेयर सस्ते में बेच देते हैं. जबकि बड़े निवेशकर खरीदारी के लिए गिरावट का इंतजार करते हैं. (Photo: Getty Images)
7. कमाई का कुछ हिस्सा करें सुरक्षित निवेश: शेयर बाजार से होने वाली कमाई के कुछ हिस्से को सुरक्षित निवेश के तौर पर दूसरे जगह पर भी लगाएं. इसके अलावा अपने मुनाफे को बीच-बीच में कैश करते हैं. सबसे अहम और हर रिटेल निवेशक के जरूरी बात यह है कि वे बिना जानकारी शेयर बाजार से दूर रहें, और निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें. देश के बड़े निवेशकों को फॉलो करें, उनकी बातों को गंभीरता से लें. (Photo: Getty Images)
क्या होता है IPO और कैसे किया जाता है इसमें निवेश, स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखना चाहते हैं तो जान लें ये बेसिक बातें
शेयर मार्केट को काफी रिस्की माना जाता है. ये जितनी तेजी से मुनाफा करवाता है, उतनी ही तेजी से आपको पैसों का नुकसान भी करवा सकता है. इसमें पैसा लगाने से पहले इसको लेकर स्टडी करना और बेसिक बातों को जानना जरूरी है.
क्या होता है IPO और कैसे किया जाता है इसमें निवेश (Zee Biz)
बीते कुछ समय से शेयर मार्केट को लेकर क्रेज काफी बढ़ गया है. तमाम लोग इसमें पैसा इन्वेस्ट करते हैं और बेहतर मुनाफा कमाते हैं. लेकिन शेयर मार्केट को काफी रिस्की माना जाता है. ये जितनी तेजी से मुनाफा करवाता है, उतनी ही तेजी से आपको पैसों का नुकसान भी करवा सकता है. इसलिए ये जरूरी है कि स्टॉक मार्केट की दुनिया में कदम रखने से पहले आप इसको लेकर स्टडी कर लें और कुछ बेसिक बातों को अच्छी तरह से जान लें.
स्टॉक मार्केट की दुनिया में आपने IPO का जिक्र जरूर सुना होगा. तमाम कंपनियां अपने IPO को समय-समय पर लॉन्च करती हैं और लोग उसमें अपना पैसा लगाते हैं. अगर आप इस क्षेत्र में नए हैं और शेयर मार्केट में पैसा लगाना चाहते हैं, तो यहां जानिए क्या होता है आईपीओ और इसमें निवेश करने का तरीका क्या है?
क्या होता है IPO
आईपीओ का मतलब है Initial Public Offering. जब कोई कंपनी पहली बार पब्लिक को अपने शेयर ऑफर करती है तो इसे IPO कहा जाता है. ऐसे समझें कि देश में तमाम प्राइवेट कंपनियां विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं. जब इन कंपनियों को फंड की जरूरत होती है तो ये खुद को स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाती हैं और इसका सबसे बेहतर तरीका है आईपीओ. आईपीओ को जारी करने के बाद कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाती है. इसके बाद निवेशक उसके शेयर को खरीद और बेच सकते हैं.
आईपीओ खरीदने वालों की कंपनी में होती है हिस्सेदारी
कंपनी के आईपीओ खरीदने वालों की कंपनी में हिस्सेदारी हो जाती है और कंपनी के पास फंड इकट्ठा हो जाता है. साधारण शब्दों में समझें तो आईपीओ को लाने के बाद उस कंपनी को चलाने वाला सिर्फ उसका मालिक या परिवार नहीं होता, बल्कि वो सभी निवेशक भी इसमें शामिल होते हैं जिनका पैसा उसके शेयर में लगा होता है. निवेशकों से आए फंड को कंपनी अपनी कंपनी की तरक्की और तमाम अन्य कामों में खर्च कर सकती है.
आईपीओ में कैसे करें निवेश
आईपीओ में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट का होना बहुत जरूरी है. डीमैट अकाउंट आप किसी भी ब्रोकिंग फर्म से खोल सकते हैं. आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने आईपीओ को इनवेस्टर्स के लिए 3-10 दिनों के लिए ओपन करती है. उतने दिनों के अंदर Share Market कैसे काम करते हैं? ही निवेशक कंपनी की साइट पर जाकर या ब्रोकरेज फर्म की मदद से आईपीओ में इन्वेस्ट कर सकते हैं.
WATCH: Upcoming IPOs | इन 4 Companies के Shares में पैसा लगाने का मौका, जल्द आने वाले हैं IPO!
कैसे करें शेयर बाजार में निवेश ?
शेयर या स्टॉक मार्केट एक ऐसी जगह है जहां पर आप अपने पैसे को निवेश करके अच्छी खासी रकम कमा सकते हैं. यह मार्केट पूरी तरह से देश की अर्थव्यवस्था, वैश्विक संकेतों, मुद्रा और आरबीआई की नीतियों आदि पर निर्भर करता है. स्टॉक मार्केट में अलग-अलग कंपनियों के नाम से शेयर होते हैं. इसमें निवेश करते समय नए निवेशकों को शुरुआती दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन जब वही निवेशक शेयर मार्केट को अच्छी तरह से समझने लगता है तब वह एक अनुभवी खिलाड़ी बन जाता है.
स्टॉक मार्केट में होते हैं कई सेक्टर
स्टॉक मार्केट में अलग-अलग तरह के क्षेत्र होते हैं. ऑयल, रियल इस्टेट, बैंकिंग, कंज्यूमर गुड्स, मेटल, स्टील, पावर, संचार यह कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां पर निवेशक अपनी पसंद के अनुसार निवेश कर सकता है. अगर किसी निवेशक को अपनी पसंदीदा कंपनी चुननी है तो सबसे पहले उसे कंपनी के बारे में जानना होगा. बैलेंस सीट के साथ-साथ क्या है उस कंपनी का टर्नओवर उसके बारे में भी निवेशक को जानकारी हासिल करनी चाहिए.
चुनें अपने बेस्ट सेक्टर
जैसा कि हमने ऊपर देखा कि निवेशकों के सामने ऐसे बहुत सारे सेक्टर होते हैं जहां पर वह निवेश करता है. इन सेक्टरों में कौन सा सबसे अच्छा क्षेत्र होगा जो निवेशकों को छोटी और लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न दे सके इस बात को बता पाना किसी के लिए भी मुश्किल भरा काम है. यह काम और अधिक मुश्किल हो जाता है जब देश की अर्थव्यवस्था सही न हो और विश्व आर्थिक संकट से गुजर रहा हो. ऐसे स्थिति में विशेषज्ञों की सलाह होती है कि मिड कैप स्टॉक को चुनें क्योंकि ऐसी परिस्थितियों में लार्ज कैप स्टॉक बहुत ही ज्यादा गोता लगाते हैं.
कैसे करें निवेश
निवेश करने वाले व्यक्ति के सामने यह पहला सवाल होगा कि निवेश कैसे किया जाए ? सबसे पहले ये तय करें कि आप जो भी निवेश करना चाह रहे हैं, उसकी आपको जरूरत कब है क्योंकि इससे आप लंबी और छोटी अवधि के शेयरों का चुनाव कर सकते हैं. निवेश करने के लिए आप जिस कंपनी का शेयर लेंगे उसके बारे में आप अच्छी तरह से Share Market कैसे काम करते हैं? जानकारी कर लें. इसके लिए आप सलाहकारों की मदद ले सकते हैं. यह जरूरी नहीं है कि आप एक ही कंपनी में निवेश करें. एक से अधिक कंपनियों में भी निवेश कर सकते हैं.
डीमैट अकाउंट है जरूरी
निवेश के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है इसके लिए आपको किसी भी बैंक या शेयर खान, रिलायंस मनी और इंडिया इन्फोलाइन जैसी शेयर ब्रोकरेज कंपनियों से संपर्क करना पड़ेगा. कुछ समय पहले तक शेयरों की फिजिकल ट्रेडिंग होती थी. इसमें शेयर सीधे ट्रांसफर होते थे. पर अब ऐसा नहीं है. अब इनकी खरीद-बिक्री किसी बैंक या वित्तीय संस्थान के डीमैट खाते के जरिए होती है. आप खुद या आपके स्थान पर कोई शेयर ब्रोकिंग कंपनी शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकती है.
निवेश की अवधि
निवेशक निवेश करने के लिए दो तरह के तरीकों को अपना सकते हैं. लंबी और छोटी अवधि के लिए निवेश. छोटी अवधि में खरीदे गए शेयर को निवेशक 3-6 महीने के लिए अपने पास रख सकते हैं. जबकि लंबी अवधि में खरीदे गए शेयर को 6 महीने से ऊपर तक अपने पास रख सकते हैं. आम निवेशकों को सलाह दी जाती है कि लंबी अवधि का निवेश सही रहता है क्योंकि डे-ट्रेडिंग और छोटी अवधि के निवेश ज्यादा जोखिम भरे होते हैं.
आजकल शेयरों की ट्रेडिंग इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होती है. यह प्रक्रिया मुम्बई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के जरिए की जाती है. एक्सचेंज के अलावा निवेशक शेयर खान, रिलायंस मनी, आईसीआईसी डाइरेक्ट जैसे ब्रोकरेज हाउस की भी सहायता ले सकते हैं.