शुरुआती के लिए विकल्प ट्रेडिंग

ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं?

ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं?
निवेश के बेहतर उपाय

ETFs में निवेश करने के जोखिम क्या हैं?

ETFs कम लागत में डाइवर्सिफिकेशन के मुनाफ़े देते हैं। इन मुनाफों के बावजूद, हर किसी को ऐसे निवेश में शामिल जोखिमों पर ध्यान देना चाहिए। पहली बात, मार्केट में कई तरह के ETFs मौजूद हैं जिनमें अंतर्राष्ट्रीय और असाधारण ETFs शामिल हैं। इसलिए इन ETFs से जुड़े राजनैतिक जोखिम या लिक्विडिटी के जोखिम से बचने के लिए आपकी ज़रूरत के मुताबिक सही ETF चुनना महत्वपूर्ण है। ETFs की बुनियादी होल्डिंग्स के अनुसार उनमें प्रतिपक्ष और मुद्रा का जोखिम भी शामिल हो सकते हैं।

ETFs किसमें निवेश करते हैं और वे पोर्टफोलियो में होने वाले कैपिटल गेन कैसे बांटते हैं, इस पर निर्भर करते हुए ETFs के अलग-अलग स्ट्रक्चर हो सकते हैं। यह निवेशक के लिए टैक्स की देनदारी को प्रभावित कर सकता है। उदाहरण के लिए, इन-काइन्ड एक्सचेंजों का उपयोग करने वाले ETFs वास्तविक निवेशकों को कैपिटल गेन नहीं देते जबकि जिन ETFs में डेरिवेटिव्स या कमोडिटीज़ होती हैं उनकी जटिल संरचना और टैक्स देनदारी हो सकती है। अगर निवेशक को इन चीज़ों की जानकारी न हो, उसे अचानक झटका लग सकता है। ETFs के डाइवर्सिफिकेशन के मुनाफों के बावजूद उनमें शेयरों और दूसरे म्यूचुअल फंड्स की तरह बाज़ार का जोखिम होता है।

ETF जितने व्यापक इंडेक्स को ट्रैक करेगा, उसका मार्केट रिस्क उतना कम होगा लेकिन उसे पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता। ETFs ट्रैकिंग एरर का सामना करते हैं यानि उनका रिटर्न बुनियादी इंडेक्स से अलग होगा क्योंकि एक ETF में कुछ ऐसे खर्च शामिल होते हैंजिनका सामना इंडेक्स नहीं करता।

ETF नाम तो सुना ही होगा! आखिर क्‍या बला है जिस पर निवेशक लट्टू हुए जा रहे, एक बेहतर ईटीएफ का चुनाव कैसे करें?

भारत में कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से ज्‍यादा पहुंच गई है.

भारत में कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से ज्‍यादा पहुंच गई है.

एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ में निवेश आजकल काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें किसी स्‍टॉक की तुलना में काफी कम जोखिम र . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 06, 2022, 15:05 IST

नई दिल्‍ली. शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों ने अक्‍सर ETF यानी एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड के बारे में सुना होगा. आजकल यह काफी लोकप्रिय हो रहा है और म्‍यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए-नए ETF बाजार में लांच कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ETF है क्‍या और यह कैसे काम करता है.

जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है ETF किसी एक्‍सचेंज के साथ ट्रेडिंग करने की सुविधा देता है. वैसे तो यह एक तरह का म्‍यूचुअल फंड ही है, जिसमें कई तरह के डेट विकल्‍पों और बांड का बंच होता है. लेकिन म्‍यूचुअल फंड और ETF में बेसिक अंतर ये है कि इसे सिर्फ स्‍टॉक एक्‍सचेंज से ही खरीदा या बेचा जा सकता है. एक निवेशक के रूप में जैसे आप एक्‍सचेंज पर कारोबार के दौरान शेयरों की खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उसी तरह ETF में भी कारोबारी घंटों के दौरान ही ट्रेडिंग हो सकती है.

कैसे काम करता है ETF
आपको पता है कि भारत में दो एक्‍सचेंज ट्रेडिंग कराते हैं, बीएसई और एनएसई. इन दोनों एक्‍सचेंज का जैसा प्रदर्शन रहेगा, ETF भी उसी अनुपात में अपने निवेशकों को रिटर्न देते हैं. यानी अगर एक्‍सचेंज पर गिरावट आई तो पूरे ईटीएफ पर असर पड़ेगा. ETF में सिर्फ इक्विटी ही नहीं बल्कि डेट विकल्‍पों के भी तमाम फंड शामिल होते हैं. 2021 में बीएसई और एनएसई ने बड़ी बढ़त बनाई थी, जिससे ETF में निवेश करने वालों को भी बंपर मुनाफा हुआ था. ETF में स्‍टॉक्‍स और फंड के अलावा गोल्‍ड भी शामिल होता है.

इस तरह, अगर आप फिजिकल रूप में सोना नहीं खरीदना चाहते और सोने निवेश का फायदा भी लेना चाहते हैं तो ETF बेहतर विकल्‍प बन सकता है. गोल्‍ड ETF में निवेश पिछले कुछ समय से तेजी से बढ़ रहा, जिसका बड़ा कारण इसमें जोखिम कम होना है. ETF का एक्‍सपेंस रेशियो काफी कम (0.6 फीसदी के आसपास) होता है, जिससे यह बेहतर निवेश विकल्‍प बन जाता है.

खरीद-फरोख्‍त का क्‍या है तरीका
एसेट मैनेजमेंट कंपनिया (AMC) ही ज्‍यादातर ETF को बाजार में उतारती हैं. ETF की पेशकश पहले न्‍यू फंड ऑफर (NFO) के रूप में होती है, जिसके बाद ये शेयर बाजार में लिस्‍ट होते हैं. यह किसी AMC की नई स्‍कीम होती है जिसके जरिये म्‍यूचुअल फंड कंपनियां स्‍टॉक्‍स, सरकारी बांड और सिक्‍योरिटीज में निवेश के लिए पैसे जुटाती हैं. बाद में इससे होने वाले मुनाफे को निवेशकों में आनुपातिक रूप से बांट दिया जाता है.

एक बेहतर ईटीएफ कैसे चुनें
-ETF के लिए सबसे जरूरी पैरामीटर अंडरलाइंग सिक्‍योरिटीज है, क्‍योंकि रिटर्न इसके प्रदर्शन पर आधारित होता है.
-ETF में सिर्फ इक्विटी के बजाए सभी एसेट क्‍लास होने चाहिए, जिसमें बांड, सिक्‍योरिटीज और गोल्‍ड भी शामिल है.
-निवेशकों को लिक्विडिटी, लो एक्सपेंस रेशियो, लो इंपैक्ट कॉस्ट, लो ट्रैकिंग एरर और अंडरलाइंग सिक्योरिटीज पर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान देना चाहिए.
-ETF के चुनाव में लो ट्रैकिंग एरर महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिससे इंडेक्स की तुलना में मिलने वाले रिटर्न का अंतर कम करने में मदद मिलती है.

भारत में तेजी से बढ़ रहा ETF में निवेश
देश के भीतर पिछले पांच साल में ETF का एयूएम 65 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ा है. वित्‍तवर्ष 2015-16 में जहां कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 2 फीसदी थी, वहीं यह 2020-21 में बढ़कर 10 फीसदी हो गई. ETF में सबसे ज्‍यादा निवेश ईपीएफओ जैसे संस्‍थागत निवेशकों का है. भारत ही नहीं दुनियाभर में ETF लोकप्रिय हो रहा है, क्‍योंकि पिछले 10 साल में ग्‍लोबल मार्केट में ETF का सीएजीआर 19 फीसदी की दर से बढ़ा है.

ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|

Exchange Traded Fund- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड
Exchange Traded Fund: एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) कई लोगों के वित्तीय संसाधनों को इकट्ठा करते हैं और इसका उपयोग शेयरों जैसे विभिन्न ट्रेडेबल मॉनेटरी एसेट, बॉन्ड्स एवं डेरिवेटिव जैसे डेट सिक्योरिटीज की खरीद के लिए करते हैं। अधिकांश ईटीएफ भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के साथ पंजीकृत होते हैं। स्टॉक मार्केट की सीमित विशेषज्ञता वाले निवेशकों के लिए यह एक आकर्षक विकल्प है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) किस प्रकार काम करते हैं ?
ईटीएफ शेयर और म्युचुअल फंड दोनों की विशेषताओं को साझा करते हैं। आम तौर पर वे क्रिएशन ब्लॉक के जरिये प्रॉड्यूस्ड शेयरों के रूप में स्टॉक मार्केट में ट्रेड करते हैं। ईटीएफ फंड सभी प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों पर ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? सूचीबद्ध होते हैं और उन्हें इक्विटी ट्रेडिंग टाइम के दौरान जरूरत के अनुसार खरीदा और बेचा जा सकता है। ईटीएफ की शेयर कीमत में परिवर्तन रिसोर्सेज के पूल में उपस्थित मूलभूत एसेट की लागतों पर निर्भर करता है। अगर एक या अधिक एसेट की कीमत बढ़ती है तो ईटीएफ की शेयर कीमत भी आनुपातिक रूप से बढ़ती है और कीमत घटने पर घटती है। ईटीएफ के शेयरधारकों द्वारा प्राप्त लाभांश की वैल्यू संबंधित ईटीएफ कंपनी के प्रदर्शन और एसेट प्रबंधन पर निर्भर करती है। कंपनी के नियमों के अनुसार वे सक्रिय या निष्क्रिय रूप से मैनेज होते हैं।

सक्रिय रूप से प्रबंधित ईटीएफ, शेयर बाजार की स्थितियों का सावधानीपूर्वक आकलन करने और उच्च संभावना वाली कंपनियों में निवेश करने के द्वारा सुनियोजित जोखिम लेने के बाद एक पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा ऑपरेट किया जाता है। दूसरी तरफ, निष्क्रिय रूप से प्रबंधित ईटीएफ विशिष्ट बाजार सूचकांकों के रुझान का अनुसरण करता है और केवल उन्हीं कंपनियों में निवेश करता है जो बढ़ते चार्ट में सूचीबद्ध होती हैं। म्युचुअल फंड या किसी कंपनी के शेयरों में निवेश करने के बजाय किसी ईटीएफ में निवेश करने के कई लाभ होते हैं।

ईटीएफ की सीमाएं
ईटीएफ का ट्रांजेक्शन फंड मैनेजरों द्वारा किया जाता है जो ब्रॉकरेज फीस लेते हैं और डीमैट खाता खोलने की जरूरत होती है। इसके अतिरिक्त, इन्हें बाजार रुझानों के अनुरूप उतार चढ़ाव का भी सामना करना पड़ता है। ईटीएफ संगठन अक्सर बड़ी क्षमता वाली छोटी कंपनियों की अनदेखी करते हैं।

ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं?

Investments in securities are subject to market risks. Read all the documents or product details carefully before investing. WealthDesk ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? Platform facilitates offering of WealthBaskets by SEBI registered entities, termed as "WealthBasket Managers" on this platform. Investments in WealthBaskets are subject to the Terms of Service.

WealthDesk is a platform that lets you invest in systematic, modern investment products called WealthBasket.

WealthDesk Unit No. 001, Ground Floor, Boston House, Suren Road, Off. Andheri-Kurla Road, Andheri (East), Mumbai, Mumbai City, Maharashtra- 400093

© 2022 Wealth Technology & Services Private Limited. CIN: U74999MH2016PTC281896

ईटीएफ और म्युचुअल फंड, निवेश के लिए कौन सा है बेहतर, क्या है दोनों में अंतर

निवेश करने से पहले ये भी जानना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, दोनों के क्या फायदे और क्या नुकसान हैं. इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आधिकारिक वेबसाइट nseindia.com पर भी लॉग इन कर सकते हैं.

निवेश के बेहतर उपाय

निवेश के बेहतर उपाय

gnttv.com

  • नई दिल्ली ,
  • 21 दिसंबर 2021,
  • (Updated 21 दिसंबर 2021, 4:ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? 14 PM IST)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आधिकारिक वेबसाइट nseindia.com पर भी मिल सकती है जानकारी.

इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ में लेनदेन की कम लागत होती है.

इंवेस्टमेंट करने में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को इस बारे में संदेह हो सकता है कि कहां निवेश करना है- म्यूचुअल फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF). निवेश करने से पहले इनके फायदे और नुकसान के बारे में पता होना चाहिए. इस बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के इच्छुक व्यक्ति नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की आधिकारिक वेबसाइट nseindia.com पर भी लॉग इन कर सकते हैं. निवेश करने से पहले ये भी जानना जरूरी है कि म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, दोनों के क्या फायदे और क्या नुकसान हैं.

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF)

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की वेबसाइट के अनुसार, ETF सिक्योरिटी के बास्केट होते हैं (सूचकांक) जिनका कारोबार होता है. जैसे व्यक्तिगत स्टॉक या एक्सचेंज पर. नियमित ओपन-एंड म्यूचुअल फंड के विपरीत, ईटीएफ को किसी भी स्टॉक की तरह पूरे ट्रेडिंग डे में खरीदा और बेचा जा सकता है. इंडेक्स फंड की तुलना में ईटीएफ में लेनदेन की कम लागत और वार्षिक परिवर्तन होते हैं. ईटीएफ को जोखिम से बचने और पहली बार निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक सेफ प्रोडक्ट माना जाता है, खासतौर पर उनके लिए जो बाजार से जुड़े रिटर्न चाहते हैं.

म्यूचुअल फंड्स

NSE वेबसाइट के अनुसार, म्यूचुअल फंड एक निवेश वाहन है जो स्टॉक, बॉन्ड, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करने के उद्देश्य से कई निवेशकों से एकत्र किए गए फंड्स के पूल से बना है. म्यूचुअल फंड का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे छोटे निवेशकों को इक्विटी, बॉन्ड और दूसरी सिक्योरिटीज के पोर्टफोलियो तक पहुंच देते हैं, जोकि कम पूंजी के साथ बनाने के लिए काफी मुश्किल होगा.

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड और म्यूचुअल फंड में अंतर

एक निवेशक को यह ध्यान रखना चाहिए कि एक्सचेंज ट्रेडेड फंड स्टॉक की तरह व्यापार करते हैं. जिसकी वजह से ये पारंपरिक म्यूचुअल फंड से ज्यादा फ्लेक्सिबल होते हैं. खासतौर पर निवेशक स्टॉक के रूप में पूरे दिन ईटीएफ का व्यापार कर सकते हैं. इसकी तुलना में, एक पारंपरिक म्यूचुअल फंड में निवेशक केवल फंड के NAV ETF में निवेश करने के जोखिम क्या हैं? पर यूनिट खरीद सकते हैं, जोकि प्रत्येक ट्रेडिंग डे के अंत में प्रकाशित होता है. वास्तव में, निवेशक ईटीएफ को क्लोजिंग NAV पर नहीं खरीद सकते हैं. ईटीएफ तुरंत व्यापार करने लायक होते हैं, जिसके चलते ईटीएफ के मामले में निवेश के समय और व्यापार के समय के बीच मूल्य अंतर का जोखिम काफी कम होता है.

रेटिंग: 4.77
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 260
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *