बाजार विभाजन

इन हालात में, यह संभावना नहीं है कि मिशेल की यात्रा से यूरोपीय संघ-चीन संबंधों में कोई मौलिक परिवर्तन होगा। दो आर्थिक दिग्गजों के बीच सबसे कम विवाद का विषय यह है कि उनके व्यापार संबंधों में स्थिरता बनी हुई है।
विभाजन क्या है? - टेक्नोपेडिया से परिभाषा
एक विभाजन, या डिस्क विभाजन, हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) पर एक तार्किक विभाजन है जो पीसी को विभिन्न ड्राइव करने में सक्षम बनाता है। एक विभाजन हार्ड ड्राइव को एक ड्राइव पर कई लॉजिकल स्टोरेज यूनिट में विभाजित करता है, लेकिन कई ड्राइव के रूप में कार्य करता है। एक विभाजन संपादक नामक एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम का उपयोग एचडीडी पर विभाजन को बनाने, हटाने, आकार बदलने और नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।
विभाजन को स्लाइस के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है।
Techopedia विभाजन की व्याख्या करता है
Microsoft ऑपरेटिंग सिस्टम पर, हार्ड डिस्क को ड्राइव में विभाजित किया जाता है। पहली ड्राइव में विभाजन में एक ड्राइव है जिसे प्राथमिक ड्राइव कहा जाता है और आमतौर पर "C:" है, जो कि OS को बूट करने वाला सक्रिय विभाजन है। विस्तारित विभाजन जैसे "D:" और "E:" को एक से अधिक ड्राइव में जोड़ा जा सकता है और अन्य स्टोरेज जैसे प्रोग्राम, डेटा फ़ाइल, CD-ROM, या USB ड्राइव के लिए उपयोग किया जाता है।
एक यूनिक्स ओएस जैसे लिनक्स और मैक ओएस एक्स के कुछ पुराने संस्करण द्वितीयक भंडारण से डिस्क पर कई विभाजन का उपयोग करते हैं जिसे स्वैप विभाजन या पेजिंग कहा जाता है। इस प्रकार की विभाजन योजना एक फ़ाइल सिस्टम पदानुक्रम मानक (FHS) या होम निर्देशिका के साथ निर्देशिकाओं को अपनी फ़ाइल सिस्टम को असाइन करने की अनुमति देती है। एक विशिष्ट लिनक्स सिस्टम में दो विभाजन होते हैं जो एक फ़ाइल सिस्टम को पकड़ते हैं जो "/" से जुड़ा होता है, जो रूट डायरेक्टरी या स्वैप विभाजन में स्थित होता है। आमतौर पर, लिनक्स ओएस में असीमित संख्या में विभाजन बनाए जा सकते हैं। एक मैक ओएस एक्स सिस्टम पूरे फाइल सिस्टम के लिए एक विभाजन का उपयोग करता है। यह स्वैप सिस्टम के बजाय फाइल सिस्टम के भीतर एक स्वैप फाइल विधि का उपयोग करता है।
आपके जोखिम यह छिपा रहे हैं - क्या आप उन्हें स्पॉट कर सकते हैं?
आईटी हमारे जीवन में सबसे आगे है और हम व्यापार कैसे करते हैं इसमें एक प्रमुख भूमिका निभाता है। लेकिन इसके साथ जोखिम वाले जोखिम और जोखिमों का खुलासा होता है। एक आईटी विफलता अक्सर चेतावनी के बिना आती है और आपके लिए बड़ी समस्याओं के बराबर हो सकती है .
MCD Election 2022: बीजेपी-आप एक-दूसरे पर उंगली उठाने में मशगूल, कोई नहीं कर रहा राजधानी की समस्याओं की बातें
सैय्यद खुर्रम रज़ा
2012 में तत्कालीन मुख्यमंत्री (अब दिवंगत) शीला दीक्षित ने दिल्ली नगर निगम का तीन हिस्सों में विभाजन किया था, तो उनके दिमाग में दिल्ली के हित भी थे। तब कहा गया था कि दिल्ली आबादी के लिहाज से बढ़ रही है और उस हिसाब से सफाई, देखरेख, ट्रैफिक आदि समस्याएं बढ़ रही हैं इसलिए निगम का विभाजन बहुत जरूरी है। आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि विभाजन से जन्म लेने वाली समस्याओं के समाधान के लिए निगम को दोबारा एक तो किया गया है लेकिन क्या वाकई यह समस्या का समाधान है या वोट की राजनीति से बाजार विभाजन बाजार विभाजन प्रेरित है। हो सकता है कि शीला दीक्षित ने विभाजन के वक्त अपने राजनीतिक लाभ को दिमाग में रखा होगा लेकिन इसमें शक नहीं कि उन्होंने दिल्ली के लोगों के हितों को नजरंदाज नहीं किया था।
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निगम चुनाव पर पूरे मुल्क की नजर इसलिए भी है कि दिल्ली में होने वाली किसी भी राजनीतिक गतिविधि का असर पूरे देश में देखने को मिलता है। वैसे भी, बीजेपी और आम आदमी पार्टी- दोनों ही 24 घंटे 365 दिन चुनावी राजनीति के मोड में रहती हैं बल्कि इस मामले बाजार विभाजन में दोनों एक-दूसरे से होड़ करती रहती हैं। बीजेपी की जननी जनसंघ ने सबसे पहला चुनाव दिल्ली नगर निगम का ही जीता था और उसके बाद देश की राजनीति में एक नए दल के तौर पर कदम रखा था। वरिष्ठ पत्रकार दिलबर गोठी कहते भी हैं कि ’1958 का 80 सदस्यों वाला नगर निगम कभी तीन हिस्सों में बंटा और अब फिर एक हो गया है। सदस्यों की संख्या 272 तक बढ़ते हुए अब घटकर 250 पर आ गई है।’ ऐसे में यह चुनाव दिलचस्प हो गया है।
आम आदमी पार्टी ने साल 2013 में दिल्ली की सत्ता संभाली और तब से दिल्ली की राजनीति में एक बड़ी तब्दीली आई है। वैसे, दिल्ली मुख्य तौर पर दो राजनीतिक दलों- कांग्रेस तथा बीजेपी का गढ़ मन जाता था लेकिन आम आदमी पार्टी अब महत्वपूर्ण तीसरी खिलाड़ी है। उसकी आकांक्षा पूरे देश में अपना दबदबा बनाने की है। पंजाब में भी उसकी सरकार है। दिल्ली में चाहे वह संसद की कोई सीट जीतने में नाकाम रही हो और दिल्ली यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के चुनाव में कोई सीट न जीत पाई हो लेकिन वह कम-से-कम निगम पर कब्जा करना चाहती है जबकि बीजेपी निगम से अपनी सत्ता जाने नहीं देना चाहती। दिल्ली की सत्ता में आने के बावजूद आम आदमी पार्टी 2017 में बीजेपी को मात नहीं दे पाई थी। बीजेपी निगम पर पिछले 15 वर्ष से काबिज है।
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प्रचार कम-से-कम सोशल मीडिया पर तो पूरे शबाब पर है। तरह-तरह के आरोप-प्रत्यारोप और अपने-अपने दावे-वादे वाले वीडियो लगभग हर व्यक्ति के फोन-वाट्सएप पर हैं। चूंकि केन्द्र और निगम में बीजेपी तथा दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में है इसलिए उनके कामकाज के परीक्षण का यह मौका है और इसलिए अपने बचाव में दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर ज्यादा से ज्यादा उंगली उठा रहे हैं। आम आदमी पार्टी इन चुनावों में जहां अपने स्कूल और मोहल्ला क्लिनिक के ’बेहतर’ होने को तो शो केस कर ही रही है, वहीं कूड़े के पहाड़ और निगम के कर्मचारियों की तनख्वाहों को मुद्दा बना रही है। दूसरी तरफ, बीजेपी वही पुराने और आजमाए हुए तरीके- मोदी के चेहरे को आगे कर रही है। वह नहीं चाहती कि कूड़े, नगर निगम के स्कूलों, अस्पतालों, गलियों-कूचों के रखरखाव, प्रॉपर्टी टैक्स, पार्क या पार्किंग वगैरह पर ज्यादा बात हो क्योंकि ये उसकी कमजोर नसें हैं। इसीलिए वह आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार को ही मुद्दा बनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है। आम आदमी पार्टी के टिकट बेचने की खबर और मंत्री सत्येंद्र जैन की जेल से जारी वीडियो को उसने मुद्दा बनाने का पूरा प्रयास किया है। उधर, कांग्रेस विकास को ही मुख्य मुद्दा बनाने की कोशिश में है। शीला दीक्षित के कामकाज को वोटरों के बीच रखकर वह उन दिनों की यादें उभार रही है जब दिल्ली का वास्तविक विकास हो रहा था। वह प्रॉपर्टी टैक्स माफ करने की बात तो कर ही रही है, उसने दिल्ली में बिजली में भ्रष्टाचार से होने वाले नुकसान को मुद्दा बनाया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के पूर्व बिजली मंत्री अजय माकन का कहना है कि ’केजरीवाल सरकार का बिजली मॉडल बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का मॉडल है क्योंकि दिल्ली में बिजली के निजीकरण बिजली की चोरी आई कमी का फायदा लोगों को न मिलकर बिजली की निजी कंपनियों को दिया जा रहा है। साथ में 30 प्रतिशत फर्जी सब्सिडी ग्राहक हैं जिनका पैसे का कोई हिसाब नहीं दिया जा रहा। आखिर, दिल्ली में बिजली की चोरी सबसे कम होने के बावजूद इसके रेट सबसे ज्यादा क्यों हैं? ज्यादा रेट होने की वजह से दिल्ली में मैन्युफैक्चरिंग यूनिटें बंद हुई हैं और इसी कारण दिल्ली में बेरोजगारी जबरदस्त बढ़ी है।’
गीता जयंती सह शौर्य दिवस मनाया गया: बक्सर देश व विश्व में हा रहा गुमनाम, बचाने को हमें आगे आना होगा :राजाराम शरण दास
विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल जिला इकाई द्वारा गीता जयंती सह शौर्य दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विहिप के जिला अध्यक्ष सिद्धनाथ मिश्र ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम नया बाजार के महंत राजाराम शरण दास महाराज ने दीप प्रज्वलित करके शुरू किया। उन्होंने कहा कि गीता जयंती सह शौर्य शौर्य दिवस मनाने हम लोग एकत्र हुए हैं इसका शाब्दिक अर्थ होगा की गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहे थे की महाभारत में नारी का चीर हरण हुआ था, उसके लिए महाभारत करना पड़ा और आज हमारे यहां कई कई नारियों का चीरहरण हो रहा है, इसके लिए हमारे हिंदू समाज को आगे आना होगा।
पश्चिमी नेता चीन के साथ संबंधों के भविष्य को लेकर विभाजित हैं
बर्मिंघम, एक दिसंबर (द कन्वरसेशन) यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल एक दिसंबर को बीजिंग के लिए रवाना हुए, पिछले एक साल में जब से शी जिनपिंग ने माओत्से तुंग के बाद देश के सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है, उनके साथ मुलाकात के लिए चीन जाने वाले पश्चिमी नेताओं की सूची में यह नया नाम है ।
शी ने इससे पहले 2022 में बीजिंग ओलंपिक में 20 से अधिक शासनाध्यक्षों से मुलाकात की थी, लेकिन इनमें से अधिकांश लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व नहीं करते थे। एक वरिष्ठ यूरोपीय राजनेता मिशेल की यात्रा, चीन के तेजी से मुखर भू-राजनीतिक रुख के प्रति पश्चिमी दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करेगी। और इसके बीजिंग से निपटने के तरीके पर पश्चिम में गहरे विभाजन को उजागर करने की संभावना है।
पहला विभाजन ट्रान्साटलांटिक है। यह सच है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में इंडोनेशिया में जी20 शिखर सम्मेलन में शी के साथ अपनी बैठक में अधिक समझौतावादी स्वर अपनाया। लेकिन वाशिंगटन आम तौर पर यूरोपीय संघ के प्रमुख सदस्यों, विशेष रूप से फ्रांस और जर्मनी की तुलना में चीन के प्रति अधिक कठोर दृष्टिकोण अपना रहा है।
Karnal News : करनाल पहुंचे ज्ञानचंद गुप्ता, बाबा साहेब के महापरिनिर्वाण दिवस में हुए शामिल, बॉन्ड पॉलिसी को लेकर दिया बड़ा बयान
हरियाणा में करनाल के कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में राज्यस्तरीय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया। महापरिनिर्वाण दिवस पर हरियाणा के विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां पर उन्होंने बाबा साहब के चित्र पर नमन किया और बाबा साहब के जीवन पर भी प्रकाश डाला।
चंडीगढ़ में हरियाणा सचिवालय के लिए अलग से जमीन की मांग को लेकर प्रदेश मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पंजाब में दौरा था, इस सवाल पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जब हरियाणा और पंजाब का विभाजन हुआ था, उस समय 60% एरिया पंजाब के पास और 40% एरिया हरियाणा के पास आया था, जिसमें से 13% हिस्सा अभी भी पंजाब के पास बचा हुआ है।