क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई?

Cryptocurrency History: सोने से ज्यादा 'सोणी' क्यों क्रिप्टोकरेंसी, कहां से आई और कैसे छाई, जानें सब कुछ
वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की।
बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? उसके क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? क्वाइन बनने तक की कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।
क्रिप्टोकरेंसी आजकल काफी चर्चा में है, लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त ज्यादा आई थी, जब जुलाई 2010 के दौरान बिटक्वाइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? और उससे लेन-देन भी होने लगा। उस वक्त बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, जो वर्तमान में 58 हजार डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। बिटक्वाइन भले ही आज के जमाने की काफी प्रचलित है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 1980 से भी पहले हो गई थी।
जानकारी के मुताबिक, 1980 के दौर में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम का अविष्कार किया था, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर कुछ काम नहीं हुआ।
ब्लाइंडिंग के चर्चा में आने के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र किया गया था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।
वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की। हालांकि, यह भी सच है कि साल 2000 के बाद जब बिटक्वाइन अस्तित्व में आया, उसके बाद ही सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में तेजी दर्ज की गई।
नोट: 'कहानी क्रिप्टो की' सीरीज में आज क्रिप्टोकरेंसी के जन्म की दास्तां बताई गई। कल हम आपको बिटक्वाइन की शुरुआत होने और इसके शिखर पर चढ़ने के किस्से से रूबरू कराएंगे।
विस्तार
बात करेंसी की हो और क्रिप्टो का जिक्र न हो, ऐसा होना नामुमकिन है। क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बाजार में तो इतने बड़े-बड़े दावे होने लगे हैं कि इसे सोने से भी सोणा कहा जाने लगा है। हालांकि, इन सबसे पहले एक सवाल उठता है कि आखिर क्या है ये क्रिप्टोकरेंसी? कैसे इसे खरीद और बेच सकते हैं? कैसे इनकी माइनिंग होती है और इनकी कीमत लगातार कैसे बढ़ रही है? वैसे ये सवाल काफी पुराने हो सकते हैं, लेकिन अमर उजाला एक खास सीरीज 'कहानी क्रिप्टो की' शुरू कर रहा है। इसकी पहली कड़ी में क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत से उसके क्वाइन बनने तक की क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? कहानी बताई जा रही है। सीरीज की अगली कड़ियों में क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग होने और उनकी कीमतों के आसमान छूने तक के हर किस्से से आपको रूबरू कराया जाएगा।
कब अस्तित्व में आई क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी आजकल काफी चर्चा में है, लेकिन यह सुर्खियों में उस वक्त ज्यादा आई थी, जब जुलाई 2010 के दौरान बिटक्वाइन नाम की क्रिप्टोकरेंसी अस्तित्व में आई और क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? उससे लेन-देन भी होने लगा। उस वक्त बिटकॉइन की कीमत 0.0008 डॉलर थी, जो वर्तमान में 58 हजार डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। बिटक्वाइन भले ही आज के जमाने की काफी प्रचलित है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत 1980 से भी पहले हो गई थी।
सबसे पहले बनी थी ब्लाइंडिंग एल्गोरिदम
जानकारी के मुताबिक, 1980 के दौर में अमेरिकन क्रिप्टोग्राफर डेविट चौम ने 'ब्लाइंडिंग' नाम की एल्गोरिदम का अविष्कार किया था, जो सेंट्रल से मॉडर्न वेब-बेस्ड इनक्रिप्शन पर आधारित थी। यह एल्गोरिदम सिक्योर, पार्टियों के बीच अपरिवर्तनीय सूचना के आदान-प्रदान और भविष्य के इलेक्ट्रॉनिक करेंसी ट्रांसफर के लिए आधार तैयार करने के मकसद से बनाई गई थी। हालांकि, इस पर कुछ काम नहीं हुआ।
बी-मनी थी पहली वर्चुअल करेंसी
ब्लाइंडिंग के चर्चा क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? में आने के 15 साल बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियर वेई दई ने बी-मनी नाम की वर्चुअल करेंसी को लेकर व्हाइट पेपर तैयार किया। बी-मनी में मॉडर्न क्रिप्टोकरेंसी के कई बेसिक कंपोनेंट्स थे। व्हाइट पेपर में बी-मनी के जटिल प्रोटेक्शन और डिसेंट्रलाइजेशन का जिक्र किया गया था। हालांकि, बी-मनी कभी एक्सचेंज के रूप में बाजार में नहीं आ पाई।
सबसे पहले एलन मस्क ने की थी वर्चुअल करेंसी की वकालत
वर्ष 1990 और 2000 से पहले कई डिजिटल फाइनेंस माध्यम भी सामने आए, जिनमें पेपल (PayPal) आदि शामिल थे। गौर करने वाली बात यह है कि पेपल की शुरुआत टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क ने की थी। उन्होंने ही उस वक्त पहली बार वर्चुअल करेंसी की वकालत भी की थी और 10 साल बाद क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में आए उछाल ने उनकी बात साबित भी की। हालांकि, यह भी सच है कि साल 2000 के बाद जब बिटक्वाइन अस्तित्व में आया, उसके बाद ही सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में तेजी दर्ज की गई।
नोट: 'कहानी क्रिप्टो की' सीरीज में आज क्रिप्टोकरेंसी के जन्म की दास्तां बताई गई। कल हम आपको बिटक्वाइन की शुरुआत होने और इसके शिखर पर चढ़ने के किस्से से रूबरू कराएंगे।
क्रिप्टोकरेंसी पर क्या लगाम लगाने जा रही है मोदी सरकार?
मंगलवार को लोकसभा ने संसद के आगामी शीतकालीन सत्र के लिए तैयार की गई अपनी विधायी कार्य योजना की जानकारी सार्वजनिक की.
इस कार्य योजना में 26 विधेयकों को पेश करने की बात कही गई है जिसमें से एक क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल मुद्रा पर क़ानून बनाने का बिल भी दर्ज है.
इस बिल को क्रिप्टो करेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 नाम दिया गया है.
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लोकसभा ने अपनी कार्य योजना में बताया है कि इस बिल को लाने का उद्देश्य भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी की जाने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के निर्माण के लिए एक सुविधाजनक व्यवस्था तैयार करना और देश में सभी डिजिटल क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाना है.
हालांकि इसमें आगे यह भी लिखा है कि यह बिल कुछ मामलों में राहत भी देता है जिसके तहत क्रिप्टो करेंसी की तकनीक और उसके इस्तेमाल को बढ़ावा देना शामिल है.
क्रिप्टो करेंसी बिल पर सरकार की चुप्पी
आरबीआई काफ़ी समय से अपनी डिजिटल करेंसी जारी करने की दिशा में सोच रहा है लेकिन यह अभी तक तय नहीं है कि इसका पायलट प्रॉजेक्ट कब तक शुरू होगा.
अभी तक इस बिल की सटीक रूपरेखा सार्वजनिक नहीं की गई है और न ही इस पर कोई सार्वजनिक तौर पर विचार-विमर्श हुआ है.
बिटकॉइन क्या है और कैसे बनता है?
वित्त मंत्रालय काफ़ी समय से इस बिल पर कुछ नहीं बोल रहा है और ऐसा माना जा रहा है कि यह बिल अगस्त से ही मंत्रिमंडल की अनुमति के लिए तैयार है.
इस बिल को लेकर काफ़ी सवाल जुड़े हुए हैं क्योंकि क्रिप्टो करेंसी में काफ़ी लोगों का निवेश है अगर सरकार सभी क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित कर देती है तो उन लोगों का क्या होगा जिन्होंने निवेश किया हुआ है.
हालांकि, मोदी सरकार का उद्देश्य इन डिजिटल करेंसी को लेकर कुछ और भी है.
'द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक़ बीती 13 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टो क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? करेंसी पर नियम बनाने को लेकर एक बैठक की थी जिसमें केंद्रीय बैंक, गृह और वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी शामिल हुए थे.
इस बैठक के दौरान यह सहमति बनी क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? है कि 'बड़े-बड़े वादों और ग़ैर-पारदर्शी विज्ञापनों से युवाओं को गुमराह करने की कोशिशों' को रोका जाए.
इसी दौरान यह भी पाया गया कि अनियंत्रित क्रिप्टो मार्केट मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फ़ंडिंग के लिए इस्तेमाल हो सकती है. इसी कारण सरकार इस क्षेत्र के लिए तेज़ी से क़दम उठाने को दृढ़ संकल्प है.
क्रिप्टो करेंसी में भारी गिरावट
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मंगलवार को जैसे ही क्रिप्टो करेंसी से जुड़े बिल की जानकारी सामने आई तो इस बाज़ार में भारी गिरावट देखी गई.
सभी प्रमुख क्रिप्टो करेंसी में लगभग 15 फ़ीसदी या उससे अधिक की गिरावट देखी गई है.
बिटकॉइन में 17 फ़ीसदी से अधिक, एथेरियम में लगभग 15 फीसदी और टीथर में लगभग 18 फीसदी की गिरावट हुई है.
क्या है क्रिप्टो करेंसी?
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है. यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है. यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके ज़रिए व्यापार होता है.
इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है.
केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने इस साल फिर से डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया है.
2018 में आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था.
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लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार को 'कोई निर्णय लेते हुए इस मामले पर क़ानून बनाना चाहिए.'
इस साल मार्च में आरबीआई ने फिर एक बार कहा था कि वे भारत की ख़ुद की क्रिप्टो करेंसी को लाने और उसके चलन को लेकर विकल्प तलाश रही है. सरकार के भविष्य के फ़ैसले को लेकर एक नज़रिया यह भी बेहद निर्णायक होगा कि भारत में इस मुद्रा का कैसे इस्तेमाल होगा.
इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है.
कॉपी - मोहम्मद शाहिद
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क्रिप्टोकरेंसी: क्यों और कब बनी थी पहली करेंसी? क्यों होता रहता है इसमें काफी उतार-चढ़ाव?
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आजकल काफी चर्चा हो रही है. पहले क्रिप्टोकरेंसी के तौर पर Bitcoin आया था. इसके बाद Ethereum, Cardano, Ripple और Dogecoin भी सामने आ चुके हैं. क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर काफी लोगों के मन में सवाल रहते हैं. यहां आपको क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े ज्यादातर सवालों के जवाब दे रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
आसान शब्दों में बोले तो क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मनी है जिसे देखा या टच नहीं किया जा सकता है लेकिन इसके साथ कुछ वैल्यू अटैच होती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से सपोर्ट मिलता है. मतलब इसके लिए एक बैंक होने की बजाय कंप्यूटर्स का एक पूरा नेटवर्क होता जिससे ट्रांजेक्शन को ट्रैक किया जा सकता है.
क्रिप्टोकरेंसी अभी काफी नया है और इसका सही यूज अभी तक नहीं पता चला है. इसे गोल्ड या रियल एस्टेट से कंपेयर किया जा सकता है. ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ेंगे तो इसकी वैल्यू समय के साथ बढ़ेगी.
क्रिप्टोकरेंसी को कागजी करेंसी में एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के जरिए बदला जा सकता है. एक्सचेंज प्लेटफॉर्म्स के जरिए ही क्रिप्टोकरेंसी को खरीदा या बेचा जा सकता है. इसके ऐप को गूगल प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है. ऐप में KYC प्रोसेस से रजिस्ट्रेशन पूरा करना होगा. कुछ पॉपुलर इंडियन प्लेटफॉर्म्स WazirX, Zebpay, Coinswitch Kuber और CoinDCX GO हैं.
इसमें इन्वेस्ट करने से पहले आपको इसको लेकर अच्छे से रिसर्च कर लेनी चाहिए. Bitcoin को इस साल तक पहुंचने में लगभग दस साल का टाइम लगा. भारत में इसको अभी रेगुलेट नहीं किया जा रहा है. इसका मतलब कोई भी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म या क्वाइन बना कर इसे बेचना शुरू कर सकता है. इस वजह से इसमें फ्रॉड का चांस भी है. भारत में फिलहाल क्रिप्टोकरेंसी से ऑनलाइन खरीदारी नहीं कर सकते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी शेयर बाजार की तरह ही काम करता है. इस वजह से इसका मार्केट ऊपर नीचे होता रहता है. ये काफी नया इस वजह से डेवलपमेंट्स पर ज्यादा रिएक्ट करता है. इस वजह से ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को हमें मिलता है.
क्रिप्टोकरेंसी को 2008 के फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद बनाया गया था. इसका मकसद था पावर लोगों के हाथ में देकर बैंक और सरकार पर से निर्भरता कम करना. इसके पीछे तर्क था सरकार काफी करेंसी प्रिंट करके इसकी वैल्यू कम कर सकती है लेकिन Bitcoins को 21 मिलियन ही बनाया गया.
एक क्रिप्टोकरेंसी को दूसरी से सीधे नहीं बदला जा सकता है. इसके लिए आपको पहले एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से टोकन लेने होंगे उसके बाद आप टोकन का यूज करके दूसरी क्रिप्टोकरेंसी को खरीद सकते हैं.
क्या है Dogecoin? मात्र 2 घंटे में बनाई क्रिप्टो करेंसी, जानें क्यों है इतनी चर्चा का विषय
Dogecoin क्रिप्टो करेंसी के को-क्रिएटर बिली मार्कस (Billy Markus) ने बताया कि उन्होंने क्रिप्टो करेंसी तैयार करते हुए पर्यावरण पर होने वाले प्रभावों पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन इसे सिर्फ 2 घंटे में तैयार किया है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है? सबसे पहले आपको यह जानना चाहिए कि क्रिप्टो करेंसी क्या है। क्रिप्टो करेंसी, करेंसी का एक डिजिटल रूप है। इसे आपको अपनी जेब में किसी सिक्के या नोट की नहीं रखना होता है। यह बिलकुल ऑनलाइन काम करती है। यह करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड होती है। इसमें कोडिंग टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है।
टेक्नोलॉजी के जरिए करेंसी ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी रखी जाती है। इसे आसानी से हैक नहीं किया जा सकता है और इसी के चलते क्रिप्टोकरेंसी में धोखा होने की संभावना नहीं रहती है। वहीं व्यापार के लिए बिना किसी नियमों के इसके जरिए व्यापार होता है। इसे कोई सरकार या विनियामक अथॉरिटी नहीं जारी करती है।
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Tesla ने दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin का इस्तेमाल करके वाहनों की खरीद को बंद कर दिया है उसके बाद एलन मस्क का यह ट्वीट आया है। आपको बता दें कि Tesla ने इस साल की शुरुआत में 1.5 बिलियन डॉलर यानी कि भारतीय करेंसी के हिसाब से करीबन 10,990 करोड़ रुपये इंवेस्ट किए थे। कंपनी ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी एक अच्छी शुरुआत है। इनका भविष्य भी काफी बेहतर है और यह पर्यावरण को बड़ा नुकसान नहीं पहुंचाएंगी।
मार्कस ट्विटर पर Shibetoshi Nakamoto यूजर नाम का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने जोर से रोते हुए चेहरे वाले इमोजी के साथ ट्वीट पर प्रतिक्रिया दर्ज की। जब ट्वीट पर लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हुई तो उसके बाद मार्कस ने आकर साफ किया। ट्विटर पर एक यूजर ने मार्कस से पूछा कि क्या उन्होंने डिजिटल करेंसी बनाने के दौरान एनर्जी के इस्तेमाल पर ध्यान दिया है। या फिर आपने ऐसा कुछ नहीं सोचा था। Dev कम्युनिटी Doge को ज्यादा कुशल कैसे बना सकती है। उसकी प्रतिक्रिया में Markus ने कहा कि उन्होंने Dogecoin को सिर्फ दो घंटे में तैयार किया और उस दौरान कुछ भी नहीं सोचा।
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आपको बता दें कि एलन मस्क ने पहले खुद को डॉगफादर के तौर पर भी दिखाया है। फिर बात में ट्वीट किया कि वह सिस्टम ट्रांजेक्शन एफिशिएंसी को बेहतर करने के लिए Dogecoin डेवलपर्स के साथ काम कर रहे थे। एलन मस्क बीते सप्ताह एक कॉमेडी स्केच शो सैटरडे नाइट लाइव में नजर आए, वहां पर उन्होंने कहा कि Dogecoin एक हलचल थी।
मस्क के इस कमेंट के बाद बीते कुछ माह में Bitcoin और Ether क्रिप्टोकरेंसी क्यों बनाई गई? के तौर पर बड़े स्तर जाने वाली डिजिटल करेंसी नीचे गिर गई। इस करेंसी को साल 2013 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स Billy Markus और Jackson Palmer द्वारा डेवलप किया गया था। यह डिजिटल करेंसी पारंपरिक बैंकिंग सिस्टम की जरूरत से अलग मदद करती है।
क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक डिजिटल करेंसी (Digital Currency) है जिसे कंप्यूटर नेटवर्क पर एक्सचेंज के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है. यह मुद्रा किसी केंद्रीय प्राधिकरण या सरकार या बैंक पर निर्भर नहीं है (Not Reliant on any Central Authority). इसका इंडिविजुअल कॉइन ओनरशिप का रिकॉर्ड एक डिजिटल लेज़र में स्टोर किया जाता है, जो एक कम्प्यूटराइज्ड डेटाबेस है. यह लेनदेन के रिकॉर्ड को सुरक्षित करने, अतिरिक्त सिक्कों के निर्माण को नियंत्रित करने और सिक्का स्वामित्व के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए मजबूत क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है (Cryptocurrency Safety). क्रिप्टोकरेंसी को आमतौर पर एक अलग संपत्ति वर्ग के रूप में देखा जाता है. कुछ क्रिप्टो योजनाएं क्रिप्टोकरेंसी को मेंटेन करने के लिए वैलिडेटर्स का उपयोग करती हैं. प्रूफ-ऑफ-स्टेक मॉडल में, मालिक अपने टोकन को मॉर्गेज या संपत्ति के रूप में रखते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी भौतिक रूप में मौजूद नहीं है और आमतौर पर किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है. क्रिप्टोकरेंसी आमतौर पर केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के उलट डिसेंट्रलाइज्ड कंट्रोल का उपयोग करती है. जब इसे जारी करने वाला क्रिप्टोकरेंसी की माइनिंग करता है, तो इसे आम तौर पर केंद्रीकृत माना जाता है (Cryptocurrency Decentralized Control) .
क्रिप्टोकरेंसी एक व्यापार योग्य डिजिटल संपत्ति या पैसे का डिजिटल रूप है, जो ब्लॉकचेन तकनीक पर बनाया गया है जो केवल ऑनलाइन मौजूद है. क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन को प्रमाणित और संरक्षित करने के लिए एन्क्रिप्शन (Encryption) का उपयोग करती है, इसी आधार पर इसका नाम रखा गया है (Cryptocurrency Naming).
मौजूदा वक्त में दुनिया में एक हजार से अधिक तरह की क्रिप्टोकरेंसी हैं (Types of Cryptocurrency). बिटकॉइन (Bitcoin), पहली बार 2009 में ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था, यह दुनिया का पहला डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी है (World’s first Decentralized Cryptocurrency). बिटकॉइन के जारी होने के बाद से, कई अन्य क्रिप्टोकरेंसी बनाई गई हैं.
क्रिप्टोकरेंसी न्यूज़
ED जांच की आंच, क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज WazirX के बैंक खाते कुर्क
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स (WazirX) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच अब तेज होती जा रही है. ईडी ने कंपनी के एक डायरेक्टर के परिसरों पर तलाशी ली है. वहीं कंपनी से जुड़े बैंक खातों को कुर्क करने का आदेश दिया है.