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व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

व्यापारियों को जीएसटी से लाभ

जीएसटी में एकल विवरणी दाखिल का प्रावधान संभव

वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की समस्याओं के समाधान की दिशा में सरकार गंभीर है और इस संबंध में व्यापारियों और जनता के सुझावों व शिकायतों की लगातार समीक्षा करते हुए उसके सरलीकरण की कोशिश कर रही है। वाराणसी आए केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने बिजऩेस स्टैंडर्ड से बातचीत में यह बात कही। उन्होंने बताया कि जीएसटी में पंजीकरण की सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। व्यापारियों की असुविधा को ध्यान में रखते हुए अब एकल विवरणी दाखिल करने की सुविधा पर विचार किया जा रहा है और संभव है कि जल्द ही व्यापारियों कारोबारियों को सरकार जीएसटी के सिंगल रिटर्न दाखिल करने के प्रावधान की घोषणा कर सकती है।

प्रधानमंत्री के वाराणसी दौरे के पूर्व व्यापारियों की नाराजगी दूर करने आए वित्त राज्यमंत्री ने व्यापारियों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं का स्थानीय स्तर पर निदान करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि सिंगापुर जैसे छोटे देश में जीएसटी लागू करने में सात वर्ष का समय लग गया। भारत विशाल देश है, यहां पर इसे लागू हुए केवल एक ही वर्ष हुआ है। कुछ समय बाद इसका लाभ हर वर्ग के लोगों को मिलने लगेगा। राज्यमंत्री के सामने व्यापारियों, उद्यमियों ने जीएसटी से जुड़ी दिक्कतों को रखा और व्यावहारिक समाधान निकालने की मांग की। मंत्री ने कहा कि अगले माह जनवरी में वाराणसी के व्यापारियों के साथ इस मुद्दे पर एक महत्त्वपूर्ण बैठक होगी।

व्यापारी वर्ग डिजिटल बनने को उत्सुक, लेकिन विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां बड़ी बाधा

नई दिल्ली। भारत के बाजार (India market) में ई-कॉमर्स (e-commerce) का तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। बड़े से बड़े इंटरनेशनल ब्रांड (big international brands) की चीजें आसानी से ऑनलाइन मिल रही हैं लेकिन भारत में तैयार और दुकानों पर मिलने वाला लोकल समान ऑनलाइन (local stuff online) मिलने में अभी मुश्किलें आ रही है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) (Confederation of All India Traders (CAIT)) की रिसर्च शाखा ने रविवार को अपने सर्वे रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है।

कैट के रिसर्च शाखा कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के व्यापारियों ने ई-कॉमर्स को व्यापार के एक अतिरिक्त विकल्प के रूप में अपनाने की इच्छा जाहिर की है, लेकिन ज्यादातर व्यापारियों को लगता है कि ऑनलाइन माल बेचने के लिए विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की जारी कुप्रथाओं और नियमों के घोर उल्लंघन तथा ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण का होना एक बड़ी रुकावट है। दरअसल, वर्ष 2021 में भारत में 55 बिलियन डॉलर का ई-कॉमर्स व्यापार हुआ, जिसका वर्ष 2026 तक 120 बिलियन डॉलर तथा वर्ष 2030 तक 350 बिलियन डॉलर होने की संभावना है।

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कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने हाल ही में देश के विभिन्न राज्यों के टियर-2 और टियर-3 जैसे 40 शहरों में एक ऑनलाइन सर्वे किया है। इस सर्वे में करीब 5 हजार व्यापारियों को शामिल किया गया, जिसमें यह बात निकल कर सामने आई है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि ऑनलाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 78 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में व्यापारियों के लिए अपने मौजूदा कारोबार के अलावा ई-कॉमर्स को भी व्यापार का एक अतिरिक्त तरीका बनाना जरूरी है, जबकि 80 फीसदी व्यापारियों का कहना है कि ई-कॉमर्स पर व्यापार करने के लिए जीएसटी पंजीकरण की अनिवार्यता छोटे व्यापारियों के लिए एक बड़ी बाधा है। वहीं, 92 फीसदी छोटे व्यापारियों ने कहा कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां ऑनलाइन कारोबार के जरिए देश के रिटेल व्यापार पर नियमों एवं कानूनों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए ग्राहकों को भरमा रही हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 92 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि देश में ई- कॉमर्स व्यापार को निष्पक्ष एवं पारदर्शी बनाने के लिए ई-कॉमर्स नीति एवं ई-कॉमर्स से संबंधित उपभोक्ता क़ानून को संशोधित कर तुरंत लागू करना जरूरी है, जबकि 94 फीसदी व्यापारियों ने कहा कि भारत में ई-कॉमर्स व्यवसाय को जिम्मेदार बनाने के लिए एक मजबूत मॉनिटरिंग अथॉरिटी का गठन अत्यंत जरूरी है। वहीं, 72 फीसदी व्यापारियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में वर्तमान एफडीआई नीति में आवश्यक संशोधन करना जरूरी है, ताकि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मनमानी पर तुरंत रोक लग सके। उन्होंने कह कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां व्यापारियों के कारोबार को बड़ी क्षति पहुंचा कर एकतरफा प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाये हुए है।

कैट महामंत्री ने कहा कि यह बेहद ही अफसोस की बात है कि जहां रिटेल ट्रेड पर अनेक प्रकार के क़ानून लागू हैं। वहीँ, ई-कॉमर्स व्यापार सभी प्रकार के प्रतिबंधों से पूरी तरह मुक्त है, जिससे किसी भी कानून की परवाह किए बिना कोई भी ई-कॉमर्स कंपनी कोई भी व्यापार करने के लिए स्वतंत्र है। उन्होंने कहा कि एक बेहद सोची समझी साजिश के तहत विदेश धन प्राप्त कंपनियां न केवल सामान, बल्कि सेवाओं के क्षेत्र जिनमें ट्रेवल, टूरिज्म, पैक्ड खाद्य सामान, किराना, मोबाइल, कंप्यूटर, गिफ्ट आइटम्स, रेडीमेड गारमेंट्स, कैब सर्विस, लॉजिस्टिक्स आदि सेक्टर में अपना वर्चस्व बनाकर भारतीय व्यापारियों के कारोबार पर कब्जा कर उसको नष्ट करने पर तुली हुई है। उन्होंने कहा कि वास्तव में उनका कोई व्यापार का मॉडल नहीं है, बल्कि पूर्ण रूप से वैल्यूएशन मॉडल है, जो देश की अर्थव्यवस्था और व्यापार के लिए बेहद घातक है। खंडेलवाल ने कि कहा कि बहुत ही आश्चर्य की बात है कि प्रति वर्ष हजारों करोड़ रुपये का नुकसान देने के बाद भी विदेश धन पोषित कंपनियां अपना व्यापार कर रही हैं।

खंडेलवाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में अंतिम व्यक्ति को भी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपनाने और स्वीकार करने पर जोर दिया है, लेकिन ई-कॉमर्स पर सामान बेचने के लिए अनिवार्य जीएसटी पंजीकरण की शर्त छोटे व्यापारियों के लिए ई-कॉमर्स व्यापार करने के लिए एक बहुत बड़ी बाधा है। छोटे व्यापारियों के लिए अपने व्यवसाय को व्यापक बनाने में ई-कॉमर्स का लाभ उठाने की सुविधा के लिए इस शर्त को समाप्त करने की जरूरत है। इस संबंध में कैट शीघ्र ही केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, जो स्वयं छोटे व्यापारियों के बड़े पैरोकार हैं और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मिलेगा और दोनों विषयों को समाधान शीघ्र निकालने का आग्रह करेगा। क्योंकि विदेशी व्यापारियों को जीएसटी से लाभ ई-कॉमर्स कंपनियों का व्यापार का यह कौन सा मॉडल है, यह समझना बहुत जरूरी है। (एजेंसी, हि.स.)

जीएसटी: न व्यापारियों और न ही आमजन को है ठोस जानकारी

रांची- जीएसटी के संदर्भ में व्यापारियों के पास जानकारी नहीं

आजाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार के नाम से विख्यात जीएसटी यानि गुड्स एडं सर्विस टैक्स रात 12 बजे से लागू हो जाएगा.

  • ETV Bihar/Jharkhand
  • Last Updated : June 30, 2017, 19:02 IST

झारखंड के व्यवसायी से लेकर आम उपभोक्ता तक जीएसटी को लेकर उधेड़बुन की स्थिति में है. आजाद भारत का सबसे बड़ा कर सुधार के नाम से विख्यात जीएसटी यानि गुड्स एडं सर्विस टैक्स रात 12 बजे से लागू हो जाएगा. एक राष्ट्र -एक टैक्स की इस प्रणाली का व्यवसायियों के साथ- साथ आम लोगों को लाभ होगा या नुकसान इसके बारे में किसी के पास पर्याप्त जानकारी नहीं है.

आज भी आम आवाम के साथ व्यवसायी वर्ग को जीएसटी के नफे नुकसान की जानकारी सतही ही है. किराना व्यवसायी बताते हैं कि थोक विक्रेताओं ने ब्रांडेड चावल और आटा की कीमत 5 फिसदी बढ़ाने की सूचना दी है. दूसरी ओर थोक कपड़ा व्यवसायी इसलिए नाराज हैं कि आजादी के बाद पहली बार कपड़ा को भी कर के दायरे में लाया गया है.

पांच स्लैब में वस्तुओं को रखकर खुले अनाज, ताजी सब्जियां, बिना मार्का वाले अनाज, दूध-दही जैसे उत्पादों को जीएसटी से मुक्त रखा गया है. लेकिन चीनी, चायपत्ती, शिशुओं के दूध, काजू, घरेलू एलपीजी, 500 रुपये के जूते, 1000 रुपये के कपड़े पर पांच फिसदी टैक्स का प्रावधान रखा गया है.

संभवत: लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल रखते हुए मक्खन, घी, बादाम, फ्रूट जूस, आचार, मुरब्बा, चटनी, जैम को 12 फिसदी टैक्स के स्लैब में रखा गया है. वहीं टूथपेस्ट, साबुन, पास्ता, कंप्यूटर जैसे उत्पादों पर 18 फिसदी टैक्स रखा गया है. झारखंड चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंस्ट्रीज के अध्यक्ष विनय अग्रवाल ने कहा कि कौन सी वस्तुएं सस्ती होंगी और कौन सी महंगी यह जानने में वक्त लगेगा.

वहीं वाणिज्यकर संयुक्त आयुक्त गोपाल कृष्ण ने कहा कि जीएसटी से न व्यापारियों को जीएसटी से लाभ सिर्फ उद्योग को फायदा होगा बल्कि छोटी गाड़ियों से लेकर घर,जूता,कपड़ा से लेकर ज्यादातर सामान सस्ते हो जाएंगे. खैर अाम जनता को पता नहीं है कि जीएसटी से उसकी रोज की जरूरतों का सामान सस्ता होगा या महंगा.

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क्या है GST और देश की GDP के लिए है कितना उपयोगी, जानें डिटेल

क्या है GST और देश की GDP के लिए है कितना उपयोगी, जानें डिटेल

डीएनए हिंदी: GST काउंसिल या वस्तु व सेवा कर परिषद (GST) की चंडीगढ़ में 47वीं दो दिवसीय बैठक आयोजित की गई थी. इस दौरान सामानों को लेकर कई अहम फैसले लिए गए. यह बैठक 28 जून से लेकर 29 जून तक हुई थी. आइए जानते हैं कि GST क्या होता है और ये कैसे आम जनता को प्रभावित करता है?

GST क्या होता है? (What is GST)

वस्तु व सेवा कर दरअसल इनडायरेक्ट टैक्स है. इस वजह से आज भारतीय बाजारों का एकीकरण हो गया है और इंडियन इकोनॉमी को एक स्वरूप के आधार पर एक बाजार में परिवर्तित कर दिया गया है. यह वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगता है. बता दें कि 3 अगस्त 2016 को राज्य सभा ने GST बिल को पास किया था. इस कर ने सभी मौजूदा अप्रत्यक्ष करों की जगह ले रखी है. सरकार ने GST को पूरे देश में 1 अप्रैल 2017 से लागू कर दिया था. GST को तीन भागों में बांटा गया है.

CGST - इसको Central Goods and Service Tax कहते हैं. जब किसी वस्तु या सेवा की राज्य के भीतर सप्लाई होती है तब इसका टैक्स केंद्र सरकार को दिया जाता है. इसे ही CGST कहते हैं. उदाहरण के लिए जब कोई व्यापारी अपने ही राज्य में दूसरे व्यापारी से सामान या सर्विस लेता है तो इस डील के लिए केंद्र सरकार को CGST देना पड़ता है.

SGST - इसको State Goods and Service Tax कहते हैं. जब किसी वस्तु या सामान की सप्लाई राज्य के अंदर होती है तो राज्य सरकार के हिस्से में जाने वाला टैक्स स्टेट टैक्स की परिभाषा में आता है. उदाहरण के लिए जब कोई व्यापारी अपने ही राज्य के व्यापारी से कोई सामान की खरीद बिक्री करता है तो इसपर राज्य सरकार को SGST दिया जाता है.

IGST - इसको Integrated Goods and Service Tax कहते हैं. जब दो अलग-अलग राज्यों के व्यापारियों के बीच सामान या सेवाओं को लेकर व्यापार होता है तो इसपर इंटीग्रेटेड जीएसटी लगता है. यह CGST और SGST दोनों का जोड़ होता है. व्यापारी यह कर सिर्फ केंद्र सरकार को चुकाता है.

GST रिटर्न पर रखी जाती है नजर

जीएसटी सिस्टम में व्यापारियों के कारोबार पर नजर रखने के लिए सरकार ने निगरानी रखने के लिए तमाम स्टेप्स बनाए हैं. व्यापारी प्रत्येक महीने जो भी बिक्री, खरीद और टैक्स देते हैं उसकी पूरी डिटेल सरकार के पास पहुंचती है. ये सारे विवरण ऑनलाइन होते हैं. बिजनेस पर जमा किए गए सभी टैक्स व्यापारियों को क्रेडिट के तौर पर वापस लौटते हैं.

GST के क्या फायदे हैं? (Advantages of GST)

  • वस्तु और सेवा कर के जरिए देश में अप्रत्यक्ष करों में एकसमानता आयेगी.
  • जीएसटी से देश की जीडीपी में वृद्धि होगी जो कि अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी है.
  • कर चोरी पर लगाम लगने में मदद मिलेगी. अगर कोई कर चोरी करता हुआ पाया जाता है तो उससे कर वसूली भी जुर्माने के साथ की जाएगी.
  • GST से लगने और लेने वाले टैक्स में पारदर्शिता आई है क्योंकि सबकुछ ऑनलाइन है.
  • टैक्स विवाद में कमी आयेगी और जगह-जगह टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी.
  • भारत की GDP का लगभग 60 प्रतिशत सर्विस क्षेत्र से आता है. सर्विस टैक्स लगने के बाद जीएसटी लगभग 18 प्रतिशत हो गया है.
  • जीएसटी से कुछ राज्यों के रेवेन्यू में कमी आई है लेकिन केंद्र सरकार इसे सुधारने के लिए लगातार काम कर रही है.

हाल ही में ये कुछ चीजें महंगी हुईं हैं

अब स्थानीय स्तर पर बनाए जाने और वितरण किए जाने वाले दुग्ध और कृषि उत्पाद, जैसे- फिश, दही, पनीर, लस्सी, छाछ, आटा और दूसरे अनाज, शहद, पापड़, मांस-मछली (फ्रोज़न प्रॉडक्ट अपवाद रहेगा), मुरमुरे और गुड़ महंगे हो जाएंगे. इनका व्यापार करने वाले व्यापारियों को 5 प्रतिशत के टैक्स स्लैब में लाया जा सकता है.

बैंक का चेक इशू करने के लिए जो फीस वसूला जाता है उसे भी अब टैक्स स्लैब में लाया जाएगा.

ये वस्तुएं हुईं और महंगी

प्रिंटिंग, राइटिंग और ड्राइंग इंक, चाकू, चम्मच, डेरी मशीन, LED लैंप और ड्राइंग इंस्ट्रूमेंट्स पर 12 प्रतिशत से बढ़ाकर GST को 18 प्रतिशत कर दिया गया है.

Solar Water Heaters और फिनिश्ड लेदर पर 5 प्रतिशत से बढ़ाकर GST 12 प्रतिशत कर दिया गया है.

होटल और हॉस्पिटल रूम के स्टे पर जीएसटी रेट स्लैब भी निर्धारित कर दिए गए हैं. ऐसे होटल या हॉस्पिटल रूम जिनका किराया 1,000 रुपये से कम हैं उन्हें 12 प्रतिशत टैक्स देना होगा.


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